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लाभ पद्धति

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2. योजना छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण एवं रोचक होनी चाहिए।

मनचाहे अवसर हाथ में होने के बात भी अवसाद में चले गए थे सिद्धार्थ माल्या

इंटर क्रोपिंग की पद्धति से होने वाले लाभ और नुकसान

आमतौर पर किसान एक खेत में एक समय एक ही फसल की बुवाई करते हैं लेकिन किसान दो या दो से अधिक फसलें भी एक ही खेत में एक ऋतु में उगा सकते हैं.

हमारे देश में फसल उत्पादन मौसम की प्रतिकूल दशाओं जैसे- बाढ़,पाला, सूखा और ओला आदि से प्रभावित रहता है. इसके अतिरिक्त कीट व रोगों द्वारा भी कई बार फसलों को भारी नुकसान होता है.

इन दशाओं में किसान फसल उत्पादन के प्रति निरंतर डरा हुआ या आशंकित रहता है कि उसे अपेक्षित पैदावार मिलेगी या नहीं. ऐसे में मिश्रित फसल उगाना किसान के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है.

मिश्रित फसल की अवधारणा हमारे देश के लिए कोई नवीन नहीं है. प्राचीन काल से मिश्रित खेती हमारे कृषि प्रणाली का अभिन्न अंग रहा है.

एक ही ऋतु में एक ही खेत में एक साथ दो या दो से अधिक फसलों को उगाना मिश्रित फसल कहलाती है तथा दो या दो से अधिक फसलें एक निश्चित दूरी पर पंक्ति में या बिना पंक्ति के बोई जाती है, तो उसे इंटर क्रोपिंग कहते हैं.

Natural Farming: कृषि शिक्षा पाठ्यक्रम में जल्द शामिल होगी प्राकृतिक खेती, इस पद्धति में लागत कम और उपज की कीमत अधिक, और भी कई लाभ

Natural Farming: कृषि शिक्षा पाठ्यक्रम में जल्द शामिल होगी प्राकृतिक खेती, इस पद्धति में लागत कम और उपज की कीमत अधिक, और भी कई लाभ

Natural Farming: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने कहा है कि प्राकृतिक खेती (natural farming) वर्तमान समय की मांग है, जिसमें लागत कम लगती है और उपज की कीमत अधिक मिलती है। प्राकृतिक खेती अब कृषि शिक्षा में भी आएगी। प्राकृतिक खेती पद्धति कृषि लाभ पद्धति शिक्षा पाठ्यक्रम में शीघ्र जुड़े, इस दिशा में सरकार प्रयास कर रही है। श्री तोमर ने यह बात कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनसुंधान संस्थान (अटारी), जबलपुर और राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा ग्वालियर में प्राकृतिक खेती पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में कही।

बंजर जमीन पर चला जज्बे का हल, मल्चिंग पद्धति से किसानों ने बदली तकदीर

चतरा के किसान मच्लिंग तकनीक से अपनी तकदीर बदल रहे हैं. कई किसान दूसरे राज्यों में मजदूरी करते थे और जब लॉकडाउन में घर लौटे तो यहां कोई रोजगार नहीं मिला. इसके बाद बंजर जमीन पर मेहनत की और मच्लिंग तकनीक से खेती शुरू की. इसका उन्हें बहुत लाभ मिला. दूसरे किसान भी अब इस पद्धति लाभ पद्धति को अपना रहे हैं.

चतरा: कहते हैं न कि इरादे अगर बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. ऐसे ही बुलंद हौसले से चतरा के किसानों ने कमाल कर दिखाया है. बंजर जमीन पर जज्बे का हल चला और किसानों ने खुद अपने हाथों से तकदीर बदली. किसानों की कड़ी मेहनत की बदौलत बंजर जमीन पर भी फसल लहलहा रही है. किसानों के इस हौसले को कृषि विज्ञान केंद्र ने उड़ान दी है.

