इक्विटी शेयर के प्रकार

मोटामोटी दस बातें शेयरों की
इक्विटी शेयर को आम बोलचाल में शेयर या स्टॉक भी कहा जाता है। इससे किसी कंपनी में अमुक अंश की हिस्सेदारी व्यक्त होती है। इक्विटी शेयरधारक कंपनी के नफे-नुकसान में, अपने शेयरों की संख्या के इक्विटी शेयर के प्रकार अनुपात में व्यवसायिक हिस्सेदार होता है। इसके धारक को कंपनी के सदस्य का दर्जा प्राप्त होने के साथ कंपनी के प्रस्तावों पर अपना विचार व्यक्त करने और वोट देने का अधिकार प्राप्त है।
2. राइट्स इश्यू/राइट्स शेयर किसे कहते है?
जब कोई कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को उनकी अंशधरिता के अनुपात में नई शेयर देने की पेशकश करती है तो इसे राइट्स इश्यू या राइट्स शेयर कहा जाता है। शेयरधारकों को राइट शेयर खरीने का अधिकार मिलता है। लेकिन यह उसकी इच्छा पर निर्भर है कि वह इसका उपयोग करे या न करे। राइट्स इश्यू में कंपनी अन्य प्रतिभूतियां भी जारी कर सकती है।
3. इक्विटी शेयरधारकों के अधिकार क्या हैं?
इक्विटी शेयरधारक कंपनी के हिस्सेदार ही कहलाते हैं। इसलिए इन्हें कंपनी के वित्तीय परिणाम और आर्थिक स्थिति को जानने का अधिकार है। इसके लिए उसे प्रतिवर्ष सम्पूर्ण विवरण सहित बेलेंसशीट और वार्षिक रिपोर्ट प्राप्त करने का अधिकार है। कंपनी को अपने मुख्य कारोबार के दैनिक कामकाज के विवरण को छोडकर, किसी भी नीति को बदलने, नए शेयर जारी करने और अन्य महत्वपूर्ण कामों के लिए शेयरधारकों की अनुमति लेनी पडती है। इसके लिए साल में कम से कम एक बार वार्षिक सभा करनी आवश्यक है जिसमें निदेशक बोर्ड की बैठकों में पारित प्रस्ताव रखने पड़ते हैं। वार्षिक सभा की सूचना के साथ इन प्रस्तावों की प्रति भी शेयरधारकों को इस तरह भेजनी होती है ताकि वह उन्हें वार्षिक सभा से पहले मिल जाए। शेयरधारकों को इन प्रस्तावों के पक्ष या विपक्ष में अपने विचार रखने व वोट देने का अधिकार है। कंपनी की लेखा पुस्तकों या अन्य जरूरी दस्तावेजों को जांचने का अधिकार भी शेयरधारकों को है।
4. बोनस शेयर मतलब क्या?
कंपनी अपने वार्षिक लाभ को सम्पूर्ण रूप से लाभांश या डिविडेंड के रूप में वितरित नहीं करती है। इसका कुछ हिस्सा वह संचय खाते में जमा करती जाती है जो कुछ वर्षों में एक बड़ी राशि बन जाती है। कंपनी अपनी भावी विकास योजना या अन्य योजनाओं के लिए इस राशि को पूंजी खाते में हस्तांतरित करने के लिए इतनी ही राशि के शेयर बतौर बोनस अपने मौजूदा अंशधारकों को अनुपातिक आधार परे दे देती है। इन शेयरों के लिए शेयरधारकों से कोई मूल्य नहीं लिया जाता।
5. प्रेफरेंस शेयर किसे कहते हैं?
इस प्रकार के शेयर रखनेवाले शेयरधारकों को प्रतिवर्ष पूर्व निर्धारित दर से लाभांश दिया जाता है। यह लाभांश कंपनी के लाभ में से दिया जाता है। लेकिन इसका भुगतान इक्विटी शेयरधारकों को लाभांश देने से पहले किया जाता है। यदि कंपनी का दिवाला निकलता है तो प्रेफरेंस शेयरधारक को उसका हिस्सा इक्विटी शेयरधारकों से पहले, लेकिन बॉण्ड होल्डरों, डिबेंचरधारकों जैसे लेनदारों को चुकाने के बाद, मिलने का अधिकार है।
6. क्युम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयर क्या है?
