इक्विटी निवेश

किस तरह के फंड में निवेश?
इक्विटी म्यूचुअल फंड भी अलग-अलग तरह के होते हैं. मसलन लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप फंड. जैसा कि नाम से स्पष्ट है लार्ज कैप फंड में एक्सपोजर लार्ज कैप कंपनियों (मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से एक से 100 नंबर तक की लिस्टेड कंपनियां) में होता इक्विटी निवेश है. उसी तरह मिड कैप फंड में मिड कैप कंपनियों (मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से 101 से 250वें नंबर तक की कंपनियां) में और स्मॉल कैप फंड में एक्सपोजर स्मॉल कैप कंपनियों (मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से 250वें नंबर के बाद की सारी कंपनियां) में होता है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश जुलाई में 43 प्रतिशत घटा
बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बीच इक्विटी म्यूचुअल फंड में जुलाई में 8,898 करोड़ रुपये का निवेश आया है। यह आंकड़ा इससे पिछले महीने की तुलना में 43 प्रतिशत की तेज गिरावट को दर्शाता है। हालांकि, इन योजनाओं में सकारात्मक प्रवाह का यह लगातार 17वां महीना था।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में शुद्ध निवेश जून के मुकाबले कम रहा। जून में 15,495 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। यह आंकड़ा मई में 18,529 करोड़ रुपये और अप्रैल में 15,890 करोड़ रुपये था। मार्च, 2021 से इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश का प्रवाह देखा जा रहा है, जो निवेशकों के बीच सकारात्मक भावना को दर्शाता है। इससे पहले जुलाई, 2020 से फरवरी, 2021 तक इस तरह की योजनाओं में लगातार आठ महीनों के लिए निकासी देखने को मिली थी। इस दौरान इन योजनाओं से कुल 46,791 करोड़ रुपये निकाले गए थे।
Investment Tips: इक्विटी में निवेश की शुरुआत कैसे करें, जानिए इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें?
लांग टर्म में रिटर्न के नजरिए से इक्विटी निवेश का सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है.
अगर आप डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाए हुए हैं तो इक्विटी में आप सीधे (डायरेक्ट) निवेश कर सकते हैं. लेकिन निवेश की शुरुआत में डायरेक्ट निवेश का तरीका बेहतर नहीं है. क्योंकि इसके लिए आपको बाजार की समझ होनी चाहिए.
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इक्विटी निवेश
- News18Hindi
- Last Updated : October 03, 2021, 14:10 IST
Investment Tips: अगर आप लांग टर्म आर्थिक जरूरतों की पूर्ति के लिए फंड जनरेट करना चाहते हैं तो इक्विटी में निवेश जरूर शुरू कर दीजिए. क्योंकि लांग टर्म में रिटर्न के नजरिए से इक्विटी निवेश का सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है. सरकार की छोटी बचत योजनाओं, एफडी व अन्य फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश से हालांकि आपको सुनिश्चित रिटर्न मिलता है. लेकिन इन्फ्लेशन (महंगाई) और टैक्स को माइनस/एडजस्ट करने के बाद यह रिटर्न बेहद कम हो जाता है.
आइए इक्विटी में निवेश शुरू करने से पहले कुछ जरूरी बातों को जानते हैं:
ईपीएफओ इक्विटी निवेश सीमा को 25% तक बढ़ाने पर कर रहा है विचार, जानें- क्यों?
Published: June 7, 2022 10:18 इक्विटी निवेश AM IST
EPFO Investment in Equity: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की त्रिपक्षीय शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की 25-26 जून को बेंगलुरु में बैठक होने वाली है, जिसमें इक्विटी में संगठन के एक्सपोजर को 25% तक बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया जाएगा.
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बता दें, ईपीएफओ 17 लाख करोड़ रुपये के कोष का प्रबंधन करता है और अपने सदस्यों से संबंधित 240 मिलियन से अधिक खातों का रखरखाव करता है. इसे सालाना लगभग 6.5 मिलियन सक्रिय ग्राहकों से लगभग 2.3 ट्रिलियन रुपये मिलते हैं.
अपने निवेश से गिरती आय के मद्देनजर, जिसने ईपीएफओ को 2021-22 के लिए भविष्य निधि जमा पर 8.1% ब्याज के चार दशक से अधिक के निचले स्तर की इक्विटी निवेश घोषणा करने के लिए मजबूर किया. वित्त निवेश और लेखा परीक्षा समिति (FIAC), की एक उप-समिति सीबीटी इक्विटी निवेश ने पिछले महीने अपनी बैठक में ईपीएफ सदस्यों के लिए उच्च रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए इक्विटी में निवेश की सीमा को 5% के दो समान चरणों में बढ़ाने पर चर्चा की.
