वैश्विक संकेतक

वैश्विक बाधाओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में 7-7.8% की रहेगी वृद्धि, कृषि उत्पादन में वृद्धि और ग्रामीण विकास देंगे रफ्तार
इंस्टीट्यूट फार स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डवलपमेंट के निदेशक नागेश कुमार भी भानूमूर्ति का समर्थन करते हुए कहते हैं कि उच्च संकेतक मजबूत विकास का इशारा कर रहे हैं जिससे वित्त वर्ष 2022-23 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7 से 7.8 प्रतिशत के बीच रह सकती है
नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रमुख अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर पैदा हुई बाधाओं के बावजूद चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7-7.8 प्रतिशत की वृद्धि रहेगी। कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी और ग्रामीण विकास में पुनरुद्धार से आर्थिक वृद्धि को मदद मिलेगी। प्रमुख अर्थशास्त्री और बीआर अंबेडकर स्कूल आफ इकोनामिक्स के वाइस चांसलर एनआर भानूमूर्ति का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विभिन्न बाधाओं का सामना कर रही है। इसमें बाहरी बाधाएं प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक महंगाई की चुनौती बनी हुई है अन्यथा घरेलू मैक्रो फंडामेंटल काफी मजबूत हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत, भारत की ओर से किए गए राजकोषीय नीति हस्तक्षेप जैसे कोविड प्रोत्साहन उपाय महंगाई को कम करने और विकास को बढ़ावा देने वाले रहे हैं।
इंस्टीट्यूट फार स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डवलपमेंट के निदेशक नागेश कुमार भी भानूमूर्ति का समर्थन करते हुए कहते हैं कि उच्च संकेतक मजबूत विकास का इशारा कर रहे हैं जिससे वित्त वर्ष 2022-23 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7 से 7.8 प्रतिशत के बीच रह सकती है। फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गाय सरमन का कहना है कि भारत ऊर्जा की ज्यादा लागत और उर्वरक आयात से बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। हालांकि, भारत अभी भी बड़ा कृषि अर्थव्यवस्था है। धीमे विकास से शहरी कामगार प्रभावित होंगे और वे गांवों की ओर लौटेंगे। इससे कृषि उत्पादन और अनाज का निर्यात बढ़ सकता है।
विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर के अनुमान को घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 8.7 प्रतिशत रही थी। इससे पिछले वित्त वर्ष में विकास दर शून्य से नीचे गिरकर 6.6 प्रतिशत रही थी।
पाकिस्तान बन गया है एक नाकाम मुल्क, वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक संकेतकों का अनुमान
इस्लामाबाद. पाकिस्तान एक राष्ट्र के तौर पर विफल हो गया है, क्योंकि सभी वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक संकेतक लगातार पाकिस्तान में खराब सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को दर्शाते हैं. मुश्किल से 8 अरब अमेरिकी डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार और 50 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटे के साथ पाकिस्तान आर्थिक संकट के कगार पर है.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई दर 18 फीसदी, निर्यात 32 अरब डॉलर और और पाकिस्तान रुपया 245 डॉलर के करीब पहुंच गया है. सफल और असफल मुल्कों के बीच की पतली रेखा तब पार हो जाती है, जब सत्ता पर काबिज अभिजात वर्ग देश के सामने आने वाले संकट को नकारता है और उसकी अवहेलना करता है. पाकिस्तान लगभग 22 करोड़ लोगों का घर है, एक परमाणु संपन्न देश है और भू-रणनीतिक शक्ति रखता है, लेकिन अब जो आर्थिक रूप से कमजोर और राजनीतिक रूप से अस्थिर राज्य में परिवर्तित हो गया है.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, कार्य नैतिकता के क्षरण, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, कुशासन और वैश्विक संकेतक कानून के शासन की अनुपस्थिति ने आर्थिक स्थिति को और खराब करने में योगदान दिया. क्या पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, शासन और राजनीति को पटरी से उतारने के लिए कुलीन वर्ग को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए? क्या सामाजिक पतन के लिए जनता समान रूप से दोषी है? अभिजात वर्ग और बाकी आबादी की समस्याओं में अंतर प्रतीत होता है.
