विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण

जरुरी जानकारी | भारत को कौशल विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण आपूर्ति केंद्र बनाने के लिए नीति बना विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण रही है सरकार : प्रधान
Get Latest हिन्दी समाचार, विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि सरकार वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत को कौशल का आपूर्ति केंद्र बनाने के लिए नीति बना रही है।
नयी दिल्ली, 15 नवंबर केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि सरकार वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत को कौशल का आपूर्ति केंद्र बनाने के लिए नीति बना रही है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों में कुशल कार्यबल की जरूरत की पहचान करने के लिए वैश्विक कौशल श्रृंखला से जुड़ी आवश्यकताओं की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
उन्होंने कहा कि जब वाणिज्य विभाग भारत की तरफ से विभिन्न देशों के साथ व्यापार सौदों पर बातचीत करता है तो कौशल आवश्यकताओं की पहचान एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में काम करेगी।
दस देशों के राजदूतों के साथ केंद्र सरकार के चार विभागों के सहयोग से मंगलवार को वर्चुअल ‘ग्लोबल स्किल्स समिट’ का आयोजन किया। इसमें ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण जर्मनी, जापान, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर, तंजानिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ब्रिटेन ने भाग लिया।
प्रधान ने कहा, ‘‘भारत दुनिया में ‘कुशल कार्यबल’ की जरूरतों को पूरा कर सकता है। हमें देश को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में कौशल का आपूर्ति केंद्र बनाना है। इस उद्देश्य के लिए एक नीति तैयार की जा रही है। इसे ध्यान में रखते हुए वर्चुअल ग्लोबल स्किल्स समिट का आयोजन आज किया गया।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि औद्योगिक क्रांति 4.0 के बाद भारत से कुशल कार्यबल या कर्मचारियों की विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण मांग बढ़ गई है।
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जी-20 के दौरान ‘विकास के लिए डेटा’ पर विशेष जोर: मोदी
बाली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बुधवार को जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 summit) में कहा कि ‘डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन’ (डिजिटल प्रौद्योगिकी के अनुकूल ढलने के लिए बदलाव) कुछ लोगों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए और इसका अधिक लाभ तभी मिल सकता है, जब इसकी पहुंच को वास्तव में समावेशी बनाया जाए। मोदी ने इस बात की मजबूती से वकालत की कि जी-20 नेता अगले 10 वर्षों में हर इंसान के जीवन में ‘डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन’ (digital transformation) लाने के लिए काम करने का संकल्प लें, ताकि कोई भी विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण व्यक्ति नई प्रौद्योगिकियों के लाभ से वंचित न रहे।
प्रधानमंत्री ने ‘डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन’ पर आयोजित एक सत्र में कहा कि आगामी वर्ष में भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान ‘विकास के लिए डेटा’ के इस्तेमाल को मुख्य रूप से महत्व दिया जाएगा। मोदी ने बताया कि भारत ने डिजिटल प्रौद्योगिकी विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण के अनुसार किस प्रकार स्वयं को ढाला है। उन्होंने कहा कि देश ने ऐसे डिजिटल सार्वजनिक उत्पाद विकसित किए हैं, जिनकी बुनियादी विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण संरचना में लोकतांत्रिक सिद्धांत अंतर्निहित हैं, लेकिन उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि अधिकतर विकासशील देशों के नागरिकों की कोई ‘डिजिटल पहचान’ नहीं है।
मोदी ने कहा कि पिछले कुछ साल में भारत के अनुभव ने दिखाया है कि यदि डिजिटल बुनियादी ढांचे को व्यापक स्तर पर सुलभ बनाया जाए, तो इससे सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाया जा सकता है। मोदी ने कहा, डिजिटल प्रौद्योगिकी विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण के अनुकूल ढलना हमारे युग का सबसे उल्लेखनीय बदलाव है। डिजिटल प्रौद्योगिकी का उचित इस्तेमाल गरीबी के खिलाफ दशकों से जारी वैश्विक लड़ाई में बहुत मददगार हो सकता है। उन्होंने कहा, डिजिटल समाधान जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी मददगार हो सकते हैं, जैसा कि हमने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान कार्यालय में उपस्थित न होते हुए भी काम करने की सुविधा और कागजरहित हरित कार्यालयों जैसे उदाहरणों में इस बात को साबित होते देखा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये लाभ तभी लिए जा सकेंगे, जब डिजिटल पहुंच वास्तव में समावेशी बनेगी और डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल वास्तव में व्यापक होगा। उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से, अभी तक हमने इस शक्तिशाली उपकरण को लाभ-हानि के बही-खातों में बांधे रखकर साधारण व्यापार की कसौटी से ही इसे देखा है।
मोदी ने कहा, यह हम जी-20 नेताओं की जिम्मेदारी है कि ‘डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन’ के लाभ कुछेक लोगों तक सीमित नहीं रहें। उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल पहुंच को सार्वजनिक बना रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब भी ‘बड़ा डिजिटल अंतर’ है। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से शासन में गति एवं पारदर्शिता लाई जा सकती है।