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निवेश करने का परिचय

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e-shram card: खुशखबरी! जल्द आपके अकाउंट में आने वाले हैं 1000 रुपये, फटाफट जानें कब मिलेगा फायदा?

E-Shram Card Registration: ई-श्रम कार्डधारकों के लिए बड़ी खुशखबरी है. अगर आपके पास भी ये कार्ड है तो अब आपके खाते में जल्द ही पैसा आने वाला है. सरकार की ओर से कार्डधारकों को 500 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं.

E-Shram Card Update: ई-श्रम कार्डधारकों के लिए बड़ी खुशखबरी है. अगर आपके पास भी ये कार्ड है तो अब आपके खाते में जल्द ही पैसा आने वाला है. सरकार की ओर से कार्डधारकों को 500 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं. अगर आप भी इस सुविधा का फायदा लेना चाहते हैं तो रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.

कौन लोग आते हैं कैटेगिरी में?
ई-श्रम कार्ड की कैटेगिरी में रेहड़ी पटरी वाले, नाई, धोबी, रिक्शा चालक, ठेला चालक, दर्जी, मोची, फल बेचने वाले, सब्जी बेचने वाले समेत कई लोग शामिल होते हैं.

11 करोड़ लोग करा चुके हैं रजिस्ट्रेशन
बता दें अभी तक करीब 11 करोड़ लोग ई श्रमिक पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार जल्द ही अगली 500 रुपये की किस्त ट्रांसफर कर सकती है. बता दें यह राशि सीधे खाताधारकों के अकाउंट में ट्रांसफर की जाती है.

30 जनवरी तक करा लें रजिस्ट्रेशन
अगर आप भी 500 रुपये प्राप्त करना चाहते हैं तो आप 30 जनवरी तक इसमें रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. इसके अलावा जिन लोगों ने पहले से ही रजिस्ट्रेशन करा रखा है वह अपना वेरिफिकेशन करा लें.

कौन इस कार्ड के लिए कर सकता है अप्लाई-
>> ई-श्रम कार्ड के लिए अप्लाई करने वाले नागरिक की आयु 16 से 59 साल के बीच होनी चाहिए.
>> वह व्यक्ति असंगठित क्षेत्र की श्रेणी के तहत आना चाहिए.
>> इसके अलावा किसी अन्य सरकारी योजना से जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए.
>> इसके साथ ही ईपीएफओ या फिर एनपीएस का सदस्य भी नहीं होना चाहिए.

मिलता है 2 लाख का फायदा
इस योजना में रजिस्ट्रेशन कराने वाले लाभार्थियों को 2 लाख रुपये की आकस्मिक मृत्यु पर मिलते हैं. इसके अलावा आंशिक विकलांगता पर 1 लाख और दुर्घटना कवरेज की सुविधा भी मिलती है.

श्रीकांत बोल्‍ला का जीवन परिचय | Shrikant Bolla Biography In Hindi

श्रीकांत बोल्‍ला का जीवन परिचय, जीवनी, उम्र, परिवार, सीईओ बोलन्‍ट इंडस्‍ट्री, करियर, सफलता की कहानी (Shrikant Bolla Biography in Hindi, Age, Family, Height, Weight, Religion, CEO of Bollant Industries, Success Story, career)

श्रीकांत बोला आज सफलता की कहानियों का एक बड़ा नाम बन चुके हैं जो लोग यह सोचते हैं कि शारीरिक असक्षमता व्‍यक्ति की सफलता की राह में रोड़ा बन सकती हैं। उनके लिए श्रीकांत बोला एक परफेक्‍ट उदाहरण साबित होते हैं।

श्रीकांत बोला नेत्रहीन होने के बावजूद आज करोड़ों नहीं बल्कि अरबों के मालिक बन चुके हैं। यहीं नहीं साल 2021 के दौरान फोर्ब्‍स द्धारा उन्‍हें एशिया की 30 अंडर 30 लिस्‍ट में भी जगह दी गई थी।