आज, पाकिस्तान के बाद स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले कई विकासशील देश अर्थव्यवस्था, शासन, राजनीति और कानून के शासन के मामले में बेहतर हैं. यहां तक कि मलेशिया और सिंगापुर जैसे देश, जो पिछड़े और गरीब थे, अब बेहतर स्थिति में हैं. बांग्लादेश अब अपने आर्थिक प्रदर्शन के कारण पाकिस्तान से काफी बेहतर है. दुर्भाग्य से पाकिस्तान के लिए, ऐसा लगता है कि अंधी सुरंग के अंत तक कोई रोशनी नहीं दिखती है, क्योंकि अभिजात वर्ग वास्तविक मुद्दों के प्रति उदासीन रहता है, जबकि जनता में भ्रष्ट अभिजात वर्ग के खिलाफ रैली करने के लिए जागरूकता और क्षमता दोनों की कमी होती है.
लगभग दस मिलियन विदेशी पाकिस्तानी पाकिस्तान को सालाना 30 बिलियन डॉलर से अधिक भेजते हैं. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, वे अभिजात वर्ग के गैर-जिम्मेदार और अविवेकपूर्ण रवैये से निराश हो रहे हैं, जिन्होंने उन्हें हल्के में लिया है और पाकिस्तान के वर्तमान और भविष्य को बचाने के लिए अपने लाभों, विशेषाधिकारों और लाभों का त्याग करने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
पाकिस्तान का कुलीन वर्ग अपने देश की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं, प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दों पर कुलीन और लोकप्रिय धारणाएं यानी अर्थशास्त्र, राजनीति और शासन एक दूसरे के विरोधाभासी हैं. ईंधन, गैस और बिजली सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि 98 प्रतिशत लोगों को प्रभावित कर रही है. केवल विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग, जो कि आबादी का एक छोटा हिस्सा है, खतरनाक आसन्न स्थिति के बारे में कम से कम चिंतित है.
सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) सौदे के अनुसार उपयोगिताओं की कीमतों में वृद्धि करने का दावा किया है. हालाँकि, यह एक आर्थिक चूक और पेट्रोलियम उत्पादों, बिजली, गैस और खाद्य पदार्थों की भारी कमी पर चिंता बढ़ा रहा है. पाकिस्तान के वित्तीय संस्थानों को नियंत्रित करने वाले कुलीन मूल्य वृद्धि के परिणामों को भुनाने में असमर्थ हैं और इसके बजाय गरीबों को राहत देने के लिए सतही उपाय करते हैं.
इसके अलावा, पाकिस्तानी अभिजात वर्ग ने विदेशों में अपने सुरक्षित ठिकाने स्थापित कर लिए हैं और देश के आर्थिक पतन के बारे में कम से कम चिंतित हैं. यहां यह ध्यान देने योग्य है कि देश को आर्थिक पतन और बाद में चूक की ओर ले जाने वाले कुलीन वर्ग के खिलाफ एक दृढ़ स्थिति लेने के लिए जनता की विफलता पर विचार करना चाहिए. जब जनता कुलीनों की तरह ही उदासीन होती है, तो परिणाम दूरगामी परिणामों के साथ विनाशकारी होना तय है.
जनता सामंती संस्कृति, सत्तावादी मानसिकता और भ्रष्ट व्यवस्था को चुनौती देने में विफल रही है और इसके बजाय असहनीय आर्थिक परिस्थितियों को स्वीकार किया है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा कि अगर पाकिस्तान घरेलू और विदेश नीति के क्षेत्र में विफल देश बन जाता है, तो अंततः सत्ता पर काबिज अभिजात वर्ग को जिम्मेदार और जवाबदेह ठहराया जाएगा.
