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एसेट क्लासेस

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ग्रोथ रेट
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल मल्टी-एसेट म्यूचुअल फंड ग्रोथ ऑप्शन अपने अस्तित्व के 20 साल पूरे कर चुका है, फंड हाउस द्वारा आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड 31 अक्टूबर 2002 को पेश किया गया था, 3 नवंबर 2022 तक इस म्यूचुअल फंड का कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट 21.21 फीसदी रहा है।

KFin Technologies के IPO को SEBI की मंजूरी, 2,400 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है कंपनी

KFin Technologies IPO: ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) के अनुसार यह आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल (OFS) पर बेस्ड है.

KFin Technologies के IPO को SEBI की मंजूरी, 2,400 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है कंपनी

फाइनेंशियल सर्विसेज प्लेटफॉर्म केफिन टेक्नोलॉजीज (KFin Technologies) के आईपीओ को मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) की मंजूरी मिल गई है.

KFin Technologies IPO: फाइनेंशियल सर्विसेज प्लेटफॉर्म केफिन टेक्नोलॉजीज (KFin Technologies) के आईपीओ को मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) की मंजूरी मिल गई है. कंपनी इस आईपीओ के ज़रिए 2400 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है. कंपनी ने इस साल एसेट क्लासेस 31 मार्च को सेबी के पास आईपीओ दस्तावेज दाखिल किए थे. ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) के अनुसार यह आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल (OFS) पर बेस्ड है. ओएफएस के हिस्से के रूप में प्रमोटर जनरल अटलांटिक सिंगापुर फंड Pte लिमिटेड शेयरों की बिक्री करेंगे.

कंपनी को इस आईपीओ से कोई आय प्राप्त नहीं होगी क्योंकि यह सब प्रमोटर बेचने वाले शेयरधारक के पास जाएगा. सूत्रों का कहना है कि सेबी ने केफिन टेक्नोलॉजीज की शुरुआती शेयर बिक्री को मंजूरी दे दी है.

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आईपीओ से जुड़ी डिटेल

केफिन का स्वामित्व जनरल अटलांटिक द्वरा प्रबंधित फंड के पास है. इसकी कंपनी में 74.94 प्रतिशत हिस्सेदारी है. पिछले साल कोटक महिंद्रा बैंक ने कंपनी में 9.98 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी. कंपनी के शेयरों को BSE और NSE पर लिस्ट करने का प्रस्ताव है. कंपनी भारत में एसेट क्लासेस में एसेट मैनेजर्स और कॉर्पोरेट इश्यूअर्स को सर्विसेज प्रदान करती है. यह मलेशिया, फिलीपींस और हांगकांग में म्यूचुअल फंड और प्राइवेट रिटायरमेंट स्कीम्स के लिए ट्रांजेक्शन ओरिजनेटिंग और प्रोसेसिंग सहित सॉल्यूशन भी प्रदान करता है.

कंपनी के बारे में

KFin 31 जनवरी, 2022 तक सेवित एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) क्लाइंट्स की संख्या के आधार पर भारतीय म्यूचुअल फंड के लिए देश का सबसे बड़ा इन्वेस्टर सॉल्यूशन प्रोवाइडर है. फर्म भारत में 42 AMC में से 25 को सेवाएं प्रदान करती है, जो 60 प्रतिशत बाजार का प्रतिनिधित्व करती है. दिसंबर को समाप्त नौ महीनों में केफिन का ऑपरेशन से राजस्व 458 करोड़ रुपये रहा और 97.6 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ. कंपनी के राजस्व में सालाना आधार पर 35 फीसदी और प्रॉफिट में 313 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी, जेपी मॉर्गन इंडिया, आईआईएफएल सिक्योरिटीज और जेफरीज इंडिया इश्यू के बुक रनिंग लीड मैनेजर हैं.

10 हजार का मासिक निवेश हुआ 1.8 करोड़ रुपये, इस Mutual Fund ने लोगों को बनाया करोड़पति

जो निवेशक एक ही पोर्टफोलिये से डिफरेंट एसेट क्लासेस से लाभ उठाना चाहते हैं, वो अपने वित्तीय सलाहकारों की सलाह से इस फंड में निवेश कर सकते हैं।

New Delhi, Nov 05 : म्यूचुअल फंड में निवेश पहले से ज्यादा आसान है, अब आप ना सिर्फ ऑनलाइन निवेश शुरु कर सकते हैं, बल्कि 100 रुपये की एसआईपी से भी म्यूचुअल फंड स्कीम्स में पैसा लगा सकते हैं, बाजार में जारी उतार-चढाव के बीच म्यूचुअल फंड निवेशक एसआईपी के जरिये निवेश पसंद कर रहे हैं, एक्सपर्ट मान रहे हैं कि निवेशक एकमुश्त पैसा लगाने की बजाय एसआईपी के जरिये निवेश को तरजीह दे रहे हैं, आज हम आपको एक ऐसे म्युचूअल फंड के बारे में बता रहे हैं, जिसने अपने निवेशकों को करोड़पति बना दिया है।

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ग्रोथ रेट
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल मल्टी-एसेट म्यूचुअल फंड ग्रोथ ऑप्शन अपने अस्तित्व के 20 साल पूरे कर चुका है, फंड हाउस द्वारा आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड 31 अक्टूबर 2002 को पेश किया गया था, 3 नवंबर 2022 तक इस म्यूचुअल फंड का कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट 21.21 फीसदी रहा है।

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मिली 4 स्टार रेटिंग
जो निवेशक एक ही पोर्टफोलिये से डिफरेंट एसेट क्लासेस से लाभ उठाना चाहते हैं, वो अपने वित्तीय सलाहकारों की सलाह से इस फंड में निवेश कर सकते हैं, ये फंड 5 साल या उससे लंबी अवधि के लिये सबसे उपयुक्त है, आईसीआईसीआई मल्टी एसेट म्युचुअल फंड को वैल्यू रिसर्च ने 4 स्टार रेटिंग दी है, इसने 10 हजार के एसआईपी को 20 साल में 1.8 करोड़ रुपये कर दिया है।

10 हजार बन गये 1.8 करोड़
फंड के लांच के बाद से निवेश किये गये 10 हजार रुपये के मासिक एसआईपी को 20 सालों में 1.8 करोड़ रुपये में बदल दिया है, 10 साल पहले बनाया गया 10 हजार का मासिक एसआईपी अब 26 लाख रुपये हो गया होता, वहीं पिछले 5 सालों में फंड ने 18.48 फीसदी का वार्षिक एसआईपी रिटर्न दिया है, इस हिसाब से 5 साल पहले किये गये 10 हजार का मासिक एसआईपी अब 9.51 लख रुपये हो गया होता, पिछले 3 सालों में फंड ने 24.96 फीसदी का सलाना रिटर्न दिया है, 3 साल पहले किये गये 10 हजार का मासिक एसआईपी अब 5.17 लाख रुपये हो गया होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक एसआईपी निवेश का एक सिस्टमेटिक तरीका है, लांग टर्म में कई ऐसे फंड्स हैं, जिनका सलाना एसआईपी रिटर्न 12 फीसदी रहा है, म्युचूअल फंड में निवेशक को सीधे बाजार के रिस्क का सामना नहीं करना पड़ता है, वहीं रिटर्न भी ट्रेडिशनल प्रोडक्ट से ज्यादा मिलता है, हालांकि इसमें भी रिस्क रहता है, इसलिये निवेशक को अपनी इनकम, टारगेट तथा रिस्क प्रोफाइल देखकर निवेश का फैसला लेना चाहिये।

(डिस्क्लेमर- यहां सिर्फ म्युचूअल फंड के परफॉरमेंस की जानकारी है, ये निवेश की सलाह नहीं है, म्युचूअल फंड में निवेश जोखिमों के अधीन है, निवेश से पहले सलाहकार से परामर्श करें।)

कोविड की एक और लहर, सरकारों के पास ‘खर्च करने की बहुत कम गुंजाइश’ छोड़ेगी : IMF की गीता गोपीनाथ

'ऑफ द कफ' कार्यक्रम में शेखर गुप्ता के साथ बातचीत के दौरान गीता गोपीनाथ का कहना है कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए सार्वजानिक खर्च पर अपनी रफ्तार कायम रखनी चाहिए.

