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सामूहिक निवेश क्या है

सामूहिक निवेश क्या है

SEBI ने CIS नियमों की समीक्षा की योजना बनाई

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) सामूहिक निवेश योजनाओं (CIS) के नियमों की पहली समीक्षा के उद्देश्य से एक परामर्श पत्र लेकर आया है ताकि उन्हें म्यूचुअल फंड के बराबर लाया जा सके। सीआईएस एक ऐसी व्यवस्था है जहां लोग अपने पैसे को एक परिसंपत्ति में निवेश करने के लिए जमा करते हैं, जिसमें उनके समझौते के अनुसार रिटर्न और लाभ साझा किया जाता है।

नियामक के अनुसार, भारत में कई कंपनियां कृषि बांड और वृक्षारोपण बांड के माध्यम से निवेशकों से पूंजी जुटा रही हैं, जो सीआईएस के रूप में थे, लेकिन निवेशकों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान किए बिना। सेबी का मानना ​​है कि निवेश की कोई सीमा नहीं होने के कारण सीआईएस योजनाओं के लिए खुदरा निवेशक प्राथमिक लक्ष्य हैं।

सबसे हाई-प्रोफाइल मामलों में से एक में, नियामक ने सहारा समूह को उसकी बड़े आकार की सामूहिक निवेश क्या है सामूहिक निवेश योजनाओं के लिए फटकार लगाई थी।

सेबी का लक्ष्य सामूहिक निवेश प्रबंधन कंपनी (CIS) को सीआईएस निवेशकों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का प्रभावी ढंग से निर्वहन करने के लिए सशक्त बनाना है। CIMC ऐसी संस्थाएँ हैं जो CIS का आयोजन, संचालन और प्रबंधन करती हैं। वे इन योजनाओं के लिए जनता से धन जुटाने के हकदार हैं।

इसके अलावा, बाजार नियामक ने सीआईएस पारिस्थितिकी तंत्र में भी म्यूचुअल फंड के स्किन-इन-द-गेम प्रकार के नियमों को पेश करने का प्रस्ताव किया है।

“CIMC को कॉर्पस के 2.5% से कम या CIS में निवेश के रूप में ₹5 सामूहिक निवेश क्या है करोड़ का निरंतर ब्याज रखने के लिए कहा जा सकता है। साथ ही, सीआईएमसी के नामित कर्मचारियों के वेतन/भत्तों/बोनस/गैर-नकद मुआवजे (सकल वार्षिक सीटीसी) का न्यूनतम 20% और किसी भी सांविधिक योगदान (यानी भविष्य निधि और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली) का भुगतान किया जाएगा। अनिवार्य रूप से सीआईएस की इकाइयों में निवेश किया गया है जिसमें उनकी भूमिका / निरीक्षण है,” सेबी ने शुक्रवार को परामर्श पत्र में लिखा था।

सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए सामूहिक विकास कार्यक्रम के बारे में जानकारी प्राप्त करें

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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा सामूहिक विकास के रूप में एक विशेष पहल की गई है जिसका उद्देश्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों की उत्पादन क्षमता, प्रतिस्पर्धा में वृद्धि करना एवं उनमें सामूहिकता का भाव विकसित करना है। आप इस योजना, इसके उद्देश्यों, व्यापकता, योजना की लागत, इसके अंतर्गत दी जाने वाली सहायता, आवेदन प्रक्रिया इत्यादि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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सेबी 10 नवंबर को करेगा इन 3 कंपनियों की संपत्तियों की नीलामी, जानिए वजह

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) निवेशकों से गैरकानूनी तरीके से जुटाए गए धन की वसूली के लिए तीन कंपनियों- सुमंग . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 07, 2022, 21:48 IST

नई दिल्ली. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) निवेशकों से गैरकानूनी तरीके से जुटाए गए धन की वसूली के लिए तीन कंपनियों- सुमंगल इंडस्ट्रीज, जीएसएचपी रियलटेक और इंफोकेयर इंफ्रा लिमिटेड की संपत्तियों की 10 नवबंर को नीलामी करेगा. सेबी ने शुक्रवार को जारी सार्वजनिक नोटिस में कहा कि इन कंपनियों की कुल 10 संपत्तियों की 7.68 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य पर नीलामी की जाएगी.

