शेयर मार्केट में कितना Risk है?

शेयर मार्केट का जोखिम कैसे कम करें ? – How to reduce stock market risk ? In Hindi
शेयर मार्केट का जोखिम कैसे कम करें ? – How to reduce stock market risk ? In Hindi.
बॉ म्बे (मुंबई) शहर हादसों का शहर है । यहां रोज-रोज की भागदौड़ में होता है कोई न कोई हादसा….। ये तीन पंक्तियाँ मुंबई शहर के लिए बहुत ही सटीक साबित होती है । यही हाल कुछ शेयर बाजार का भी है, ये शेयर बाज़ार है, यहां कभी भी किसी वजह से कोई हादसा हो सकता है । ठीक इसी गीत के बोलों की तरह शेयर मार्केट भी काम करती है । शेयर बाजार में जितना अधिक मुनाफा है उतना अधिक रिस्क भी है । इसलिए आम आदमी अपनी मेहनत की कमाई को शेयर मार्केट में लगाने से डरता है और वह बचत के अन्य रास्ते तलाश करता है। यह ठीक भी है क्योकि बिना सही जानकारी के किसी काम में हाथ डालना बिलकुल उचित नहीं है और जहां शेयर मार्केट में कितना Risk है? मामला रूपये पैसे से जुड़ा हो वहां तो बिलकुल भी नहीं , लेकिन एक प्रचलित कहावत है न जहां रिस्क नहीं वहां इश्क नहीं । हम अपने एक पिछले ब्लॉग में शेयर क्या है और कैसे शेयर मार्किट में निवेश करें ? – What is a stock and how to invest in a share market? पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाल चुके हैं, आज हम जानते हैं कि शेयर मार्केट का जोखिम कैसे कम करें ? – How to reduce stock market risk ? In Hindi.
जोखिम
शेयर मार्केट का जोखिम –
भारतीय शेयर मार्केट भी विश्व की अन्य शेयर मार्केटों की तरह ही हमेशा से उतार चढ़ाव भरा है है । जिससे निवेशकों का निवेश किया हुआ रुपया डूबने का खतरा रहता है । वर्तमान में भी शेयर बाजार अनिश्चित भरा है । इसी के चलते आज शेयर बाज़ार और निवेशकार बुरे परिणामों को भुगत रहे हैं । कभी कभी फाइनेंशियल क्राइसिस, क्राइसिस ऑफ कॉन्फिडेंस में बदल जाती है । इस संकट से कब और कैसे निकला जाए? इस तरह के सवाल लोगों के मन में उठने लगते हैं, लेकिन इसका जवाब शायद किसी के पास नहीं है । इसी वजह से पूर्व में भारत में पैदा हुई विकट परिस्थितियों में लोगों द्वारा किया हुआ निवेश लुप्त हो गया था , इस असमंजस की स्थ्ति में निवेशकारों का यकीन बाज़ार से उठ जाता है । उनके मन में रुपयों का निवेश कहां करें?, रुपयों के निवेश का आयोजन किस तरह किया जाए? जैसे कई सवाल उठने लगते हैं ।
शेयर मार्केट के जोखिम को कम कैसे करें –
वर्तमान में मंदी के इस दौर में भी निवेशकों में, मुद्रास्फीति की अधिक दर के सामने कैसे सुरक्षित रहें ? शेयर बाज़ार के हादसों के बीच और अनिश्चितता में कब तक और कितना जोखिम लेना है ? इस तरह की कुशंकाएं पैदा होने लगी हैं। विश्व प्रसिद्ध इंवेस्टमेंट गुरु और एक वक्त संपत्ति में बिल गेट्स को पीछे छोड़ने वाले वॉरेन बुफेट की एक बात दिमाग में रखें, जो एकदम सटीक साबित होती शेयर मार्केट में कितना Risk है? है। बुफेट कहते हैं, ‘‘कल बाज़ार बंद हो जाएगा और फिर सीधे ही पांच साल बाद खुलेगा । इस बात को ध्यान में रखते हुए शेयर खरीदें ।” खैर, शेयर बाज़ार की इस उथल-पुथल वाली स्थिति से बचने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है, इस बात पर गौर करते हैं ।
निवेश से पहले दोबारा जांच लें कितना जोखिम ले सकते हैं आप
अब तक तेजी का फायदा उठा रहे निवेशकों को अपने रिस्क प्रोफाइल की दोबारा जांच करनी चाहिए.
