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क्या आप एक करोड़पति दिवस व्यापार बन सकते हैं?

क्या आप एक करोड़पति दिवस व्यापार बन सकते हैं?

KBC: अमिताभ बच्चन ने पूछा पहला सवाल, सही जवाब देकर पाए हॉट सीट पर बैठने का मौका

नई दिल्ली। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) द्वारा होस्ट किया जाने वाला लोकप्रिय रियलिटी टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति (Kaun Banega Crorepati) एक बार फिर से वापस आ गया है. सोमवार रात 9 बजे अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने शो का पहला सवाल पूछा है. यदि आपको इस सवाल का सही जवाब पता है तो आपको मिल सकता है अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के सामने हॉट सीट पर बैठने का मौका.

अमिताभ ने पूछा पहला सवाल

सोनी टीवी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट किए गए एक वीडियो में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) इस सीजन का पहला सवाल पूछते नजर आ रहे हैं. वीडियो में अमिताभ (Amitabh Bachchan) ने कहा, ‘नमस्कार देवियों और सज्जनों. वक्त ने अक्सर आपका इम्तिहान लेने की कोशिश की. हालातों ने अक्सर आपको कसौटी पर कसने की कोशिश की. ख्वाहिशों ने हमेशा आपको छोटा साबित करने की कोशिश की है.’

अमिताभ ने कहा, ‘…लेकिन अब आपके हालात और आपके सपने नहीं. आपकी कोशिश बड़ी होगी. आपकी हर कोशिश का सम्मान. केबीसी का मंच तैयार हो चुका है. इस पहले सवाल से अपनी कोशिश का शुभारंभ कीजिए.’

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क्या है कौन बनेगा करोड़पति का पहला सवाल?
Q. किनकी जयंती के सम्मान में 23 जनवरी को भारत सरकार ने पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है?
a. शहीद भगत सिंह
b. नेताजी सुभाष चंद्र बोस
c. चंद्रशेखर आजाद
d. मंगल पांडे

2 मिनट 26 सेकेंड के इस वीडियो में अमिताभ बच्चन ने बताया है कि आप सोनी लिव एप्लिकेशन या फिर SMS के जरिए कौन बनेगा करोड़पति के रजिस्ट्रेशन लिए कर सकते हैं. वीडियो तेजी से वायरल हो चुका है और फैंस ने केबीसी में जाने की कोशिशें भी शुरू कर दी हैं. देखना होगा कि इस सीजन में अमिताभ बच्चन और देश को कितने करोड़पति इस शो से मिलते हैं.

‘पुतिन’ की वजह से करोड़पति महिला होर्डिंग लगाकर ढूंढ रही प्यार

‘पुतिन’ की वजह से करोड़पति महिला होर्डिंग लगाकर ढूंढ रही प्यार

Latest Trending News: यूक्रेन से चल रहे युद्ध की वजह से केवल रूसी सैनिकों और अर्थव्यवस्था को ही हानि नहीं पहुंच रहा, बल्कि इस युद्ध की मूल्य आम लोग भी उठा रहे हैं । युद्ध की वजह से रूस में रहने वाले लोगों की लाइफ भिन्न-भिन्न तरह से प्रभावित हो रही है । रूस की एक करोड़पति स्त्री के साथ कुछ इसी तरह की परेशानी हो रही है । इस स्त्री ने पति और अपना सच्चा प्यार खोजने के लिए वहां के शहर में बड़े पैमाने पर होर्डिंग लगवाए हैं । होर्डिंग लगवाने की वजह ये है कि वह डेटिंग ऐप्स का यूज नहीं क्या आप एक करोड़पति दिवस व्यापार बन सकते हैं? कर सकती । आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला ।

इंटरव्यू के बाद होगा सेलेक्शन

उलन-उडे शहर की रहने वाली 26 वर्ष की मारिया मोलोनोवा के दो बच्चे हैं । मारिया ने शहर के कई बिजी चौराहों पर अपनी फोटो के साथ होर्डिंग लगवाए हैं । इसमें वह अपने लिए एक पति की खोज कर रही हैं । होर्डिंग में एक क्यूआर कोड भी लगा हुआ है । इच्छुक आवेदक का मारिया साक्षात्कार लेंगी । जो साक्षात्कार पास कर लेगा उसका आकलन करके वह उसे अपना जीवनसाथी चुन लेंगी । उन्होंने होर्डिंग में आगे लिखा है ‘एक करोड़पति एक पति की तलाश में है । ’

इसलिए लगाना पड़ा होर्डिंग

मारिया की समाचार रूस से बाहर भी दूसरे राष्ट्रों में जमकर वायरल हो रही है । इस दौरान लोगों के मन में प्रश्न आ रहा है कि आखिर आज के जमाने में जब लोगों के पास डेटिंग ऐप जैसे विकल्प उपस्थित हैं तो वह होर्डिंग का सहारा क्यों ले रही हैं । दरअसल, यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस के लोग टिंडर समेत अन्य डेटिंग ऐप का यूज नहीं कर पा रहे हैं । युद्ध की वजह से अमेरिका और अन्य संगठनों ने रूस पर अनेक तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं और रूसी अपने कार्ड से पेमेंट नहीं कर सकते । ऐसे में उनका इस तरह क्या आप एक करोड़पति दिवस व्यापार बन सकते हैं? के ऐप का यूज करना भी बंद है ।

