संकेतक मानक

संकेतक के साथ जन प्रवाह नियंत्रक
सूचक सुविधाओं के साथ RY-044A जन प्रवाह नियंत्रक ● बहु-पैरामीटर प्रदर्शन और उत्पादन: तापमान, दबाव, प्रवाह, आदि ● बहु-पैरामीटर नियंत्रण: मात्रा प्रवाह, जन प्रवाह, दबाव ● तीन मानक नियंत्रण मोड: डिजिटल, एनालॉग, स्थानीय पैनलों ● उच्च प्रेसिजन उपलब्ध है: ०.५% से बेहतर ●.. ।
- उत्पाद का परिचय
सुविधाओं
● मल्टी पैरामीटर नियंत्रण: मात्रा प्रवाह, जन प्रवाह, दबाव
● तीन मानक नियंत्रण मोड: डिजिटल, एनालॉग, स्थानीय पैनलों
● उच्च परिशुद्धता उपलब्ध है: ०.५% से बेहतर
● सटीक, टिकाऊ और लागत प्रभावी डिजाइन
● कॉंपैक्ट प्रवाह नियंत्रण प्रणाली
● वाइड मापने रेंज मजबूत साध् य सुनिश्चित करता है
विनिर्देश
लागू सापेक्ष आर्द्रता
पैनल: 480 (डब्ल्यू) x120 (एच)
टोकरा: 440 (W) x330 (D) x120 (संकेतक मानक H)
आवेदन
RY-044A गैस जन प्रवाह नियंत्रक संकेतक व्यापक रूप से विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, पर्यावरणीय निगरानी, निर्वात कोटिंग उद्योग, औद्योगिक भट्ठी, अर्धचालक, ऑटोमोबाइल विनिर्माण, पेट्रोलियम, फोटोवोल्टिक, ईंधन सेल में प्रयोग किया जाता है, पैमाइश, गैस माप, आदि
दुर्घटना बाहुल्य इलाकों में लगाएं संकेतक
ज्ञानपुर। जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में दुर्घटना बाहुल्य इलाकों में संकेतक लगाने का निर्देश दिए गए। डीएम ने कहा कि जिन स्थानों पर अधिक दुर्घटनाएं होती हैं वहां संकेतक लगाएं, जिससे दुर्घटनाओं में कमी आए। डीएम ने संकेतक मानक बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देश दिया कि जो स्कूल सड़कों के आसपास हों, वहां बच्चों संकेतक मानक को सड़क पार कराने के लिए शिक्षकों को नामित करें। स्कूलों की चहारदीवारी पर पुलिस, अस्पताल के जरूरी नंबर अंकित कराए जाएं। परिवहन विभाग को निर्देश दिया कि यातायात सुरक्षा को लेकर लोगों को जागरूक करें। नियमों को तोड़ने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए। मालवाहक वाहनों पर मानक से अधिक लोड ले जाने पर कार्रवाई करें। नशे में वाहन चलाने, मोबाइल से बात करते समय वाहन चलाने, दोपहिया सवार हेलमेट न लगाने पर चालान काटें। चौपहिया वाहन में सीट बेल्ट अनिवार्य रूप से बंधवाएं। बैठक में एसडीएम ज्ञानपुर अमृता सिंह, सीओ रामकरन, एआरटीओ सत्येंद्र यादव, टीएसई जयप्रकाश यादव आदि शामिल रहे।
ज्ञानपुर। जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में दुर्घटना बाहुल्य इलाकों में संकेतक लगाने का निर्देश दिए गए। डीएम ने कहा कि जिन स्थानों पर अधिक दुर्घटनाएं होती हैं वहां संकेतक लगाएं, जिससे दुर्घटनाओं में कमी आए। डीएम ने बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देश दिया कि जो स्कूल सड़कों के आसपास हों, वहां बच्चों को सड़क पार कराने के लिए शिक्षकों को नामित करें। स्कूलों की चहारदीवारी पर पुलिस, अस्पताल के जरूरी नंबर अंकित कराए जाएं। परिवहन विभाग को निर्देश दिया कि यातायात सुरक्षा को लेकर लोगों को जागरूक करें। नियमों को तोड़ने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए। मालवाहक वाहनों संकेतक मानक पर मानक से अधिक लोड ले जाने पर कार्रवाई करें। नशे में वाहन चलाने, मोबाइल से बात करते समय वाहन चलाने, दोपहिया सवार हेलमेट न लगाने पर चालान काटें। चौपहिया वाहन में सीट बेल्ट अनिवार्य रूप से बंधवाएं। बैठक में एसडीएम ज्ञानपुर अमृता सिंह, सीओ रामकरन, एआरटीओ सत्येंद्र यादव, टीएसई जयप्रकाश यादव आदि शामिल रहे।