IMF की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ | कॉमन्स

नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ का कहना है कि कोरोनावायरस के ओमीक्रॉन वैरिएंट के खतरे का सामना करते हुए दुनिया भर की एसेट क्लासेस एसेट क्लासेस सरकारों के पास अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन देने और आर्थिक सुधार को जारी रखने के लिए अतिरिक्त खर्च के लिए बहुत कम गुंजाईश होगी.

ऑफ द कफ ‘ कार्यक्रम के दौरान दिप्रिंट के एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता से बात करते हुए गीता गोपीनाथ ने बताया, ‘अगर हम एक और लंबे समय तक चलने वाले स्वास्थ्य संकट में फंसते हैं, तो दुनिया भर के देशों को इससे निपटने के लिए कर्ज के उस स्तर का सामना करना होगा जो कि 2020 की तुलना में बहुत अधिक है. उनके पास उन नीतियों पर खर्च करने के लिए बहुत कम जगह है, जिन पर उन्होंने पिछले दौर में काम किया था. सभी देशों के केंद्रीय बैंकों को अब यह महसूस करना होगा कि मुद्रास्फीति की जड़ें अब गहराई तक जम सकती हैं और उन्हें ब्याज दरें बढ़ाने के मसले पर और तेजी से आगे बढ़ना पड़ सकता है.’

यह पूरी बातचीत दिप्रिंट के यूट्यूब चैनल पर शुक्रवार, 17 दिसंबर को शाम 7 बजे प्रसारित की जाएगी.

उनका अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर सरकारों ने कोविड-19 के आर्थिक दुष्प्रभाव को कम करने के लिए कुल मिलाकर 17 ट्रिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान की है.

महामारी की प्रतिक्रिया के रूप में, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी जैसी उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों ने अपने नागरिकों के खातों में पैसे जमा करके उन्हें आय अर्जित करने में सहायता प्रदान की है. इस बीच, भारत ने बड़े पैमाने पर खुद के वित्तीय उपायों को छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों को ऋण की सुविधा (क्रेडिट लाइन) प्रदान करने, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न देने और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए अधिक धन प्रदान करने तक सीमित किया है.

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गोपीनाथ ने कहा कि इसी राह पर आगे बढ़ते हुए भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को आवश्यक समर्थन देने के लिए सार्वजनिक खर्च के मामले में अपनी रफ्तार कायम रखनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘भारत के लिए सलाह यह है कि निकट भविष्य में राजकोषीय नीति उदार बनी रहनी चाहिए. इस वित्तीय वर्ष में राजस्व संग्रह में जोरदार वृद्धि हुई है लेकिन अभी भी खर्च किया जाना बाकी है. इसलिए, भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राजकोषीय घाटा कम करके इसे लागू न किया जाये.’

केंद्र सरकार ने 2021-22 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत के बराबर रहने का अनुमान लगाया है. राजकोषीय घाटा सरकार को प्राप्त राजस्व और उसके द्वारा किये गए खर्च के बीच के अंतर को दर्शाता है.

गोपीनाथ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की मांग में जोरदार वापसी हुई है, अधिक संख्या में लोग ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं और इसने मुद्रास्फीति को बढ़ावा दिया है.

उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि वर्ष की दूसरी छमाही में, यह मांग वस्तुओं से हटकर सेवाओं की ओर वापस आ जाएगी, क्योंकि हमारे पास महामारी से संबंधित और व्यवधान नहीं होंगे और फिर आप मुद्रास्फीति पर इन दबावों को नहीं देखेंगे.’

वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर की वजह से उन्नत एसेट क्लासेस अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रीय बैंक अब ब्याज दरों में वृद्धि की आवश्यकता की ओर संकेत दे रहे हैं.