ऐसे शेयरधारकों को पूर्व निर्धारित दर पर प्रतिवर्ष लाभांश नहीं दिया जाता बल्कि यह कंपनी के पास जमा होता रहता है। जब कभी भी कंपनी अपने इक्विटी शेयरधारकों को लाभांश देती है तो उससे पहले क्युम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयरधारकों को लाभांश दिया जाता है। ऐसी स्थिति में इनको उक्त अवधि तक का पूरा संचित लाभांश दिया जाता है।
7. क्युम्युलेटिव कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर किसे कहते हैं?
यह एक प्रकार का प्रेफरेंस शेयर ही है जिसमें निर्धारित दर पर लाभांश संचित होते हुए एक साथ ही चुकाया जाता है। लेकिन इसमें एक निर्धारित अवधि भी होती है जिसके पूरा होने पर उन्हें संचित लाभांश का भुगतान तो कर ही दिया जाता है, साथ ही ये शेयर स्वतः इक्विटी शेयर में रूपांतरित हो जाते है।
8. मैं इक्विटी शेयर कैसे प्राप्त कर सकता हूं?
आप प्राइमरी मार्केट से पब्लिक इश्यू (आईपीओ या एफपीओ) के दौरान आवेदन करके या फिर सीधे शेयर बाजार के मान्यताप्राप्त ब्रोकर के माध्यम से सेकेंडरी मार्केट में शेयर खरीद सकते हैं।
9. प्राइमरी मार्केट बोले तो?
कोई कंपनी जब अपनी परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए पब्लिक इश्यू जारी करती है तो इस ऑफर के माध्यम से आवेदन करके शेयर पाने और कंपनी द्वारा शेयर आवंटित करके उनको सूचीबद्ध कराने तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया/व्यवहार प्राइमरी मार्केट के कार्यक्षेत्र में आता है।
10. सेकेंडरी मार्केट किसे कहते हैं?
कंपनी पब्लिक इश्यू द्वारा आवेदकों को शेयर आवंटित करने के बाद उन्हें पंजीकत स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करवाती है। सूचीबद्धता के बाद पब्लिक इश्यू यानी शुरुआती पब्लिक (आईपीओ) या फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) के इक्विटी शेयर के प्रकार जरिए प्राइमरी मार्केट में आवंटित किए गए शेयरों की खरीद-बिक्री की जा सकती है और इसी व्यवहार/कारोबार को सेकेंडरी मार्केट में सम्मलित किया गया है। साधारण भाषा में जब कोई व्यक्ति आवेदन करके कंपनी से सीधे शेयर लेता है तो यह प्राइमरी मार्केट का व्यवहार कहलाता है। पर जब यही शेयर वह अन्य किसी शेयरधारक से खरीता है या अन्य को बेचता है तो यह व्यवहार सेकेंडरी मार्केट कहलाता है। शेयर बाजार को ही तकनीकी रूप से सेकेंडरी मार्केट कहते हैं। प्राइमरी व सेंकेंडरी मार्केट को मिलाकर बनता है देश का पूंजी बाजार।
इक्विटी क्या होता है? (Equity meaning in hindi business?) 2022
सरल शब्दों में इक्विटी का अर्थ है किसी कंपनी में हिस्सेदारी है। जैसा कि आप जानते हैं कि जब भी हम किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो हम उस कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक बन जाते हैं। कंपनी के उस हिस्से को ही business की भाषा में इक्विटी कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यदि आप किसी कंपनी के शेयर को खरीद रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि आप उस कंपनी के equity को खरीद रहे हैं।
उदाहरण– मान लीजिये की, आपने एक कंपनी का 2 शेयर खरीदा और कंपनी ने अपने 100 शेयर मार्केट इक्विटी शेयर के प्रकार में जारी किए थे जोकि कंपनी के वैल्यूएशन के 50% इक्विटी के बराबर था। अब आपने 2 शेयर खरीदे हैं तो आप उस कंपनी में 2% हिस्से के मालिक बन जाएंगे।
इक्विटी के प्रकार(Types of equity)
