शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें

उदाहरण के लिए यदि किसी कंपनी के 100 शेयर पहले खरीदे गए शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें फिर बेचे गए फिर उसे पुनः खरीद के फिर से बेचा गया तो इस प्रकार चार बार उनमें कारोबार हुआ ऐसे में वॉल्यूम 400 शेयरों का गिना जाएगा भले ही उसमें वह 100 शेयर कई बार शामिल हो.
शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें
आज हम समझेंगे how to select chart time frame for trading के बारे में कि हम ट्रेडिंग के लिए शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें चार्ट की टाइमफ्रेम कैसे सेलेक्ट करें दोस्तों यह सवाल बार-बार पूछा जाता है कि हम इंट्राडे के लिए या स्विंग ट्रेडिंग के लिए टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें यह कौन सा टाइम फ्रेम बेस्ट रहेगा इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए तो आज हम टाइमफ्रेम के विषय में सारी जानकारी को समझेंगे और इस पोस्ट को देखने के बाद टाइम फ्रेम सिलेक्ट करने में आपको कोई परेशानी नहीं होगी
वॉल्यूम टाइम फ्रेम क्या होता है ?
जब कभी भी आप शेयर ट्रेड करते हैं और जानना चाहते हैं, कि एक निश्चित टाइम फ्रेम में कितने शेयर का कारोबार हुआ या फिर एक निश्चित टाइम फ्रेम में शेयर्स का वॉल्यूम कितना है तो वह टाइम फ्रेम कुछ भी हो सकता है.
चाहे वह 1 मिनट, 10 मिनट, 15 मिनट, 30 मिनट, 1 घंटा, 4 घंटा, 1 दिन, 1 हफ्ता या 1 महीना भी हो सकता है.
आप जो भी टाइम फ्रेम चार्ट पर सेलेक्ट करते हैं तो आपको उस टाइम फ्रेम में हुआ कुल वॉल्यूम दिखाई देता है. जिसे हम वॉल्यूम कहते हैं जो कि उस टाइम फ्रेम के दौरान खरीदा और बेचा गया है या ट्रेड हुआ है.
ट्रेडिंग वॉल्यूम का उदाहरण
मान लीजिए आपने सुबह HDFC बैंक के 100 शेयर खरीदें और उसके कुछ देर बाद आपने 100 शेयर को बेच दिया, तो वहां पर टोटल ट्रेडिंग वॉल्यूम 200 शेयरों का होगा.
क्योंकि ट्रेडिंग वॉल्यूम में हर बार खरीदे और बचे हुए शेयर्स को गिना जाता है जिन भी स्टॉक को ज्यादा खरीदा या बेचा जाता है, उस स्टॉक का ट्रेडिंग वॉल्यूम अधिक होता है. इसका मतलब यह होता है कि लोगों का उन स्टॉक्स में इंटरेस्ट बहुत ज्यादा है. जब किसी भी शेयर में वॉल्यूम अधिक होता है, तो उस स्टॉक में ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन की संभावनाएं बढ़ जाती है.
वॉल्यूम कहां से देखते हैं ?
जब कभी भी आप Trading करते हैं तो आप अपने ब्रोकर के प्लेटफार्म में जाकर वॉल्यूम चेक कर सकते हैं. चाहे Computer पर या अपने मोबाइल पर, आप अपने ट्रेडिंग स्क्रीन पर स्टॉक्स के वॉल्यूम देख सकते हैं
आप वॉल्यूम को स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट, किसी न्यूज़ वेबसाइट या फिर किसी थर्ड पार्टी वेबसाइट और ऐसे बहुत सारे एप्लीकेशन है जहां पर जाकर आप किसी भी शेयर का वॉल्यूम चेक कर सकते हैं.
वॉल्यूम क्यों जरूरी है और वॉल्यूम से क्या समझते हैं ?
शेयर बाजार में वॉल्यूम का एक अहम रोल होता है. वॉल्यूम देखकर ही हमें मार्केट की एक्टिविटी का अंदाजा होता है, साथ ही साथ इस से मार्केट में लिक्विडिटी का पता चलता है.
किसी भी Share में लिक्विडिटी या वॉल्यूम का मतलब होता है की उस Stock में इन्वेस्टर या ट्रेडर का रुझान किस तरीके का है कितनी आसानी से उस Share में खरीदी और बिक्री की जा सकती है.
जिस भी Share में वॉल्यूम अधिक होता है उस Share में लिक्विडिटी उतनी ही ज्यादा होती है और उस शेयर को खरीदने और बेचने में आसानी होती है.