इन 10 संपत्तियों में से पांच सुमंगल इंडस्ट्रीज लिमिटेड की, तीन इंफोकेयर इंफ्रा लिमिटेड की हैं और शेष जीएसएचपी रियलटेक लिमिटेड की हैं. इनमें भूमि, कई मंजिला इमारतें और पश्चिम बंगाल में स्थित एक फ्लैट शामिल हैं.

10:30 से लेकर दोपहर 12:30 बजे तक होगी नीलामी
बाजार नियामक सेबी ने तीन कंपनियों और उनके प्रवर्तकों एवं निदेशकों के खिलाफ वसूली की कार्रवाई में संपत्तियों की बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित करते हुए कहा कि यह ऑनलाइन नीलामी 10 नवंबर को सुबह 10:30 बजे से लेकर दोपहर 12:30 बजे तक की जाएगी.

जानिए क्या है वजह
सेबी की एक जांच में पाया गया कि जीएसएचपी रियलटेक ने 2012-13 में 535 व्यक्तियों से गैर-परिवर्तनीय रिडीमेबल डिबेंचर (एनसीडी) जारी करके नियामक मानदंडों का पालन किए बिना पैसा जुटाया था. जबकि इन्फोकेयर इंफ्रा ने 90 निवेशकों को गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर आवंटित करके 98.35 लाख रुपये जुटाए थे.

साथ ही, सुमंगल इंडस्ट्रीज ने अवैध सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के माध्यम से निवेशकों से 85 करोड़ रुपये एकत्र किए थे. फर्म अवैध ‘आलू खरीद’ निवेश योजनाएं चला रही थी, जिसमें निवेशकों को केवल 15 महीनों में 100 प्रतिशत तक लाभ का वादा किया गया था.

सेबी ने 2013 और 2016 में क्रमशः सुमंगल और जीएसएचपी रियलटेक, इंफोकेयर इंफ्रा प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ उनके प्रवर्तकों और निदेशकों को निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था. हालांकि, संस्थाएं निवेशकों के पैसे वापस करने में विफल रहीं जिसके बाद नियामक ने उनके खिलाफ वसूली की कार्यवाही शुरू की.

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कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम पर लगेगी मनमानी, सेबी करेगी समीक्षा

मुंबई- मार्केट रेगुलेटर सेबी कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम (CIS) चलाने वाली कंपनियों पर अब लगाम की तैयारी कर रही है। यह पहली बार होगा, जब इस सेक्टर पर नियम लागू किए जाएंगे। सेबी ने सामूहिक निवेश क्या है पहली बार सामूहिक निवेश योजनाओं यानी CIS के नियमों में बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है। CIS क्लोज्ड एंडेड निवेश सेक्टर में एक पूल्ड इन्वेस्टमेंट साधन माना जाता है। इस स्कीम्स की यूनिट्स को एक्सचेंज पर लिस्ट किया जाता है। इसमें एक निवेशक द्वारा कोई न्यूनतम निवेश सीमा सामूहिक निवेश क्या है नहीं होती है। रिटेल इन्वेस्टर CIS के लिए प्राइमरी टारगेट इन्वेस्टर होते हैं।

सेबी ने प्रस्तावित किया है कि कलेक्टिव इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी (CIMC) या उसके प्रमोटर्स के पास फायदा का ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए। साथ ही नेटवर्थ भी होना चाहिए। इसने सुझाव दिया है कि CIMC की न्यूनतम नेटवर्थ 50 करोड़ रुपए होनी चाहिए। उनकी कुल संपत्ति पिछले पांच वर्षों में पॉज़िटिव होनी चाहिए। पहले के 5 वर्षों में से तीन में डिप्रीशिएशन, सामूहिक निवेश क्या है इंटरेस्ट और टैक्स अदा करने के बाद भी फायदा में होना चाहिए। दरअसल देश में ढेर सारी कंपनियां CIS चलाकर निवेशकों से फंड लेती हैं। बाद में यह फरार हो जाती हैं। कुछ मामलों में यह CIS के तहत आती भी नहीं हैं। इसलिए सेबी ने अब इनको दायरे में लाने और उन्हें रेगुलेट करने के लिए योजना बनाई है।