स्टेकहोल्डर्स इक्विटी (Stakeholders’ equity)
प्रेफरेंस इक्विटी (Preference Equity)
what is Equity meaning in hindi
स्टेकहोल्डर्स इक्विटी (Stakeholders’ equity)
स्टेकहोल्डर इक्विटी, जिसे शेयरधारकों की इक्विटी और ओनर्स इक्विटी(Owner’s equity) भी कहा जाता है, वह राशि होती है जिसे कंपनी की liabilities में से घटाकर शेयरधारकों को दी जाती है।
आमतौर पर कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए ऋण या इक्विटी जारी करती है।
अधिकतर शेयरधारक इक्विटी में ही निवेश करते हैं क्योंकि यह किसी कंपनी के मुनाफे और विकास में हिस्सा लेने का अधिक अवसर प्रदान करती है। कंपनी को अधिक मुनाफा होता है तो सभी शेयरधारकों को अधिक पैसा मिलता है, दूसरी तरफ यदि कंपनी को नुकसान होता है तो शेयरधारकों को नुकसान का वहन करना पड़ता है।
शेयरधारकों की इक्विटी की गणना (Calculation of Stakeholders equity)
शेयर होल्डर्स के इक्विटी की गणना करने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है।
Shareholders’ Equity = Total assets – Total Liabilities
सरल शब्दों में कहा जाए तो शेयर होल्डर की इक्विटी ज्ञात करने के लिए कंपनी के पूरी संपत्ति में से पूरे लायबिलिटीज को घटा दिया जाता है।
स्टेकहोल्डर्स की इक्विटी को कंपनी के अंतिम खाते में लायबिलीटीज की तरफ दर्शाया जाता है।
प्रेफरेंस इक्विटी (Preference Equity)
प्रेफरेंस इक्विटी में कंपनी शेयरधारकों को शेयर के बदले डिविडेंड प्रदान करती है। इसमें कंपनी शेयरधारकों को लाभ प्रदान करने के साथ-साथ हर साल ब्याज भी प्रदान करती है। प्रेफरेंस इक्विटी का यह लाभ होता है कि यदि इसमें कंपनी को मुनाफा नही हुआ तो भी इन शेयरधारकों को ब्याज जरूर प्राप्त होता है।
इक्विटी शेयरों के लाभ (Profit of Equity Share)
इक्विटी शेयर खरीदने पर आपको क्या-क्या लाभ प्राप्त हो सकते हैं इस बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
अधिक रिटर्न –
इक्विटी शेयर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें कंपनी को जितना फायदा होता है उतना ही फायदा आपको भी होता है। यदि आपने किसी बड़ी कंपनी के शेयरों में निवेश किया है तो आपको उस इक्विटी के बदले अधिक रिटर्न भी प्राप्त होगा।
निवेश करना आसान –
इक्विटी शेयर में निवेश करना आसान होता है। शेयर में निवेश करने के लिए आपको केवल एक डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है। आप अपने मोबाइल के द्वारा ही डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं और इक्विटी शेयर में निवेश कर सकते हैं।
निवेश में परिवर्तन
इक्विटी शेयर के माध्यम से आप अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और उस मुनाफे के साथ आप अन्य और जगहों पर निवेश कर सकते हैं जिससे आपको अधिक रिटर्न भी प्राप्त होगा। निवेश में परिवर्तन करने से आपका पोर्टफोलियो भी मजबूत होगा।
इक्विटी शेयर के नुकसान (Losses of Equity Share)
इक्विटी शेयर से यदि अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है तो इससे कुछ नुकसान भी हो सकता है जो इस प्रकार हैं-
शेयर मार्केट में हमेशा अस्थिरता बनी रहती है। जिसके कारण शेयरधारकों को काफी नुकसान का वहन करना पड़ता है और उनकी संपत्ति को भी गवाना पड़ता है इसलिए शेयर मार्केट में पूरी जानकारी के साथ ही निवेश करना चाहिए।
जैसा हमने आपको बताया कि यदि कंपनी को अधिक लाभ प्राप्त होता है तो इक्विटी शेयर धारकों को भी अधिक लाभ मिलता है लेकिन उसी जगह अगर कंपनी को नुकसान होता है तो इक्विटी शेयर धारकों को नुकसान का भी वहन करना पड़ता है।
इक्विटी शेयर धारकों को कभी-कभी लिक्विडिटी रिस्क भी झेलना पड़ता है। लिक्विडिटी रिस्क में शेयरधारकों को अपना शेयर कम दाम में बेचना पड़ जाता है जिससे उनको नुकसान होता है।
यदि कोई कंपनी बढ़ते हुए महंगाई के साथ अपनी कंपनी को नहीं बढ़ा पा रही है तो ऐसे में भी इक्विटी शेयर धारकों को नुकसान का वहन करना पड़ता है।
इक्विटी मार्केट क्या होता है? (What is equity market?)
जैसा कि आप जानते हैं जब कोई कंपनी बाजार में अपने शेयर जारी करती है तो उन शेयर को इक्विटी कहा जाता है। उस तरह यह इक्विटी का लेनदेन जिस बाजार में होता है उसे इक्विटी मार्केट कहते हैं। इक्विटी मार्केट को स्टॉक मार्केट तथा शेयर मार्केट भी कहा जाता है।
इक्विटी ट्रेडिंग किसे कहते हैं? (What is Equity on trading?)
किसी कंपनी के शेयर को खरीदने एवं बेचने की प्रक्रिया की इक्विटी ट्रेडिंग कहलाती है। इक्विटी ट्रेडिंग को इक्विटी व्यापार भी कहा जाता है।
इक्विटी से लाभ कैसे प्राप्त होता है? (How to get profit from Equity?)
यह तो आप जानते ही हैं कि जब भी आप किसी कंपनी का इक्विटी या शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक बन जाते हैं। अब जैसे-जैसे कंपनी को लाभ प्राप्त होता है वैसे वैसे आपको भी उस इक्विटी से लाभ प्राप्त होता जाता है।
उदाहरण के लिए, आपने रिलायंस कंपनी का शेयर खरीदा अब आप रिलायंस कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक बन गए हैं। यदि रिलायंस कंपनी को मुनाफा होता है तो उस मुनाफे का कुछ हिस्सा आपको भी मिलेगा। यदि आपकी रिलायंस कंपनी में 2% हिस्सेदारी इक्विटी शेयर के प्रकार होगी तो आपको कुल मुनाफे का 2% प्राप्त होगा।
इसी प्रकार से इक्विटी से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion) – Equity meaning in hindi
आज के इस लेख में हमने आपको equity meaning in hindi business के बारे में जानकारी दी। उम्मीद करते हैं कि आपको इक्विटी से संबंधित सभी जानकारियां मिल पाई होंगी यदि आपके मन में इससे संबंधित कोई प्रश्न है तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते है।
YES Bank की हिस्सेदारी लेने से मालामाल हुए बैंक, शेयर में उछाल से निवेश हुआ 6 गुना
बीते तीन कारोबारी दिन में येस बैंक के शेयर में 100 फीसदी से भी अधिक बढ़त दर्ज की गई है. सात निजी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं तथा सार्वजनिक क्षेत्र के तहत आने वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 10 रुपये मूल्य पर येस बैंक के 1,000 करोड़ शेयर खरीदकर बैंक में 10,000 करोड़ रुपये डाले थे. मंगलवार को येस बैंक का शेयर 58.65 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 18 मार्च 2020,
- (अपडेटेड 18 मार्च 2020, 8:22 AM IST)
- पिछले तीन कारोबारी दिन में येस बैंक के शेयर में 100 फीसदी का उछाल
- इसकी वजह से इसमें निवेश करने वाले वित्तीय संस्थाएं मालामाल हो गईं
- मंगलवार को येस बैंक का शेयर 58.65 रुपये पर बंद हुआ था
नकदी के संकट से जूझ रहे YES Bank में अब तक इक्विटी खरीदने वाले घरेलू वित्तीय संस्थानों को प्राइवेट बैंक की रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम के तहत जबर्दस्त फायदा हुआ है.
गौरतलब है कि सात निजी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं तथा सार्वजनिक क्षेत्र के तहत आने वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 10 रुपये मूल्य (दो रुपये अंकित मूल्य और आठ रुपये प्रीमियम) पर येस बैंक के 1,000 करोड़ शेयर खरीदकर बैंक में 10,000 करोड़ रुपये डाले थे. मंगलवार को बैंक का शेयर 58.65 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ.
अगर निवेशक इन शेयरों का एक अंश बेचते हैं तो उनको तकरीबन छह गुना अधिक रिटर्न प्राप्त हो सकता है.
इन वित्तीय संस्थाओं ने खरीदे हैं शेयर
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, आईसीआईसीआई बैंक और हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी) ने येस बैक में एक-एक हजार करोड़ रुपये के 100-100 करोड़ शेयर खरीदे हैं.अगर ये बैंक अपने निवेश का 25 फीसदी अर्थात 25 करोड़ शेयर भी बेचते हैं तो प्रत्येक को येस बैंक के शेयर के वर्तमान मूल्य पर करीब 1,500 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे. इस प्रकार न सिर्फ उनको पूरी निवेश राशि की वसूली होगी, बल्कि अच्छा मुनाफा भी मिलेगा.
इसी प्रकार अन्य बैंकों को भी उनके शेयर का महज एक हिस्सा बेचने से उनके निवेश से कई गुना ज्यादा लाभ मिल सकता है. बता दें कि एसबीआई की अगुवाई में 8 बैंकों और वित्तीय संस्थाओं ने बैंक की आधार पूंजी मजबूत करने को लेकर करीब 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. येस बैंक में निवेश को लेकर एसबीआई की अगुवाई वाले समूह में आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी लि., एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, बंधन बैंक, फेडरल बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट भी शामिल हुए हैं.
तीन दिन में 100 फीसदी की बढ़त
बीते तीन कारोबारी दिन में येस बैंक के शेयर में 100 फीसदी से भी अधिक बढ़त दर्ज की गई है. येस बैंक के शेयर में ये तेजी ऐसे समय में आई है जब कोरोना वायरस के संकट की वजह से भारतीय स्टॉक एक्सचेंज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं.
सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन येस बैंक के शेयर में करीब 60 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई. येस बैंक के शेयर 58 रुपये के भाव पर पहुंच गए. इससे पहले सोमवार और शुक्रवार को भी येस बैंक के शेयर में तेजी देखने को मिली थी. बैंक इक्विटी शेयर के प्रकार के इतिहास में शेयर ने ऐसी बढ़त नहीं देखी गई थी.
मूडीज ने बढ़ाई रेटिंग
कर्ज में डूबे येस बैंक के लिए रेटिंग एजेंसी मूडीज की ओर से अच्छी खबर आई है. दरअसल, मूडीज ने येस बैंक के आउटलुक को पॉजिटिव करते हुए उसकी साख को बेहतर किया है. आरबीआई की पुनर्गठन योजना के तहत पूंजी स्थिति में तेजी के साथ सुधार को देखते हुए रेटिंग एजेंसी ने यह कदम उठाया है.
जानिए शेयर मार्केट से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें, जो बढ़ाएगी शेयर में आपकी दिलचस्पी
मुंबई. अर्थव्यवस्था सी जुड़ी बातें अक्सर हमें जटिल लगती हैं। उसे समझने में काफी दिक्कत होती है। आइए हम आपको शेयर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बाताते हैं। ये जानकारियां आपको शेयर मार्केट से जोड़ने में मदद करेंगी
इक्विटी शेयर क्या है?