जल्द पूरे शहर में होर्डिंग लगाने की तैयारी

मारिया ने एक क्षेत्रीय अखबार को बताया कि ‘अधिकतर डेटिंग ऐप्लिकेशन रूस को छोड़ चुके हैं और मेरे पास अपना पार्टनर खोजने के लि और कोई विकल्प बचा नहीं है । मैं सच में विवाह करना चाहती हूं । इसलिए यह उपाय अपनाया । ’ मारिया ने बताया कि उनके होर्डिंग को देखकर कई लोग उनसे संपर्क कर चुके हैं, लेकिन अभी उन्हें पसंद का पार्टनर नहीं मिला है । वह कहती हैं कि जल्द ही वह पूरे शहर में इस तरह के होर्डिंग लगवाएंगी ।

बीज का व्यापारी बन युवक से आठ लाख क्या आप एक करोड़पति दिवस व्यापार बन सकते हैं? की ठगी

मंझनपुर। कड़ा धाम कोतवाली क्षेत्र में एक युवक को जालसाजों ने आठ लाख का चूना लगा दिया। बीज का व्यापारी बताते हुए बीज की डिलेवरी करने के नाम पर रकम ऐंठ.

बीज का व्यापारी बन युवक से आठ लाख की ठगी

मंझनपुर। कड़ा धाम कोतवाली क्षेत्र में एक युवक को जालसाजों ने आठ लाख का चूना लगा दिया। बीज का व्यापारी बताते हुए बीज की डिलेवरी करने के नाम पर रकम ऐंठ लिया। बाग वंशी निवासी मोहम्मद अख्तर किसान है। आरोप है कि कुछ दिन पहले उसके मोबाइल पर एक व्यक्ति ने फोन किया और खुद को बीज का व्यापारी बताते हुए व्यापार करने की सलाह दी। बीज की खेप भेजने से पहले आठ लाख का भुगतान ऑनलाइन करने को कहा गया तो युवक ने रकम भेज दिया। तहरीर पर पुलिस ने आरोपित अबरार अली, आबिद अली, कासिम अली निवासी डामा बाड़ी गिट्टी खदान महाराष्ट्र के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर मामले की तहकीकात शुरू कर दी है।

इंदौर के पहले 'सर' जिन्होंने बदली मजदूरों की दशा: जिनकी जिद के आगे बापू सोने की थाली में खाने को हुए मजबूर

आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर हम इंदौर की उस शख्सियत के बारे में आप को बताने जा रहे हैं, जिन्होंने 100 साल से भी अधिक पहले एक ऐसा स्टार्टअप शुरू किया था, जिसके कारण इंदौर का नाम पूरे देश ही नहीं विदेशों में भी रोशन हुआ। जी हां, हम बात कर रहे है इंदौर सर सेठ हुकुमचंद कासलीवाल (जैन) की जिन्होंने इंदौर में कपड़ा मिलों की शुरुआत की और देश के हजारों नहीं लाखों मजदूरों को रोजगार दिया था।

एक समय इंदौर का नाम इंग्लैंड के बाजारों में भी जाना जाता था। हालांकि मिलों के बंद होने के बाद आज हजारों मजदूर दो जून की रोटी के लिए भटक रहे हैं। सालों पहले जिन सेठ हुकुमचंद ने इन मिलों की शुरुआत की थी। उनके नाम का डंका इंदौर से लेकर लन्दन स्टॉक एक्सचेंज तक बजता था। उनकी आलीशान हवेली आज भी उनके गौरव की कहानी कहती है। मजदूर दिवस पर लाखों मजदूरों को रोजगार देने वाले सेठ हुकुमचंद के जीवन के बारे में हम आपको बताते हैं.

सेठ हुकुमचंद की भव्य पेंटिंग।

इंदौर के सेठ हुकुमचंद का नाम भारत की पहली पीढ़ी के उद्योगपतियों में लिया जाता है। उन्होंने सन् 1917 में कोलकाता में देश की पहली भारतीय जूट मिल की स्थापना की थी। कोलकाता में उनकी एक स्टील मिल भी थी। इसके अलावा उन्होंने इंदौर में तीन टेक्सटाइल मिल्स (राजकुमार, कल्याणमल और हुकुमचंद मिल) की स्थापना की। इंदौर की हुकुमचंद मिल उस जमाने की सबसे आधुनिक टेक्सटाइल मिल थी। उज्जैन में भी उनकी एक टेक्सटाइल मिल थी। इसके अलावा इंदौर,खंडवा, सेंधवा और भीकनगांव में जीनिंग और प्रोसेसिंग यूनिट्स भी थी।