श्रीकांत बोला की सबसे बड़ी विशेषता हैं कि वह बचपन से अंधे हैं अंधे होने के बावजूद भी उन्‍होंने आज अपनी खुद की 200 करोड़ की कंपनी स्‍थापित की है। और उस कंपनी के सीईओं हैं।

श्रीकांत बोल्‍ला का जीवन परिचय | Shrikant Bolla Biography In Hindi

Table of Contents

श्रीकांत बोल्‍ला का जीवन परिचय

पूरा नाम (Full Name)श्रीकांत बोला
जन्‍म (Date of Birth)7 जुलाई 1992
शिक्षा (Education)सीतारामपुरम सरकारी स्‍कूल, हैदराबाद के एक दिव्‍यांक स्‍कूल, मैसाचुसेट्स प्रौ़द्योगिकी संस्‍थान एमआईटी (MIT)
पेशा (Profession)उद्योगपति, सीईओ ऑफ बोलांट इंडस्‍ट्रीज
नागरिकता (Nationality)भारतीय
धर्म (Religion)हिंदू
नेटवर्थ (Networth)50 करोड़ बोलैंट इंडस्‍ट्रीज
प्रसिद्धि (Famous for)देश के पहले नेत्रहीन बने जिन्‍हें दसवी के बाद साइंस स्‍ट्रीम विषय पड़ा, सीईओ ऑफ बोलांट इंडस्‍ट्रीज

श्रीकांत बोल्‍ला का जन्‍म एवं शुरूआती जीवन

श्रीकांत बोला का जन्‍म 7 जुलाई 1992 को हुआ था। आंध्र प्रदेश के सीतारामपुरम के एक शहर मछलीपट्टनम में जन्‍में श्रीकांत अपने जीवन की शुरूआत से ही नेत्रहीन हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी कुछ खास नहीं रही हैं। जिस कारण उन्‍हें बचपन से ही गरीबी का सामना करना पड़ा हैं।

श्रीकांत बोला की शिक्षा (Shrikant Bolla Education)

श्रीकांत बोला को विज्ञान का अध्‍ययन करने का अधिकार नहीं दिया गया था। इसलिए यह अधिकार अर्जित करने के लिए सरकार से संघर्ष करना पड़ा।

छह महीने के इंतजार के बाद, उन्‍हें अपने जोखिम पर विज्ञान का अध्‍ययन करने की अनुमति दी गई। लेकिन श्रीकांत ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 98 फीसदी अंक हासिल कर सभी की उम्‍मीदों पर पानी फेर दिया। फिर भी समाज ने उसकी क्षमता पर विश्‍वास करने से इंकार कर दिया, सबको लगा की यह हो ही नहीं सकता।

अपनी प्री-यूनिवर्सिटी परीक्षा पूरी करने के बाद, श्रीकांत ने आईआईटी में प्रवेश लेने को सोची। जिसके लिए उन्‍होंने कोचिंग लेने की सोची। जो कि कठिन जेईई प्रवेश परीक्षा को क्रैक करने के लिए आवश्‍यक होती हैं। लेकिन कोचिंग संस्‍थानों द्धारा अस्‍वीकार कर दिया गया।

श्रीकांत बोल्‍ला का परिवार (Shrikant Bolla Family)

श्रीकांत बोल्‍ला का जन्‍म आंध्र प्रदेश के एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके माता पिता दोनों अशिक्षित थे। श्रीकांत बोला के पिता का नाम दामोदर राव हैं ये एक किसान हैं। उनका परिवार पूरी तरह से खेती पर निर्भर था।

पिता का नाम (Father Name)दामोदर राव
माता का नाम (Mother Name)वेक्‍टम्‍मा
भाई का नाम (Brother Name)ज्ञात नहीं
बहन का नाम (Sister Name)ज्ञात नहीं
पत्‍नी का नाम (Wife Name)वीरा स्‍वाथी अप्रैल 2022

श्रीकांत बोला की शारीरिक बनावट (Shrikant Bolla Physical Stats)