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्वास्थ्य और कल्याण का एक पूरे समाज का दृष्टिकोण है, जो व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर आधारित है। यह स्वास्थ्य के अधिक व्यापक निर्धारकों को संबोधित करता है और शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य और कल्याण के व्यापक और आपस में संबंधित पहलुओं पर केंद्रित है।
वह पूरे जीवन में स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए पूरे की देखभाल मुहैया कराता है और न केवल विशिष्ट रोगों के लिए। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल करता है कि लोगों को व्यापक देखभाल मिले, जिसमें प्रमोशन और निवारण सेउपचार, पुनर्वसन और पीड़ाहारक देखभाल शामिल है, जो लोगों के दैनिक पर्यावरण के लिए अधिक से अधिक योग्य हो।
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का मूल न्याय और समानता के प्रति वचनबद्धता और स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानक के मूलभूत अधिकार की मान्यता में है, जैसे कि मानव अधिकारों पर वैश्विक घोषणा की धारा २५ में बताया गया हैः “हर किसी को उसके और उसके परिवार के लिए पर्याप्त जीवनमान का अधिकार है, जिसमें अन्न, वस्त्र, आवास और वैद्यकीय देखभाल तथा आवश्यक सामाजिक सेवायें शामिल हैं […]”
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को बारबार अर्थाकलन तथा परिभाषा की गई है। कुछ संदर्भों में, उसे एंबुलेंस अथवा व्यक्तिगत स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के प्रथम स्तर को कराने का अर्थ दिया गया है। अन्य संदर्भों में, प्राथमिक स्वास्थ्यदेखभाल को कम आय की जनसंख्याओं के लिए प्राथमिकतापूर्ण स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के संच के रूप में समझा गया है (जिसे चुनिंदा प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल भी कहते हैं)। अन्यों ने आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक पहलुओं पर ध्यान देते हुए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मानवीय विकास का एक महत्त्वपूर्ण घटक समझा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तीन घटकों पर आधारित एक व्यापक परिभाषा विकसित की है।
- पूरे जीवन में व्यापक बढ़ावा देने वाली, सुरक्षात्मक, निवारक, उपचारात्मक, पुनर्वसनसंबंधी और पीड़ाहारक देखभाल के माध्यम से लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति करना, समेकित स्वास्थ्य सेवाओं के केंद्रीय घटकों के रूप में रणनीति की दृष्टि से प्राथमिक देखभाल के माध्यम से और परिवारों पर लक्षित महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं और जनसंख्या पर सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों के माध्यम से प्राथमिकता देना ।
- सभी क्षेत्रों में प्रमाण सूचित सार्वजनिक नीतियों और कार्यों के माध्यम से स्वास्थ्य के व्यापक निर्धारकों को व्यवस्थित रूप से संबोधित करना (जिसमें सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय के साथ ही लोगों की विशेषतायें और व्यवहार); तथा
- स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने वाली और सुरक्षा देने वाली नीतियों की वकालत के रूप में, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं के सहविकासकों के रूप में और अन्यों को स्वयं देखभाल करने और देखभाल देने वालों के रूप में स्वास्थ्य को महत्तम करने के लिए व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों का सशक्तीकरण करना
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल महत्त्वपूर्ण क्यों है?