सेबी ने यह भी प्रस्ताव दिया कि अगर CIMC, उसके शेयर होल्डर्स के पास प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 10% या उससे अधिक हिस्सेदारी है तो किसी भी अन्य CIMC में शेयर होल्डिंग या वोटिंग अधिकार का 10% या अधिक नहीं होना चाहिए। साथ ही किसी अन्य CIMC पर बोर्ड का प्रतिनिधित्व भी नहीं होना चाहिए।

CIS नियमों को 1999 में नोटिफाई किया गया था और तब से आज तक इसकी कोई समीक्षा नहीं की गई है। शुक्रवार को एक चर्चा में सेबी ने कहा कि रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए उपलब्ध विभिन्न पूल्ड इनवेस्टमेंट साधन के बीच किसी भी रेगुलेटरी मध्यस्थता (arbitrage) को हटाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि नियामक आवश्यकता (regulatory requirement) को म्यूचुअल फंड के साथ गठबंधन किया जाना चाहिए।

म्यूचुअल फंड की तरह सेबी ने CIS के लिए भी स्किन-इन-द-गेम रुल्स का प्रस्ताव दिया है। रेगुलेटर ने कहा कि CIMC को CIS में निवेश के रूप में कम से कम ढाई प्रतिशत का ब्याज या और पांच करोड़ रुपए का कॉर्पस होना चाहिए। यानी इसमें से जो कम होगा, वह लागू किया जाएगा।

ओसियान `सामूहिक निवेश योजना' बंद कर निवेशकों का पैसा लौटाए ः सेबी

मुंबई, (भाषा)। नियामक से मंजूरी लिए बिना आम लोगों से धन जुटाने वाले कला कोषों के खिलाफ अपनी पहली कार्रवाई में बाजार नियामक सेबी ने कल ओसियान के आर्ट फंड को अपनी `सामूहिक निवेश योजना' बंद करने और 3 महीने के भीतर निवेशकों को 10 प्रतिशत ब्याज के साथ पैसा लौटाने को कहा। सेबी ने यह भी कहा कि अगर योजना बंद कर निवेशकों को तीन महीने के भीतर पैसा लौटाने की रिपोर्ट दाखिल नहीं की जाती है तो वह `संभावित धोखाधड़ी, "गी, विश्वासघात और सार्वजनिक कोष के गलत इस्तेमाल' के लिए ओसियान और उसके प्रवर्तकों, निदेशकों और अन्य शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करेगा। ओसियान के खिलाफ करीब छह साल तक चली जांच के बाद अपने अंतिम आदेश में सेबी ने सहारा मामले का भी जिक्र किया जिसमें सहारा समूह की दो गैर..सूचीबद्ध कंपनियों को उच्चतम न्यायालय द्वारा निवेशकों को 24,000 करोड़ रुपये से अधिक धन लौटाने का आदेश दिया गया। सेबी ने ओसियान के कोनोस्यूर्स आफ आर्ट प्राइवेट लिमिटेड को सामूहिक निवेश योजना बंद कर लोगों को पैसा लौटाए जाने तक शेयर बाजार में खरीद..फरोख्त करने और प्रतिभूतियों का लेनदेन करने से भी रोक दिया है। कंपनी ने अपनी आर्ट फंड स्कीमों में से एक स्कीम के लिए 656 निवेशकों से 102.4 करोड़ रु जुटाए थे। ओसियान की विभिन्न स्कीमों द्वारा जुटाई गई कुल राशि का पता नहीं लगाया जा सका। उल्लेखनीय है कि सेबी ने इस मामले में 2007 में जांच शुरू की थी।

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