लंबाई (Height)5 फीट 6 इंच
वजन (Weight)60 किलोग्राम
बालों का रंग (Hair Colour)काला
आंखो का रंग (Eye Colour)नेत्रहीन
उम्र (Age)29 वर्ष (2022 में)

श्रीकांत बोला का करियर (Shrikant Bolla Career)

श्रीकांत बोला ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने घर वापस आ गए और उन्‍होंने वहां पर एक छोटा फूड पैकेजिंग कंपनी स्‍थापित की। जो खाने-पीने की चीजों का पैकिंग करने का काम करती हैं।

जब उन्‍होंने अपनी कंपनी की शुरूआत की थी तो उस समय उनके कंपनी में 8 लोग थे और आज की तारीख में उनके कंपनी में 650 लोग काम करते हैं। और उनकी कंपनी का टर्नओवर 150 करोड़ रूपए हैं।

उन्‍होंने अपनी कंपनी की शुरूआत की और कंपनी उनका अच्‍छा प्रदर्शन करने लगी तो उनके काम की तारीफ टाटा ग्रुप के मालिक रतन टाटा ने किया था। और उन्‍होंने उनके कंपनी में पैसे भी निवेश किए थे।

उनकी कंपनी में जितने भी लोग काम करते हैं वह किसी न किसी विकलांगता से पीडि़त हैं। शुरूआत के दिनों में उन्‍हें पैसे की काफी दिक्‍कत का सामना करना पड़ा लेकिन उन्‍होंने कठिनाईयों और अपने परिश्रम के बल पर पैसे की दिक्‍कत को दूर किया। और कई बैकों और दूसरे प्रकार के संस्‍थान से फंड इकट्ठा कर उन्‍होंने अपने बिजनेस की शुरूआत किया था।

पहला भारतीय नेत्रहीन छात्र (First Indian Bling Student)

बार बार कोशिश के बाद किसी भी कोचिंग ने एडमिशन नहीं दिया। इतनी असफलताओं के बाद, श्रीकांत ने प्रतिष्ठित एमआईटी, यूएस-आधारित शीर्ष प्रौद्योगिकी स्‍कूलों में आवेदन किया और एमआईटी में न केवल पहले भारतीय नेत्रहीन छात्र बन गए, बल्कि यूनिवर्सिटी के पहले अंतर्राष्‍ट्रीय नेत्रहीन छात्र भी बन गए।

अच्‍छे मार्क्‍स से पढ़ाई पूरी करने के बाद, श्रीकांत के पास अमेरिका में रहने और एक आरामदायक जिंदगी बनाने का मौका था। लेकिन उनका दिल वापस आने और अपने देश और अपने देशवासियों के लिए कुछ करने का ठान रखा था। इसलिए वह अपने देश भारत वापस आ गए।

बॉलेंट इंडस्‍ट्रीज (Bollant Industries)

श्रीकांत ने 2012 में अपनी कंपनी, बोलेंट इंडस्‍ट्रीज की स्‍थापना की। उनकी प्रतिभ और उद्यमिता के प्रति जुनून को रतन टाटा ने देखा, जिन्‍होंने श्रीकांत को न केवल सलाह दी, बल्कि उनकी कंपनी में निवेश भी किया।

बॉलेंट इंडस्‍ट्रीज, जो पैकेजिंग के प्रोडक्‍ट्स बनाती है, तेजी से बढ़ती गई। लगभग 20 प्रतिशत मासिक औसत वृद्धि के साथ, कंपनी ने 2018 तक 150 करोड़ रूपये का कारोबार किया।

श्रीकांत की इंडस्‍ट्रीज में 5 मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्‍लांट हैं, और 650 से अधिक लोगों को रोजगार मिलता हैं, जिसमें लगभग आधे लोग अलग-अलग डिसेबिलिटी वाले हैं।