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का नूतनीकरण करना और उसे प्रयासों के केंद्र में रखकर स्वास्थ्य और कल्याण को सुधारना तीन कारणों से महत्त्वपूर्ण हैः
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल तेज़ी से आर्थिक, प्रौद्योगिकीय और जनसंख्या परिवर्तनों को प्रतिक्रिया देने के लिए सुस्थित है, जिनमें सभी स्वास्थ्य और कल्याण पर प्रभाव डालते हैं। हाल के विश्लेषण से पता चला है कि १९९० से २०१० में बाल मृत्युदर को कम करने के लगभग आधे लाभ स्वास्थ्य क्षेत्र के बाहर के घटकों के कारण थे (जैसे कि पानी और स्वच्छता, शिक्षा, आर्थिक विकास)। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण हित संबंधितों की व्यापक परिधि को आकर्षित कर स्वास्थ्य और कल्याण के सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और व्यावसायिक निर्धारकों को संबोधित करने के लिए नीतियों की परीक्षा और बदलाव लाता है। अपने स्वयं के स्वास्थ्य और कल्याण के उत्पादन में महत्वपूर्ण कार्यकारकों के रूप में लोगों और समुदायों से व्यवहार करना हमारे बदलते विश्व की जटिलताओं को समझने और प्रतिक्रिया देने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्वास्थ्य और कल्याण के आज के प्रमुख कारणों और खतरों को संबोधित करने के लिए, साथ ही आने वाले समय मेंस्वास्थ्य और कल्याण को खतरे में डालने वाले उभरती चुनौतियों को संभालने के लिए अति प्रभावी और कार्यक्षम पद्धति सिद्ध हुई है। वह एक अच्छे मूल्यवान निवेश भी सिद्ध हुआ है, क्योंकि ऐसा प्रमाण है कि गुणवत्तावान प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल अस्पताल में भर्ती होना कमी करने के द्वारा कुल स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को कम करती और कार्यक्षमता को बढ़ाती है। बढ़ती जटिल स्वास्थ्य समस्याओं को संबोधित करने के लिए एक बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली और निवारक नीतियों का समेकन करता है, वह समाधान जो समुदायों को प्रतिक्रिया देते हैं और स्वास्थ्य सेवायें जो जनकेंद्रित होती हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में महत्वपूर्ण घटक शामिल होते हैं, जो स्वास्थ्य सुरक्षा को सुधारने और महामारियों व सूक्ष्म जीवरोधी प्रतिरोध जैसे स्वास्थ्य खतरों के निवारण में आवश्यक हैं, जो सामुदायिक सहभाग तथा शिक्षा, विवेकपूर्ण निर्धारण, और आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यवाहियों जैसे कि पर्यवेक्षण के माध्यम से होगा। सामुदायिक और पेरिफ़ेरल स्वास्थ्य सुविधा स्तर पर प्रणालियों को करने से निरंतरता बनाने में योगदान मिलता है, जो स्वास्थ्य प्रणाली के झटके झेलने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- अधिक शक्तिशाली प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल चिरस्थायी विकास ध्येयों और वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज को प्राप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। वह स्वास्थ्य ध्येय(एसडीजी३) के परे अन्य ध्येयों की उपलब्धि में योगदान देगा, जिसमें गरीबी, भूख, लैंगिक समानता, स्वच्छ पानी और सुरक्षा, कार्य तथा आर्थिक विकास, असमानता और जलवायु कार्य कम करना शामिल है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिक्रिया
विश्व स्वास्थ्य संगठन सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण को प्राप्त करने की प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की केंद्रीय भूमिका को पहचानता है। डब्ल्यूएचओ अन्य देशों के साथ इस कारण से काम करता हैः
गेट्स फाउंडेशन की गोलकीपर्स रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक लक्ष्यों में असफलताओं के बावजूद अभी भी प्रगति संभव है
