अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार खिलाड़ी

अंतरराष्ट्रीय वित्त
अंतर्राष्ट्रीय वित्त एक वैश्विक व्यापार में वित्त के प्रबंधन से संबंधित है। यह बताता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में व्यापार कैसे करें और विदेशी मुद्रा का आदान-प्रदान कैसे करें, और इस तरह की गतिविधियों के माध्यम से लाभ अर्जित करें। अकादमी यूरोप द्वारा यह डिप्लोमा पाठ्यक्रम वर्तमान वैश्विक बाजारों, विदेशी मुद्रा बाजारों, अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों, हेजिंग और जोखिम प्रबंधन, और रणनीतिक निर्णय लेने पर विस्तृत जानकारी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार खिलाड़ी के साथ-साथ वित्त में मौजूदा रुझानों का एक संक्षिप्त अवलोकन प्रदान करता है।
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.. पूर्वापेक्षाएँ
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Patrika Opinion: रुपए को फौरन बूस्टर डोज देना आवश्यक
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की कीमत में गिरावट के सिलसिले ने अर्थशास्त्रियों की चिंता बढ़ा रखी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में वैसे तो पहले भी इन दोनों मुद्राओं का भाव ऊपर-नीचे होता रहा है, पर पिछले कुछ दिनों से चिंता का स्तर इसलिए बढ़ा हुआ है कि रुपए में बार-बार भारी गिरावट दर्ज की जा रही है, जबकि रिकवरी का अनुपात उत्साहजनक नहीं है। एक डॉलर का भाव कई दिन से 77 रुपए से ज्यादा चल रहा है। पहले माना जाता था कि माह के आखिर में तेल कंपनियों की ओर से डॉलर की मांग बढऩे से भारतीय रुपया आम तौर पर कमजोर नजर आता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बदले वैश्विक आर्थिक-राजनीतिक हालात में कमजोरी रुपए का स्थायी भाव बनी हुई है। मुद्रा की कीमत में गिरावट का तात्कालिक प्रभाव मुद्रास्फीति में वृद्धि के रूप में सामने आता है। यानी महंगाई के पीछे रुपए की कमजोरी भी है।
भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक 2010 के मुकाबले 2022 में रुपया करीब 38 रुपए कमजोर हो चुका है। यानी 2010 में एक डॉलर की कीमत 45.72 रुपए थी, जो अब 77 रुपए से ज्यादा हो चुकी है। दूसरे बाजारों की तरह मुद्रा बाजार भी मांग व आपूर्ति पर काम करता है। मुद्रा बाजार में अमरीकी डॉलर के दबदबे का सीधा मतलब है कि मांग व आपूर्ति के मामले में वह दूसरी मुद्राओं से काफी आगे है। भारत का घटता विदेशी मुद्रा भंडार भी रुपए की सेहत बिगडऩे की बड़ी वजह माना जा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार खिलाड़ी रहा है। हमारा विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 15 अप्रेल तक 603 अरब डॉलर था, जो 29 अप्रेल को घटकर 597.72 डॉलर रह गया। रुपए की मजबूती के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की गिनती बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक की कोशिशों के अपेक्षित नतीजे फिलहाल सामने नहीं आए हैं।
रुपए में गिरावट कई आर्थिक मोर्चों पर चुनौतियां खड़ी करती है और इससे हर वर्ग सीधे-सीधे प्रभावित होता है। आयात महंगा हो जाता है। विदेशों से सामान खरीदने के लिए पहले से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। नतीजतन घरेलू बाजार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार खिलाड़ी में यह सामान महंगा हो जाता है। पहले से महंगाई से त्रस्त जनता को दोहरी मार झेलनी पड़ती है। रुपए में गिरावट से शेयर बाजार को भी झटका लगा है। विदेशी संस्थागत निवेशक पहले से पैसे निकाल रहे हैं। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के मुताबिक इस साल विदेशी निवेशक 1.38 लाख करोड़ रुपए के शेयर बेच चुके हैं। रुपया इसी तरह कमजोर बना रहा तो उनके पैसे निकालने की रफ्तार और बढ़ सकती है। रुपए को बूस्टर डोज देने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक जितनी जल्दी कदम उठाएंगे, देश की अर्थव्यवस्था के लिए उतना बेहतर होगा।
विदेशी मुद्रा भंडार में आई 2 बिलियन डॉलर की गिरावट, RBI ने रुपये को बचाने के लिए बेचे डॉलर
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह में घटकर 570.74 बिलियन डॉलर हो गया, जो पिछले सप्ताह के 572.978 बिलियन डॉलर से 2.238 बिलियन डॉलर कम था।