मौजूदा सीमा को 15% इक्विटी निवेश से 25% तक बढ़ाने के प्रस्ताव पर कर रहा है विचार
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) इक्विटी में अपनी निवेश सीमा को मौजूदा 15% से 25% तक बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. शेयरों में अधिक निवेश का लक्ष्य शीर्ष सेवानिवृत्ति निकाय को लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करने के लिए संघर्ष कर रही ऋण प्रतिभूतियों में निवेश के साथ रिटर्न में कमी को घटाने में मदद करना है.
दो सप्ताह पहले वित्त निवेश और लेखा परीक्षा समिति की बैठक हुई
इस मामले पर चर्चा करने के लिए लगभग दो सप्ताह पहले वित्त निवेश और लेखा परीक्षा समिति की बैठक हुई थी. ईपीएफओ केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की जून के अंतिम सप्ताह में होने वाली बैठक में समिति के प्रस्ताव पर विचार इक्विटी निवेश किया जाएगा. सिफारिश को अंतिम मंजूरी के लिए श्रम और वित्त मंत्रालयों को भेजा जाएगा.
EPFO अधिकारियों ने हाल ही में प्रमुख म्यूचुअल फंडों से की मुलाकात
ईपीएफओ के अधिकारियों ने हाल ही में प्रमुख म्यूचुअल फंडों से मुलाकात की और इक्विटी योजनाओं में संभावित निवेश के रास्ते पर प्रतिक्रिया जुटाई. ईपीएफओ एसबीआई एनएसई -0.06% म्यूचुअल फंड और यूटीआई म्यूचुअल द्वारा संचालित सेंसेक्स और निफ्टी को ट्रैक करने वाले एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के माध्यम से इक्विटी में निवेश करता है. ईपीएफओ सक्रिय रूप से प्रबंधित इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं या सीधे शेयरों में निवेश नहीं करता है.
Equity Fund: अनिश्चितता के माहौल में इक्विटी म्यूचुअल फंड बेहतर, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इस पूरे साल अभी तक के सात महीने में शेयर बाजार पूरी तरह से उतार-चढ़ाव वाला रहा है। निवेशकों को फायदा के बजाय घाटा ही मिला है। हालांकि अभी भी बाजार में अनिश्चितता बने रहने की उम्मीद है। ऐसे में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश का गणित बताती अजीत सिंह की रिपोर्ट।
वेल्थ डायरेक्ट के निदेशक शेखर राय कहते हैं, निवेशक अगर निवेश के दौरान कुछ बुनियादी बातों का पालन करे तो बाजार के उतार-चढ़ाव में वह अच्छा फायदा कमा सकता है। इस समय अनिश्चितता का माहौल है। ऐसे में इक्विटी म्यूचुअल फंड एक बेहतर रणनीति साबित हो सकती है। अमूमन निवेशक बाजार की गिरावट में निवेश बेच देते हैं। जबकि ठीक इसके उलट उनको फैसला लेना चाहिए। बाजार की स्थिति कुछ भी हो, अगर बुनियादी बातों को दरकिनार किया जाता है तो वित्तीय लक्ष्यों तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में अनुशासन के साथ आपको संपत्तियों का विविधीकरण करना चाहिए। यानी 100 रुपये के निवेश को कई जगह पर लगाना चाहिए। इससे आपको न केवल संतुलित मुनाफा होगा, बल्कि स्थिर रिटर्न भी मिलेगा।
विस्तार
इस पूरे साल अभी तक के सात महीने में शेयर बाजार पूरी तरह से उतार-चढ़ाव वाला रहा है। निवेशकों को फायदा के बजाय घाटा ही मिला है। हालांकि अभी भी बाजार में अनिश्चितता बने रहने की उम्मीद है। ऐसे में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश का गणित बताती अजीत इक्विटी निवेश सिंह की रिपोर्ट।
वेल्थ डायरेक्ट के निदेशक शेखर राय कहते हैं, निवेशक अगर निवेश के दौरान कुछ बुनियादी बातों का पालन करे तो बाजार के उतार-चढ़ाव में वह अच्छा फायदा कमा सकता है। इस समय अनिश्चितता का माहौल है। ऐसे में इक्विटी म्यूचुअल फंड एक बेहतर रणनीति साबित हो सकती है। अमूमन निवेशक बाजार की गिरावट में निवेश बेच देते हैं। जबकि ठीक इसके उलट उनको फैसला लेना चाहिए। बाजार की स्थिति कुछ भी हो, अगर बुनियादी बातों को दरकिनार किया जाता है तो वित्तीय लक्ष्यों तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में अनुशासन के साथ आपको संपत्तियों का विविधीकरण करना चाहिए। यानी 100 रुपये के निवेश को कई जगह पर लगाना चाहिए। इससे आपको न केवल संतुलित मुनाफा होगा, बल्कि स्थिर रिटर्न भी मिलेगा।
