देश में बिटकॉइन की कीमतों में गिरावट

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
तेल-तिलहन कीमतों में मिला-जुला रुख
बाजार के जानकार सूत्रों ने बताया कि देश में लागू मौजूदा कोटा प्रणाली की वजह से उपभोक्ता, तेल उद्योग और किसान किसी को भी फायदा नहीं है। सोयाबीन तेल के देश में बिटकॉइन की कीमतों में गिरावट मुकाबले सूरजमुखी तेल का मौजूदा आयात भाव लगभग 100 डॉलर प्रति टन कम हो चला है यानी इन दोनों तेलों के भाव में जो अंतर पहले 35 डॉलर का था वह अंतर अब बढ़कर लगभग 100 डॉलर प्रति टन का हो गया है। कांडला पोर्ट पर सूरजमुखी का भाव पहले 2,500 डॉलर प्रति टन था। विदेशों में सूरजमुखी तेल की आपूर्ति बढ़ने के कारण यह भाव अब घटकर 1,360 डॉलर प्रति टन रह गया है। लेकिन फिर भी ‘कोटा प्रणाली’ की वजह से उत्पन्न शार्ट सप्लाई के कारण यही सूरजमुखी तेल उपभोक्ताओं को लगभग 40 रुपये किलो महंगा खरीदना पड़ रहा है। इस स्थिति के बारे में सरकार को जानकारी देकर ‘कोटा प्रणाली’ को समाप्त करने की सलाह देना, देश के सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) और साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) जैसे प्रमुख तेल संगठनों का दायित्व बनता है। उन्होंने कहा कि इन तेल संगठनों का पहला दायित्व है कि वे देश को तेल आयात पर निर्भरता बढ़ाने वाला रास्ते, खाद्य तेलों की कम आपूर्ति के लिए जिम्मेदार ‘कोटा प्रणली’ खत्म करने और देश के किसान हितों पर होने वाले खतरे के बारे में समय-समय पर सरकार को आगाह करे, नहीं तो देश कभी भी आत्मनिर्भरता की ओर नहीं बढ़ पायेगा।
क्या सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल? कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार गिरावट, जानिए क्या रही वजह
इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड की कीमत करीब 6 फीसदी नीचे आ गई है, जिससे प्रति बैरल क्रूड का भाव 83 डॉलर के भी नीचे देश में बिटकॉइन की कीमतों में गिरावट आ गया है. इसके अलावा WTI क्रूड 75 डॉलर के पास ट्रेड कर रहा है. गिरावट की वजह चीन में लगे कोरोना लॉकडाउन है. क्योंकि इससे क्रूड की डिमांड आउटलुक कमजोर हुआ है.
Crude Price: संभव है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी देखने को मिले. क्योंकि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों गिरावट जारी है. क्रूड की देश में बिटकॉइन की कीमतों में गिरावट कीमतें सोमवार को 2 महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह दुनिया के सबसे क्रूड ऑयल खरीदार देश चीन में लगा कोरोना लॉकडाउन है. साथ ही अमेरिकी डॉलर की मजबूती से भी कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बना है.
ब्रेंट कीमतें करीब 6 फीसदी नीचे
इंटरनेशनल मार्केट में देश में बिटकॉइन की कीमतों में गिरावट ब्रेंट क्रूड की कीमत करीब 6 फीसदी नीचे आ गई है, जिससे प्रति बैरल क्रूड का भाव 83 डॉलर के भी नीचे आ गया है. इसके अलावा WTI क्रूड 75 डॉलर के पास ट्रेड कर रहा है. गिरावट की वजह चीन में लगे कोरोना लॉकडाउन है. क्योंकि इससे क्रूड की डिमांड आउटलुक कमजोर हुआ है.
चीन देश में बिटकॉइन की कीमतों में गिरावट में कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में लगातार इजाफा हो रहा है. नतीजतन, देश के प्रमुख शहरों में लॉकडाउन लगा दिया गया है. इसके अलावा US डॉलर इंडेक्स में उछाल से भी कच्चे तेल की कीमतों में कमजोर दर्ज की जा रही है. डॉलर इंडेक्स सोमवार को 11 नवंबर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है.
कमजोर मांग के कारण एल्युमीनियम वायदा कीमतों में गिरावट
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में नवंबर माह की डिलिवरी के लिए एल्युमीनियम के अनुबंध का भाव 80 पैसे यानी 0.39 प्रतिशत की गिरावट के साथ 205.50 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया। इसमें 2,598 लॉट के लिए कारोबार हुआ।
बाजार विश्लेषकों ने कहा कि हाजिर बाजार में उपभोक्ता उद्योगों की मांग घटने के बीच कारोबारियों द्वारा अपने सौदों की कटान करने से वायदा बाजार में एल्युमीनियम कीमतों में गिरावट आई है।
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पर्याप्त आपूर्ति के बीच ग्वारसीड वायदा कीमतों में गिरावट
एनसीडीईएक्स में ग्वारसीड के दिसंबर माह में आपूर्ति वाले अनुबंध की कीमत 36 रुपये या 0.61 प्रतिशत की गिरावट के साथ 5,856 रुपये प्रति 10 क्विन्टल रह गई। इसमें 46,825 लॉट के लिए कारोबार हुआ।
बाजार सूत्रों देश में बिटकॉइन की कीमतों में गिरावट ने कहा कि उत्पादक क्षेत्रों से आपूर्ति बढ़ने के कारण मुख्यत: ग्वारसीड वायदा कीमतों में गिरावट आई।
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तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट, उपभोक्ताओं को फिलहाल राहत नहीं
नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में गिरावट और मांग कमजोर होने के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को भी लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट दिखाई दी लेकिन उपभोक्ताओं को इस गिरावट का लाभ फिलहाल मिलना बाकी है।
कारोबारी सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 4.5 प्रतिशत की गिरावट रही और यहां शाम का कारोबार बंद है। शिकॉगो एक्सचेंज में भी दो प्रतिशत की गिरावट है। विदेशों की इस गिरावट और मांग कमजोर होने से स्थानीय तेल-तिलहन कीमतों पर दबाव कायम हो गया।
सूत्रों ने बताया कि खाद्य तेल कीमतों की मंदी से तेल उद्योग, किसान परेशान हैं। दूसरी ओर आयातक पूरी तरह बैठ गये हैं, क्योंकि उनपर बैंकों का भारी कर्ज का बोझ आ गया है। सरकार की ‘कोटा व्यवस्था’ के कारण उत्पन्न ‘शॉर्ट सप्लाई’ (कम आपूर्ति) के चलते उपभोक्ताओं को भी खाद्य तेल बाजार टूटने का फायदा नहीं मिल रहा। इसके उलट उन्हें सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल ऊंचे दाम पर खरीदना पड़ रहा है। सरकार को यदि तेल- तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करनी है तो एक प्रकोष्ठ बनाकर नियमित तौर पर तेल-तिलहन बाजार की निगरानी रखनी होगी और किसानों को तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन बढ़ाना होगा।