विदेशी मुद्रा भंडार में आई 2 बिलियन डॉलर की गिरावट, RBI ने रुपये को बचाने के लिए बेचे डॉलर
Highlights कुल 2.238 बिलियन डॉलर कम हुआ विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया की सभी मुद्राओं पर भारी पड़ा है अमेरिकी डॉलर भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंची
नई दिल्ली: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 बिलियन डॉलर घट गया है। रुपये की गिरती कीमत को बचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डॉलर बेचे हैं। जिसकी वजह से देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है। आरबीआई रुपये की कीमत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 रुपये प्रति डॉलर के नीचे रखना चाहता है। रुपये की स्थिरता को बनाए रखने के लिए यह एक ऐसा प्रयास है जिसे भारतीय केंद्रीय बैंक ने आवश्यक बताया है।
2.238 बिलियन डॉलर कम हुआ विदेशी मुद्रा भंडार
आरबीआई के साप्ताहिक सांख्यिकीय पूरक डेटा से पता चलता है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह में घटकर 570.74 बिलियन डॉलर हो गया, जो पिछले सप्ताह के 572.978 बिलियन डॉलर से 2.238 बिलियन डॉलर कम था। गौरतलब है कि जब से रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है, तब से लगातार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार गिर रहा है। इस अवधि में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कुल 25 में से 19 सप्ताह के लिए 61 बिलियन डॉलर के करीब गिरा है।
दुनिया की सभी मुद्राओं पर भारी पड़ा अमेरिकी डॉलर
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने नवीनतम दर-निर्धारण बैठक के बाद कहा जब केंद्रीय बैंक ने लगातार तीसरी बार दरों में बढ़ोतरी की। डॉलर-मूल्यवर्ग की परिसंपत्तियों में व्यापक पूंजी पलायन के अनुरूप, रुपया यूक्रेन संकट से पहले लगभग 74 से गिरकर 80 प्रति डॉलर पर आ गया है। दुनिया की आरक्षित मुद्रा, डॉलर, ने लगभग सभी प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की है।
भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंची
वहीं रुपया ने डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक कमजोर 80 के स्तर को कम कर दिया, आरबीआई ने हाजिर और वायदा बाजारों में डॉलर बेचकर भारतीय मुद्रा को उस स्तर से नीचे रखने में मदद की है। लेकिन आरबीआई के हस्तक्षेप के कारण मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव की अवधि के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार की कमी समय के साथ कम हो गई है।
चार सप्ताह बाद विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा में इजाफा, जानें कितना है स्वर्ण भंडार
मुंबई: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने एक बार फिर से भारतीय बाजार का रूख किया है। इसका असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी दिखा। 29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2.4 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। इससे पहले लगातार चार सप्ताह तक इसमें कमी हुई थी।
चार सप्ताह बाद आई यह खबर
29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार खिलाड़ी दौरान शेयर बाजार में लगभग हर रोज तेजी रही। उस सप्ताह फॉरेन पोर्टफोलियो इंस्वेस्टर्स (FII) नेट इनवेस्टर (Net Investor) थे। रिजर्व बैंक से मिली सूचना के अनुसार 29 जुलाई 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 573.875 अरब डॉलर पर पहुंच गया। बीते 15 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान अपना विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटा था। यदि 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह की बात करें तो यह 571.5 अरब डॉलर पर था। आठ जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डॉलर घटकर 580.252 अरब डॉलर रह गया था। इसी महीने एक जुलाई को भी विदेशी मुद्रा भंडार 5.008 अरब डॉलर घटा था। उस समय अपना विदेशी मुद्रा भंडार 588.314 अरब डॉलर पर था।
फॉरेन करेंसी असेट भी घटे
