एक सीमा आदेश क्या है?

उन्होंने बताया कि पुलिस और अन्य सुरक्षा कर्मियों के मौके पर पहुंचने से पहले ही ग्रामीण वहां से चले गए।
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23 नवंबर (भाषा) असम के वेस्ट कार्बी आंगलोंग जिले में मेघालय के ग्रामीणों के एक समूह ने वन विभाग के एक कार्यालय में तोड़फोड़ एक सीमा आदेश क्या है? और आगजनी की। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
पुलिस द्वारा लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को मंगलवार तड़के रोकने के बाद भड़की हिंसा में छह लोगों के मारे जाने के बाद इस कृत्य को अंजाम दिया गया।
मेघालय के वेस्ट जयंतिया हिल्स जिले के मुकरोह गांव के निवासी कुल्हाड़ियां, छड़ और लाठियां लेकर मंगलवार रात अंतरराज्यीय सीमा पर असम में खेरोनी वन रेंज के तहत आने वाले एक बीट कार्यालय के सामने जमा हो गए और उसे आग के हवाले कर दिया।
अधिकारियों ने बताया कि भीड़ ने वन कार्यालय में तोड़फोड़ की और वहां रखे लकड़ी के सामान, दस्तावेजों और परिसर में खड़ी कई मोटरसाइकिल में आग लगा दी।
अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि घटना में अभी तक किसी वन कर्मी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है।
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स्वतंत्रता की एक सीमा है
हमारे देश में नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों में कोई भी असीम नहीं है। जैसे अनुच्छेद 19(1)(ए) के अंतर्गत दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को 19(2) में सीमाओं में बांधा गया है। संविधान के मसौदे में इस अधिकार पर अंकुश लगाने का एक आधार ‘राजद्रोह’ को माना गया है। राजद्रोह को भारतीय दंड संहिता के भाग 124-ए के तहत ऐसा आपराधिक कृत्य माना गया है, जिसके लिए उम्रकैद एवं जुर्माने के दंड का प्रावधान है।
- प्रिवी काऊंसिल ने सरकार के प्रति असंतोष या बुरी भावनाओं को उत्तेजक शब्दों में व्यक्त करने को राजद्रोह माना था। मुख्य न्यायाधीश मॉरिस ग्वायर की अध्यक्षता में फेडरल कोर्ट ने कहा कि, ‘सरकार की असफलता पर प्रहार करने वाली अभिव्यक्ति को राजद्रोह नहीं माना जा सकता।’ एक सीमा आदेश क्या है?
- इसी संदर्भ में 1962 में केदारनाथ बनाम बिहार सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय ने फेडरल कोर्ट के आदेश को अपनाते हुए कहा कि ‘सरकार की कटु से कटु आलोचना को भी तब तक राजद्रोह नहीं माना जा सकता, जब तक कि उसमें हिंसात्मक तत्वों का समावेश न किया गया हो।’
- 1995 में भी ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने वाले के विरूद्ध 124-ए के अंतर्गत राजद्राह का मुकदमा चलाए जाने से उच्चतम न्यायालय ने इंकार कर दिया था। अगर कोई व्यक्ति हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाता है या भारत देश को अत्याचारी कहकर उसके पराभव की बात कहता है, तो संभवतः इसे राजद्रोह माना जा सके।
- सरकारी विरोध को बर्दाश्त न करने वाली कई अभियोजन एजेंसी ने अनुच्छेद 124-ए का दुरुपयोग किया है। इसका एक हास्यास्पद उदाहरण वित्त मंत्री अरुण जेटली पर भी इस प्रकार का अभियोग चलाया जाना है। ऐसे मामलों में अभियोग चलाने का खंडन किया जाना चाहिए।
“1987 में वांगडुंग से पीछे हट जाने के सेना के आदेश को मैंने नहीं माना,” पूर्व सेनाध्यक्ष वीएन शर्मा
जनरल विश्वनाथ शर्मा भारत एक सीमा आदेश क्या है? के ऐसे पहले सेनाध्यक्ष थे जिनका करियर स्वतंत्रता के बाद शुरू हुआ था. 90 साल के शर्मा 1990 में सेवानिवृत्त हुए थे. लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में जून 1987 से मई 1988 तक पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ थे. उनका कार्यकाल चीन के साथ वांगडुंग घटना के लिए याद किया एक सीमा आदेश क्या है? जाता है. जून 1986 में शुरू हुई इस घटना का नाम अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले के सुमदोरोंग चू क्षेत्र के एक छोटे से गांव के नाम पर रखा गया है और इसे तीसरा चीन-भारत सैन्य संघर्ष माना जाता है. वांगडुंग थगला रिज के करीब है. 1962 के पहले चीन-भारत युद्ध की एक वजह रिज पर भारतीय सेना की मौजूदगी भी एक सीमा आदेश क्या है? थी. रिज में इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक सहायक चौकी थी. 1986 की गर्मियों में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने वांगडुंग पर कब्जा कर लिया था.