इसे भी पढ़ें : म्यूचुअल फंड की स्कीम में कैसे करें निवेश?
इन लोगों को यह समझना होगा कि उनके पोर्टफोलियो का मौजूदा मिक्स उनके कम्फर्ट लेवल के हिसाब से नहीं है. इस वजह से बहुत से निवेशक परेशान हैं. एसेल वेल्थ सर्विसेज के सीईओ बृजेश परनामी ने कहा, 'अगर आपने जोखिम का आंकलन किये बिना निवेश किया है तो वित्तीय लक्ष्य पूरे करने में मुश्किल आ सकती है.'
पिछले साल जिन रिटायर्ड लोगों ने बैलेंस्ड फंड में पैसे लगा दिए हैं, उन्हें अब नियमित आमदनी पाने में समस्या आ सकती है.
निवेश के फैसले लेने से पहले इन्वेस्टर को जोखिम का दोबारा आंकलन करने की जरूरत है. परनामी ने कहा, 'अगर किसी निवेशक के रिस्क प्रोफाइल की जानकारी हो तो बाजार की स्थिति के हिसाब से उसे निवेश की ठीक सलाह दी जा सकती है. ऐसे में निवेश का सही विकल्प चुनकर वित्तीय लक्ष्य पाने में मदद मिल सकती है.'
मिराए एसेट ग्लोबल इन्वेस्टमेंट (इंडिया) के सीईओ स्वरूप मोहंती ने कहा, 'कई बार रिस्क प्रोफाइल स्थितियों के हिसाब से बदल सकता है. अगर लाइफ स्टाइल में बदलाव आ जाए तो जोखिम लेने की क्षमता घट या बढ़ सकती है.'
रिस्क प्रोफाइल तय करें
जब जोखिम लेने की क्षमता का जिक्र होता है तो निवेश की प्राथमिकता और कम्फर्ट लेवल से जुड़े उन्हीं सवालों के जवाब अलग होते हैं.
मसलन जब बाजार में तेजी होती है तो कोई निवेशक अधिक रिटर्न कमाने के लिए जोखिम लेने का फैसला कर सकता है. जब बाजार में कमजोरी होती है तो उसी निवेशक के लिए पूंजी की सुरक्षा ज्यादा जरूरी हो जाती है, बजाय रिटर्न कमाने के.
बाजार की तेजी के दौर में निवेशक 15-18 फीसदी रिटर्न कमाने की उम्मीद में होता है, जबकि गिरते हुए बाजार में उसे 8% रिटर्न भी बेहतरीन लगता है.
तेज बाजार में आप सोचते हैं कि 20% कमजोरी का भी आपके पोर्टफोलियो पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन जब कमजोरी शुरू होती है तो 10% में ही आप परेशान होने लगते हैं. इस हिसाब से आपको जोखिम का वास्तविक आंकलन करना चाहिए.
अगर आप अपने पोर्टफोलियो मिक्स से संतुष्ट नहीं हैं तो आप इस गिरावट को लेकर परेशान न हों. बाजार के दौर के हिसाब से अपने रिस्क प्रोफाइल को बदलना वास्तव में बाजार में निवेश का सही समय जानने जैसा है.
पोर्टफोलियो के कंपोजिशन में बदलाव का मतलब किसी स्कीम से निकलना नहीं है. आप सुरक्षित विकल्पों में अतिरिक्त निवेश कर भी अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस कर सकते हैं.
उदाहरण के लिए अगर इस शेयर मार्केट में कितना Risk है? समय आपका ज्यादा निवेश मिड कैप में है और आप उसे बेचना नहीं चाहते तो आप नया निवेश लार्जकैप या मल्टी कैप फंड में कर सकते हैं.
इसे भी पढ़ें : सायबर क्राइम से सालाना 600 अरब डॉलर का नुकसान : स्टडी
हम आपको यह भी बता रहे हैं कि कब आपको अपने रिस्क प्रोफाइल की एसेसमेंट (जोखिम लेने की क्षमता का आंकलन) जरूर करना चाहिए:
जब आपके लक्ष्य करीब हों
जब निवेश का आपका लक्ष्य पूरा होने वाला हो, उससे कुछ समय पहले ही आपको जोखिम क्षमता की जांच करनी चाहिए. इससे आपको लक्ष्य आसानी से पूरा करने में मदद मिलेगी.
