मुद्राओं को खरीदने और बेचने के बारे में जानें

कहीं गलत शेयर तो नहीं खरीद रहे आप, जानें आपको किन मुद्राओं को खरीदने और बेचने के बारे में जानें बातों पर देना है ध्यान
अगर शेयर चुनते वक्त कुछ विशेष बातों पर ध्यान न दिया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है. शेयर को चुनने का फैसला बहुत सोच-समझ कर करना चाहिए.
By: एबीपी न्यूज | Updated at : 31 May 2021 07:38 PM (IST)
सही शेयरों का चुनाव करना कोई आसान काम नहीं है. दरअसल अगर शेयर चुनते वक्त कुछ विशेष बातों पर ध्यान न दिया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है. आज हम आपको ऐसी ही कुछ बातों के बारे में बताएंगे जिन्हें ध्यान में रखकर आप सही शेयर चुन सकते हैं.
मजबूत शेयर के साथ जुड़ें
मजबूत शेयर (जिनमें ट्रेडिंग वॉल्यूम ज्यादा हो) के साथ जुड़ा रहना फायदे का सौदा है. कम ट्रेड किए जाने वाले शेयरों में नकली तेजी लाई जा सकती है. बड़े शेयरों में इसकी गुंजाइश अधिक नहीं होती है.
बहुत सोच-समझ कर लें फैसला
शेयर चुनते वक्त कभी भी इधर-उधर की सलाह जैसे फोन और एसएमएस पर मिलने वाली हॉट टिप्स पर बिल्कुल ध्यान नहीं देना चाहिए. इसी तरह टीवी पर कोई बढ़िया चर्चा देखकर पैसा लगाने का फैसला नहीं करें. शेयर खरीदने से पहले कंपनी की अर्निंग ग्रोथ, मैनेजमेंट क्वालिटी और बैलेंसशीट पर ध्यान देना चाहिए. इन तीन बिंदुओं पर मजबूत कंपनी में नुकसान के आसार कम होंगे.
शेयर की मुद्राओं को खरीदने और बेचने के बारे में जानें तेजी नहीं उसके पीछे का कारण देखें
केवल यह देखकर कि शेयर ऊपर जा रहे हैं अंधाधुंध पैसा नहीं लगना चाहिए. बल्कि तेजी के पीछे के कारण को समझने की कोशिश करनी चाहिए. अगर यह तेजी कंपनी की बुनियादी बातों से मेल नहीं खा रही है तो उससे दूर रहने में ही भलाई है.
News Reels
ब्रोकरों की सलाह पर न करें विश्वास
ब्रोकरों की सलाह आंख मूंदकर न मानें. इसमें उसका निजी हित जुड़ा हो सकता है. तमाम उपलब्ध संसाधनों से क्रॉस चेक जरूर करें नहीं नुकसान उठाना पड़ सकता है.
अगर शेयर का मूल्य गिरे तो ये करें
एक स्टॉप लॉस जरुर रखें जैसे ही कोई शेयर इसे पार करे तो तुरंत फैसला लें. जैसे कि अगर कोई शेयर अपने खरीद मूल्य से 20 फीसदी नीचे चला जाए तो उसे बेचने में ही समझदारी है. नुकसान वाले शेयर को यह सोचकर लंबे वक्त तक रखना और यह इंतजार करना कि यह एक दिन बढ़ेगा गलत रणनीति है.
कंपनी के दावों की सच्चाई जानने की कोशिश करें
कंपनी के दावों की असलियत का पता करने के लिए खुद रिसर्च करें. यह पता करें कि कंपनी को वास्तव में प्रॉफिट हुआ है या नहीं. या फिर उसने नए ऑर्डर पाने का जो दावा किया है, वह कितना सही है.