क्या अतिरिक्त फायदा खतरों की तुलना में सही है
बहस का विषय यह है कि क्या इक्विटी निवेश से मिलने वाला अतिरिक्त फायदा इसके खतरों की तुलना में सही है या नहीं? निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए आपको दोनों हिस्सों से मिलने वाले वार्षिक लाभ का रेट चाहिए। फिक्स्ड इनकम के हिस्से का रिटर्न-रेट पता करना आसान है- ये 6.5 और 7.5 प्रतिशत के बीच होना चाहिए। इक्विटी के मामले में मुश्किल इसलिए होती है, क्योंकि इसके डेटा का विस्तृत विवरण आम लोगों के लिए जारी नहीं किया जाता।
इसका पता करने के लिए मैंने तर्क के आधार पर अंदाजा लगाया और इक्विटी के हिस्से का मोटा-मोटा हिसाब बनाया। वर्ष 2015-2019 में 39,662 करोड़ रुपये, 2019-20 में 31,501 करोड़ रुपये, 2020-21 में 32,070 करोड़ रुपये, 2021-22 में 43,568 करोड़ रुपये और 2022-23 के पहले तीन महीनों में 12,199 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। मान लेते हैं कि इनमें से हर एक अवधि में निवेश, एसआइपी स्टाइल में, हर महीने एक जैसा किया गया होगा। हालांकि, बाद की चार अवधियों के लिए शायद ये आंकड़ा काफी सटीक बैठे। मगर 2015-19 में मासिक निवेश शायद एक बराबर न रहकर बढ़ता गया।
लाभ का सालाना रेट 13.6 प्रतिशत
इन अनुमानों के आधार पर, मैंने एक स्प्रेड-शीट बनाई है जिसका XIRR फंक्शन दिखाता है कि लाभ का सालाना रेट 13.6 प्रतिशत रहा। ये कतई बुरा नहीं है। खासतौर पर फिक्स्ड इनकम वाले हिस्से के कमजोर रिटर्न के मुकाबले। जैसा कि मैंने पहले कहा कि लाभ की असल दर कुछ ज्यादा ही रही होगी। 2015-19 के लिए थोड़ा अलग तरीका अपनाएं (जो असल में हुआ), तो बढ़ते हुए मासिक निवेश की गणना करने पर लाभ का नतीजा एक प्रतिशत ज्यादा ही निकलेगा, जो इस बहस में मेरी बात और साबित ही करता है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को इस आंकड़े की गणना करनी चाहिए और समय-समय पर जारी करते रहना चाहिए। इससे इक्विटी के जोखिम को लेकर जताई जा रही चिंताओं का सही जवाब मिलेगा। पूरे लाभ का आंकड़ा जारी करने से बात नहीं बनेगी। अगर मार्केट तेजी से गिरता है तो पूरा लाभ घट जाएगा। हालांकि, अब से सालाना लाभ का रेट बेहतर ही रहेगा और ईपीएफओ के लाभ में फिक्स्ड इनकम के हिस्से से कहीं ऊपर होगा। इसका सबसे तर्कसंगत नतीजा ये निकाला जा सकता है कि ईपीएफ में इक्विटी का प्रतिशत ज्यादा होना चाहिए।
असल रिस्क इक्विटी के बजाए फिक्स्ड इनकम में
डेटा दिखाता है कि असल रिस्क इक्विटी के बजाए फिक्स्ड इनकम में है। फिक्स्ड इनकम का हिस्सा शायद ही कभी महंगाई के साथ-साथ चल पा रहा है। फिक्स्ड इनकम की आपकी रिटायरमेंट बचत की असल (मंहगाई से एडजस्ट की गई) ग्रोथ बुनियादी तौर पर शून्य है। ये रिटायर होने वालों को असल रिस्क से रूबरू कराता है।
ईपीएफ निवेश दशकों से किए जा रहे हैं। इस लंबे समय के दौरान इक्विटी के रिस्क और रिवार्ड का संतुलन साफ तौर पर इक्विटी के पक्ष में है और फिक्स्ड इनकम के लिए बड़े रूप से नकारात्मक है। अगर आप सिर्फ डेटा देखें तो इक्विटी का अनुपात इक्विटी निवेश बढ़ाना कर्मचारियों की भलाई का सबसे अच्छा तरीका होगा। जितना जल्दी भारतीय बचतकर्ता और रिटायरमेंट की बचत मैनेज करने वाले लोग इसे समझ जाते हैं और इसकी ख़ूबियों को स्वीकार कर लेते हैं, उतना ही ये सबके लिए बेहतर होगा।
(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं, ये उनके विचार हैं।)