यूएस फेडरल रिजर्व को 2022 में तीन बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद है, जबकि बैंक ऑफ इंग्लैंड पहले ऐसे प्रमुख केंद्रीय बैंक के रूप में सामने आया है जिसने मुद्रास्फीति के दबाव की वजह से अपनी प्रमुख नीतिगत दर में 25 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है.

घरेलू मोर्चे पर, भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह तब तक एक उदार मौद्रिक रुख अपनाये रखेगा जब तक कि टिकाऊ आधार पर विकास को पुनर्जीवित करने और इसे बनाए रखने के लिए ऐसा करना आवश्यक हो.

क्रिप्टोकरेंसी का विनियमन, एसेट क्लासेस नोटबंदी का अल्पकालिक प्रभाव

निजी डिजिटल मुद्राओं को विनियमित करने की आवश्यकता पर गोपीनाथ ने कहा कि आईएमएफ क्रिप्टोकरेंसी का कानूनी रूप से वैध मुद्रा के रूप में उपयोग किये जाने का विरोध करता है लेकिन देशों को इसमें अंतर्निहित तकनीक का उपयोग करना चाहिए.

गोपीनाथ ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन्हें विनियमित करने की आवश्यकता है. असलियत यह कि यदि आप एक वित्तीय संस्थान हैं और यदि आपके पास इन क्रिप्टो एसेट्स (परिसंपत्ति) वाला जोखिम है, तो आप को सुनिश्चित करना होगा कि आपके पास अतिरिक्त पूंजी का बफर है, जैसे कि आप के पास जोखिम भरे एसेट क्लासेस (परिसंपत्ति वर्ग) में निवेश करते समय एसेट क्लासेस होता है. हम वैध मुद्रा के रूप में उपयोग की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी के विरुद्ध हैं.’

भारत वर्तमान में निजी क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए एक कानून, जिसे क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिसियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 कहा जा रहा है, को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है.

भारत में क्रिप्टोकरेंसी का बाजार बढ़ने के साथ ही इसके विनियमन के लिए उठने वाली मांग भी बढ़ गयी है. हालांकि सरकार क्रिप्टोकरेंसी में हुए लेन देन को रिकॉर्ड नहीं करती है, फिर भी निजी अनुमानों ने 2020-21 में इसके बाजार को $75 मिलियन के बराबर आंका है.

महामारी से पहले घरेलू अर्थव्यवस्था पर विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर गोपीनाथ ने कहा कि इससे भारत को निकट अवधि में अपने सकल घरेलू उत्पाद के 2 प्रतिशत का नुकसान हुआ था लेकिन वह अभी भी लंबी अवधि में विकास के लिए इसकी वजह से कोई जोखिम नहीं देखती है.

उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कहूंगी कि विमुद्रीकरण का प्रभाव काफी कम था. यह (भारत के) जीडीपी का करीब 2 फीसदी था. लेकिन जिन सबूतों को हमने देखा, उनसे यह नहीं पता चलता कि कई वर्षों तक इसके बहुत अधिक मात्रा में सार्थक दीर्घकालिक प्रभाव होंगे. एक बार जब नकदी व्यवस्था में वापस आने लगी, तो वे प्रभाव समाप्त हो गए.’

बता दें कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा की थी कि अर्थव्यवस्था में काले धन के उपयोग को रोकने के लिए 500 और 1000 रुपये के मूल्य के नोट उस दिन आधी रात के बाद से वैध मुद्रा के रूप में मान्य नहीं रहेंगे. इस घोषणा ने पूरे देश में भूचाल सा ला दिया था जिससे उन गरीबों और छोटे व्यवसायों पर गहरा असर पड़ा जो विशुद्ध रूप से नकद लेन देन पर निर्भर करते हैं.

अभी रुपये निकालने का समय नहीं, जारी रखें निवेश: कृष्ण कुमार

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्ण कुमार करवा के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.

