तकनीकी विश्लेषण का आधार

वैश्विक संकेतक

वैश्विक संकेतक
2050 तक 21.6 करोड़ लोग देश के भीतर पलायन करेंगे। यह प्रवृत्ति पहले से ही है कि युद्ध और संघर्षों के मुकाबले जलवायु परिवर्तन से प्रेरित मौसमी आपदाएं विस्थापन के लिए वैश्विक संकेतक अधिक जिम्मेदार हैं।

वैश्विक संकेतक भी स्पष्ट नहीं हैं. भू-राजनीतिक स्थिति महत्वपूर्ण है, जबकि कच्चे तेल के दाम बढ़ना हमारे लिए चिंता का विषय है.

'Whole sale price index'

देश में थोक मूल्य आधारित सालाना महंगाई दर इस साल फरवरी में 2.93 फीसदी दर्ज की गई, जबकि पिछले साल के फरवरी महीने में थोक महंगाई दर 2.74 फीसदी रही थी. थोक मूल्य आधारित मुद्रा स्फीति दर के आंकड़े गुरुवार को जारी किए गए. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई इस साल फरवरी में पिछले महीने जनवरी से भी अधिक दर्ज की गई है.

सब्जियों, दालों और चीनी के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी जुलाई माह में तेजी से बढ़ती हुई 3.55 प्रतिशत पर पहुंच गई. थोक मुद्रास्फीति का यह पिछले 23 माह का उच्चतम स्तर है.

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार पांचवें महीने मार्च में भी शून्य से नीचे बनी रही। खाद्य, ईंधन और विनिर्मित उत्पादों के सस्ता वैश्विक संकेतक होने से पिछले महीने थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति और गिरकर शून्य से 2.33 प्रतिशत नीचे रही।

वैश्विक समुद्री प्लास्टिक कूड़े निगरानी नेटवर्क परियोजना (GMMN परियोजना)

यह निगरानी प्रयासों के सामंजस्य और दृश्य के माध्यम से अतिरिक्त मूल्य का उत्पादन करेगा । यह एसडीजी 14 को प्राप्त करने और लक्ष्य 14.1 को साकार करने में योगदान देगा। इसके अलावा, यह पहल संकेतक 14.1.1 के लिए उपयोगी बुनियादी डेटा प्रदान करेगी और दशक परिणामों में योगदान देगी: 1 - एक स्वच्छ महासागर, 6 - एक सुलभ महासागर और 7 - एक प्रेरणादायक और आकर्षक महासागर।

प्रारंभ तिथि: 07/09/2020

अंतिम तिथि: ना

संपर्क

महासागर दशक

ग्लोबल स्टेकहोल्डर फोरम

संपर्क में रहें

आप वैश्विक संकेतक महासागर दशक के साथ कैसे शामिल किया जा सकता वैश्विक संकेतक है के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें ।

हम कुकीज़ का उपयोग इस बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए करते हैं कि आप हमारी वेबसाइट का उपयोग कैसे करते हैं। हम इस जानकारी का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए करते हैं कि हम आपको सबसे अच्छा अनुभव दें। अस्वीकार स्वीकार करें

क्यूएस बेस्ट स्टूडेंट सिटीज रैंकिंग 2022

लंदन स्थित वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषक 'क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) द्वारा 28 जुलाई, 2021 को 'क्यूएस बेस्ट स्टूडेंट सिटीज रैंकिंग 2022' (QS Best Student Cities Ranking 2022) जारी की गई। यह रैंकिंग का नौवां संस्करण था।

रैंकिंग में शामिल होने वाले शहरों के लिए पैमाना: कम से कम 250,000 वैश्विक संकेतक की आबादी और कम से कम दो विश्वविद्यालय सबसे हालिया क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में शामिल होने चाहिए।

  • रैंकिंग का निर्धारण विश्वविद्यालय रैंकिंग, छात्र मिश्रण (student mix), वांछनीयता (desirability), नियोक्ता गतिविधि (employer activity), वहनीयता और छात्रों की प्रतिक्रिया (Student view) जैसे संकेतकों के आधार पर किया जाता है।

छात्रों के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहर: 1. लंदन, 2. म्यूनिख, 3. सियोल और टोक्यो, 5. बर्लिन।

वैश्विक संकेतक

क्या जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते पलायन को वैश्विक मान्यता मिल पाएगी?

जलवायु परिवर्तन के कारण एक से दूसरे देश में पलायन को सुविधाजनक बनाने के लिए समझौता अभी दूर की राजनीतिक कौड़ी है

On: Wednesday 16 November 2022

भारत के पुराने सूखाग्रस्त क्षेत्रों से दिहाड़ी मजदूरों का देशभर में पलायन हुआ है। फोटो: प्रशांत रवि

भारत के पुराने सूखाग्रस्त क्षेत्रों से दिहाड़ी मजदूरों का देशभर में पलायन हुआ है। फोटो: प्रशांत रवि

गांव से शहरों में होने वाला पलायन हमेशा से आकस्मिक अथवा दीर्घकालीन आर्थिक आघात का संकेतक रहा है। अधिकांश समय इस आघात के पीछे जलवायु कारक रहे हैं।

उदाहरण के लिए, गंभीर सूखे अथवा चक्रवात के कारण आजीविका खत्म हो जाती है] जो अंतत: पलायन बढ़ाती है। समय के साथ पलायन हालात से जूझने के एक तंत्र के रूप में विकसित हुआ है। आप इसे अनुकूलन प्रतिक्रिया के रूप में भी परिभाषित कर सकते हैं।

जलवायु आपातकाल इसे और तीव्र कर रहा है क्योंकि अधिक से अधिक आपदाएं देशों को प्रभावित कर रही हैं। यह आपातकाल लोगों की सहनशक्ति को भी लगातार कम कर रहा है। इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से प्रेरित आपदाएं पलायन को नए रूप दे रही हैं।

Stock Market Volatile This Week : निवेशकों की निगाह रुपये के उतार-चढ़ाव, ब्रेंट क्रूड के दाम और विदेशी संस्थागत निवेशक . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last वैश्विक संकेतक Updated : February 06, 2022, 13:36 IST

नई दिल्ली. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक (RBI MPC Meeting) को देखते हुए इस सप्ताह वैश्विक संकेतक शेयर बाजारों (Stock Markets) में काफी उतार-चढ़ाव (Volatility) देखने को मिल सकता है. इस पर कंपनियों के तिमाही नतीजों का भी असर दिख सकता है. इसलिए अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो सोच-समझकर निवेश करें. विश्लेषकों का कहना है कि सप्ताह के दौरान बाजारों की दिशा आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा और कुछ बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजों से तय होगी.

विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू बाजार के निवेशकों की निगाह रुपये के उतार-चढ़ाव, ब्रेंट क्रूड के दाम और विदेशी संस्थागत निवेशकों के रुख पर भी रहेगी. रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा का कहना है कि महत्वपूर्ण घटनाक्रमों के बीच बाजार भागीदारों की नजर इस सप्ताह एमपीसी की नीतिगत समीक्षा बैठक पर होगी. बैठक के नतीजें 9 फरवरी को आएंगे. इसके अलावा, वृहद आर्थिक मोर्चे पर 11 फरवरी को औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़े भी आने हैं.

रेटिंग: 4.98
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 292
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *