मौद्रिक नीति के घटक

पात्र ने भारतीय स्टेट बैंक के बैंकिंग एंड इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में कहा, ‘एक विशाल सामग्री मौजूद है जिससे आखिरी फैसले होने है। वह मौद्रिक नीति निर्णय है। मैं एक कदम पीछे हटने जा रहा हूं और उस फैसले पर आने के लिए समिति के सदस्यों के सोचने और विचार-विमर्श करने के तरीके का पता लगाने जा रहा हूं।’
भारत में मौद्रिक नीति - monetary policy in india
मौद्रिक नीति की एक मौद्रिक नीति ढाँचे के अन्तर्गत लागू किया जाता है। इस ढाँचे में निम्नलिखित घटक शामिल हैं: (अ) मौद्रिक नीति के उद्देश्य, (ब) मौद्रिक नीति के विश्लेषण (जो पारेषण यान्त्रिकी ) पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, तथा (स) परिचालनात्मक प्रक्रिया (परिचालनात्मक लक्ष्य एवं उपकरण)। इस खण्ड में, भारतीय संदर्भ में इन्हीं पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
मौद्रिक नीति के उद्देश्य
कीमत स्थिरता (या मुद्रास्फीति नियन्त्रण) एवं आर्थिक संवृद्धि को बनाए रखना ही सारे विश्व में केन्द्रीय बैंकों द्वारा सामान्तया अपनाए जाने वाले उद्देश्य हैं। नब्बे के दशक में अनेक देश (ब्राजीज,
मेक्सिको, अर्जेन्टाइना, द. कोरिया एवं दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में विशेष रूप से) उपजे बड़े पैमाने के वित्तीय संकट को देखते हुए वित्तीय स्थिरता प्राप्त करने के लिए ऐसे संकटों से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की रक्षा करना तथा यथासम्भव ऐसे संकटों के दुष्प्रभावों को अन्य अर्थव्यवस्थाओं में न होने देना मौद्रिक नीति का एक अतिरिक्त उद्देश्य हो गया तथापि, इन समस्त उद्देश्यों को एक साथ प्राप्त कर पाना प्रायः सम्भव नहीं हो पाता। ऐसा इसलिए कि मौद्रिक नीति उद्देश्य आपस में निकटता के साथ सम्बन्धित है। उदाहरण के तौर पर, मुद्रा स्फीति और बेरोजगारी के बीच संघर्ष की स्थिति रहती है- ऊँची बेरोजगारी कीमत पर मुद्रा स्फीति में कमी लायी जा सकती है।
मौद्रिक नीति (Monetary Policy and It’s Tools) – Competitive Economics
“मौद्रिक नीति (Monetary Policy and It’s Tools)” is important topic for all competitive exams like CET, SSC CGL, RRB NTPC, UPSC etc. In these exams, almost 4-5 questions are coming from Economics. Let’s start Economics topic: मौद्रिक नीति (Monetary Policy and It’s Tools).
मौद्रिक नीति (Monetary Policy and It’s Tools)
मौद्रिक नीति (Monetary Policy) क्या होती है?
मौद्रिक नीति वह साधन है जिससे किसी भी राष्ट्र मौद्रिक नीति के घटक का केंद्रीय बैंक विभिन्न उपकरणों जैसे:- कैश रिजर्व रेश्यो (CRR), वैधानिक तरलता अनुपात (SLR- Statutory liquidity ratio), बैंक दर, रेपो दर, रिवर्स रेपो दर आदि का उपयोग करके मुद्रा और ऋण की उपलब्धता पर नियंत्रण स्थापित करता मौद्रिक नीति के घटक है।
- किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए मुद्रा पर उपयुक्त नियंत्रण रखना अति आवश्यक होता है।
- भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति से अर्थव्यवस्था में मुद्रा के संकुचन एवं प्रसार को नियंत्रित करता है।
- भारत में मौद्रिक नीति को MPC (Monetary Policy Committee) द्वारा प्रत्येक 2 माह में बनाया जाता है।
- मौद्रिक नीति (Monetary Policy ) बनाने वाली इस MPC में 6 सदस्य होते हैं तथा इसकी अध्यक्षता रिजर्व बैंक का गवर्नर करता मौद्रिक नीति के घटक है।
मौद्रिक नीति के उद्देश्य (Objectives of Monetary Policy):– मौद्रिक नीति के घटक
- वित्तीय/मूल्य स्थिरता:
- मूल्य स्थिरता का सामान्य अर्थ है- बाजार में उत्पादों के मूल्य में तेज गिरावट या बढ़ोतरी को रोकना।
- यदि किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा पर नियंत्रण न रखा जाये तो उस अर्थव्यवस्था में स्थिरता समाप्त हो जाएगी। उदाहरण के लिए यदि अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा बढ़ जाए तो लोगों के पास क्रय शक्ति बढ़ जाएगी जिससे की उत्पादों के दाम बढ़ने लगेंगे और मुद्रास्फीति प्रभावित होगी।
- अतः मौद्रिक नीति से केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मूल्य स्थिरता बनाए रखता है।
- विनिमयन दर में स्थायित्व से अभिप्राय भारतीय मुद्रा की विदेशी मुद्रा से तुलनात्मक मूल्य से है।
- यदि विनिमयन दर पर नियंत्रण न रखा जाए तो भारतीय मुद्रा का मूल्य अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गिर सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था दुष्प्रभावित होगी।
मौद्रिक नीति के घटक
भारत एक विकासशील देश है जो 2030 तक मध्यम आय वाला देश बनने का इच्छुक है। संपदा सृजन और जन कल्याण हमारे दो प्रमुख लक्ष्य हैं। कांग्रेस का आर्थिक दर्शन एक खुली और उदार अर्थव्यवस्था, धन का सृजन, सतत् विकास, असमानताओं में कमी तथा सभी लोगों के कल्याण पर आधारित है। इस तरह की वृद्धि निजी क्षेत्र कार्य कुशल सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा सामाजिक सुरक्षा की प्रणाली को रेखांकित करके ही आयेगी।
हमारी अर्थव्यवस्था अभी भी अत्यधिक नियमों में जकड़ी हुई है, संरचनात्मक समस्यायें बरकरार हैं। सरकारी नियंत्रण और नौकरशाही का हस्तक्षेप बहुत अधिक है। नियमों ने नियंत्रक का रूप ले रखा है। आर्थिक नीतियों में न्यायालयों का हस्तक्षेप बढ़ रहा है। भाजपा सरकार ने सुधारों के पहिए को उल्टी दिशा में मोड़ दिया है। कांग्रेस इन विकृतियों में सुधार करने, उन्हें पूर्ववत् करने और एक खुली और उदार बाजार अर्थव्यवस्था बहाल करने का वादा करती है।
जल्द ही महंगाई राहत मिलने के आसार
मौद्रिक नीति समिति की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अभी ऊंची बनी हुई है, लेकिन कीमतों को मापे जाने वाले कुछ अंतर्निहित मौद्रिक नीति के घटक घटकों के अध्ययन से संकेत मिलता है कि आगे महंगाई में कमी आ सकती है।
गोयल ने भारतीय स्टेट बैंक के बैंकिंग एवं इकनॉमिक कॉन्क्लेव में संवाददाताओं से कहा, ‘हमने मुख्य मुद्रास्फीति के घटकों को देखा है। इसमें पता चला है कि परिवहन, दूरसंचार जैसे बड़े घटक के दाम में नरमी आ रही है।’
उन्होंने कहा, ‘अगर तेल के दाम से जुड़े घटक में भी नरमी आती है तो मुख्य मुद्रास्फीति में भी कमी आएगी।’ हालांकि उन्होंने स्पष्ट कहा मौद्रिक नीति के घटक कि ये उनके निजी विचार हैं। मुख्य मुद्रास्फीति की गणना बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों और ईंधन के अस्थिर घटकों को अलग करके की जाती है। गोयल कुछ उत्पादों का जिक्र कर रही थीं जिनका तेल की कीमतों से संबंध है। नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि मुख्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में 6.77 प्रतिशत थी, जो एक महीने पहले 7.41 प्रतिशत थी। विश्लेषकों के अनुसार, मुख्य मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत पर थी, जो पिछले महीने से काफी हद तक अपरिवर्तित थी। मुख्य मुद्रास्फीति पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय आंकड़े जारी नहीं करता है।