यह भी पढ़ें:
Published at : 31 May 2021 07:36 PM (IST) Tags: Money Investment Stock Market shares company broker हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
मेटावर्स, क्रिप्टोकरेंसी और नॉन-फंजिबल टोकन्स का क्या है कनेक्शन? इस बारे में जानें सबकुछ
टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है और अब वर्चुअल दुनिया का महत्व भी बढ़ता जा रहा है। मेटावर्स, नॉन-फंजिबल टोकन्स (NFTs) और क्रिप्टोकरेंसी जैसे शब्द पहले ट्रेंड्स बने और इंटरनेट यूजर्स उनके बारे में समझ रहे हैं। मेटावर्स, NFTs और क्रिप्टोकरेंसी आपस में कैसे जुड़े हैं, इस बारे में जानना भी जरूरी है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के साथ काम करने वाली वर्चुअल दुनिया इन तीनों से सीधे तौर पर जुड़ी है। आइए इनके बारे में जानते हैं।
वर्चुअल दुनिया मेटावर्स को समझें
मेटावर्स एक 3D वर्चुअल दुनिया का कॉन्सेप्ट है, जहां वर्चुअल रिएलिटी (VR) हेडसेट्स पहनकर पहुंचा जा सकेगा। इस वर्चुअल दुनिया में यूजर्स अपने 'अवतार' की मदद से पहुंचेंगे और आसपास की चीजों को महसूस कर पाएंगे। यह 3D अवतार वर्चुअल दुनिया में पहचान की तरह काम करेगा और यहां शॉपिंग या गेमिंग से लेकर मीटिंग करने और एकदूसरे से मिलने जैसे काम किए जा सकेंगे। असली दुनिया जैसा अनुभव मेटावर्स में घर बैठे यूजर्स को दिया जाएगा।
मेटावर्स में आसान हो जाएंगे ढेरों काम
मेटावर्स के साथ एकदूसरे से मिलना आसान हो जाएगा और इसके लिए लंबा सफर करने की और खास सेटअप की जरूरत नहीं होगी। मेटावर्स में रिसर्च से लेकर मेडिकल ट्रेनिंग देने जैसे काम किए जा सकेंगे और आसानी से डाटा शेयर किया जा सकेगा। हालांकि, वर्चुअल दुनिया में तैयार की जा रहीं चीजों या डिजिटल असेट्स को खास पहचान देना जरूरी होगा। इन्हें एक खास प्रणाली के जरिए खरीदा या बेचा भी जा सकेगा, जिससे क्रिप्टोकरेंसी और NFTs जुड़े हैं।
खास पहचान से जुड़े हैं नॉन-फंजिबल टोकन्स
नॉन-फंजिबल टोकन्स से जुड़ी खास बात यह है कि इनकी पहचान सबसे यूनीक होती है। आप इन्हें एक तरह का 'सर्टिफिकेट ऑफ ओनरशिप' मान सकते हैं और ये ब्लॉकचेन पर सेव होते हैं। यानी कि मेटावर्स में किसी तरह के असेट को खरीदने या बेचने के लिए उसे NFT के तौर पर पहचान दी जाती है। इस NFT को बिटकॉइन और ईथेरम जैसी क्रिप्टोकरेंसी में खरीदा या बेचा जा सकता है।
असली दुनिया की मुद्रा की तरह इस्तेमाल
मेटावर्स या वर्चुअल दुनिया में कुछ खरीदने के लिए एक खास क्रिप्टो मुद्रा से जुड़ी व्यवस्था बनाई गई है। हजारों तरह की क्रिप्टोकरेंसीज ब्लॉकचेन की मदद से काम कर रही हैं और इनका मूल्य घटता-बढ़ता रहता है। मेटावर्स में कोई NFT या वर्चुअल प्रॉपर्टी खरीदने के लिए इसकी मदद लेनी होगी। यानी कि क्रिप्टोकरेंसी ने मेटावर्स में असली दुनिया की मुद्रा व्यवस्था की जगह ली है। वहीं, क्रिप्टोकरेंसी की मदद से होने वाले लेनदेन ब्लॉकचेन में रिकॉर्ड होते हैं।
आसानी से ऐसे समझ सकते हैं आप