संकेतक व दिशा सूचक नहीं होने से हो रहे हादसे
सागर (नवदुनिया प्रतिनिधि)। सागर-झांसी फोरलेन हाइवे पर कई जगह एक्सिडेंटल पाइंट बने हुए हैं। इन प्वाइंटों पर दिशा सूचक व संकेतक तक नहीं है। इससे आए दिन हादसे होते हैं। इसके अलावा ग्रामीणों ने भी अपनी सहूलियत के लिए जगह-जगह फोरलेन के डिवाइडरों को तोड़कर अपनी मनमर्जी से रास्ते बना लिए हैं, यहां भी कई हादसे हो चुके हैं। वहीं हादसा होन
सागर (नवदुनिया प्रतिनिधि)।
सागर-झांसी फोरलेन हाइवे पर कई जगह एक्सिडेंटल पाइंट बने हुए हैं। इन प्वाइंटों पर दिशा सूचक व संकेतक तक नहीं है। इससे आए दिन हादसे होते हैं। इसके अलावा ग्रामीणों ने भी अपनी सहूलियत के लिए जगह-जगह फोरलेन के डिवाइडरों को तोड़कर अपनी मनमर्जी से रास्ते बना लिए हैं, यहां भी कई हादसे हो चुके संकेतक मानक हैं। वहीं हादसा होने की आशंका बनी रहती है। इस ओर एनएचएआई के अधिकारियों का ध्यान नहीं है। हालत यह है कि डिवाइडर के बीच में हरियाली के लिए पौधे लगाए गए थे, जहां मवेशी चरा करते हैं। इन मवेशियों की वजह से भी हादसे की आशंका बनी रहती है। फोरलेन एनएच 26 पर सागर जिले के रानीपुरा व गढ़पहरा के बीच बने तिराहे पर न तो किसी तरह का संकेतक बोर्ड लगा संकेतक मानक है। न ही रिफ्लेक्टर व स्पीड लिमिट बोर्ड लगाए गए हैं। यही हाल मादरी फाटक के पास है। संकेतक मानक यहां अनाधिकृत रूप से लोगों ने आने-जाने के लिए डिवाइडर तोड़कर रास्ता बना लिया है। यहां अक्सर हादसे होते हैं। बरौदिया कलां के आगे अंधा मोड़ है। यहां भी किसी दिशा सूचक व संकेतक नहीं लगा है।
डिवाइडर तोड़कर बनाए रास्ते
सागर से मालथौन तक डिवाइडर तोड़कर रास्ते बनाने के कारण भी कई लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे। बावजूद टूटे डिवाइडरों को सुधारा नहीं जा रहा है। फोरलेन एनएच 26 पर मध्यप्रदेश सहित अन्य संकेतक मानक राज्यों के भारी वाहनों का आवागमन रहता है। सागर से नईदिल्ली को जोड़ने वाले इस अतिव्यस्त राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरक्षित यातायात के लिए चार वर्ष पूर्व लगे संकेतक जमींदोज हो चुके हैं। ऐसे में यहां पूरा ट्रैफिक सिस्टम वाहन चालकों के अंदाजे पर भगवान भरोसे चल रहा है। यातायात के सुरक्षा मानक ताक पर है। हाईवे पर खड़े ट्रकों में वाहन टकराते हैं और हर साल बड़ी संख्या में लोगों की जान चली जाती है। अवैध कटों से निकल रहे लोग भी वाहनों की चपेट में आ जाते हैं और हादसे का शिकार होते हैं।
यातायात सुरक्षा मानकों का अभाव
प्रावधान के अनुसार तिराहे पर 20 मीटर पहले संकेतक लगा होना चाहिए। संकेतक ऐसा हो जो चालकों को दूर से नजर आ जाए, लेकिन यहां इस प्रावधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। राजमार्ग के विस्तार, बढ़ती आबादी, वाहनों के बढ़ते दबाव व भागती जिंदगी के इस दौर में यातायात सुरक्षा मानकों का अभाव लोगों की जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को विवश करता है। एक्सिडेंटल पाइंट बने गढपहरा तिराहा, बांदरी, रजवांस, मादरी फाटक, पलेथिनी, बरौदियाकलां, मालथौन सहित अन्य तिराहे पर संकेतक लगाने का निर्देश एनएचएआई के अधिकारियों द्वारा नहीं दिए जा रहे हैं।
क्या कहते हैं क्षेत्रवासी
बरौदिया कलां के सरपंच दयाराम चौरसिया का कहना है कि फोर लेन पर सुरक्षा की अनदेखी की जा रही है। कई जगह संकेतक व दिशा सूचक नहीं है। इससे अक्सर रात में हादसे होते हैं। राघवेंद्र सिंह ठाकुर, मलखान सिंह लोधी, हल्ले भाई यादव व अशोक कुमार यादव प्रेमपुरा का कहना है कि एनएचएआई कई हादसों के बाद भी ध्यान नहीं दे रहा है।
फोरलेन पर दिशा सूचक व संकेतक लगाए गए हैं। जहां नहीं है, वहां जांच के बाद लगवाए जाएंगे। फोरलेन पर डिवाइडर तोड़कर अनाधिकृत रूप से बनाए गए रास्तों को बंद कराया जाएगा। इनकी वजह से हादसे होते हैं। पुलिस अधीक्षक व कलेक्टर से भी इस संबंध में चर्चा हुई है। पुलिस थानों से इनकी सूची मांगी है। कुछ जगह अनाधिकृत रास्ते बंद कर दिए गए हैं। यदि अब लोग इन रास्तों को तोड़ते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।
जापान ने निहोन्शु पेय के लिए GI टैग हेतु भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री चेन्नई में आवेदन किया
जापान ने पहली बात अपने किसी उत्पाद के लिए चेन्नई में भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री में GI टैग के लिए आवेदन किया है। फाइलिंग में दिए गए विवरण के अनुसार, जापान में, निहोन्शु (nihonshu) को किण्वित चावल से बना एक विशेष और मूल्यवान पेय माना जाता है।
लोग पारंपरिक रूप से त्योहारों, शादियों या अंत्येष्टि जैसे विशेष अवसरों पर निहोंशु पीते हैं, लेकिन इसका सेवन आमतौर पर भी किया जाता है।
इस प्रकार, यह जापान में जीवन शैली और संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।
सेक मार्किट (लगभग सभी निहोन्शु हैं) जापान में दूसरी सबसे बड़ी शराब (जैसे बीयर) का बाजार है।
निहोन्शु बनाने के लिए तीन मुख्य कच्चे माल – चावल, कोजी-किन/koji-kin (एक प्रकार का कवक बीजाणु) और पानी की आवश्यकता होती है।
निहोन्शु का उत्पादन एक अल्कोहलिक किण्वन विधि का अनुसरण करता है जिसे समानांतर एकाधिक किण्वन कहा जाता है और इसमें कच्चे माल का ट्रीटमेंट, कोजी बनाना, स्टार्टर कल्चर बनाना, मैश बनाना, प्रेस करना, हीट स्टरलाइजेशन और बॉटलिंग शामिल है।
इस्तेमाल किये जाने वाले चावल और कोजी जापान का होना चाहिए।
फाइलिंग में जापान के दूतावास ने यह भी उल्लेख किया है कि अतीत में, जापान की अर्थव्यवस्था चावल के आसपास आधारित थी, जिसका उपयोग मेइजी युग (1869-1912) में मौद्रिक अर्थव्यवस्था की स्थापना से पहले क्वासी मनी के रूप में किया जाता था। नतीजतन, निहोंशु उत्पादन पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में था।
मिस्त्री दुर्घटना : सड़क सुरक्षा ऑडिट में खराब रखरखाव, पर्याप्त संकेतक नहीं होने पर चिंता जतायी गयी
नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की कार दुर्घटना में मौत जिस राजमार्ग पर हुई थी, उसके सुरक्षा ऑडिट में खराब रखरखाव, चालकों की मदद के लिए अपर्याप्त संकेतकों और संबंधित खंड पर दो दर्जन से अधिक स्थानों पर खुले मार्ग को लेकर चिंता जतायी गयी है। इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आईआरएफ) के भारत चैप्टर की एक टीम द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर महाराष्ट्र में मंडोर और गुजरात में अछाड़ के बीच 70 किलोमीटर के खंड का सड़क सुरक्षा ऑडिट किया गया था। मिस्त्री और एक अन्य सह-यात्री की गत चार सितंबर को इस खंड पर
इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आईआरएफ) के भारत चैप्टर की एक टीम द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर महाराष्ट्र में मंडोर और गुजरात में अछाड़ के बीच 70 किलोमीटर के खंड का सड़क सुरक्षा ऑडिट किया गया था।
मिस्त्री और एक अन्य सह-यात्री की गत चार सितंबर को इस खंड पर कार दुर्घटना में मौत हो गयी थी।
फेडरेशन के मानद अध्यक्ष के. के. कपिला ने कहा कि ऑडिट में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कम लागत वाले तात्कालिक उपायों की सिफारिश की गई है।
कपिला ने कहा कि इन तात्कालिक उपायों के तहत घुमावदार मार्गों और पुलों से पहले अधिकतम गति सीमा बताने वाले संकेतकों, ओवरटेकिंग के खिलाफ चेतावनी, त्वरित रखरखाव, बीच-बीच में खुली जगहों को बंद करने तथा चालकों को गाइड करने के लिए उचित संकेतकों को अंकित करने की सिफारिश की गई है।
पालघर में घातक दुर्घटना के एक हफ्ते बाद ही ऑडिट किया गया था।
आईआरएफ ने एक बयान में कहा कि ऑडिट भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की सहमति के बाद किया गया था और कार्रवाई के लिए रिपोर्ट सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और एनएचएआई को सौंप दी गई है।
आईआरएफ-इंडिया चैप्टर के अध्यक्ष सतीश पारख ने कहा कि ऑडिट में पाया गया है कि महाराष्ट्र के मंडोर और गुजरात के अछाड के बीच एनएच-48 के 70 किलोमीटर के हिस्से में फ्लाईओवर, वाहनों के अंडरपास, पैदल यात्री अंडरपास, पुल और पुलिया सहित कई छोटे-बड़े ढांचे हैं।
बयान में पारख के हवाले से कहा गया है, ‘‘यह पाया गया कि जिस स्थान पर यह घातक दुर्घटना हुई, वहां तीसरी लेन के लिए एक साधारण मोड़ है, जिसे उचित संकेतकों के बिना अवैज्ञानिक और गैर-मानक तरीकों से बनाया गया है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि मानक डिजाइन के अनुसार, किसी भी छह लेन वाले राजमार्ग पर कोई मध्य मार्ग नहीं होना चाहिए।
बयान के मुताबिक, रिपोर्ट में बीच से खुले मार्गों को जल्द से जल्द बंद करने की सिफारिश की गई है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में पूरे भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 1.55 लाख से अधिक लोगों की जान गई अर्थात प्रतिदिन औसतन 426 अथवा हर घंटे 18 लोग दुर्घटना के शिकार हुए हैं, जो अब तक किसी भी कैलेंडर वर्ष में दर्ज मौत का सर्वाधिक आंकड़ा है।