29 जुलाई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में जो बढ़ोतरी हुई, उसमें फॉरेन करेंसी असेट का बढ़ना भी शामिल है। यह कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा स्वर्ण आरक्षित भंडार बढ़ने से भी विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी किये गये भारत के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 1.121 अरब डॉलर बढ़ कर 511.257 अरब डॉलर पर पहुंच। बीते 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान इसमें 1.426 अरब डॉलर में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार खिलाड़ी कमी हुई थी। अमेरिकी डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है।
स्वर्ण भंडार में भी इ़़जाफा
आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 1.140 अरब डॉलर बढ़ कर 39.642 अरब डॉलर पर पहुंच गया। समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) भी 2.2 करोड़ डॉलर बढ कर 17.985 अरब डॉलर पर चला गया। आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 3.1 करोड़ डॉलर बढ़ कर 4.991 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
रुपये की कीमत में रिकॉर्ड गिरावट, 82.33 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंची भारतीय मुद्रा
नई दिल्ली, 07 अक्टूबर । भारतीय मुद्रा बाजार में रुपया आज एक बार फिर रिकॉर्ड स्तर तक नीचे गिरकर कारोबार कर रहा है। डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा आज 82.33 रुपये के स्तर तक गिर चुकी है। रुपये ने आज डॉलर के मुकाबले एक बार फिर रिकॉर्ड गिरावट के साथ कारोबार की शुरुआत की और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार खिलाड़ी फिर उसमें लगातार कमजोरी आती चली गई। माना जा रहा है कि डॉलर इंडेक्स की मजबूती के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी का असर मुद्रा बाजार में नकारात्मक रूप से पड़ा है। इसकी वजह से डॉलर की मांग बढ़ने की आशंका बन गई है, जिससे भारतीय मुद्रा पर दबाव बढ़ गया है।
इंटर-बैंक फॉरेन सिक्योरिटी एक्सचेंज में आज भारतीय मुद्रा ने 0.29 प्रतिशत की गिरावट के साथ 82.19 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से कारोबार की शुरुआत की। मुद्रा बाजार में कामकाज शुरू होने के बाद रुपये की कमजोरी लगातार बढ़ती गई। थोड़ी ही देर में भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 0.5 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 82.33 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच गई। बीच में एक बार रुपये के गिरने की गति में कुछ देर के लिए ब्रेक भी लगा था, लेकिन थोड़ी ही देर बाद रुपये में दोबारा गिरावट शुरू हो गई।
मुद्रा बाजार के जानकारों का मानना है कि रुपये के लिए डॉलर इंडेक्स की मजबूती पहले से ही सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है, लेकिन पिछले 1 सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी से रुपये पर और भी अधिक दबाव बन गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 93 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गई है। सिर्फ इसी सप्ताह के कारोबार में कच्चे तेल की कीमत में करीब 11 प्रतिशत तक की तेजी आई है।
दरअसल, कच्चे तेल के उत्पादक देशों (ओपेक कंट्रीज) द्वारा तेल के उत्पादन में कटौती करने के फैसले के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत में तेजी का रुख बना हुआ है। माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत जल्दी ही 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक भी पहुंच सकती है। ऐसा होने पर मुद्रा बाजार में रुपये की कीमत पर दबाव और भी अधिक बन सकता है।
मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत के साथ ही डॉलर इंडेक्स की तेजी भी रुपये पर लगातार दबाव बनाए हुए है। डॉलर इंडेक्स में भी इस सप्ताह लगातार तेजी का रुख बना रहा है। डॉलर इंडेक्स 109.80 अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार खिलाड़ी के स्तर से उछलकर 112.12 के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है, जिसकी वजह से डॉलर के मुकाबले रुपये समेत दुनियाभर की तमाम मुद्राएं गिरकर कारोबार कर रही हैं। मयंक मोहन का मानना है कि मौजूदा प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों के बीच अगर कच्चे तेल की कीमत का बढ़ना जारी रहा, तो भारतीय मुद्रा आने वाले दिनों में प्रति डॉलर 83 रुपये के स्तर को भी पार कर सकती है।