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डॉलर को क्या प्रभावित करता है

डॉलर को क्या प्रभावित करता है
Photo:INDIA TV पहली बार 83 के आंकड़े को किया पार

रुपए के मूल्य में गिरावट के मायने

व्यापक व्यापार घाटे के साथ हाल ही में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण भारतीय रुपए के मूल्य में गिरावट दर्ज़ की गई और कुछ ही समय पहले यह अब तक के निचले स्तर पर पहुँच गया। रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था तक सभी के लिये चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में यह जानकारी होना आवश्यक है कि रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट के मायने क्या हैं?

रुपया कमज़ोर या मज़बूत क्यों होता है?

  • विदेशी मुद्रा भंडार के डॉलर को क्या प्रभावित करता है घटने या बढ़ने का असर किसी भी देश की मुद्रा पर पड़ता है। चूँकि अमेरिकी डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा माना गया डॉलर को क्या प्रभावित करता है है जिसका अर्थ यह है कि निर्यात की जाने वाली सभी वस्तुओं की कीमत डॉलर में अदा की जाती है।
  • अतः भारत की विदेशी मुद्रा में कमी का तात्पर्य यह है कि भारत द्वारा किये जाने वाले वस्तुओं के आयात मूल्य में वृद्धि तथा निर्यात मूल्य में कमी।
  • उदहारण के लिये भारत को कच्चा तेल आदि खरीदने हेतु मूल्य डॉलर के रूप में चुकाना होता है, इस प्रकार भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से जितने डॉलर खर्च कर तेल का आयात किया उतना उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ इसके लिये भारत उतने ही डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करे तो उसके विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी को पूरा किया जा सकता है। लेकिन यदि भारत से किये जाने वाले निर्यात के मूल्य में कमी हो तथा आयात कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही हो तो ऐसी स्थिति में डॉलर खरीदने की ज़रूरत होती है तथा एक डॉलर खरीदने के लिये जितना अधिक रुपया खर्च होगा वह उतना ही कमज़ोर होगा।

विदेशी मुद्रा भंडार क्या है?

प्रत्येक देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिसका प्रयोग वस्तुओं के आयत –निर्यात में किया जाता है, इसे ही विदेशी मुद्रा भंडार डॉलर को क्या प्रभावित करता है कहते हैं। भारत में समय-समय पर इसके आंकडे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये जाते हैं।

Rupee Against Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये में बढ़ रही है कमजोरी, ज्‍यादा रिटर्न के लिए कैसे तैयार करें पोर्टफोलियो

डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है. ऐसे में अगर आप अपने बच्चों को किसी विदेशी स्कूल में भेजने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप अमेरिकी शेयर मार्केट में निवेश करने या विदेशी बैंक खाते में पैसा रखने के बारे में सोच सकते हैं.

Rupee Against Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये में बढ़ रही है कमजोरी, ज्‍यादा रिटर्न के लिए कैसे तैयार करें पोर्टफोलियो

डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से भारतीय निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो रिटर्न को बढ़ाने में मदद मिलती है.

Rupee Against Dollar: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट आज भी जारी रही. शुरूआती कारोबार बाजार में डॉलर के मुकाबले डॉलर को क्या प्रभावित करता है में रुपया 82.66 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. एक्सपर्ट्स की माने तो ग्लोबल मार्केट में जारी अनिश्चितता की वजह डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में आगे भी गिरावट जारी रह सकती है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में रुपया 83.50 के स्तर तक गिर सकता है. इस अनिश्चितता का असर न सिर्फ भारतीय करेंसी पर हो रहा, बल्कि दुनिया भर के देश इससे प्रभावित हो रहे हैं.

अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा रुपया

इससे पहले सोमवार को रुपया 82.40 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था. गिरावट का यह दौर इस साल जनवरी 2022 से जारी है. डॉलर लगातार रुपये के मुकाबले मजबूत हो रहा है और आने वाले दिनों में भी ऐसा ही जारी रह सकता है. रुपये को कमजोर होने से बचाने के लिए आरबीआई द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले 2 सालों से कमी की जा रही है. इस साल अब तक विदेशी मुद्रा भंडार में 11 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है.

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यूएस फेड की सख्त आर्थिक नीतियो का असर

डॉलर में मजबूती के पीछे यूएस फेड अपनाई गए सख्त आर्थिक नीति को माना जा सकता है. इसके साथ ही अमेरिकी में जॉब की बढ़ती संख्या भी इसकी एक बड़ी वजह हो सकती है. फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में अभी और भी इजाफा किये जाने की उम्मीद है. डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती आने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है. ऐसे में अगर आप अपने बच्चों को किसी विदेशी स्कूल में भेजने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप अमेरिकी शेयरों में निवेश करने या विदेशी बैंक खाते में पैसा रखने के बारे में सोच सकते हैं. विदेशों में भेजे गए पैसो पर RBI द्वारा Liberalized Remittance Scheme अपनाई जाती है. इस नीति के तहत नाबालिगों सहित सभी निवासियों को किसी भी वैध चालू या पूंजी खाता लेनदेन या दोनों के संयोजन के लिए हर फाइनेंशियल ईयर में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक टैक्स फ्री ट्रांजेक्शन की परमिशन दी गई है.

