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फैलाव स्थिति

फैलाव स्थिति
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी ये सफलता लापरवाही में भी नहीं बदलनी चाहिए। हमें जनता को ‘पैनिक मोड (भयभीत अवस्था)’ में भी नहीं लाना है। एक भय का साम्राज् य फैल जाए, ये भी स्थिति नहीं लानी है और कुछ सावधानियां बरत करके, कुछ कदम उठा करके हमें जनता को परेशानी से मुक्ति भी दिलानी है।’’

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रोगाणुओं के बारे में सब फैलाव स्थिति कुछ

दुनिया में ज्यादातर रोगाणु मनुष्य के लिए हानिरहित हैं। कुछ प्रकार के रोगाणु जैसे भोजन पचाने में हमारी सहायता करने वाले हमें लाभ भी पहुंचाते हैं। परंतु रोगाणुओं के बारे में यह जानकारी होने का महत्व है कि वे आपके घर में कैसे फैलते हैं - विशेषकर इसलिए कि कुछ साधारण स्वच्छता के कदमों से हम उनके पनपने को काबू में कर सकते हैं।

रोगाणु (या रोगजनक, जैसा उन्हें कभी-कभी कहा जाता है) सूक्ष्म जीव होते हैं जो यदि हमारे शरीर में दाखिल हो जाएं तो बीमारी और संक्रमण पैदा कर सकते हैं।

सबसे साधारण प्रकार हैं:

  • बैक्टिरिया (जैसे साल्मोनेला जो भोजन की विषाक्तता पैदा कर सकता है)
  • विषाणु (जैसे राइनोवायरस जो आम सर्दी का कारण बनता है)
  • कवक (जैसे ट्रिकोफाइटोन जो एथलीट फुट का कारण बन सकता है)
  • परजीवी (जैसे जियारिडिया इंटेस्टिनालिस जो दस्त का कारण बन सकता है)

रोगाणु कैसे फैलते हैं?

आपके घर में जहां भी गर्मी और नमी है वहीं रोगाणु और कवक पनप सकते हैं। परंतु विषाणु अलग होते हैं। रोगाणु से आकार में सौ गुना तक छोटे विषाणु को बढ़ने के लिए एक जीवित पोषक के भीतर रहने की जरूरत होती है। इसी प्रक्रिया से वे बीमारी का कारण फैलाव स्थिति बनते हैं।

रोगाणु लोगों के हाथों, आमतौर पर संक्रमित लोगों या सतह को छूने से घर में चारों ओर फैल सकता है। रोगाणु हवा में छोटे धूल कणों पर या हमारे मुंह और नाक से खांसी, छींक या बातचीत के दौरान निकली पानी की बूंदों पर यात्रा कर सकते हैं।

घर में रोगाणुओं के साधारण स्रोत हैं:

  • संक्रमित भोजन और पानी।
  • नियमित रूप से छुई जाने वाली सतहें जैसे दरवाजे के हत्थे, नल, टेलीविजन के रिमोट और टेलीफोन।
  • सफाई और कचरे के क्षेत्र जैसे कूड़ादान, हौदी और शौचालय।
  • घरेलू कचरा जैसे उपयोग किया या खराब भोजन, इस्तेमाल हुआ रुमाल और गंदे लंगोट।
  • सफाई की वस्तु जैसे सफाई के कपड़े, स्पंज और गंदे टूथब्रश।
  • पालतू और दूसरे जानवर जैसे चूहे और मक्खियां।
  • अन्य लोग।

कई ऐसे तरीके हैं जिससे रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

  • वे दूषित भोजन के साथ खाए जा सकते हैं।
  • नाक और मुंह के माध्यम से सांस लेते समय हवा में मौजूद रोगाणु फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं।
  • त्वचा पर मौजूद रोगाणु अनुपचारित चोट या घाव के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं।
  • वे इंजेक्शन, शल्य चिकित्सा अथवा जानवर या कीड़े के काटने से हमारे रक्तप्रवाह में दाखिल हो सकते हैं।
  • अंतत: हमारे शरीर के तरल पदार्थों में मौजूद कुछ विशिष्ट रोगाणुओं को हम शारीरिक संपर्क के माध्यम से दूसरों को पारित कर सकते हैं।

कोरोना वायरस के कहर से हवा में घटा जहर, मगर भारत पर नहीं दिखा असर

कोरोना वायरस के मरीज का इलाज (फाइल फोटो)

  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2020,
  • (अपडेटेड 17 मार्च 2020, 11:26 PM IST)
  • भारत ने वायरस के फैलाव को रोकने के लिए कई कदम उठाए
  • केंद्र और राज्य सरकारों ने कई एडवाइजरी जारी की हैं

नोवेल कोरोना वायरस (COVID-19) के फैलाव को रोकने के लिए दुनिया के कई देश अभूतपूर्व कदम उठाने को मजबूर हुए हैं. ऐसा ही एक कदम है शहरों को पूरी तरह लॉक-डाउन करना. चीन और इटली को स्थिति के बेकाबू हो जाने के बाद ये अतिवादी रास्ता अपनाना पड़ा. ऐसा कोई निश्चित तरीका नहीं है, जिससे मानव गतिविधियों को सीमित किए जाने के असर को मापा जा सके लेकिन इसके वातावरण पर प्रभाव को कुछ हद तक नापा जा सकता है.

