एक डॉलर खाता क्या है

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एनआरओ खाता
संयुक्त खाते दो या अधिक एनआरआई और / या पीआईओ द्वारा या किसी निवासी रिश्तेदार (एस) के साथ एनआरआई / पीआईओ द्वारा खोले जा सकते हैं 'पूर्व या उत्तरजीवी' आधार हालांकि, एनआरआई / पीआईओ खाता धारक के जीवन काल के दौरान, निवासी रिश्तेदार खाता संचालित कर सकता है केवल पावर ऑफ अटॉर्नी धारक के रूप में।
खाता खोलना :
- विदेश से धनप्रेषण,
- खाताधारक की अल्पकालिक भेंट के दौरान विदेशी मुद्रा/ नोटों/ यात्री चेकों के आगम,
- ड्राफ्ट/ वैयक्तिक चेकों के आगम,
- उसी व्यक्ति के विद्यमान एफसीएनआर/ एनआरई खातों से अंतरण,
- रूपए में वास्तविक संव्यवहारों को प्रस्तुत करने वाले स्थानीय स्रोतों से निधियाँ,।
- उनके बच्चों की शिक्षा से संबंधित व्यय को पूरा करने के लिए यूएस डॉलर 30,000/- तक प्रति शैक्षणिक वर्ष
- खाताधारक या उसके परिवारजनों के विदेश में चिकित्सा खर्चों को पूरा करने के लिए यूएस डॉलर 1,00,000/-तक
- उनके द्वारा न्यूनतम 10 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए धारित अचल संपत्तियों के विक्रय आगमों को दर्शानेवाला यूएस डॉलर 1,00,000/- प्रति वर्ष तक।
- वर्तमान आय जैसे किराया, लाभांश, पेंशन, ब्याज इत्यादि, लागू करों का निवल।
अनुमत जमा
खाताधारक के भारत में पात्र देयों या अंतरणों या भारत में उसके अस्थायी दौरे के समय खाताधारक द्वारा प्रस्तुत विदेशी मुद्रा नोटों या सामान्य बैंकिंग चैनलों के माध्यम से एक डॉलर खाता क्या है भारत के बाहर से प्राप्त धनप्रेषणों से आय।
- निवेशों के लिए भुगतान सहित सभी स्थानीय भुगतान, भारतीय रिजर्व बैंक के विनियमों के अनुपालन के अध्यधीन।
- प्रयोज्य करों का निवल, भारत में वर्तमान आय का भारत से बाहर विप्रेषण।
Rupee at Record Low: रिकॉर्ड निचले स्तर पर लुढ़का रुपया, एक डॉलर की कीमत बढ़कर हुई 82.88 रुपये
नई दिल्ली: डॉलर के मुकाबले में रुपये (एक डॉलर खाता क्या है Rupee vs Dollar) में गिरावट का दौर बदस्तूर जारी है। रुपया लगातार गिरावट का अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़कर नया रिकॉर्ड बना रहा है। आज एकबार फिर रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। इस गिरावट के साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपया एकबार फिर अबतक के अपने सबसे निचले स्तर (Rupee at Record Low) पर पहुंचा गया है।
आज (3 Novemberber) को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 9 पैसे गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 82.88 रुपए पर खुला है। इससे पहले पिछले कारोबारी दिन बुधवार 2 नवंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 10 पैसे की कमजोरी के साथ 82.79 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर ?
रुपये के कमजोर होने से देश में आयात महंगा हो जाएगा। इससे कारण विदेशों से आने वाली वस्तुओं जैसे- कच्चा तेल, मोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स आदि महंगे हो जाएंगे। अगर रुपया कमजोर होता हैं तो विदेशों में पढ़ना, इलाज कराना और घूमना भी महंगा हो जाएगा।
गौरतलब है कि रुपये की कीमत इसकी डॉलर के तुलना में मांग और आपूर्ति से तय होती है। इसके साथ ही देश के आयात और निर्यात पर भी इसका असर पड़ता है। हर देश अपने विदेशी मुद्रा का भंडार रखता है। इससे वह देश के आयात होने वाले सामानों का भुगतान करता है। हर हफ्ते रिजर्व बैंक एक डॉलर खाता क्या है इससे जुड़े आंकड़े जारी करता है। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति क्या है, और उस दौरान देश में डॉलर की मांग क्या है, इससे भी रुपये की मजबूती या कमजोरी तय होती है।
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अन्य करेंसी के तुलना में डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति ठीक- बोली वित्त मंत्री तो लोग बोले- पड़ोसी के घर खाने में क्या पका है उससे हमें क्या?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो: पीटीआई/ फाइल)
रूपये में ही रही लगातार गिरावट के मुद्दे पर सरकार विपक्ष के निशाने पर है। डॉलर के मुकाबले रूपये अब रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिल रही है। शुक्रवार को 81.09 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंच गया था। पिछले कुछ महीनों में रुपये की कीमत में लगातार गिरावट आई है। इस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि दुनिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कहीं अधिक मजबूती से खड़ा रहा है।
क्या बोलीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री ने कहा कि ‘अगर मुद्राओं की उतार -चढ़ाव वाली मौजूदा स्थिति में किसी एक मुद्रा ने अपनी स्थिति को काफी हद संभाल रखा है तो यह भारतीय रुपया ही है। हमने काफी अच्छी तरह इस स्थिति का सामना किया है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और वित्त मंत्रालय रुपये की स्थिति पर लगातार करीबी नजर रखे हुए हैं। सोशल मीडिया पर लोग वित्त मंत्री के बयान पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
सिंगर विशाल ददलानी ने लिखा कि आसानी से समझने के लिए अनुवाद किया है, “हम रात को दिन कहीं तो भी ये मूर्ख भाजपाई-जनता मान ही लेगी। उन्हे क्या पता? वो तो पहले से जुमलों के आदि हैं।” एक यूजर ने लिखा रुपया क्यों गिर रहा है? इसका जवाब सिर्फ और सिर्फ मोदी जी के पास है। @SanstubKool ने लिखा कि वो दिन कहा गये जब रूपये के साथ पीएम की गरिमा भी गिरती थी?