आज का राशिफल 21 नवंबर, 2022- सभी मूलांक वालों के लिए कैसा रहेगा

मूलांक – 1
मूलांक 1, 10, 19, व 28 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व सूर्य देव करते हैं। सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्तियों को पिछले कुछ दिनों से काम को लेकर चल रहे संघर्ष से मुक्ति मिलेगी। पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए निवेश करने का परिचय आपके कुछ निजी काम स्थगित हो सकते हैं।
उपाय- भूरी चींटियों को आटा दें।

मूलांक – 2
मूलांक 2, 11, 20 और 29 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व चन्द्र देव करते हैं। किसी सामाजिक कार्य में योगदान सराहनीय रहेगा। परिजनों का साथ मिलेगा। व्यापार में नए निवेश के बारे में विचार कर रहे हैं तो माता की सलाह आपके लिए बहुत मददगार साबित होगी।
उपाय- पीपल के वृक्ष पर दूध चढ़ाएं।

मूलांक – 3
मूलांक 3, 12, 21, 30 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व बृहस्पति देव करते हैं। विद्यार्थियों के लिए आज का दिन उत्तम रहेगा। नौकरी में छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ी उपलब्धि प्राप्त करने में सफलता मिलेगी। कारोबार में अपनी तीव्र बौद्धिक क्षमता का परिचय देते हुए कुछ जटिल परेशानियों का समाधान निकालने में सफल रहेंगे।
उपाय- बेसन के हलवे का सेवन करें।

मूलांक – 4
मूलांक 4, 13, 22 और 31 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व राहु देव करते हैं। कारोबार में पुरानी रूढ़िवादी विचारों को बदलने का प्रयास करेंगे, जिस कारण परिवार के सदस्यों के विरोद्ध का सामना करना पड़ेगा। रिसर्च और अनुसंधान के क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों के लिए आज का दिन अनुकूल रहेगा।
उपाय- काले और नीले रंग से परहेज करें।

मूलांक – 5
मूलांक 5, 14 और 23 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व बुध देव करते हैं। कार्यक्षेत्र में पदोन्नति प्राप्त करने के लिए परिश्रम करेंगे परंतु ध्यान रहे उच्च शिखर पर पहुंचने का कोई शॉर्टकट नहीं होगा। परिवार के साथ किसी मनोरंजक स्थान पर घूमने का कार्यक्रम बनायेंगे। निवेश करने का परिचय
उपाय- फिटकरी से दांत साफ़ करें।

मूलांक – 6
मूलांक 6, 15 और 24 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व शुक्र देव करते हैं। आलस्य के कारण कुछ काम स्थगित करने पड़ेंगे। मांगलिक कार्यों में अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी के साथ किसी बात को लेकर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
उपाय- गाय को गुड़ खिलाएं।

मूलांक – 7
मूलांक 7, 16 और 25 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व केतु देव करते हैं। बिना मांगे आज किसी को कोई सलाह न दें। नौकरी में स्थानान्तरण होने की सम्भावना है। धार्मिक गतिविधियों में आपकी रूचि बढ़ेगी। अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहने की जरूरत है।
उपाय- केसर का तिलक लगाएं।

मूलांक – 8
मूलांक 8, 17 और 26 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व शनि देव करते हैं। व्यापार में साझेदारी के नए प्रस्ताव प्राप्त होंगे, परंतु निर्णय सोच-समझ कर लें। व्यापार में कुछ उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा। आय के नए साधन प्राप्त हो सकते हैं। नया वाहन अथवा अचल संपत्ति को खरीदने का विचार बना सकते हैं।
उपाय- रात में गुड़ का सेवन न करें।

मूलांक – 9
मूलांक 9, 18 और 27 दिनांक को जन्म लेने वाले जातकों का प्रतिनिधित्व मंगल देव करते हैं। नकदी धन की स्थिति बेहतर रहेगी। कार्यक्षेत्र में मान-सम्मान और अधिकारों में वृद्धि होगी। विवाह योग्य जातकों के लिए आज का दिन शुभ रहेगा। दिनचर्या में कुछ सकारात्मक परिवर्तन नज़र आयेंगे।
उपाय- लाल चन्दन का तिलक लगायें।