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दलहन पर भंडारण की सीमा से लग सकता है किसानों की आय को बड़ा झटका
वर्ष 2015 के बाद दूसरी बार दलहनों की भंडारण सीमा सरकार ने तय की है। कीमतों को स्थिर रखने वाले इस आदेश से बीते वर्ष प्याज किसानों की तरह दलहन किसानों को भी घाटा उठाना पड़ सकता है।
By Vivek Mishra
On: Wednesday 07 July 2021
देश में दशकों से तुअर (अरहर) और उड़द पैदा करने वाले किसान उपज और कीमतों को लेकर हतोत्साहित हैं। वहीं, आवश्यक वस्तु से जुड़े कानूनों में फेरबदल और सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद केंद्र सरकार अब आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के प्रावधानों से अलग जाकर तत्काल प्रभाव वाले आदेश जारी कर रही है। सरकार का अभी ताजा आदेश दलहन की स्टॉक सीमा को लेकर है जिसका विरोध जारी है। जानकारों के मुताबिक खाद्यान्न महंगाई से अब तक बची हुई तुअर और उड़द की दाल पर इस तरह की सीमा से दलहन किसानों को बड़ा झटका लग सकता है।
सरकार ने इस आदेश को विशिष्ट खाद्य पदार्थों पर लाइसेंसी अपेक्षाएं, स्टॉक सीमाएं और संचलन प्रतिबंध हटाना (संशोधन) आदेश, 2021 नाम दिया है।
वर्ष 2015 दालों की ऊंची कीमतों और अंतरराष्ट्रीय स्तर की जमाखोरी के मामले में जाना जाता है। इसी वर्ष सरकार ने पहली बार दलहन की स्टॉक सीमा तय की थी। 2015, सितंबर में तुअर की कीमत 176 रुपए और उड़द एक सीमा आदेश क्या है? की कीमत 190 रुपए तक पहुंची। 18 अक्तूबर, 2015 को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के प्रावधानों से अलग स्टॉक सीमा तय की गई थी।
मेघालय फायरिंग पर CM हिमंत बिस्वा सरमा का बड़ा बयान- पुलिस ने ज्यादा बढ़-चढ़कर एक्शन ले लिया
Amod Rai | Edited By: लव रघुवंशी
Updated on: Nov 23, 2022 | 4:03 PM
असम-मेघालय बॉर्डर पर हुई फायरिंग पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि ये जो घटना हुई है वह दुखद है. हमने इसमें ज्यूडिशियल इंक्वायरी हमने की है. इसमें पुलिस ने कुछ ज्यादा बढ़-चढ़कर एक्शन लिया, जिसको अवॉइड किया जा सकता था. यह सीमा विवाद का मामला नहीं है. यह शुद्ध रूप से जंगल की लकड़ी का अवैध तस्करी का मुद्दा है जिसे एक सीमा आदेश क्या है? एक सीमा आदेश क्या है? रोकने की कोशिश में ये दुर्घटना घटी और 6 लोगों की जान चली गई. उन्होंने कहा कि यह कहीं से भी असम और मेघालय के बॉर्डर डिस्प्यूट का मुद्दा नहीं है.