जैसे ही कोई यूजर VR हेडसेट पहनने और अवतार बनाने के बाद मेटावर्स में कदम रखेगा, उसे अपने आसपास वर्चुअल दुनिया दिखेगी। इस दुनिया में कुछ भी खरीदने या पहले खरीदा गया अपना कोई वर्चुअल असेट बेचने के लिए उसे क्रिप्टोकरेंसी की मदद लेनी होगी। वहीं, बिक्री या खरीद के लिए वर्चुअल असेट को नॉन-फंजिबल टोकन में बदला जाएगा, जिससे उसे ब्लॉकचेन पर रजिस्टर किया जा सके। यही वजह है कि मेटावर्स, क्रिप्टोकरेंसी और NFTs आपस में जुड़े हैं।
मेटावर्स और NFT का एकदूसरे से जुड़ाव समझें
नॉन-फंजिबल टोकन्स बिना मेटावर्स में जाए भी खरीदे जा सकते हैं, लेकिन मेटावर्स में कोई असेट खरीदने के लिए उसे NFT में बदलना होगा। यानी कि वर्चुअल मार्केटप्लेस से यूजर्स जो भी चीजें या आउटफिट खरीदेंगे, सभी NFTs के तौर पर उनके वॉलेट में सेव किए जाएंगे। इसी तरह वर्चुअल आर्ट गैलरी में भी आर्ट-पीस को NFT बनाने के बाद ही बेचा या खरीदा जा सकेगा। यही बात मेटावर्स में रियल-स्टेट पर भी लागू होगी।
Digital Currency क्या है? ई-मुद्राओं के बारे में जानकारी
Digital Currency क्या है? जानिए इसके बारे में जानकारी
दोस्तों आपने कभी न कभी या अभी कुछ सालों पहले बिटकॉइन (Bitcoin) का नाम जरूर सुना होगा, और अगर नहीं सुना होगा, तो कोई बात नहीं है आज हमारे आर्टिकल Digital Currency क्या है? में आपको बिटकॉइन की भी मुद्राओं को खरीदने और बेचने के बारे में जानें जानकारी मिल जाएगी.
बिटकॉइन भी एक तरह से डिजिटल करेंसी है, दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन है। फिलहाल इसके 16.8 मिलयन टोकन्स सर्कुलेशन में हैं। और अभी जिस भी व्यक्ति के पास बिटकॉइन है वो बहौत पैसे वाला है क्यूकी दोस्तों 1 Bitocoin की कीमत 30-50 लाख रुपये के बराबर है.
तो इससे आप समझ गए होंगे और आपको इसका अंदाज़ा भी होगया होगा की डिजिटल करेंसी की कितनी कीमत है. तो आइये इसी के साथ जानते हैं की आखिर ये Digital currency क्या है? और क्यू ये इतना चर्चा में है.
Digital Currency क्या है?
डिजिटल करेंसी को ई-मुद्रा या Cryptocurrency भी कहा जाता है, इसमें पेमेंट मेथड पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में किया जाता है। साइबर कैश कही जाने वाली इन मुद्राओं की चर्चा दुनिया भर में है। डिजिटल करेंसी को वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) भी कहा जा सकता है.
डिजिटल करेंसी एक तरह की Currency है, जो सिर्फ digital form में मौजूद होता है, और इसे ख़रीदा और बेचा भी ऑनलाइन किआ जाता है. डिजिटल करेंसी का उपयोग सिर्फ ऑनलाइन ही चीज़ों को खरीदने और बेचने के लिए यूज़ किआ जा सकता है, आप इसका इस्तेमाल ऑफलाइन चीज़ों के लिए यूज़ नहीं कर सकते हैं.
Digital Currency यानि Cryptocurrency
डिजिटल करेंसी में आप जितना चाहे उतनी बार ट्रांसक्शन कर सकते हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है. डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन पेमेंट करने से भी ज्यादा सिक्योर है डिजिटल करेंसी, क्यू की इसमें क्रिप्टोग्राफ़ी का उपयोग किआ जाता है, जिससे ये और भी ज्यादा सिक्योर होजाता है.