इक्विटी शेयर को आम बोलचाल में शेयर या स्टॉक भी कहा जाता है। इससे किसी कंपनी में अमुक अंश की हिस्सेदारी व्यक्त होती है। इक्विटी शेयरधारक कंपनी के नफे-नुकसान में, अपने शेयरों की संख्या के अनुपात में व्यवसायिक हिस्सेदार होता है। इसके धारक को कंपनी के सदस्य का दर्जा प्राप्त होने के साथ कंपनी के प्रस्तावों पर अपना विचार व्यक्त करने और वोट देने का अधिकार प्राप्त है।
जब कोई कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को उनकी अंशधरिता के अनुपात में नई शेयर देने की पेशकश करती है तो इसे राइट्स इश्यू या राइट्स शेयर कहा जाता है। शेयरधारकों को राइट शेयर खरीने का अधिकार मिलता है। लेकिन यह उसकी इच्छा पर निर्भर है कि वह इसका उपयोग करे या न करे। राइट्स इश्यू में कंपनी अन्य प्रतिभूतियां भी जारी कर सकती है।
इक्विटी शेयरधारक कंपनी के हिस्सेदार ही कहलाते हैं। इसलिए इन्हें कंपनी के वित्तीय परिणाम और आर्थिक स्थिति को जानने का अधिकार है। इसके लिए उसे प्रतिवर्ष सम्पूर्ण विवरण सहित बेलेंसशीट और वार्षिक रिपोर्ट प्राप्त करने का अधिकार है। कंपनी को अपने मुख्य कारोबार के दैनिक कामकाज के विवरण को छोडकर, किसी भी नीति को बदलने, नए शेयर जारी करने और अन्य महत्वपूर्ण कामों के लिए शेयरधारकों की अनुमति लेनी पडती है। इसके लिए साल में कम से कम एक बार वार्षिक सभा करनी आवश्यक है जिसमें निदेशक बोर्ड की बैठकों में पारित प्रस्ताव रखने पड़ते हैं। वार्षिक सभा की सूचना के साथ इन प्रस्तावों की प्रति भी इक्विटी शेयर के प्रकार शेयरधारकों को इस तरह भेजनी होती है ताकि वह उन्हें वार्षिक सभा से पहले मिल जाए। शेयरधारकों को इन प्रस्तावों के पक्ष या विपक्ष में अपने विचार रखने व वोट देने का अधिकार है। कंपनी की लेखा पुस्तकों या अन्य जरूरी दस्तावेजों को जांचने का अधिकार भी शेयरधारकों को है।
कंपनी अपने वार्षिक लाभ को सम्पूर्ण रूप से लाभांश या डिविडेंड के रूप में वितरित नहीं करती है। इसका कुछ हिस्सा वह संचय खाते में जमा करती जाती है जो कुछ इक्विटी शेयर के प्रकार वर्षों में एक बड़ी राशि बन जाती है। कंपनी अपनी भावी विकास योजना या अन्य योजनाओं के लिए इस राशि को पूंजी खाते में हस्तांतरित करने के लिए इतनी ही राशि के शेयर बतौर बोनस अपने मौजूदा अंशधारकों को अनुपातिक आधार परे दे देती है। इन शेयरों के लिए शेयरधारकों से कोई मूल्य नहीं लिया जाता।
इस प्रकार के शेयर रखनेवाले शेयरधारकों को प्रतिवर्ष पूर्व निर्धारित दर से लाभांश दिया जाता है। यह लाभांश कंपनी के लाभ में से दिया जाता है। लेकिन इसका भुगतान इक्विटी शेयरधारकों को लाभांश देने से पहले किया जाता है। यदि कंपनी का दिवाला निकलता है तो प्रेफरेंस शेयरधारक को उसका हिस्सा इक्विटी शेयरधारकों से पहले, लेकिन बॉण्ड होल्डरों, डिबेंचरधारकों जैसे लेनदारों को चुकाने के बाद, मिलने का अधिकार है।
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नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, शेयर मार्केट से जुड़ी और कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां-
Share Capital in Hindi | शेयर कैपिटल क्या है ?
शेयर कैपिटल क्या है ? और इसके प्रकार कौनसे होते है ? , Authorized Capital और Paid-up Capital क्या होता है ?
अगर आप इन सभी सवालो के जवाब ढूंढ़ रहे है, तो आप सही जगह पर आए है। आज हम इन सभी सवालो के जवाब जानेंगे।
Table of Contents
Share Capital in Hindi (शेयर कैपिटल क्या है ?) :
दोस्तों आप यह तो जानते होंगे की कंपनिया अपने विकास के लिए जरुरी पैसे जुटाने के लिए शेयर बेचती है।
यह शेयर, कंपनिया अपनी face value जितने दाम या फिर इस से ज्यादा दाम पर शेयर बेचती है।
Face Value वह कीमत होती है जो की कंपनी के किसी भी शेयर प्रमाणपत्र में लिखी होती है।
यह वैल्यू कंपनी के निर्माण के वक्त निश्चित की जाती है।
Share Capital वह पैसा है जो की कंपनी अपने शेयर बेचकर जुटाती है।
Share Capital के दो प्रकार कंपनी किस तरह के शेयर जारी करती है उस पर से है।
1) Preferred Share Capital in Hindi :
जो पैसा कंपनी अपने Preferred Share बेचकर जुटाती है उसे Preferred Share Capital कहते है।
2) Equity Share Capital in Hindi :
Equity Share Capital वह पैसा है जो की कंपनी अपने Equity या Normal share, Face Value पर बेचकर जुटाती है।
हम यह भी कह सकते है की जो Share Capital, Preferred Share Capital नहीं है वह Equity Share Capital है।
उदाहरण :
ABC कंपनी की Face Value ₹10 है। वह अपने 10 लाख शेयर, बाज़ार में IPO के द्वारा ₹50 में बेचती है।
आप यह सोच रहे होंगे की कंपनी ₹10 के बदले में ₹50 क्यू ले रही है ?
इस ₹50 में से ₹10 तो इस कंपनी की Face Value है, और बाकी के ₹ 40 रूपए कंपनी प्रीमियम ले रही है।
यह प्रीमियम कंपनी अपनी आर्थिक स्थिति अच्छी होने की वजह से लेती है।
इस प्रीमियम को भी कंपनी के विकास के काम के लिए रखा जाता है।
IPO के जरिए कंपनी के पास आने वाला पैसा 5 करोड़ (10 लाख x ₹ 50) होगा।
इस 5 करोड़ में से 1 करोड़ (10 लाख x ₹ 10 (Face Value)) Equity Share Capital कहलाया जाएगा।
और बाकि के 4 करोड़ (10 लाख x ₹ 40) कंपनी का Reserve कहलाया जाएगा।
Equity और Preferred Share Capital तो शेयर के प्रकार के अनुसार Share Capital के प्रकार है।
Share Capital के और भी बहुत से प्रकार है।
1) Authorized or Nominal Share Capital in Hindi :
Authorized या Nominal Share Capital वह राशि है, जितनी राशि किसी भी कंपनी को अपनी पूरी जिंदगी में जूटाने की अनुमति है।
इस से ज्यादा राशि जुटाने के लिए उसे सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है।
यह लिमिट कंपनी के निर्माण के वक्त ही तय हो जाती है।
उदाहरण: कंपनी XYZ की Authorized Share Capital 50 लाख है।
जिसका मतलब है की कंपनी अपने जीवन काल में अधिकतम 50 लाख ही जुटा सकती है।
2) Issued and Unissued Share Capital in Hindi :
Issued Capital, Authorized Capital का वह हिस्सा होता है, जितने हिस्से के शेयर कंपनी Issue करती है।