सिएटल , 13 सितंबर, 2022 /PRNewswire/ -- बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने आज अपनी छठी वार्षिक गोलकीपर्स रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों का लगभग हर संकेतक 2030 तक उन्हें प्राप्त करने के आधे रास्ते पर है और अपनी निर्धारित राह से दूर है। बढ़ते हुए वैश्विक संकटों के कारण महत्वपूर्ण असफलताओं के बावजूद, यह रिपोर्ट आशावादी है और गरीबी को समाप्त करने, असमानता से लड़ने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के अवसरों को रेखांकित करती है।
फाउंडेशन के सह-अध्यक्षों मेलिंडा फ्रेंच गेट्स और बिल गेट्स द्वारा मिल कर लिखी गई, इस वर्ष की रिपोर्ट, "द फ्यूचर ऑफ प्रोग्रेस,"(''प्रगति का भविष्य'') में COVID-19 महामारी, यूक्रेन और यमन में जारी युद्ध, चल रहे जलवायु और खाद्य संकट, और 2030 तक लाखों लोगों का जीवन बचाने और सुधारने की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं पर बड़े स्तर की आर्थिक प्रतिकूलता के प्रभाव पर ध्यान दिया गया है।
बिल गेट्स ने कहा, "यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कई संकटों के बीच प्रगति रुक गई है। लेकिन यह हार मानने का कारण नहीं है। हर वैश्विक संकेतक कार्य जीवन बचाने और दुख को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे दूर होना एक गलती होगी। "
अपने-अपने निबंधों में, फ्रेंच गेट्स और बिल गेट्स लैंगिक समानता और खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए नए दृष्टिकोणों का आह्वान करते हैं। वे एचआईवी/एड्स महामारी से निपटने में नाटकीय प्रगति का भी हवाला देते हैं - 2000 और 2020 के बीच वार्षिक मौतों में लगभग 60% की गिरावट – यह इस बात का एक उदाहरण है कि जब दुनिया लंबे समय तक समाधान और उलझे हुए मुद्दों के लिए नवीन दृष्टिकोणों में निवेश करती है, तो उसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
फ्रेंच गेट्स ने कहा, "दुनिया वैश्विक संकेतक कई चुनौतियों का सामना कर रही है - जिनमें से कुछ दुर्गम भी दिखाई दे सकती हैं। फिर भी, असफलताओं के बावजूद, मुझे आशा है कि हम इन समस्याओं को एक साथ हल कर सकते हैं और मानव कौशल और नवाचार के माध्यम से लाखों लोगों की जान बचा सकते हैं। हम जानते हैं कि प्रगति संभव है क्योंकि वैश्विक समुदाय ने पहले भी कठिन बाधाओं का सामना किया है और जीत हासिल की है। और हम ऐसा फिर से कर सकते हैं।"
इस वर्ष की रिपोर्ट में रोकथाम योग्य संक्रामक रोगों और कुपोषण को समाप्त करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच में सुधार, वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने और लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम और सबसे खराब स्थितियों को शामिल किया गया है।
गेट्स फाउंडेशन के सीईओ मार्क सुजमैन ने कहा, "इस ऐतिहासिक मोड़ पर, दुनिया असफलताओं के प्रति कैसे प्रतिक्रिया दिखाती है, यह एक ऐसा विकल्प है जो वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए किये जाने वाले कार्यों को प्रभावित करेगा। लाखों जिंदगियां अधर में लटकी हुई हैं, हम सरकारों, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और परोपकारी संगठनों से महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए और सोचने के नए तरीकों, नए उपकरणों और डेटा, और सिद्ध समाधानों में निवेश करने के लिए और अधिक प्रयास करने का आह्वान करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक व्यक्ति को एक स्वस्थ, उत्पादक जीवन जीने का अवसर मिले।"