इसलिये इसे क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) भी कहा जाता है। दुनिया की पहली क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन (Bitcoin) है। इसको जमा करना माइनिंग (Mining) कहलाता है। क्रिप्टो करेंसी को दुनिया के किसी भी कोने में आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है और किसी भी प्रकार की करेंसी में कनवर्ट किया जा सकता है जैसे डॉलर, यूरो, रूपया आदि।
कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस मुद्रा से बिना किसी माध्यम के ट्रांजेक्शन किया जा सकता है। वहीं, इस डिजिटल करंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है, Digital Currencies बहौत सारे देशों में बैन कर दिए गए है, क्यू की इससे बहौत से अवैध काम हो रहे हैं.
डिजिटल करेंसी की लिस्ट
जिस तरह से दुनिया भर में बहौत सारी करेंसी है, सभी देशों के अपने अपने पैसों के नाम है, और उनकी अलग अलग वैल्यू भी है, उसी तरह से ही डिजिटल करेंसी भी कई टाइप के होते हैं, इनके भी बहौत से प्रकार हैं, तो चलिए जानते हैं एसी ही करेंसी के बारे में.
Bitcoin
दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली क्रिप्टोकरंसी डिजिटल करेंसी बिटकॉइन है। फिलहाल इसके 16.8 मिलयन टोकन्स सर्कुलेशन में हैं। बिटकॉइन को क्रिप्टोकरंसी इंडस्ट्री का पोस्टर-चाइल्ड कहा जा रहा है। हालांकि, Bitcoin के आलोचक इसके स्लो स्पीड और हायर ट्रांजैक्शन फीस के चलते इसके ग्रोथ को लेकर थोड़े सशंकित हैं।
Litecoin
2011 में लॉन्च किया गया Litecoin, बिटकॉइन के मुद्राओं को खरीदने और बेचने के बारे में जानें बाद की शुरुआती क्रिप्टोकरेंसी में से एक था और इसे अक्सर “सिल्वर टू बिटकॉइन गोल्ड” कहा जाता है।
Zcash
Zcash, 2016 के उत्तरार्ध में लॉन्च किए गए एक विकेन्द्रीकृत और ओपन-सोर्स क्रिप्टोक्यूरेंसी का वादा करता है। “अगर बिटकॉइन पैसे के लिए HTTP की तरह है, तो zcash HTTPS है,” खुद को परिभाषित करने के लिए एक अनुरूप zcash का उपयोग होता है।
Bitcoin Cash
साल 2017 में लॉन्च किया गया बिटकॉइन कैश दुनिया में सबसे ज्यादा व्यापार की जाने वाली क्रिप्टोकरंसी में शामिल है। इसमें 8 एमबी की ब्लॉक साइज होती है वहीं ओरिजिनल बिटकॉइन का ब्लॉक साइज 1एमबी होता है।
Ethereum
एथेरेम एक डिसेंट्रलाइज्ड ऐप प्रवाइडर के तौर पर बनाया गया है। इसका एक खास मकसद है कि ऐप्स बनाने के लिए ऐप्पल जैसी थर्ड पार्टी कंपनियों की जरूरत से निजा पाया जा सके। ऐथेरेम पर विकसित ऐप्स एक डिस्ट्रिब्युटेड पब्लिक प्लैटफॉर्म पर होंगे जहां माइनर्स ‘इथर’ कमा सकेंगे।
Libra
लिब्रा कॉइन फेसबुक की बनाई गई डिजिटल करेंसी है. फेसबुक लिब्रा के लिए एक वॉलेट विकसित कर रही है, जिससे इसे स्टोर किया जा सकेगा। क्रिप्टोकरेंसी के रूप में लोग लिब्रा को खरीद व बेच सकेंगे।
तो दोस्तों अब आपको समझ में आगया होगा की डिजिटल करेंसी क्या है? अगर आपको कोई चीज़ हो जो समझ में नहीं आरही हो तो आप हमसे निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं, हम आपकी मदद करने की पूरी कोसिस करेंगे.