दरअसल, जब देश में लॉकडाउन लगा तब मजदूर वापस अपने गांव लौटने लगे. चतरा में भी मजदूर अपने गांव पहुंचे लेकिन उनके सामने बड़ी समस्या रोजगार की थी. रोजगार का कोई साधन नहीं मिला तब किसानों ने अपनी सोच बदली और ड्रिप इरीगेशन और मल्चिंग पद्धति से खेती कर अपनी तकदीर बदल डाली.

योजना विधि के लाभ (Advantages of Project Method)

प्रोजेक्ट पद्धति एक ऐसी योजना है जिसका प्रयोग किसी सामाजिक समस्या के समाधान हेतु किया जाता है। प्रो० किलपैट्रिक के अनुसार, “प्रोजेक्ट वह उद्देश्यपूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाए।”

प्रोजेक्ट पद्धति के प्रमुख लाभ निम्नवत् हैं-

1. प्रोजेक्ट पद्धति में छात्रों को विभिन्न सामाजिक सिद्धान्तों तथा मनोवैज्ञानिक नियमों का ज्ञान प्राप्त होता है।

2. इस पद्धति के द्वारा शिक्षण से छात्रों को सीखने के विभिन्न नियमों, विभिन्न मनोदशाओं, जिज्ञासाओं तथा इच्छाओं का ज्ञान प्राप्त होता है।

3. शिक्षण में प्रोजेक्ट पद्धति के द्वारा कार्य अनुभव, विभिन्न क्षेत्रों में विचारशीलता, सामाजिक कुशलता इत्यादि को विकसित करने में सहायता मिलती है।

परियोजना विधि के दोष (Demerits of Project Method)

सामान्यतः प्रोजेक्ट विधि के जहाँ लाभ हैं वहीं इसकी कुछ हानियाँ भी हैं जो निम्नलिखित हैं-

(1) यह विधि अधिक महंगी होती है।

(2) शिक्षण कार्य व्यवस्थित नहीं हो पाता है।

(3) छात्रों का उचित मूल्यांकन करने में समस्या होती है।

(4) श्रम अधिक खर्च होता है।

(5) उच्च स्तर पर केवल प्रोजेक्ट से शिक्षण नहीं किया जा सकता।

(6) परियोजनाओं के लिए उपकरणों तथा प्रयोगशालाओं की आवश्यकता होती है।

(7) योजना के लिए उचित सन्दर्भ साहित्य का अभाव हो सकता है।

(8) यह प्रत्येक विद्यालय से सम्भव नहीं है।

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Are you mentally sound? Has it ever occurred to you that your thinking, feeling, mood, behaviour or actions are लाभ पद्धति at odds with your usual old self? You may not be able to spot these aberrations. However, your family members and friends will always be the first persons to spot even a tinge of change in your feeling, mood, behaviour or actions before a mental illness appears in its full-blown form. These are the warning signs of mental illness which may include, but aren’t limited to, common symptoms like esoteric phobias, intense depression, unreasonable anxiety to specific disorders like bipolar disorder and schizophrenia. To confound your understanding before the realisation dawn on you, many a time, you may experience periods of physical, mental, and social well-being despite a clinical diagnosis of mental illness. A lack of understanding or misconception about mental health problems can discourage people from getting needed treatment. Here comes to role of Mansik Swasthya Patrika, the first of its kind concerted endeavour to unravel the common man's mystery about mental health which is the most ignored and miscontrued health subject, specifically in the cow-belt of India. On one hand, mental health issues are looked down upon as taboos some even considering it insanity and/or paranormal repercussions, on the other, there is blissful ignorance about various mental diseases and symptoms. Mansik Swasthya Patrika is a mission to scotch the fallacy and raise awareness about mental health. Mansik Swasthya Patrika takes pride in being a unique e-magazine as no other Hindi journal on mental health has such wide spectrum of subjects on the table. Mansik Swasthya Patrika is a platform where the readers can be writers by getting the floor to vocalise their stories and evolve it as a candid and animated discussion forum. Welcome aboard.

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