अधिकतर कंपनिया अपनी Authorized Share Capital जितनी राशि इक्विटी शेयर के प्रकार एक बार में नहीं जुटाती।
बल्की कुछ हिस्सा भविष्य में नए आने वाले शेयर धारको के लिए रखती है।
उस हिस्से को Unissued Share Capital कहते है।
उदाहरण :
कंपनी XYZ जिसकी Authorized Share Capital 50 इक्विटी शेयर के प्रकार लाख रूपए है।
वह IPO के समय अगर सिर्फ 25 लाख के शेयर ही बेचने के लिए जारी करे तो उस 25 लाख को Issued Share Capital कहते है।
बाकि बचे Authorized Share Capital के हिस्से (25 लाख) को Unissued Share Capital कहते है।
3) Subscribed Capital and Unsubscribed Share Capital in Hindi:
कोई कंपनी जितने भी शेयर जारी करती है, उतने ही शेयर खरीदने के लिए लोग आवेदन करे वह जरुरी नहीं है।
यह भी हो सकता है की कंपनी ने जारी किए शेयर को खरीदने के लिए बहुत क़म या बहुत ज़्यादा आवेदन आए।
उदहारण : अगर कंपनी XYZ ने ₹ 10 प्रति शेयर के हिसाब से 2 लाख 50 हजार शेयर जारी किए है।
और सिर्फ 1 लाख 50 हज़ार शेयर खरीदने के लिए आवेदन किए गए है, तो 1.5 लाख x ₹ 10 ऐसे
₹ 15 रूपए को Subscribed Share Capital कहा जाएगा।
बाकि के ₹ 10 लाख को Unsubscribed Capital कहेंगे।
4) Called-up and Uncalled Share Capital in Hindi :
Called-up Capital यानि वह राशि जो कंपनी शेयर बेचते वक्त शेयर खरीदने वालो से मंगवाए।
अधिकतर कंपनिया IPO के वक्त ही शेयर खरीदने वालो से पूरा पैसा मंगवा लेती है।
लेकिन कई कंपनिया जारी किए गए शेयर के पैसे कुछ हिस्सों में मंगवाती है।
जैसेकि कुछ हिस्सा आवेदन के वक्त कुछ हिस्सा शेयर जमा करने के वक्त।और कुछ हिस्सा फर्स्ट कॉल पर और कुछ हिस्सा फ़ाइनल कॉल पर।
शेयर के इक्विटी शेयर के प्रकार दाम में से जितना पैसा कंपनी अपने पास मंगवाए उतने हिस्से को Called-up Share Capital कहते है।
और बाकि के हिस्से को Uncalled Share Capital कहते है।
उदहारण : जैसे की अगर कंपनी XYZ ने ₹ 10 के इक्विटी शेयर के प्रकार बदले शेयर धारको से आवेदन करते वक्त ₹ 3 और ₹ 3 शेयर अलॉट करते वक्त।
तो (₹ 6 x 1 लाख 50 हज़ार) ₹ 9 लाख को Called-up Share Capital कहते है।
और बाकि बचे ₹ 6 लाख को Uncalled कहते है।
5) Paid-up and Unpaid-up Share Capital in Hindi :
अगर Called-up capital जितनी पूरी राशि कंपनी को मिल जाए तो Called-up Share Capital को ही Paid-up Capital कहते है।
लेकिन कुछ स्थिति में पूरी राशि कंपनी के पास नहीं आई होती।
तो जितनी राशी कंपनी के पास आ गई हो उसे Paid-up Capital कहते है।
जितनी राशी कंपनी के पास आनी बाकि है उसे Unpaid Share Capital कहते है।
उदाहरण: अगर कंपनी XYZ का Called-up Share Capital 9 लाख है।
अगर पूरी राशि (₹ 9 लाख) कंपनी के पास आ जाए तो उसे Paid-up Capital कहते है।
यदि कंपनी के पास 10 हजार शेयर के पैसे आने बाकि है तो (₹ 8.4 लाख) ₹ 6 x 1.4 लाख उसे Paid-up Capital कहेंगे।
और बाकि के 60 हज़ार को Unpaid Share Capital कहेंगे।
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