क्या वास्तव में नोटों पर छप सकती है गणेश लक्ष्मी की फोटो? जानिए क्या हैं भारत सरकार के नियम
सभी के मन में यह भी सवाल उठता है कि भारत में करेंसी नोट पर छपने वाली तस्वीरें कौन तय करता है और इससे जुड़े नियम एवं कानून क्या हैं।
Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: October 27, 2022 13:49 IST
Photo:FILE क्या हैं करेंसी से जुड़े भारत सरकार के नियम
दुनिया पैसों से चलती है, और नोटबंदी का सामना कर चुके भारतीय लोगों से बेहतर यह कौन समझ सकता है। वास्तव में करंसी चीजें खरीदने और बेचने के काम ही नहीं आती है, बल्कि करंसी किसी देश की पहचान भी होती है। यही कारण है कि भारतीय मुद्रा पर गांधी जी की तस्वीर के साथ ही राष्ट्रीय पहचान से जुड़ी तस्वीरें जैसे कोणार्क का सूर्य मंदिर और मंगलयान आदि अंकित होते हैं।
लेकिन इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक नई बहस शुरू कर दी। केजरीवाल ने मांग की है कि भारतीय करेंसी पर गणेश लक्ष्मी जैसे देवी-देवताओं की फोटो छाप दी जाए। यह भले ही राजनीतिक मांग हो, लेकिन इससे सभी के मन में यह भी सवाल उठता है कि भारत में करेंसी नोट पर छपने वाली तस्वीरें कौन तय करता है और इससे जुड़े नियम एवं कानून क्या हैं।
क्या हैं करंसी प्रिंटिंग से जुड़े नियम
नियमों की बात की जाए तो देश में करंसी नोट छापने का काम रिजर्व बैंक का है। रिजर्व बैंक एक्ट में नोट छापने से जुड़ी पूरी प्रक्रिया को तय किया गया है। रिजर्व बैंक की विभिन्न प्रिंटिंग प्रेस एक खास कागज पर नोटों की प्रिंटिंग करती हैं। इन नोटों की डिजाइनिंग से लेकर प्रिंटिंग तक की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक की एक खास डिवीजन संभालती है। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में रिजर्व बैंक को केंद्र सरकार से सहमति लेनी पड़ती है। नोट की नई डिजाइन कैसी होगी या फिर नोट पर तस्वीर कौन सी छापी जाएगी। इसका फैसला रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार का संयुक्त पैनल मिलकर लेता है।
क्या कहता है नियम
सूचना के अधिकार के तहत रिजर्व बैंक से इस मामले में जानकारी मांगी गई थी। अपने जवाब में रिजर्व बैंक ने बताया था कि आरबीआई एक्ट 1934 के सेक्शन 25 के तहत केंद्रीय बैंक और केंद्र सरकार मिलकर नोट और उस पर तस्वीर छापने का फैसला करती है। यदि मौजूदा करंसी नोट में यदि कोई बदलाव करना होता है तो इसका फैसला यहीं संयुक्त पैनल करता है।
भारत के नोटों पर हैं ये तस्वीरें
भारतीय नोटों पर मुख्यतया गांधीजी की तस्वीर छपी होती है। लेकिन नोट के दूसरी ओर अक्सर राष्ट्रीय पहचान एवं गौरव से जुड़ी तस्वीरें होती हैं। राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ और संसद भवन को नोटों पर छापा जाता था। इस तस्वीर के अलावा नोट पर रॉयल बंगाल टाइगर्स, आर्यभट्ट उपग्रह, खेती, शालीमार गार्डन, कोणार्क मंदिर, बृहदीश्वर मंदिर या फिर 2000 के नोट में मंगलयान को जगह दी गई है।