अमेरिकी शेयर मार्केट में निवेश करने पर डॉलर को क्या प्रभावित करता है होता है फायदा

भारतीय मुद्रा के कमजोर होने का सीधा असर उन लोगों पर पड़ता है, जो पैसे भेजने या विदेश में निवेश करने के लिए रुपये से डॉलर खरीदते हैं. जब डॉलर को रूपये में बदला जाता है तो निवेशकों को फायदा होता है. 2017 में डॉलर की कीमत 74 रुपये थी, जो अब बढ़कर 82.40 रुपये हो गई है. इसलिए भारतीय मुद्रा के कमजोर होने पर भारतीय निवेशकों के पोर्टफोलियो के लिए रिटर्न में इजाफा होता है, जो उसे अमेरिकी स्टॉक रखने में मदद करता है. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि दस साल पहले जब रुपया डॉलर के मुकाबले 52 रुपये पर कारोबार कर रहा डॉलर को क्या प्रभावित करता है था, तब आप ने शेयरों में 100 डॉलर का निवेश किया था. जिसमें आपने कुल 5,200 रुपये का निवेश किया था. पिछले दस वर्षों में स्टॉक से लगभग 12% सीएजीआर का फायदा हुआ है. जिसकी वजह से आपका निवेश 100 डॉलर से बढ़कर 311 डॉलर हो गया है. अगर आप डॉलर के निवेश को भारतीय रुपये में बदलना चाहते हैं तो आप को आज की मौजूदा कीमत के हिसाब रिटर्यान हासिल होगा. दूसरे शब्दो में कहें तो 81.5 रुपये के हिसाब से आप के निवेश की कीमत या वैल्यू 5,200 से बढ़कर 25,000 रुपये हो गई है. ऐसे में आप को 17 फीसदी का वास्तविक रिटर्न प्राप्त होगा.

Rupees vs Dollar: डॉलर के आगे रुपया धड़ाम! पहली बार 83 के आंकड़े को किया पार

Rupees vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया एक बार फिर कमजोर हो गया है। रुपये में गिरावट से एक ओर जहां व्यापार घाटा बढ़ेगा वहीं दूसरी ओर जरूरी सामान के दाम में बढ़ोतरी होगी।

India TV Business Desk

Edited By: India TV Business Desk
Updated on: October 19, 2022 16:26 IST

Rupees vs Dollar- India TV Hindi

Photo:INDIA TV पहली बार 83 के आंकड़े को किया पार

Rupees vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया एक बार फिर कमजोर हो गया है। एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 61 पैसे बढ़कर पहली बार 83 के ऊपर 83.01 पर जा पहुंची है। आगे और कमजोर होने की उम्मीद है। बता दें, पिछले महीने US Fed ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की थी, जिसका असर भारतीय शेयर मार्केट से लेकर रुपये पर देखने को मिल रहा है। रुपये में गिरावट से एक ओर जहां व्यापार घाटा बढ़ेगा वहीं दूसरी ओर जरूरी सामान के दाम में बढ़ोतरी होगी।

क्यों टूट रहा है रुपया

गिरावट का एक और कारण डॉलर सूचकांक का लगातार बढ़ना भी बताया जा रहा है। इस सूचकांक के तहत पौंड, यूरो, रुपया, येन जैसी दुनिया की बड़ी मुद्राओं के आगे अमेरिकी डॉलर के प्रदर्शन को देखा जाता है। सूचकांक के ऊपर होने का मतलब होता है सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती। ऐसे में बाकी मुद्राएं डॉलर के मुकाबले गिर जाती हैं।इस साल डॉलर सूचकांक में अभी तक नौ प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसकी बदौलत सूचकांक इस समय 20 सालों में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर डॉलर को क्या प्रभावित करता है है। यही वजह है कि डॉलर के आगे सिर्फ रुपया ही नहीं बल्कि यूरो की कीमत भी गिर गई है।

रुपये की गिरावट का तीसरा कारण यूक्रेन युद्ध माना जा रहा है। युद्ध की वजह से तेल, गेहूं, खाद जैसे उत्पादों, जिनके रूस और यूक्रेन बड़े निर्यातक हैं, उनकी आपूर्ति कम हो गई है और दाम बढ़ गए हैं। चूंकि भारत विशेष रूप से कच्चे तेल का बड़ा आयातक है, देश का आयात पर खर्च बहुत बढ़ गया है। आयात के लिए भुगतान डॉलर में होता है जिससे देश के अंदर डॉलरों की कमी हो जाती है और डॉलर की कीमत ऊपर चली जाती है।