Intraday Trading कैसे work करता है :
इंट्राडे ट्रेडिंग उनके लिए है जो सौदा को एक ही दिन के लिए खरीद -बेच करते हैं उन्हें शेयर को होल्ड नहीं करना होता है चाहे फ़ायदा हो या नुकसान वो सौदा को होल्ड नहीं करते है इन्हे जोखिम शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें लेना पसंद होता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट की आवश्यकता होगी जो आप निचे दिए गए लिंक के सहारे ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते हैं।
Intraday trading account खोलने के लिए यहाँ क्लिक करें।
जैसा कि नाम से ही मालूम होता है कि यह “एक दिन का सौदा” है यानि को आपको एक दिन के पुरे ट्रेडिंग सेशन में शेयर को ख़रीदा व् बेचा जाता है उसे अगले दिन के लिए होल्ड नहीं किया जाता हैं। SEBI के द्वारा आपको intraday के लिए आपको मार्जिन दिया जाता हैं जिस शेयर आपको खरीदना या बेचना है उसके वैल्यू का आपके पास 25% का बैलेंस होना चाहिए। इंट्राडे ट्रेडिंग का ब्रोकरेज डेलिवरी ट्रेडिंग के मुकाबले कम है
17 Intraday Trading Tips |17 इंट्राडे ट्रेडिंग फार्मूला:
- Highly volatile स्टॉक में Intraday Trading नहीं करना चाहिए। .
- टी ग्रुप (टी २ टी )NSE पर BE ग्रुप में इंट्राडे ट्रेड नहीं होता है इसमें कोई शेयर buy करने पर compulsory delivery लेना पड़ता है।
- मार्किट में अगर आप शार्ट सेल्लिंग करते हैं तो उसे मार्केट क्लोज होने से पहले स्क्वायर ऑफ करना पड़ता है अगर आप square off नहीं कर पाते हैं तो आपको ऑक्शन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसमें आपको भारी penalty देना पड़ सकता हैं।
- बाजार के शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें मूड के साथ ट्रेड लें अगर बाजार अपट्रेंड में हो तो long करें ,अगर downtrend में हो तो short करें।
- सही समय का इंतज़ार करे ,जल्दबाज़ी में शेयर न बेचें।
- stop loss का मजबूती के साथ पालन करें।
- इंट्राडे करने से पहले 10 लिक्विड शेयर्स का चयन कर उसपर ग्राफ,RSI ,और भी तकनीकी से स्टडी करें और अपनी योजना बनायें।
- अधिकांशतः लार्ज कैप के शेयर में ही इंट्राडे करें क्योकि उसने ट्रेडिंग जयादा होती हैं।
- ग्राफ का स्टडी 15 ,10 और 5 मिनट के टाइम फ्रेम के ऊपर स्टडी करें की आपका स्टॉक किस पैटर्न पर वर्क करता है ,कहाँ रेजिस्टेंस है कहाँ सपोर्ट लेवल है। स्टॉप लोस्स कहाँ लगाना है।
- प्रॉफिट किस लेवल पर लेना शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें है या कितना प्रतिशत पर सौदा काटना है पलहे से ही निर्धारित करें ,लालच में न पड़ें।
- स्टॉक के खबरों पर विशेष नज़र रक्खे जैसे बोनस , स्प्लिट,डिविडेंट ,रिजल्ट।
- इंट्राडे करते समय योजना के अनुसार कार्य करें इमोशनल न हो धैर्य से काम लें।
- इंट्राडे करते समय सजग रहें और शेयर को वाच करते रहें अगर आपके अनुमान के उल्टा शेयर जा रहा हो तो तुरंत शेयर से निकल जाएँ।
- बाजार के तुरंत खुलने व् बंद होने से 30 मिंट पहले इंट्राडे न करें क्योकि उस समय वोलैटिलिटी बहुत ज्यादा होती शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें है।
- अगर आपके पास होल्डिंग में शेयर पड़ा है तो उससे भी आप इंट्राडे कर सकते है केवल downtrend के समय आप अपना होल्डिंग शेयर बेंच दें और जब वह शेयर और भी निचे गिरकर चला जाये तो आप शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें उसे buy के ले इस तरह आप को शेयर के खरीद व् बेच के बीच के अंतर का आपको फायदा हो जायेगा और शेयर भी आपके पास पड़ा रहेगा।
- इंट्राडे में छोटे प्रॉफिट पर धयान दें ज्यादा के लालच में न पड़े।
- overbought/oversold जोन को देखकर buy और sell करें।
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दोस्तो म्यूचुअल फंड बहुत सारे लोगो को लगता हैं की यह सिर्फ शेयर बाजार में निवेश करने का तरीका हैं लेकिन अगर चाहे तो आप म्यूचुअल फंड से गोल्ड (Gold) में निवेश कर सकते हैं और चाहे तो रियल एस्टेट(Real Estate) में भी कर सकतें हैं , डेट फंड(Debt fund) में कर सकते है ,या जैसा हमलोग जानते हैं की इक्विटी और स्टॉक्स में निवेश शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें कर सकते है। तो इन चारो में आप चाहे तो म्यूचुअल फंड से इन्वेस्ट कर सकते है । लेकिन ज्यादातर जब म्यूचुअल फंड की रिस्क और रिटर्न की बात होती है कि रिस्क ज्यादा है थोड़ा volatile हो सकती है और रिटर्न भी ज्यादा है तो थोड़ा उपर नीचे भी हो सकती है तो ये सारी चीजों की बात होती हैं इक्विटी (equity) के बात में यानी जो शेयर बाजार में स्टॉक में पैसे लगाते हैं उनके कंटेक्स्ट में।