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Google Ad Grants ऐसे लोगों को आपस में जोड़ता है जो किसी मकसद के लिए काम करते हैं. इसकी मदद से, ज़रूरी शर्तें पूरी करने वाली गैर-लाभकारी संस्थाएं, हर महीने बिना पैसे दिए, खोज नतीजों में 10,000 डॉलर तक के विज्ञापन दिखा सकती हैं.
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क्या Ad Grants खाता और पैसे देकर इस्तेमाल किया जाने वाला स्टैंडर्ड Google Ads खाता एक साथ लिए जा सकते हैं?
हां, स्टैंडर्ड खाता एक बेहतर तरीका है, जिसकी मदद से आप ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंच सकते हैं. साथ ही, रीमार्केटिंग, इमेज वाले विज्ञापन, और वीडियो विज्ञापन जैसी अन्य सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं. आपके खाते एक-दूसरे के लिए समस्या नहीं खड़ी करेंगे, क्योंकि Ad Grants के विज्ञापनों की, पैसे देकर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों के बाद अलग से नीलामी होती है.
हां, Google Ads आपके काम के हिसाब से फ़ायदा पहुंचाता है. अनुदान पाने वाली ऐसी छोटी, स्थानीय संस्थाएं जो जगह के हिसाब से, कीवर्ड और टारगेटिंग का इस्तेमाल करती हैं वे खोज नतीजों में बड़े, राष्ट्रीय संगठनों से ऊपर दिख सकती हैं. साल के आखिरी महीने, जब आम तौर पर लोग ज़्यादा दान करते हैं, तब अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए गैर-लाभकारी संस्थाएं, स्टैंडर्ड Google Ads खाते में निवेश करने पर विचार कर सकती हैं. ऐसा करने से, वे बाकियों से अलग दिखेंगी.
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Google Ad Grants की ज़रूरी शर्तें क्या हैं?
Google Ad Grants का फ़ायदा पाने के लिए ज़रूरी है कि आपका संगठन, गैर-लाभकारी संस्था के तौर पर सभी ज़रूरी शर्तें पूरी करता हो. साथ ही, आपके पास अच्छी क्वालिटी की वेबसाइट हो, जो हमारी वेबसाइट नीति के मुताबिक हो. इसके अलावा, यह भी ज़रूरी है कि आप कार्यक्रम की नीतियों का पालन करते हों.
आपको Ad Grants के कैंपेन के लिए पैसे नहीं चुकाने होते. जब आप कार्यक्रम की ज़रूरी शर्तों को पूरा करते हैं, तो आपके पास हर महीने खोज नतीजों में 10,000 डॉलर तक के विज्ञापन दिखाने का बजट होता है. इसे आप अलग-अलग कैंपेन में इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही, इसके लिए आपको पैसे नहीं देने होते. अगर आप किसी महीने के बजट का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो वह अगले महीने के बजट में नहीं जुड़ता.
जब आप Ad Grants चालू कर लेते हैं, तो विज्ञापनों के लिए आपका बजट, खाते में पहले से लोड होता है. आपको इसके लिए Google से अनुरोध नहीं करना होता.
चालू खाता घाटा बढ़कर 13 अरब डॉलर के हुआ पार
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आर्थिक मोर्चे पर सरकार के समक्ष एक नई चुनौती उभर रही है। व्यापार घाटा बढ़ने की वजह से चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में चालू खाता घाटा बढ़कर 13.5 अरब डॉलर (87,000 करोड़ रुपए) हो गया है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का दो फीसद है। चालू खाता घाटा पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आठ अरब डालर (जीडीपी का 1.4 फीसद) था। चिंताजनक तथ्य यह है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) में भी गिरावट आई है।
चालू खाते का आशय देश में विदेशी मुद्रा की कुल आय और व्यय से है। आय से ज्यादा व्यय होने पर चालू खाता घाटा हो जाता है। रिजर्व बैंक के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में चालू खाता घाटा मात्र 7.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.1 फीसद था। आरबीआई के अनुसार तीसरी तिमाही में निर्यात के मुकाबले आयात अधिक रहने की वजह से व्यापार घाटा बढ़कर 44.1 अरब डॉलर हो गया है, इसी के चलते चालू खाता घाटा बढ़ा है।