कोरोना का फिर से फैलाव रोकने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने तीव्र, निर्णायक कदम उठाने का आह्वान किया

कोविड-19 महामारी की वर्तमान फैलाव स्थिति स्थिति और देश भर में कोरोना के खिलाफ जारी टीकाकरण के सिलसिले में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से डिजिटल माध्यम से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कोरोना के फैलाव स्थिति मामले बढ़े हैं जबकि देश के 70 जिलों में पिछले कुछ हफ्तों में सकारात्मक मामलों की दरों में 150 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम इस बढ़ती हुई महामारी को यहीं नहीं रोकेंगे तो देशव्यापी संक्रमण की स्थिति बन सकती है। हमें कोरोना की इस उभरती हुई ‘सेकंड पीक (दूसरी शीर्ष स्थिति)’ को तुरंत रोकना ही होगा। इसके लिए हमें तीव्र ओर निर्णायक कदम उठाने होंगे।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में कोविड स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में कोविड स्थिति की समीक्षा के लिए कल एक उच्च स्तरीय वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी सुविधाओं की वर्तमान तैयारी, टीकाकरण अभियान की स्थिति और कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के फैलाव तथा जन स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव की समीक्षा की गई।

प्रधानमंत्री ने कोविड प्रबंधन में स्वास्थ्यकर्मियों की अनवरत सेवा के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को मिशन मोड पर एहतियाती डोज लगाये जाने की सलाह दी। प्रधानमंत्री ने फैलाव स्थिति जिला स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने पर जोर दिया।

Patrika Opinion: खसरा-रूबेला का फैलाव चिंताजनक

प्रतीकात्मक चित्र

इस सदी की सबसे दुसाध्य व विनाशकारी महामारी की वजह बना कोरोना वायरस भले ही अब निस्तेज अवस्था में पहुंच फैलाव स्थिति गया है, पर इसके दुष्परिणाम दुनिया भर को अब भी अलग-अलग क्षेत्रों में भुगतने पड़ रहे हैं। भारत में खसरे के फैलाव को इसी का दुष्परिणाम समझा जा सकता है। इसकी भयावहता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी भी सामने आ गई है। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी केंद्र शासित प्रदेशों व राज्यों को संवेदनशील क्षेत्रों में नौ महीने से पांच साल तक के सभी बच्चों को खसरा और रूबेला के टीके की अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करने को कहा है तथा एहतियाती उपाय करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो आंकड़ा दिया है, वह वर्ष 2021 में खसरे फैलाव स्थिति के टीके से वंचित रहे दुनिया के चार करोड़ बच्चों का है। कोरोना की दस्तक वर्ष 2020 में ही आ गई थी। खसरे समेत पूरा टीकाकरण कार्यक्रम देश और दुनिया में उसी समय अस्त-व्यस्त हो गया था। उस साल के आंकड़े भी मिला लेंगे तो खसरे के टीके से वंचित बच्चों की संख्या इससे बहुत अधिक मिलेगी। अभी देश में महाराष्ट्र में दस बच्चों की मृत्यु का मामला सामने आया है और बिहार, गुजरात, हरियाणा, केरल व झारखंड जैसे कुछ राज्यों के इसके प्रभाव में आने की सूचनाएं हैं। खसरे के टीके पूरे भारत में ही कम लगे हैं। पोषण के लिहाज से भी सजगता जरूरी है। खसरे के लिए सर्वविदित तथ्य है कि कुपोषित व अत्यधिक कुपोषित बच्चों के लिए यह जानलेवा साबित फैलाव स्थिति हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एहतियाती कदम उठाते हुए बच्चों में खसरे के मामलों में वृद्धि के आकलन व प्रबंधन के लिए उच्च स्तरीय दल तैनात किए हैं, पर ये देश के आकार को देखते हुए नाकाफी हैं। ये उच्चस्तरीय दल रांची, अहमदाबाद और मलप्पुरम में तैनात हैं। कम से कम एक राज्य में एक उच्च स्तरीय दल तो जरूरी है, तभी खसरे के फैलाव की सही तस्वीर सामने आ पाएगी और तभी इसे नियंत्रित करने के पर्याप्त कदम उठाए जा सकेंगे। इन उच्च स्तरीय दलों को खसरे तक सीमित रखना भी सही कदम नहीं होगा। उन्हें पूरे टीकाकरण की स्थिति जानने और तदनुरूप भरपाई के कदम उठाने का दायित्व सौंपना चाहिए ताकि भविष्य में कोई और बीमारी भी अपना सिर नहीं उठा पाए।

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