हम किस मुद्रा जोड़े पर ध्यान केंद्रित करते हैं

यह ध्यान ज्ञान मुद्रा है। इसमें हाथों की आकृति ज्ञान मुद्रा जैसी बनती है इसीलिए इसे ध्यान ज्ञान मुद्रा कहा जा सकता है।
ध्यान केंद्रित कैसे करें 5 उपाय | Dhyan kendrit karne ka tarika
मन लगना या ध्यान (Meditation) एक सहज क्रिया है। ध्यान योग के लिए बैठते समय अगर आप बस ये सोचें कि मेरा ध्यान बट जाता है, तो आपका ध्यान इसी बात पर रहेगा। यह सोचते रहने से आपके न चाहते हुए भी ध्यान भंग होगा। धैर्य के साथ मन को शांत रखें, नियमित रूप से थोड़ा-थोड़ा प्रयास करने से मन लगने लगता है।
रोज 5-10 मिनट ध्यान करने का अभ्यास करें। गहरी सांस लें और आँखें खुली या आधी बंद करके अपनी साँसों की आने-जाने की क्रिया पर मन को हम किस मुद्रा जोड़े पर ध्यान केंद्रित करते हैं केंद्रित करें। नियमित ध्यान करें जिससे कि यह एक आदत बन जाय। आदत एक आटोमेटिक सिस्टम है। आदत वाले कार्य करने के लिए सोचना नहीं पड़ता।
हम में से हर कोई जब अपना इच्छित कार्य या शौक पूरा कर रहा होता है तो एक तरह से ध्यान की मुद्रा में होता है। रोज-रोज ध्यान करने से यह स्वभाव का हिस्सा बन जायेगा और आपका मन ध्यान के पूर्वाग्रह (Prejudice) से बचेगा।
3) मन को दिशा दें –
मन को किसी एक बात पर केन्द्रित हम किस मुद्रा जोड़े पर ध्यान केंद्रित करते हैं किया जाये। अपनी सांस-प्रक्रिया, कोई पॉजिटिव विचार, कोई मंत्र , किसी महान व्यक्तित्व, देवी-देवता के उन गुणों पर केन्द्रित करें, जिसे हम खुद में देखना चाहते है। इससे विचारों की गति पर उसे वश में करना या इच्छित वस्तु पर मन केन्द्रित करना सीखते है। धीरे धीरे हम इस गति को धीमा कर सकते है और रोक भी सकते है।
ध्यान करते समय मन में विचारो के कड़ी चलती रहती है। एक विचार सौ नए विचारो को जन्म देता है. मन लगतार इसमें डूबता-उतराता रहता है। तरीका यह है की आप इन विचारो में खोये नही। मान ले कि मन में आते-जाते विचार एक स्क्रीन पर चल रहे है और आप एक दर्शक हैं। बस विचार-प्रवाह को देखें। उन्हें आने जाने दे। किसी विचार में उतर कर उसे बढ़ाएं नहीं।
5) कल्पनाशीलता –
इस में कुछ विचारो की कल्पना की जाती है। इसका तरीका यह है कि स्थिर होकर बैठे। सांस धीमी और लम्बी हो पर सामान्य हो। कल्पना करें हम शरीर है जो कि एक बर्तन जैसा है जिसमे आत्मा एक द्रव जैसे भरी है। यह हमारे अंगो में लगातार बहती हुई नदी जैसे है। स्थिर बैठ के कल्पना करें, यह प्रवाह आपके अंगो से सिमटता हुआ आपके सर की तरफ आ रहा है।
जैसे जैसे यह प्रवाह आपके अंगो से निकल रहा है, वो अंग एकदम शांत होता जा रहा है जैसे उसमे जान ही न हो। धीरे यह कम होता हुआ आपके सर में आ जाता है। फिर दोनों भौं के बीच के बिंदु पर बंद आँखों में ही देखते हुए कल्पना करें कि यह द्रव अब सिमटता हुआ उसी एक बिंदु पर केन्द्रित हो रहा है, और अंत में यह एक प्रकाशित बिंदु के जैसे चमक रहा है। इसी बिंदु को देखते रहें और बाकि शरीर के बारें में एकदम भूल जाएँ।
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ध्यान मुद्रा
विभिन्न योग परंपरा और अलग-अलग योग शिक्षकों की परंपराओं के भीतर ध्यान (meditation mudra)के लिए अलग-अलग शारीरिक मुद्राओं का सुझाव दिया जाता है। कई लोग लेटकर और खड़े होकर भी ध्यान करते हैं तो यह भी ध्यान मुद्रा ही मानी जाती है। हालांकि पद्मासन और सिद्धासन में बैठकर किया जाना वाला ध्यान ही सबसे प्रसिद्ध हैं।
ध्यान मुद्रा (meditation pose हम किस मुद्रा जोड़े पर ध्यान केंद्रित करते हैं or posture) के दो अर्थ है पहला कि हम कौन से आसन में बैठें और दूसरा कि यह एक प्रकार की हस्त मुद्रा का नाम भी है जिसे ध्यान मुद्रा कहते हैं। पद्मासन या सिद्धासन में आंखें बंदकर बैठना ध्यान आसन कहलाता है।
किन्हीं दो हम किस मुद्रा जोड़े पर ध्यान केंद्रित करते हैं देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए।
19वीं सदी में राष्ट्रवाद एक नई शक्ति बनकर उभरा। इससे यूरोप की राजनीति में हम किस मुद्रा जोड़े पर ध्यान केंद्रित करते हैं भारी परिवर्तन आए। अंततः यूरोप के बहु राष्ट्रों हम किस मुद्रा जोड़े पर ध्यान केंद्रित करते हैं वाले साम्राज्य का स्थान राष्ट्रीय राज्य ने ले लिया। इन राज्यों का क्षेत्र परिभाषित था और उनकी प्रभु सत्ता केंद्रीय शक्ति के हाथ में थी। ग्रेट ब्रिटेन ,ऑस्ट्रिया व हंगरी आदि इसी प्रकार के राज्य थे । इन राष्ट्रों के विकास के लिए भिन्न-भिन्न कारक उत्तरदाई थे, परंतु इन में कुछ सामान्य कारक भी शामिल थे जो निम्नलिखित थे :
(क) शासकों का शक्तिशाली बनना।
(ख) नागरिकों में एक सांझा पहचान का भाव।
(ग) समाज संस्कृति, सामान भाषा, समाज इतिहास अथवा विरासत।