  • Sarbajeet K Sen
  • Publish Date - March 16, 2022 / 02:25 PM IST

अभी रुपये निकालने का समय नहीं, जारी रखें निवेश: कृष्ण कुमार

इक्विटी बाजारों में कुछ और समय के लिए अस्थिरता जारी रह सकती है, लेकिन निवेशकों को घबराना नहीं चाहिए और अपनी मनी मैनेजमेंट पर ध्यान देना चाहिए. ये कहना है एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्ण कुमार करवा का. करवा के मुताबिक, एक नए एसेट वर्ग के रूप में क्रिप्टोकरेंसी को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि एसेट क्लासेस निवेशकों को छोटी शुरुआत करनी चाहिए और धीरे-धीरे निवेश करना चाहिए.

सवाल – जिस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड -19 तीसरी लहर से बाहर आ रही थी, यूक्रेन संकट ने हाल के दिनों में कुछ भारी बिकवाली की है. क्या आपको लगता है कि यह बिकवाली का एक लंबा दौर होगा या बाजार में वापसी होगी?

जवाब – अक्टूबर 2021 से बाजार में उतार-चढ़ाव रहा है और हमने अक्टूबर व नवंबर में भी एसेट क्लासेस कुछ तेज सुधार और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) की बिक्री देखी है. दिसंबर में कुछ स्थिरता थी और फिर हम यूक्रेन रूस संकट से और अधिक अस्थिरता देख रहे हैं. यूएस फेड की सख्ती और संभावित ब्याज दर बढ़ने के कारण एफपीआई पहले से ही बिक्री मोड में थे. रूस यूक्रेन संकट के कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है.

बाजार दहशत की स्थिति में हैं और एफपीआई की बिक्री में तेजी आ रही है जो मार्च में भी जारी है. हमें जिस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए वह है पूंजी बाजार में घरेलू बचत का स्थिर इनफलो. घरेलू म्यूचुअल फंडों में हर महीने एसआईपी का प्रवाह 10,000-12,000 करोड़ रुपये है और घरेलू संस्थान खरीद रहे हैं. मेरा मानना है कि पेंडुलम हाई पर शिफ्ट हो सकता है. अगर यह दहशत जारी रही और यूक्रेन संकट का समाधान नहीं हुआ, तो बाजार और नीचे जा सकता है.

यह कहने के बाद कि एक विशेष स्तर पर व्यक्तिगत स्टॉक अपने उचित मूल्य पर पहुंच जाते हैं और हो सकता है कि हम जो देखेंगे वह यह है कि व्यक्तिगत स्टॉक बॉटम्स बनाना शुरू कर देंगे या निवेशकों को यह महसूस होने पर वे स्थिर हो जाएंगे कि सबसे खराब संभवतः छूट दी गई है. मुझे नहीं पता कि मेरे पास स्पष्ट उत्तर है एसेट क्लासेस या नहीं, लेकिन हम निश्चित रूप से बहुत अस्थिर समय की ओर बढ़ रहे हैं.

सवाल – तेल ने कई साल के उच्च स्तर को छू लिया है, जिससे महंगाई की आशंका पैदा हो गई है. आप एसेट क्लासेस भारत सहित दुनिया भर के बाजारों पर इसका क्या प्रभाव देखते हैं?

जवाब – कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और मांग में गिरावट या मार्जिन के कारण प्रदर्शन के मामले में विभिन्न कंपनियों पर असर उन्हें खेलना होगा. लेकिन एक बार जब यह यूक्रेन संकट खत्‍म हो जाता है, तो निवेशक मध्यम अवधि के अवसरों को देखेंगे और 12-18 महीनों के परिप्रेक्ष्य में निवेशक वैल्यूएशन देखेंगे और उसी के अनुसार निवेश करेंगे. इसलिए अंतत: हम निवेश के बॉटम-अप तक जाएंगे और अलग-अलग क्षेत्रों या कंपनियों को देखेंगे और एक सामान्य दुनिया में उनसे कैसा प्रदर्शन करने की उम्मीद की जाती है. तो जिस सवाल पर ध्यान देना एसेट क्लासेस होगा वह यह है कि हम कब सामान्य स्थिति में लौट रहे हैं और बीच में क्या नुकसान हुआ है?