अपने निबंध में, फ्रेंच गेट्स डेटा का उदाहरण देती हैं जो दिखाता है कि दुनिया कम से कम 2108 तक लैंगिक समानता तक नहीं पहुंच पाएगी – यानि पहले लगाये गए अनुमान के तीन पीढ़ियों बाद में ऐसा हो पाएगा। वह उन दृष्टिकोणों का आह्वान करती हैं जो न केवल किसी महिला की आजीविका कमाने की क्षमता को सुनिश्चित कर सकें बल्कि उनका अपनी जीविका के साधनों पर नियंत्रण भी हो।
फ्रेंच गेट्स लिखती हैं, "जब प्रगति के भविष्य की बात आती है - न केवल लैंगिक समानता से संबंधित वैश्विक लक्ष्यों पर बल्कि अच्छे स्वास्थ्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, गरीबी को समाप्त करने, और अन्य बहुत मुद्दों पर –तो एक इंजन है जो उन सभी को चला सकता है: वह है महिला शक्ति।"
वह अपने परिवारों और समुदायों में महिलाओं की शक्ति बढ़ाने के लिए दो प्रमाणित दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालती हैं: डिजिटल वित्तीय साधनों तक विस्तारित पहुंच के माध्यम से आर्थिक सुदृढ़ता बनाना और एक मजबूत देखभाल करने वाले बुनियादी ढांचे को लागू करना जो महिलाओं को घर से बाहर आय अर्जित करने में सक्षम बनाता है।
अपने निबंध में, श्री गेट्स ने जोर देकर कहा कि केवल मानवीय सहायता के माध्यम से भूख की समस्या को हल नहीं किया जा सकता है। उन्होंने पूर्वी यूरोप से दुनिया में अनाज की आपूर्ति और वैश्विक खाद्य प्रणाली की भेद्यता और परस्पर संबंध को रेखांकित करने के लिए और जलवायु परिवर्तन के चल रहे खतरे के लिए हाल ही में हुई अप्रत्याशित घटनाओं का हवाला दिया। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की भविष्यवाणी करने के लिए एक नए डेटा विज़ुअलाइज़ेशन टूल का उपयोग करते हुए, रिपोर्ट विशेष रूप से अफ्रीका में भविष्य की फसल की पैदावार और कृषि उत्पादकता के लिए स्पष्ट अनुमान प्रदान करती है।
श्री गेट्स "जलवायु-स्मार्ट" फसलों के रोपण और प्रमाणित समाधानों के रूप में भावी मॉडलिंग का उपयोग करने के उदाहरणों की ओर इशारा करते हैं, जिससे अफ्रीका और भारत में छोटे किसानों को अपनी उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन के विघटनकारी प्रभावों से अपनी फसलों की रक्षा करने में मदद मिली है। वह अनुसंधान एवं विकास वैश्विक संकेतक में और अन्य सिद्ध समाधानों में निवेश बढ़ाने का आह्वान करते हैं ताकि कृषि उत्पादकता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया जा सके, विशेष रूप से अफ्रीका में, जहां 14 देश गेहूं की अपनी आधी आवश्यकता के लिए रूस और यूक्रेन पर निर्भर हैं।
वह लिखते हैं, "दुनिया को उदार होना चाहिए और लोगों को भूखे रहने से रोकना चाहिए, लेकिन दूसरे अर्थ में, यह बड़ी समस्या का समाधान नहीं करता है। लक्ष्य केवल अधिक खाद्य सहायता देना नहीं होना चाहिए। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि खाद्य सहायता की आवश्यकता ही न पड़े। ''
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के विषय में
'हर ज़िंदगी की कीमत एक जैसी होती है'की मान्यता पर आधारित बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाऊंडेशन सभी लोगों को स्वस्थ, उत्पादक जीवन जीने में मदद देने के लिए काम करती है। विकासशील देशों में यह लोगों के स्वास्थ्य में सुधार करने और उन्हें भूख और अत्यधिक गरीबी से बाहर निकालने का अवसर देने में मदद करती है। अमेरिका में यह सुनिश्चित करती है कि सभी लोग -विशेषरूप से वे जिनके पास बहुत कम संसाधन वैश्विक संकेतक हैं - को ऐसे अवसर उपलब्ध हो सकें जिससे वे स्कूल और जीवन में सफल हो सकें। सिएटल, वाशिंगटन में स्थित, फाऊंडेशन का नेतृत्व सीईओ मार्क सुज़मैन सह-अध्यक्षों बिल गेट्स एवं मेलिंडा फ्रेंच गेट्स तथा ट्रस्टी बोर्ड के दिशानिर्देश में करते हैं।
गोलकीपर्स के विषय में