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मैच से पहले फिट नहीं थे पाकिस्तान को जिताने वाले फखर जमान, फिजियो ने पूरी रात जग कर बनाया मैदान में उतरने लायक

फखर जमान 12 जनवरी 2007 को नौसेना में शामिल हुए थे। उनके पिता फकीर गुल को लगता था कि क्रिकेट ने उनके बेटे की पढ़ाई-लिखाई चौपट कर दी।

मैच से पहले फिट नहीं थे पाकिस्तान को जिताने वाले फखर जमान, फिजियो ने पूरी रात जग कर बनाया मैदान में उतरने लायक

चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फाइनल में भारत पर पाकिस्तान की जीत के नायक फखर जमान 12 जनवरी 2007 को नौसेना में शामिल हुए थे। उनके पिता फकीर गुल को लगता था कि क्रिकेट ने उनके बेटे की पढ़ाई-लिखाई चौपट कर दी। फकीर अली को लगा कि नौसेना में नौकरी से अच्छा उनके बेटे के लिए कुछ नहीं हो सकता। नौसेना में चयन होने के बाद जमान की तैनाती कराची में नौसैनिक के रूप में हुई।

फखर जमान ज्यादा दिन नौसेना में नहीं रहे। ट्रेनिंग पूरी करके फौजी (टीम में उनके साथी उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं) बनते-बनते क्रिकेटर के तौर पर नौसेना के क्रिकेट कोच आजम खान की नजर में जगह बना ली थी। आजम खान ने नौसेना मुख्यालय को सूचित किया कि नौजवान फखर जमान नौसेना से ज्यादा देश के क्रिकेट टीम के लिए उपयोगी साबित होगा। बाएं हाथ के बल्लेबाज फखर जमान ने उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।

18 जून 2017 को भारत के खिलाफ पाकिस्तान को चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में रिकॉर्ड जीत दिलाकर फखर जमान ने आजम खान की बात सही साबित कर दी। पाकिस्तान ने पिछले 25 सालों में पहली बार आईसीसी वनडे टूर्नामेंट जीता है। फखर जमान ने टूर्नामेंट में भारत के खिलाफ पाकिस्तान के पहले मैच में टीम में नहीं शामिल थे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना डेब्यू किया। उन्हें अहमद शहजाद की जगह टीम में लिया गया था।

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फखर जमान ने श्रीलंका और इंग्लैंड के खिलाफ अर्धशतकीय पारी खेली थी। तब उनके पिता ने पाकिस्तानी टीवी चैनल जियो टीवी से कहा था, “पहले वो केवल कटलांग का फखर (गर्व) था, अब वो पूरे पाकिस्तान का गर्व है।” भारत के खिलाफ मैच के बाद फखर जमान ने कहा कि रविवार को उन्हें पहली बार लगा कि वो “अंतरराष्ट्रीय” मैच खेल रहे हैं और पहली बार “बड़े मैच” के दबाव से उनका परिचय हुआ।

रविवार के मैच के हीरो फखर जमान के एक समय पाकिस्तान के आखिरी 11 में होने पर भी संदेह था। उनकी तबीयत खराब थी। फखर जमान ने कहा, “मेरे शरीर में ताकत ही नहीं थी। मैंने तीन-चार गेंदें खेलीं और कोच से कहा कि मेरे अंदर एनर्जी नहीं है। मैं ड्रेसिंग रूम में वापस जा रहा हूं। उन्होंने कहा ठीक है। फिर मैंने अपने मसाज करने वाले और फीजियो को बुलाया और बताया कि मुझे अच्छा नहीं लग रहा है और आप लोग कुछ करिए।”