सवाल – क्या निवेशकों को इस समय सावधानी बरतनी चाहिए और इक्विटी से दूर रहना चाहिए या अगर वैश्विक मुद्दों का समाधान होना शुरू हो जाता है और बाजार यू-टर्न लेता है तो क्या नुकसान होने की संभावना है?

जवाब – जहां तक ​​व्यक्तिगत रिटेल निवेशकों का संबंध है, उन्हें अपने एसेट एलोकेशन पर टिके रहना चाहिए. यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप बाजार के हर स्तर पर अपने एसआईपी के अनुसार अपना पैसा लगाते रहें. जहां तक आपके लांग टर्म टार्गेट और एसेट एलोकेशन नीति की बात है तो आपको नियमित रूप से निवेश करना जारी रखना चाहिए. अगर आप एमएफ या सलाहकार पोर्टफोलियो के माध्यम से निवेश कर रहे हैं और यदि आप एक डायरेक्‍ट इनवेस्‍टर हैं तो आपके पास अपने पोर्टफोलियो का मार्गदर्शन करने में मदद करने के लिए सही सलाहकार होना चाहिए. ये बाजार से रुपये निकालने का समय नहीं है.

ऐसा कहने के बाद, क्या बाजार सही हो सकता है? हां, बाजार में 10-15 फीसदी और सुधार हो सकता है, लेकिन अगर आप धैर्यवान निवेशक हैं और आपको लाभ नहीं मिलता है, तो इस समय आपके लिए नकद कॉल लेने का कोई कारण नहीं है.

सवाल – एक निवेशक के पोर्टफोलियो में डेट और गोल्ड की क्या भूमिका होनी चाहिए?

जवाब – ये आपके एसेट एलोकेशन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो आपकी जोखिम लेने की क्षमता और आपके पोर्टफोलियो से आपको मिलने वाले कुल रिटर्न पर निर्भर करता है. अगर कोई नियमित आय की तलाश में है तो लोन महत्वपूर्ण है. आज अगर आप डेट में निवेश करना चाह रहे हैं तो आपको शॉर्ट डेटेड पेपर की तलाश करनी चाहिए.

सोना निश्चित रूप से भारतीयों को बहुत प्रिय है. मौजूदा माहौल में जहां आपके सामने भू-राजनीतिक चुनौतियां हैं, सोना अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. इसलिए अपने एसेट एलोकेशन के हिस्से के रूप में आप सोने में निवेश कर सकते हैं. अगर यदि ये संकट सामान्य से अधिक समय तक बना रहता है तो आप संभवतः सोने को और सख्त होते देख सकते हैं. सोना स्पष्ट रूप से मूल्य का भंडार है, लेकिन कोई इनकम जनरेट नहीं करता है. इसलिए निवेशकों को सावधान रहना चाहिए.

सवाल – मौजूदा बाजार में आप कहां संभावनाएं देखते हैं? ऐसे कौन से क्षेत्र हैं जिनमें महामारी के बाद अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना है और निवेशकों द्वारा किन क्षेत्रों से सबसे अच्छा परहेज किया जाता है?

जवाब – जिन क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, वे कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी का खामियाजा भुगतेंगे. ऑटोमोबाइल, सीमेंट और फास्ट मूविंग कंज्यूमर कंपनियां या कंज्यूमर ड्यूरेबल जैसे क्षेत्र उच्च इनपुट कीमतों से तुरंत प्रभावित होते हैं और संभवत: उच्च इनपुट कीमतों को अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचाने में असमर्थता होती है.

ऐसी कंपनियां भी हैं जिनका यूरोपीय बाजारों में बहुत एसेट क्लासेस अधिक जोखिम है जैसे कुछ वैश्विक ऑटो सहायक कंपनियां. वे अपनी बिक्री के मामले में भी अस्थायी रूप से संघर्ष करेंगे, लेकिन निवेशकों को यह भी देखना चाहिए कि यह किसी प्रकार का स्थायी विनाश है या अस्थायी है.

