चित्र ध्वज

राष्ट्रीय ध्वज पर 10 वाक्य हिंदी में। 10 Lines On National Flag in Hindi
हमें अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान पूरी शिद्दत और कर्तव्यनिष्ठा के साथ करना चाहिए। तिरंगा झंडा हमारे देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। हमारे राष्ट्रीय पर्व जैसे 26 जनवरी, 15 चित्र ध्वज अगस्त , 2 अक्टूबर पर बहुत ही सम्मान के साथ फहराया जाता है।
किसी भी राष्ट्र के लिए उसके राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान सर्वोपरि होता है। प्रत्येक राष्ट्र का एक राष्ट्रीय ध्वज होता है जो उस राष्ट्र की स्वतंत्रता का प्रतीक होता है। हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है जो हमारी आन बान शान सम्मान और मर्यादा का प्रतीक होता है ।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको राष्ट्रीय ध्वज पर 10 वाक्य हिंदी में 10 Lines On National Flag in Hindi, short essay on national flag के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बता रहे हैं जो आपको राष्ट्रीय ध्वज के महत्व को समझने में मददगार साबित होंगी।
10 Lines On National Flag in Hindi
10 Lines On National Flag in Hindi-:
$1. भारत देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है ।
$2. राष्ट्रीय ध्वज स्वतन्त्रता का प्रतीक होता है।
$3. हमारे देश का राष्ट्रीय चित्र ध्वज ध्वज आयताकार है।इसमें तीन रंग है। केसरिया , सफेद, हरा।
$4. सबसे ऊपर की पट्टी केसरिया रंग की होती है जो साहस, वीरता, और शौर्य का प्रतीक होती है।
$5. मध्य की पट्टी सफेद रंग की होती है जो शांति, शुद्धता और सत्यता का प्रतीक होता है।
$6. नीचे की पट्टी हरे रंग की होती है जो चित्र ध्वज सुख, समृद्धि और विकास का प्रतीक होती है।
$7. ध्वज के मध्य में एक चक्र होता है जिसमें 24 तीलियाँ होती हैं।जिसे सारनाथ में स्तिथ सम्राट अशोक के राजचिन्ह से लिया गया है।
$8. चक्र हमें निरंतर गति से चलते रहने की प्रेरणा देता है।
$9. हमारे देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होता है कि वह अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करें और उससे आगे बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त करे।
$10. तिरंगा भारत देश की आन बान और शान है।
Note -: राष्ट्रीय ध्वज पर 10 वाक्य हिंदी में 10 Lines On National Flag in Hindi , Short essay on National Flag in Hindi आपको पसंद आये तो अपने दोस्तों को Fecebook, Whatsapp, Twitter, Instagram पर शेयर जरूर करें।
Har Ghar Tiranga Abhiyaan: भारत के झंडे की यात्रा तिरंगे तक
Har Ghar Tiranga Abhiyaan: अगर आजादी के पहले की बात करें तो छोटी छोटी रियासतों में बंटे इस देश का कोई राष्ट्रीय ध्वज नहीं था।
Indian National Flag (Image: Social Media)
Har Ghar Tiranga Abhiyaan: भारत की आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का इतिहास। तिरंगा कब से अस्तित्व में आया क्या देश आजाद होने के पहले भी तिरंगा देश का झंडा था। इस झंडे में कितने संशोधन हुए और कैसे यह देश का राष्ट्रीय ध्वज बना।
अगर आजादी के पहले की बात करें तो छोटी छोटी रियासतों में बंटे इस देश का कोई राष्ट्रीय ध्वज नहीं था। ये बात अलग है कि विदेशी हुकूमत से सब परेशान थे और सबकी इच्छा विदेशी हुकूमत से निजात पाने की थी। इसी लिए एक समान उद्देश्य के लिए सब मिलकर लड़े। 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम के समय भी मिलकर लड़ने के बावजूद देश का कोई एक राष्ट्रीय ध्वज नहीं था। उस समय यूनियन जैक ही फहराया करता था। उससे पहले भी कोई भारत के पास कभी भी ऐसा राष्ट्रीय ध्वज नहीं था जो उसे एक राष्ट्र के रूप में प्रतिनिधित्व दिला सके।
पहला झंडा कब अस्तित्व में आया