फखर जमान के अनुसार पाकिस्तानी टीम के फीजियो ने रात को डिनर छोड़कर रात भर उनका इलाज किया। मैच के दिन फखर जमान सुबह चार बजे नमाज पढ़ने के लिए उठने से निवेश करने का परिचय पहले केवल पांच घंटे सो सके थे। जब वो सुबह उठे तो उन्हें पहले से काफी बेहतर महसूस हो रहा था। उसके बाद जब वो मैदान पर उतरे तो उन्होंने इतिहास बना दिया।

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मोहक अभिनय से सदा रही दिल जीत

मोहक अभिनय से सदा रही दिल जीत

तैराकी और हॉकी जैसे खेलों में निपुण, सोहणी पंजाबण मुटियार दिलजीत कौर, भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपना करिअर बनाने की इच्छुक थी। कॉलेज में सहपाठियों ने उसकी सुंदरता के बड़े-बड़े बखान किये तो उसकी रुचि अभिनय में हो गई। फिर क्या था, पुणे फिल्म संस्थान से एक्टिंग का कोर्स किया और बन गई पंजाबी फिल्मों की ‘हेमामालिनी’।

दिलजीत कौर ने विधु विनोद चोपड़ा द्वारा निर्देशित लघु फिल्म ‘बोंगा’ में मुख्य रोल निभाते हुए अपनी विशिष्ट अभिनय प्रतिभा का परिचय दिया। उन दिनों हिंदी फिल्म निर्माता और निर्देशक अक्सर नये चेहरों की तलाश में संस्थान आते थे। कमाल अमरोही ने अपनी आगामी फिल्म ‘आखिरी मुगल’ के लिए सैकड़ों लड़कियों में से दिलजीत कौर को नायिका के रूप में चुना। जबकि राज कपूर ने उसे ‘हिना’ फिल्म का ऑफर दे दिया। इस बीच, निर्माता-निर्देशक इंद्रजीत हसनपुरी ने दिलजीत के दादा जी के सौजन्य से उन्हें पंजाबी फिल्म ‘दाज’ और ‘दहेज़’ (हिंदी) में अभिनय करने के लिए सहमति ले ली। ‘दाज’ (1976) फिल्म के रिलीज़ होते ही दिलजीत के अच्छे लुक ने पूरे पंजाबी फिल्म उद्योग में तूफान ला दिया और उसके घर के आगे फिल्म निर्माताओं की कतार लग गई।

पंजाबी फिल्मों के स्टारडम ने उन्हें हिंदी फिल्मों से लगभग दूर ही कर दिया। ‘रजिया सुल्ताना’ बनाने में व्यस्त कमाल अमरोही ‘आखिरी मुगल’ बनाना भूल गए जबकि राज कपूर ने भी ‘हिना’ पर फोकस नहीं दिया। सांत्वना स्वरूप उसे सोम दत्त प्रोडक्शंस की फिल्म ‘यारी दुश्मनी’ में सुनील दत्त के साथ काम करने का मौका मिला। अंततः दिलजीत कौर ने पंजाबी फिल्मों पर अपना ध्यान केंद्रित किया और वह वीरेंद्र के साथ मुख्य अभिनेत्री के रूप में उभरीं।

पंजाबी फिल्म ‘सैदां जोगन’ (1979) में दिलजीत कौर ने एक ग्रामीण और एक शहर की लड़की की दोहरी भूमिकाओं में दर्शकों की खूब तालियां बटोरीं। निर्देशक जगजीत ने फिल्म ‘पुत्त जट्टां दे’ (1983) में इस चुलबुली, सोनपरी के सौंदर्य को बड़े ही सहज और अनोखे ढंग से चित्रित किया था। यह फिल्म वर्ष 1983 की सबसे बड़ी ब्लॉक-बस्टर साबित हुई और दिलजीत कौर को पंजाबी सिनेमा की ‘हेमामालिनी’ कहा जाने लगा। दिलजीत स्वयं भी इस फिल्म को अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ परफॉर्मेंस मानती थी।