गोलकीपर्स सतत विकास लक्ष्यों (वैश्विक लक्ष्यों) की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के लिए फाउंडेशन का अभियान है। एक वार्षिक रिपोर्ट के माध्यम से वैश्विक लक्ष्यों के पीछे की कहानियों और डेटा को साझा करके, गेट्स फाउंडेशन नेताओं की एक नई पीढ़ी को प्रेरित करने की आशा करती है - गोलकीपर जो प्रगति के बारे में जागरूकता बढ़ाते हैं, अपने नेताओं को उत्तरदायी ठहराते हैं, और वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए गतिविधियां करते हैं।
वैश्विक लक्ष्यों के बारे में
25 सितंबर, 2015 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में, 193 विश्व नेताओं ने 17 सतत विकास वैश्विक संकेतक लक्ष्यों (वैश्विक लक्ष्यों) के लिए प्रतिबद्धता जताई। ये 2030 तक तीन असाधारण चीजें हासिल करने के महत्वाकांक्षी उद्देश्यों और लक्ष्यों की एक श्रृंखला हैं: गरीबी समाप्त करना, असमानता और अन्याय से लड़ना और जलवायु परिवर्तन वैश्विक संकेतक को ठीक करना।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा, वैश्विक रुख से तय होगी शेयर बाजारों की दिशा
नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर (भाषा) रिजर्व बैंक के ब्याज दर पर निर्णय, वृहद आर्थिक आंकड़ों तथा वैश्विक रुख से इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि जोरदार तेजी के बाद अब बाजार में ‘करेक्शन’ के संकेत दिख रहे हैं। इसके अलावा निवेशकों की निगाह रुपये के उतार-चढ़ाव तथा अमेरिका में बांड प्राप्ति पर भी रहेगी। स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ‘‘आगे की दिशा के लिए बाजार की निगाह वैश्विक आंकड़ों पर रहेगी। घरेलू मोर्चे पर बहुत अधिक नकारात्मक संकेतक नहीं हैं, लेकिन
इसके अलावा निवेशकों की निगाह रुपये के उतार-चढ़ाव तथा अमेरिका में बांड प्राप्ति पर भी रहेगी।
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ‘‘आगे की दिशा के लिए बाजार की निगाह वैश्विक आंकड़ों पर रहेगी। घरेलू मोर्चे पर बहुत अधिक नकारात्मक संकेतक नहीं हैं, लेकिन आगामी मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक के गवर्नर की मुद्रास्फीति पर आठ अक्टूबर की टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण रहेगी।’’
मीणा ने कहा कि आठ अक्टूबर को टीसीएस के दूसरी तिामही के नतीजे भी आने हैं।
उन्होंने कहा कि डॉलर इंडेक्स का उतार-चढ़ाव और अमेरिकी बांड पर प्रतिफल की वैश्विक बाजारों की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। वहीं कच्चे तेल की कीमतों का भारतीय बाजारों पर व्यापक प्रभाव रहेगा।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि इस सप्ताह रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा आनी है। सप्ताह के दौरान सेवा पीएमआई के आंकड़े भी आने हैं।
बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स बीते सप्ताह 1,282.89 अंक या 2.13 प्रतिशत नीचे आया। शुक्रवार को बाजार में लगातार चौथे कारोबारी सत्र में गिरावट आई। इसके अलावा बाजार का रुख रुपये के उतार-चढ़ाव, ब्रेंट कच्चे तेल के दाम तथा एफपीआई
के निवेश से भी तय होगा।
जूलियस बेयर इंडिया के प्रबंध निदेशक वरिष्ठ सलाहकार उन्मेश कुलकर्णी ने कहा कि अमेरिकी बाजारों में सितंबर का करेक्शन कुछ जोखिमों को
दर्शाता है। मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी, तेल और जिंस कीमतों में वृद्धि तथा ब्याज दरें बढ़ने से बीच-बीच में निवेशकों की धारणा प्रभावित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व द्वारा अपने नरम रुख को वापस लेने वैश्विक संकेतक की संभावना और चीन के हालिया घटनाक्रमों से भी निवेशक प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि शेयर बाजारों में किसी अर्थपूर्ण करेक्शन से यह दीर्घावधि के निवेशकों को बाजार में प्रवेश का अवसर भी प्रदान करेगा।