सोने के बर्तनों में खाते थे खाना।

आज भी हुकुमचंद सेठ के महल में रहती है चौथी पीढ़ी
उनका पैलेस किसी राजा महाराजा की तरह था। इसके भीतर सोने की नक्काशी की गई है। उनके वंशज आज भी यहीं रहते हैं। उनके परिवार के धीरेन्द्र कासलीवाल ने बताया कि मूल फर्म सेठ हुकुमचंद सरूपचंद प्राइवेट लिमिटेड अभी भी कायम है। उनके रसूख का आलम ये था कि लंदन स्टॉक एक्सचेंज के दलालों को जब ये पता चलता था कि वे किसी कंपनी के शेयर खरीद रहें हैं, तो उस कंपनी के शेयर के भाव आसमान छूने लगते थे।

तत्कालीन होलकर राजा के कहने पर उन्होंने अंग्रेजों को करोड़ों रुपए का बिना ब्याज का कर्ज दिया था। इसके चलते अंग्रेजों ने उन्हें सर और महाराजा होलकर ने राजा राव की उपाधि से सम्मानित किया था। उनके वंशज बताते हैं कि इंदौर का कस्तूरबाग्राम, नसिया धर्मशाला, प्रेमदेवी अस्पताल, कांच मंदिर और दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज सहित देश भर में 200 से ज्यादा स्कूल, कॉलेज, मंदिर, धर्मशाला, अस्पताल और हॉस्टल बनाने के लिए उन्होंने दान किया था। उनके वंशज सीके कासलीवाल और प्रवीण कासलीवाल बताते हैं कि एक आंकलन के अनुसार 1950 तक उन्होंने करीब 80 लाख रुपए का दान किया था।

गांधी जी आए थे भोज के लिए।

महात्मा गांधी भी आए थे भोजन करने
गांधीजी 1935 में हिंदी साहित्य सम्मेलन के लिए इंदौर आए थे, तब सेठ हुकुमचंद ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया था। मेहमानों को चांदी की थाली में भोजन परोसा गया, लेकिन गांधीजी को सोने की थाली में, इस पर बापू ने ऐतराज जताया था। सेठ हुकुमचंद ने बहुत आग्रह किया तो बापू बोले कि मैं तो अपने बर्तनों में खाता हूं या जिन बर्तनों में खाता हूं, उन्हें अपने साथ ले जाता हूं। बताओ क्या करूं? सेठजी उनका आशय समझ गए और उन्हें सोने की थाली में खाने का आग्रह किया। गांधीजी ने खाने के बाद खुद थाली साफ की और झोले में रख ली। इस थाली को बेचने से जितना भी पैसा आया, वह उन्होंने वर्धा की हिंदी समिति के निर्माण के लिए दान कर दिया।

घर में आज भी रखा हुआ है सागौन की लकड़ी का बेशकीमती झूला।

न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज भी उनकी मृत्यु पर दो दिन के लिए बंद हुआ था
सेठ हुकुमचन्द को भारत के कॉटन प्रिंस के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 1874 में सेठ पुसाजी के परिवार में हुआ था, जिन्होंने इंदौर में होलकर वंश की स्थापना का समर्थन किया था। सेठ हुकुमचंद का एक व्यापारी के रूप में काफी सम्मान किया जाता है। न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज को भी उनकी मृत्यु पर दो दिन के लिए बंद कर दिया गया था। स्वदेशी उद्योग के अन्वेषक सेठ हुकमचन्द ने भारत में अनेक कॉटन मिल्स की स्थापना की। जैसे हुकुम चंद मिल नामक एक विशाल जूट मिल और राजकुमार मिल नामक एक आयरन मिल। वे एक उत्तम मार्गदर्शक थे और अपनी व्यवहार कुशलता और अपने व्यापार कौशल के साथ, उन्होंने अपनी विरासत को कई गुना कर दिया और एक प्रभावशाली व्यक्ति बन गए।

1919 की गोल्ड डैमलर कार थी उनके पास।

1919 की गाड़ी गोल्ड डैमलर
सेठ हुकुमचंद के पास 1919 की गोल्ड क्या आप एक करोड़पति दिवस व्यापार बन सकते हैं? डैमलर कार थी। हुकमचंद मिल इंदौर की उस जमाने की सबसे आधुनिक और सबसे बड़ी टेक्सटाइल मिल थी। इसकी स्थापना 21 करोड़ रुपए की पूंजी के साथ 1915 में सर सेठ हुकमचंद ने की थी।

80 के क्या आप एक करोड़पति दिवस व्यापार बन सकते हैं? दशक में बिगड़ी हालत
80 के दशक में मिल की हालत बिगड़ी और धीरे-धीरे बंद हो गई। 12 दिसंबर 1991 को हुकमचंद मिल प्रबंधन ने अचानक मिल बंद करने का निर्णय लेते हुए इस पर ताला लगा दिया। इसके बाद से मिल के 5,895 मजदूर बकाया भुगतान के लिए भटक रहे हैं। इनमें से 2200 से ज्यादा की मौत भी हो चुकी है। सालों पहले हाईकोर्ट ने मिल की जमीन बेचकर मजदूरों का भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन बार-बार नीलामी निकालने के बावजूद मिल की जमीन बिक नहीं सकी।

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