आपको कुछ मूल्य सुधार के लिए तैयार रहना चाहिए और बाजार में ऐसी कंपनियों को पुरस्कार देने से पहले लंबी समय सीमा के लिए तैयार रहना चाहिए. हालांकि, मुझे लगता है कि बैलेंस पोर्टफोलियो रखना बेहतर है.

सवाल – एक निवेश विकल्प के रूप में क्रिप्टोकरेंसी पर आपका क्या विचार है और सामान्य निवेशकों को इस एसेट क्‍लासेस से कैसे संपर्क करना चाहिए?

जवाब – औसत निवेशक की जागरूकता सीमित है. एक बार जब नियामक कदम उठाते हैं और क्रिप्टो के कारोबार के तरीके को विनियमित करते हैं, तो मुझे लगता है कि निवेशक उनसे निपटने में अधिक से अधिक सहज हो जाएंगे. इसे नजरंदाज करना गलत होगा. मुझे लगता है कि किसी को छोटी शुरुआत करनी चाहिए और समय के साथ सीखना चाहिए. कहीं न कहीं मेरा मानना है कि क्रिप्टो भी आपके लार्ज-कैप, स्मॉल-कैप और मिड-कैप शेयरों की तरह है. आप यह पता लगाते हैं कि किस क्रिप्टो में अधिकतम भागीदारी और अधिकतम आकार है और संभवतः उनमें निवेश करना शुरू करें और समय के साथ आप धीरे-धीरे अपने पोर्टफोलियो का विस्तार कर सकते हैं.

एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट अब ग्वालियर में, 29 दिसंबर से लगेंगी क्लासेस

मेडिकल व इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट अब ग्वालियर में ओपन होने जा रहा है। इसकी घोषणा रविवार को होटल क्लार्क में इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट डॉ विपिन योगी एवं एमपी हेड कपिल बिरथरे ने रिबन काटकर की। इंस्टीट्यूट में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट, जेईई मेन, एडवांस्ड की तैयारियों के लिए ऑफलाइन बैच 29 दिसंबर से शुरू होंगे। ऑनलाइन संबोधित करते हुए इंस्टीट्यूट के निदेशक बृजेश माहेश्वरी एवं गोविंद माहेश्वरी ने कहा कि ग्वालियर के स्टूडेंट्स जेईई, नीट, ओलम्पियाड, केवीपीवाय और एनटीएसई सहित अन्य परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां के स्टूडेंट्स को बेहतर गाइडेंस की जरूरत है। इससे वे और अधिक बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने ग्वालियर में स्टडी सेंटर की शुरुआत की है।

एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट अब ग्वालियर में, 29 दिसंबर से लगेंगी क्लासेस

देश में 38वां और प्रदेश में चौथा सेंटर यहां
एमपी हेड कपिल बिरथरे ने बताया कि इसी माह सत्र 2021-22 और 2022-23 दोनों के बैच प्रारंभ हो जाएंगे। यहां दिसंबर में एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों को स्पेशल फीस बेनिफिट दिया जाएगा। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट मप्र के इंदौर, भोपाल, उज्जैन के बाद ग्वालियर में ऑफलाइन क्लासेज शुरू करेगा। एलन का यहां 38वां सेंटर होगा। यहां ओलम्पियाड और कक्षा 6 से 12वीं तक की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी भी करवाई जाएगी। ग्वालियर में स्टडी सेंटर सिटी सेंटर में होगा, जहां कक्षाएं संचालित की जाएंगी। प्रारंभिक रूप से एलन का एडमिशन अलखनंदा टॉवर सिटी सेंटर में होगा।

एक नजर में
- 33 साल का अनुभव है एलन के पास। देशभर में 10 हजार से अधिक फैकल्टी भी।
- काउंसलिंग क्लीयर न कर पाने वाले नीट के स्टूडेंट्स को अचीवर प्लस बैच दिए जाएंगे।
- एलन स्कॉलरशिप एडमिशन टेस्ट (एसेट) आयोजित होगा, जिसमें 90 प्रतिशत तक स्कॉलरशिप दी जाएगी।

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