रुपये में कमजोरी का क्या होगा असर

भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स आयात करता है। रुपया कमजोर होने के कारण इन वस्तुओं का आयात पर अधिक रकम चुकाना पड़ रहा है। इसके चलते भारतीय बाजार में इन वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है और डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी, इसके असर से हर जरूरत की चीज पर महंगाई की और मार पड़ेगी।

रुपये पर सीधा असर

व्यापार घाटा बढ़ने का चालू खाता के घाटा (सीएडी) पर सीधा असर पड़ता है और यह भारतीय रुपये के जुझारुपन, निवेशकों की धारणाओं और व्यापक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है। चालू वित्त वर्ष में सीएडी के जीडीपी के तीन फीसदी या 105 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। आयात-निर्यात संतुलन बिगड़ने के पीछे रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से तेल और जिसों के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ना, चीन में कोविड पाबंदियों की वजह से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होना और आयात की मांग बढ़ने जैसे कारण हैं। इसकी एक अन्य वजह डीजल और विमान ईधन के निर्यात पर एक जुलाई से लगाया गया अप्रत्याशित लाभ कर भी है।

रसातल में रुपया, डॉलर के मुकाबले 80 से अब चंद कदम दूर, हाहाकर की वजह क्या है?

कारोबार के दौरान रुपया 79.71 के उच्चतम स्तर तक गया तो वहीं 79.92 डॉलर को क्या प्रभावित करता है रुपये के निचले स्तर तक आया। अब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि शुक्रवार के कारोबार में रुपया 80 के स्तर को पार कर जाएगा।

रसातल में रुपया, डॉलर के मुकाबले 80 से अब चंद कदम दूर, हाहाकर की वजह क्या है?

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपया हर दिन गिरावट के नए रिकॉर्ड बना रहा है। सप्ताह के चौथे कारोबारी दिन यानी गुरुवार को रुपया गिरकर 79.88 प्रति डॉलर के नए सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। आपको बता दें कि रुपया मजबूत रुख के साथ 79.72 प्रति डॉलर पर खुला। कारोबार के दौरान रुपया 79.71 के उच्चतम स्तर तक गया तो वहीं 79.92 रुपये के निचले स्तर तक आया। अब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि शुक्रवार के कारोबार में रुपया 80 के स्तर को पार कर जाएगा।

वजह क्या है: रुपया में गिरावट की सबसे बड़ी वजह डॉलर का मजबूत होना है। दरअसल, अमेरिकी फेड रिजर्व ने महंगाई को काबू में लाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी के बाद डॉलर मजबूत हुआ है। गुरुवार की ही बात करें तो दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.37 प्रतिशत बढ़कर 108.36 हो गया।

ये भी एक वजह: रुपये के गिरावट की एक बड़ी वजह कच्चे तेल की रिकॉर्ड कीमतें रही हैं। हालांकि, पिछले कुछ समय से कच्चे तेल में नरमी जरूर आई है लेकिन यह अब भी रुपया को प्रभावित कर रहा है। बता दें कि वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड वायदा की कीमतें 97.38 डॉलर प्रति बैरल पर हैं।

शेयर बाजार की गिरावट: रुपया के कमजोर होने की एक बड़ी वजह भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली है। विदेशी निवेशकों के भारतीय बाजार से निकले का सिलसिला करीब छह माह से चल रहा है। इस वजह से शेयर बाजार साल के निचले स्तर तक जा चुका है। अब भी बाजार में बिकवाली बरकरार है। गुरुवार की ही बात करें तो घरेलू शेयर बाजारों में बीएसई सेंसेक्स 98 अंक लुढ़ककर 53,416.15 अंक पर बंद हुआ।

असर क्या होगा:डॉलर को क्या प्रभावित करता है रुपया के कमजोर होने से देश में महंगाई बढ़ सकती है। इसे समझने के लिए भारत के आयातित प्रोडक्ट पर गौर करना होगा। भारत अधिकतर पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है, जिसका भुगतान डॉलर में होता है। रुपया कमजोर होने से भारत को पहले के मुकाबले ज्यादा भुगतान करना होगा। आयात महंगा होने से तेल कंपनियां पेट्रोलियम उत्पाद के भाव बढ़ा सकती हैं।

पेट्रोलियम उत्पाद के दाम बढ़ेंगे तो माल ढुलाई का चार्ज पहले के मुकाबले ज्यादा होगा। इस वजह से कंपनियों या कारोबारियों का मार्जिन कम होगा डॉलर को क्या प्रभावित करता है और फिर भरपाई के लिए ग्राहकों से वसूली की जाएगी। वसूली के लिए प्रोडक्ट के दाम बढ़ा दिए जाएंगे।

-रुपया कमजोर हो जाने से आपका विदेश घूमना या पढ़ना महंगा हो जाएगा। आप विदेश यात्रा या पढ़ाई के लिए खर्च करेंगे तो आपको लोकल डॉलर को क्या प्रभावित करता है करेंसी के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा रुपया देने होंगे। वहीं, विदेश से सुविधा लेते हैं तो आपको इसकी ज्यादा कीमत चुकानी होगी।

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