जीवन में हर प्रमुख इवेंट के बाद
शादी, बच्चे के जन्म, लंबी बीमारी, अलग होने जैसी घटना आपके रिस्क प्रोफाइल में बदलाव कर सकती शेयर मार्केट में कितना Risk है? है. इस हिसाब से इसके बाद आपको अपना रिस्क प्रोफाइल दोबारा चेक करना चाहिए.
कमाई में बड़ा बदलाव होने पर
बोनस या विरासत में संपत्ति मिलने, संपत्ति बेचने से हुई कमाई या कारोबार में बड़ा नफा-नुकसान आपके जोखिम लेने की क्षमता बदल देता है.
हिन्दी में शेयर बाजार और पर्सनल फाइनेंस पर नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. पेज लाइक करने के लिएयहां क्लिक करें
किस प्रकार के इक्विटी फंड में सबसे कम और किसमें सबसे ज़्यादा जोखिम होता है?
म्युचुअल फंड्स में कैटिगराइजेशन और उनमें मौजूद पोर्टफोलियो के आधार पर कई तरह के जोखिमों की आशंका रहती है। इक्विटी म्युचुअल फंड्स में कई जोखिमों की आशंका रहती है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है बाजार जोखिम। एक कैटेगरी के तौर पर इक्विटी म्युचुअल फंड्स को 'उच्च जोखिम' निवेश उत्पाद माना जाता है। जबकि सारे इक्विटी फंड्स को बाजार जोखिमों का खतरा रहता है, जोखिम की डिग्री अलग-अलग फंड में अलग-अलग होती है और इक्विटी फंड के प्रकार पर निर्भर करती है।
लार्जकैप फंड्स जो लार्जकैप कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं यानी अच्छी आर्थिक स्थिति वाली जानी-मानी कंपनियों के शेयरों को सबसे कम जोखिम भरा माना जाता है क्योंकि इन शेयरों को मिड कैप और छोटी कंपनियों के शेयरों की तुलना में सुरक्षित माना जाता है। कम जोखिम वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में आमतौर पर एक अच्छा डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो होता है जो लार्ज-कैप कैटेगरी के सारे सेक्टरों में फैला होता है। व्यापक-आधारित बाजार सूचकांक पर आधारित इंडेक्स फंड्स और ETF जो शेयर मार्केट में कितना Risk है? निष्क्रिय रणनीति रखते हैं, उन्हें भी कम जोखिम वाला माना जाता है क्योंकि वे डाइवर्सिफाइड बाजार सूचकांकों की नकल करते हैं।
फोकस्ड फंड्स, सेक्टोरल फंड्स और थीमैटिक फंड्स जोखिम स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर होते हैं क्योंकि उनके पास केंद्रित पोर्टफोलियो होता है। उच्च जोखिम वाले इक्विटी फंड्स आमतौर पर एक या दो सेक्टरों तक सीमित अपनी होल्डिंग्स के कारण केंद्रित जोखिम से गुजरते हैं। भले ही फोकस्ड फंड्स जाने-माने लार्ज-कैप शेयरों में निवेश करते हैं, लेकिन उनके पास आमतौर पर सिर्फ 25-30 शेयर होते हैं जो केंद्रित जोखिम को बढ़ाते हैं। अगर फंड मैनेजर का अनुमान सही हो जाता है, तो वह डाइवर्सिफाइड लार्ज-कैप फंड की तुलना में ज़्यादा रिटर्न दे सकता है लेकिन इसका उल्टा भी हो सकता है।
सेक्टोरल फंड्स ऑटो, FMCG या IT जैसे सिंगल सेक्टर के शेयरों में निवेश करते हैं और इसलिए काफ़ी जोखिम उठाते हैं क्योंकि इंडस्ट्री को प्रभावित करने वाली कोई भी अनचाही घटना पोर्टफोलियो के सभी शेयरों पर बुरा प्रभाव डालेगी। थीमैटिक फंड्स कुछ संबंधित इंडस्ट्री के शेयरों में निवेश करते हैं जो फिलहाल मांग में हैं लेकिन लंबी अवधि में आकर्षण खो सकते हैं।