पंजाबी सिनेमा में उनका एक अग्रणी अभिनेत्री के रूप में स्टारडम दिन-ब-दिन बढ़ता गया। पुरुष-प्रधान फिल्म उद्योग में उनका नाम फिल्मों की नामावली में सबसे ऊपर आता था। गिद्दा, मामला गड़बड़ है, लाजो, बटवारा, सोहनी महिवाल, इश्क निमाना, निम्मो, वैरी जट्ट, जट्ट ते ज़मीन जैसी अनेक हिट फिल्मों में दिलजीत के अभिनय की बहुत सराहना हुई। इन फिल्मों में उन्होंने वीरेंद्र, गुरदास मान, सतीश कौल और बलदेव खोसा आदि शीर्ष अभिनेताओं के साथ काम किया था। फिर वह गुग्गु गिल और योगराज सिंह जैसे नए अभिनेताओं के समक्ष अनख जट्टां दी, जट दा गंडासा, उड़िकां सौण दियां इत्यादि फिल्मों में नायिका के रोल करने लगी थी।

सन‍् 2000 के आसपास, वह फिर सिनेमा की दुनिया में लौटी और उन्होंने माहौल ठीक है (1998) और जी आईंयां नूं (2002) फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। हाल के वर्षों में वह हीर रांझा, सिंह वर्सेज कौर, मोगा टू मेलबर्न वाया चंडीगढ़, जट्ट बॉयज और देसी मुंडे जैसी फिल्मों में चरित्र भूमिकाओं में नज़र आई थीं। अंतिम बार उन्होंने फिल्म ‘रब्ब दा रेडियो-2’ (2019) में एक कैमियो किया।

परी समान चेहरा एवं बेहद खूबसूरत छरहरा दीर्घवृत्त बदन, उनकी एक ‘ठेठ पंजाबन’ होने की छवि को परिभाषित करता था। युवा-दिलों की धड़कन, दिलजीत को महिला-प्रधान फिल्मों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। दिलजीत ने अन्य पंजाबी कलाकारों की तुलना में अधिक सिल्वर जुबली हिट्स दी हैं। उसने फासले, अमृत, विदेश, जीने नहीं दूंगा जैसी एक दर्जन हिंदी फिल्मों में समानांतर मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। परन्तु उन्हें जो स्नेह और सम्मान पंजाबी सिनेमा से मिला, वह हिंदी फिल्मों में कोसों दूर था। पंजाबी और हिंदी फिल्मों के अतिरिक्त उन्होंने बंगला, तेलुगु, मलयालम और सुपरहिट हरियाणवी फिल्म ‘म्हारा पीहर सासरा’ में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।

दिलजीत कौर का जन्म सिलीगुड़ी (पश्चिमी बंगाल) में एक धनाढ्य ट्रांसपोर्टर मोहिंद्र सिंह खंगूड़ा के घर 24 मार्च, 1954 को हुआ था। उनका पैतृक गांव अटियाना (लुधियाना) है। प्रारम्भिक शिक्षा दार्जीलिंग के सेंट हेलेंस कान्वेंट स्कूल से पूरी करने के पश्चात‍् उसने दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज से बी.ए. (ऑनर्स) की डिग्री ली। उसके पिता उसे डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन उसने फिल्म क्षेत्र में प्रवेश किया।

उनकी शादी तलाक़शुदा फिल्ममेकर गज (हरप्रीत) देओल से हुई थी। उसने दिलजीत कौर के पैसे से ‘बाग़ी’ फिल्म का निर्माण किया लेकिन उसे एक्टिंग नहीं करने दी। धीरे-धीरे दिलजीत की सभी निवेश-पूंजियां सिमट गईं, यहां तक कि उसका बांद्रा का आलिशान बंगला भी बिक गया।

जीवन में त्रासदियों को अकेले झेलते-झेलते यह खूबसूरत अभिनेत्री डिप्रेशन में डूबती चली गई। पिछले तीन वर्षों से वह ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थीं। आख़िरकार, ‘स्वर्ण-सुंदरी’ दिलजीत कौर 17 नवंबर, 2022 को इस फ़ानी दुनिया से रुख़सत हो गईं।

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