देश का पहला झंडा एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सचिंद्र प्रसाद बोस ने डिजाइन किया था। चित्र ध्वज जोकि सर सुरेंद्रनाथ बनर्जी के अनुयायी थे। इस झंडे को 1906 में बंगाल विभाजन के विरोध में फहराया गया था। उस समय सचिंद्र रिपन कॉलेज, कलकत्ता के चौथे वर्ष के छात्र थे। उन्होंने 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता, भारत में पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीर पार्क) में कलकत्ता ध्वज को डिजाइन और फहराया। 1908 में उन्हें गिरफ्तार कर रावलपिंडी जेल भेज दिया गया। यह झंडा केसरिया पीला और हरे रंग का था जिसमें बीच में वंदे मातरम लिखा था। वास्तव में जब तक बंगाल के विभाजन की घोषणा नहीं हुई, तब तक भारतीयों को झंडा रखने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई थी। उस दिन को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया गया था। एक साल बाद विभाजन विरोधी आंदोलन की बरसी पर यह झंडा फहराया गया। बाद में विभाजन रद्द होने के बाद लोग झंडे के बारे में भूल गए।
जर्मनी में द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस में भाग लेने वाली मैडम भीकाजी रुस्तम कामा ने अंग्रेजों के साथ राजनीतिक लड़ाई के बारे में भाषण दिया और झंडा लहराया। इसे हेम चंद्र दास ने बनाया था। यह झंडा ऊपर हरा बीच में केसरिया और नीचे लाल था इसमें भी बीच में वंदेमातरम लिखा था।
पांच लाल और पांच हरी आड़ी पट्टियों वला झंडा (फोटो: सोशल मीडिया )
वर्षों बाद 1917 में होमरूल आंदोलन के दौरान बाल गंगाधर चित्र ध्वज तिलक और श्रीमती ऐनी बेसेंट ने भी एक झंडे का डिजाइन तैयार किया। यह झंडा यूनियन जैक चित्र ध्वज के साथ था जिसमें पांच लाल और पांच हरी आड़ी पट्टियां थीं
चार साल बाद 1921 में गांधी जी चित्र ध्वज ने श्री पिंगले वेंकय्या को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन करने के लिए कहा, जिसमें चित्र ध्वज ध्वज में 'चरखा' होना चाहिए क्योंकि यह आत्मनिर्भरता, प्रगति और आम आदमी का प्रतिनिधित्व करता है। इसे स्वराज ध्वज, गांधी ध्वज और चरखा ध्वज भी कहा जाता था। हालांकि, 1931 में कराची में ध्वज को संशोधित करने के लिए एक सात सदस्यीय ध्वज समिति की स्थापना की गई थी और उन्होंने एक नया डिजाइन दिया था।
भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा (फोटो: सोशल मीडिया )
भारत के लिए बड़ा दिन तब आया जब लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत को स्वतंत्र करने के निर्णय की घोषणा की। सभी दलों को स्वीकार्य ध्वज की आवश्यकता महसूस की गई और स्वतंत्र भारत के लिए ध्वज को डिजाइन करने के लिए डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक तदर्थ ध्वज समिति का गठन किया गया। गांधीजी की सहमति ली गई और पिंगले वेंकैया के झंडे को संशोधित करने का निर्णय लिया गया। चरखे के स्थान पर अशोक के सारनाथ स्तम्भ का चिन्ह, पहिया तय किया गया था। किसी भी रंग का कोई सांप्रदायिक महत्व नहीं था। राष्ट्रीय ध्वज 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था।
पाकिस्तानी उच्चायोग ने फेसबुक से बांग्लादेशी राष्ट्रीय ध्वज की ''विकृत'' तस्वीर हटाई
ढाका: पाकिस्तानी उच्चायोग ने ढाका की कड़ी आपत्ति के बाद यहां रविवार को अपने चित्र ध्वज फेसबुक पेज से उस विवादास्पद कवर फोटो को हटा दिया, जिसमें कथित तौर पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज की "विकृत" छवि का इस्तेमाल किया गया था। उच्चायोग ने हाल ही में अपने आधिकारिक फेसबुक पेज के कवर फोटो के रूप में पाकिस्तान और बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का एक कोलाज अपलोड किया था। कोलाज में एक झंडा दिखाया गया था जिसमें बांग्लादेश के मूल लाल और हरे झंडे के साथ पूरा चांद और आधा चांद था। विदेश मंत्री डॉ एके अब्दुल मोमेन ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तानी उच्चायोग के फेसबुक पेज पर बांग्लादेश और पाकिस्तान के झंडों की एक साथ तस्वीर पर आपत्ति जताई गई थी और छवि को हटाने के लिए कहा गया था।
