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मुख्य क्रिप्टोकरेंसी

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जमीन घोटाले मुख्य क्रिप्टोकरेंसी मामले में मेव समाज का बड़ा आरोप, मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह के बयान को बताया झूठा

अलवर। जिले के चमेली बाग स्थित कब्रिस्तान की जमीन के विवाद मामले में आज मेव समाज ने विरोध के तौर पर काले झंडे लगाकर बाइक रैली निकाली। मेव समाज ने मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह आज कहा है कि कांग्रेस नेता यह कह रहे हैं कि यह मामला हमारे संज्ञान में नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सभी झूठ बोल रहे हैं। जबकि उनके संज्ञान में पहले ही इस मामले को ला दिया गया था।

मेव समाज की यह रैली जेल चौराहा अंबेडकर सर्किल, नंगली सर्किल सहित शहर के मुख्य मार्गों से होती हुई मालाखेड़ा पहुंची। इस रैली का मुख्य मकसद कब्रिस्तान की बहाली है और कांग्रेसी नेताओं का विरोध करना है। कांग्रेस के नेता गफूर खान ने बताया कि कब्रिस्तान के मामले में भले ही सरकार ने 2 अधिकारियों को निलंबित कर दिया हो। लेकिन अभी तक वह कब्रिस्तान मुख्य क्रिप्टोकरेंसी की जमीन कब्रिस्तान के नाम नहीं हुई है। जिनके नाम डीक्री की गई थी, उन्हीं के नाम वह जमीन है। उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर आज काला झंडा लगाकर विरोध प्रदर्शन किया और वाहन रैली निकाली। इस वाहन रैली का मुख्य उद्देश्य हमारी मांगे मानना और मंत्री को हमारी भावनाओं से आभास कराना है।

झूठा है मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह का बयान

इधर मैनेजर शफात खान ने बताया कि बीते शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में भंवर जितेंद्र सिंह ने यह कहा था कि हमारे संज्ञान में नहीं है। उन्होंने कहा कि मंत्री झूठ बोल रहे हैं। नवंबर महीने में भी हमने इस संबंध में ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा था। कैबिनेट मंत्री टीकाराम जूली से कहा और मेवात विकास बोर्ड के अध्यक्ष जुबेर खान से भी दो दो-तीन घंटे बात हुई हैं। तो ऐसे में उनका यह बयान आश्चर्य से भरा है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि अब आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी और पूरी तरह विरोध किया जाएगा।

गौरतलब है कि कैबिनेट मंत्री टीकाराम जूली के करीबी उमरैण के पूर्व प्रधान शिव लाल गुर्जर के बेटे राजेश के नाम कब्रिस्तान की करीब 8 बीघा जमीन को अपने नाम करा ली गई थी। यह मामला खुलते ही राज्य सरकार ने अलवर के एसडीएम और तहसीलदार को निलंबित कर दिया था।

क्‍या क्रिप्‍टोकरेंसी को देश में कानूनी मान्‍यता मिल चुकी है, यहां जानिये इससे जुड़े सवालों के जवाब

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Cryptocurrency: इस साल क्रिप्टोकरेंसी के भारत में लीगल टेंडर यानी वैधानिक होने की खूब चर्चाएं थीं। सभी कारोबारी व निवेशक यह जानना चाह रहे थे कि सरकार इस पर मुहर लगाती है या नहीं। इसके चलते आम बजट पर सभी की निगाहें थीं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आभासी संपत्तियों पर कर लगाने के प्रस्ताव ने भारत मुख्य क्रिप्टोकरेंसी में क्रिप्टोकरेंसी की वैधता पर बहस छेड़ दी है। जबकि कई लोगों मुख्य क्रिप्टोकरेंसी ने डिजिटल मुद्राओं पर कर लगाने के निर्णय का स्वागत किया है, यह सोचकर कि यह आभासी मुद्राओं को पहचानने का पहला कदम है, सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या भारत में बिटकॉइन जैसी मुद्राओं को कानूनी निविदा माना जा सकता है। आखिर सरकार ने इस विषय पर अपना पक्ष भी स्‍पष्‍ट कर दिया था। गत 1 फरवरी को पेश केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस करेंसी से होने वाली आय पर सरकार कर जरूर लगाएगी लेकिन इसे देश में लीगल टेंडर किया जाना अभी तय नहीं है। हालांकि सरकार ने यह भी साफ कहा था कि इस पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसके साथ ही मुख्य क्रिप्टोकरेंसी सरकार ने इस आभासी डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने का भी प्रस्ताव रखा था। जानिये इसके बारे में कुछ खास बातें।

भारत में हुई खुदरा डिजिटल करेंसी की शुरुआत, पहले दिन ही हुआ करोड़ों का लेनदेन, जानें कैसे होगा “ई-रुपया” का इस्तेमाल

Digital Currency: भारत में पहली बार डिजिटल करेंसी का सफलतापूर्वक पायलट मुख्य क्रिप्टोकरेंसी मुख्य क्रिप्टोकरेंसी परीक्षण किया गया है। जिसके बाद देश के 4 शहरों में खुदरा डिजिटल रुपया भी लॉन्च कर दिया गया। इस लिस्ट में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन शहरों में मौजूद कुछ चुनिंदा बैंकों की तरफ से करीब 1.71 करोड़ रुपये के डिजिटल रुपये की मांग की गई थी, जिसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ई-रुपये को जारी किया।

कुछ अधिकारियों के मुताबिक बढ़ती जरूरतों के साथ ई-रुपये की रकम में भी वृद्धि हो सकती है। बता दें की 1 नवंबर को आरबीआई ने थोक इस्तेमाल के लिए भारत के पहले डिजिटल रुपये को लॉन्च किया था। जिसके एक महीने बाद ही सेंट्रल बैंक ने खुदरा ई-रुपया का परीक्षण भी शुरू कर दिया है। फिलहाल, देश में क्रिप्टोकरेंसी और यूपीआई समेत कई डिजिटल प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध है। जिसके कारण कई लोगों को ई-रुपया के इस्तेमाल को लेकर कन्फ़्युजन भी हो रही है।

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यह भी पढ़ें | लिव इन में कपल को हासिल मुख्य क्रिप्टोकरेंसी हैं कौन-कौन से अधिकार? रहने से पहले जरूर जान लें ये बातें

क्या है डिजिटल रुपया?
सबसे पहले तो हमें ये समझना होगा कि डिजिटल रुपया क्या है? डिजिटल रुपया आपके कैश का ही डिजिटल अवतार है. यानी जिस तरह से आप आज कैश पैसे को खर्च कर रहे हैं, उसी तरह से आप डिजिटल रुपये को भी खर्च कर सकेंगे. फिलहाल आरबीआई ने इसे पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया है.

UPI या डिजिटल पेमेंट से कितना अलग है?
आज के दौर में आप जो UPI पेमेंट करते हैं, ये सभी ट्रांजेक्शन डिजिटल (transaction digital) रूप में भले ही होते हो, लेकिन सारा लेन देन कैश का ही. यानी आपने जो पेमेंट की है उसका तरीका सिर्फ डिजिटल था, लेकिन भुगतान कैश में ही हुआ है. अगर RBI इस पायलेट प्रोजेक्ट को पूरी तरह से लागू करता है, तो ये आने वाले वक्त में कैश ट्रांजेक्शन को रिप्लेस कर सकेगा.

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