निवेशक आमतौर पर एक आम धारणा रखते हैं कि इक्विटी फंड्स दूसरे फंडों की तुलना में ज़्यादा रिटर्न देते हैं, लेकिन उन्हें यह बात पता होनी चाहिए कि सभी इक्विटी फंड्स एक समान नहीं होते हैं। रिटर्न की संभावनाएं उनके इक्विटी फंड के रिस्क प्रोफाइल के अनुरूप होती हैं। इसलिए इसमें निवेश करने का फैसला लेने से पहले किसी भी केंद्रित जोखिम के लिए सारे सेक्टरों और टॉप होल्डिंग्स में फंड की विविधता की डिग्री देखें। सबसे कम जोखिम वाले या सबसे ज़्यादा रिटर्न वाले फंड्स देखने के बजाय, आपको ऐसा फंड देखना चाहिए जिसका जोखिम स्तर आप उठा सकते हैं।
म्यूचुअल फंड: कम रिस्क के साथ चाहिए ज्यादा रिटर्न तो इंडेक्स फंड में करें निवेश, ये हैं टॉप 7 फंड
कोरोना महामारी के कारण बाजार में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। इसका असर म्यूचुअल फंड पर भी पड़ा है, और इसी का नतीजा है कि पिछले 3 से 6 महीनों में इसकी कई कैटेगरी में निगेटिव रिटर्न मिला या रिटर्न कम रहा है। ऐसे में लोग अब म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने से हिचकिचा रहे हैं। ऐसे में जो म्यूचुअल फंड निवेशक कम से कम जोखिम के साथ अच्छा रिटर्न चाहते हैं, उनके लिए इंडेक्स फंड सही ऑप्शन हो सकते हैं।
क्या हैं इंडेक्स फंड?शेयर मार्केट में कितना Risk है?
इंडेक्स फंड शेयर बाजार के किसी इंडेक्स मसलन निफ्टी 50 या सेंसेक्स 30 में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। इंडेक्स में सभी कंपनियों का जितना वेटेज होता है, स्कीम में उसी रेश्यो में उनके शेयर खरीदे जाते हैं। इसका मतलब यह है कि ऐसे फंडों का प्रदर्शन उस इंडेक्स जैसा ही होता है। यानी इंडेक्स का प्रदर्शन बेहतर होता है तो उस फंड में भी बेहतर रिटर्न की गुंजाइश होती है।
एक्सपेंस रेश्यो रहता है कम
इंडेक्स फंड में निवेश करने का खर्च अपेक्षाकृत कम होता है। बता दें कि अन्य प्रत्यक्ष रूप से प्रबंधित म्युचुअल फंडों में जहां एसेट मैनेजमेंट कंपनी तकरीबन 2% तक शुल्क वसूलती है, वहीं इंडेक्स फंडों का शुल्क बहुत कम यानी कि तकरीबन 0.5% से 1 के बीच होता है।
डाइवर्सिफिकेशन का मिलता है फायदा
इंडेक्स फंड से निवेशक अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई कर सकते हैं। इससे नुकसान की संभावना घट जाती है। अगर एक कंपनी के शेयर में कमजोरी आती है तो दूसरे में ग्रोथ से नुकसान कवर हो जाता है। इसके अलावा इंडेक्स फंडों में ट्रैकिंग एरर कम होता है। इससे इंडेक्स को इमेज करने की एक्यूरेसी बढ़ जाती है। इस तरह रिटर्न का सटीक अनुमान लगाना आसान हो जाता है।
कितना देना होता है टैक्स?
12 महीने से कम समय में निवेश भुनाने पर इक्विटी फंड्स से कमाई पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स लगता है। यह मौजूदा नियमों के हिसाब से कमाई पर 15% तक लगाया जाता है। अगर आपका निवेश 12 महीनों से ज्यादा के लिए है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) माना जाएगा और इस पर 10% ब्याज देना होगा।
किसके लिए सही हैं इंडेक्स फंड?
इंडेक्स फंड उन निवेशकों के लिए सही हैं जो कम रिस्क के साथ शेयरों में निवेश करना चाहते हैं। इंडेक्स फंड ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर है जो रिस्क कैलकुलेट करके चलना चाहते हैं, भले ही कम रिटर्न मिले।