उन्होंने कहा, "हालांकि, चित्र ध्वज मेरा मानना है कि इसके पीछे कोई बुरा मकसद नहीं था।" बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "पाकिस्तानी उच्चायोग ने आज (रविवार) दोपहर अपने फेसबुक पेज से बांग्लादेश के झंडे की विकृत छवि को हटा दिया क्योंकि हमने उससे ऐसा करने को कहा था।" 'बांग्लादेश मुक्तिजुद्धो मंच' सहित कई समूहों ने विकृत छवि अपलोड करने पर पाकिस्तान उच्चायोग का विरोध किया था और इसे बांग्लादेश के झंडे का अपमान बताया था।
बांग्लादेश, जिसे पूर्वी पाकिस्तान के रूप में जाना जाता था, को 1971 में नौ महीने लंबे मुक्ति संग्राम में भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान से आजादी मिली थी। वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना और धार्मिक मिलिशिया ने 30 लाख बांग्लादेशी लोगों की हत्या कर दी थी और हजारों महिलाओं से बलात्कार किया था। बांग्लादेश की मुक्ति के लिए भारतीय सेना द्वारा लड़े गए युद्ध में पाकिस्तान को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था और भारतीय सैनिकों की वीरता एवं शौर्य के चलते लगभग 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।
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युवाओं ने लहराया भगवा ध्वज, लगाए श्रीराम के जयकारे
रामनवमी के अवसर पर सुहेला क्षेत्र के युवाओं ने लगभग 20 किलोमीटर लंबी बाइक रैली का आयोजन रखा जो नवापारा, मुड़पार, जांगड़ा होकर सुहेला महामाया चौक पहुंची। भगवान राम के तैल चित्र पर पूजा अर्चना कर रैली की शुरुआत की गई।
सुहेला। रामनवमी के अवसर पर सुहेला क्षेत्र के युवाओं ने लगभग 20 किलोमीटर लंबी बाइक रैली का आयोजन रखा जो नवापारा, मुड़पार, जांगड़ा होकर सुहेला महामाया चौक पहुंची। भगवान राम के तैल चित्र पर पूजा अर्चना कर रैली की शुरुआत की गई। रैली से पूरा क्षेत्र भगवामय हो गया और जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजसेवी व रायपुर जिला पंचायत उपाध्यक्ष टंक राम वर्मा थे। वहीं विशिष्ट अतिथि के दौर पर दौलत पाल उपस्थित रहे। सुहेला पहुंची रैली को टंक राम वर्मा ने संबोधित करते कहा कि चित्र ध्वज आज मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र का जन्म दिवस पूरे भारत वर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में आज हमारे युवा साथियों द्वारा भव्य बाइक रैली का आयोजन किया गया है। भगवान श्रीराम का जन्म अधर्म को समाप्त कर धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण भी धर्म स्थापना के लिए हुआ था। धर्म की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
हम हिंदू धर्म में जन्म लिए है ये हमारे लिए गर्व का विषय है और हर स्थिति में धर्म की रक्षा करना चाहिए। मां दुर्गा अपने एक हाथ में शास्त्र और दूसरे हाथ में शस्त्र धारण किए हुए हैं। यदि शास्त्र के ऊपर कोई समस्या या संकट आता है, धर्म के ऊपर संकट आता है तो इसकी रक्षा शस्त्र द्वारा किया जाता है। हम सबको तन मन धन से समर्पित होकर धर्म की रक्षा करना है। सभी युवा साथी संकल्प ले कि धर्म की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। धर्म है तो हम है। सभा को बजरंग दल जिला उपाध्यक्ष दौलत पाल ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में करण वर्मा, दिनेश चवरे, दीपक साहू, मिथलेश वर्मा, दुर्गेश निषाद, मनोहर निषाद, रवि वर्मा, युवराज वर्मा, प्रकाश, अजय पात्रे, चेतन साहू, सेवा राम वर्मा सहित दो सौ कार्यकर्ता बाइक रैली में शामिल थे।