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डेब्ट फंड्स के बारे में अधिक जाने

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फादर्स डे के मौके पर अपने पिताजी को बताने की कोशिश करें कि आजकल निवेश का तरीका किस तरह बदल गया है और बाजार में मौजूद किस तरह का प्रोडक्ट उनके पोर्टफोलियो के लिए सही होगा और आने वाले साल में उनके लिए फायदेमंद साबित होगा.

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बैलेंस्ड म्यूच्यूअल फंड्स क्या होते हैं और इनके फायदे क्या हैं ?

Friends, AchhiKhabar.Com पर हम पहले ही बात कर चुके हैं कि म्यूच्यूअल फंड्स क्या होते हैं और कैसे काम करते हैं .

म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करते समय हमारे पास primarily 3 options होते हैं –

1) शेयर्स या स्टॉक्स में पैसा लगाएं.

2) बांड, कॉर्पोरेट डिबेंचर, government securities और मनी मार्केट instruments में निवेश करें, या

3) ऊपर के दोनों options को एक साथ use करें और कुछ पैसा शेयर्स में तो कुछ bonds, government securities इत्यादि में लगाएं.



पहले विकल्प के अनुसार इन्वेस्ट करने वाले म्यूच्यूअल फंड्स – Equity Mutual Funds कहलाते हैं. दूसरे विकल्प के साथ जाने वाले – Fixed Income Funds या debt-oriented mutual funds कहलाते हैं. और तीसरे विकल्प को use करने वाले – Balanced Mutual Funds कहलाते हैं.

आज इस लेख में हम बैलेंस्ड म्यूच्यूअल फंड्स के बारे में विस्तार से बात करेंगे.

क्या होते हैं बैलेंस्ड म्यूच्यूअल फंड्स?

What are Balanced Mutual Funds in Hindi

What are Balanced Mutual Funds in Hindi

जैसा कि नाम से लगता है ये कुछ इस तरह के फंड्स होते हैं जो दो अलग-अलग चीजों के बीच संतुलन यानी बैलेंस बना के रखते हैं. और ये दो चीजें हैं equity और debt.

💡 इक्विटी यानी कम्पनियों के शेयर्स या स्टॉक्स और डेब्ट यानी notes, bonds, debentures, certificates, mortgages, leases, etc. Basically, debt instruments में आपको पहले से पता होता है कि कितने समय में कितना पैसा मिलना है. जबकि इक्विटी में यह शेयर बाज़ार पर निर्भर करता है.

अतः , ऐसे म्यूच्यूअल फंड्स जो equity और debt दोनों में निवेश करते हैं; balanced mutual funds कहलाते हैं, बैलेंस्ड फंड्स को Hybrid Funds भी कहा जाता है. आम तौर पर ऐसे फंड्स 65 – 75% इन्वेस्टमेंट equities में करते हैं और बाकी का पैसा government bonds जैसे safe instruments में लगाते हैं.

नोट: इस आर्टिकल में हम Equity-oriented balanced funds की ही बात कर रहे हैं. कुछ Debt-Oriented Balanced Funds भी होते हैं जिसमे equity की अपेक्षा debt instruments में अधिक exposure होता है.

बैलेंस्ड फंड्स से कितना रिटर्न एक्स्पेक्ट किया जा सकता है?

अगर हम Reliance , HDFC, ICICI और Tata जैसे टॉप परफोर्मिंग बैलेंस्ड फंड्स की बात करें तो इन्होने पिछले पांच सालों में लगभग 17% का रिटर्न दिया है.

जबकि हम अगर इस तरह के सभी फंड्स का average लें तो 5 साल में लगभग 12% का रिटर्न मिला है.

हालांकि, past performance future performance को determine नहीं करती, पर फिर भी bank FDs, और savings account में पैसा रखने से अच्छा हम उसे mutual funds में इन्वेस्ट कर सकते हैं.

  • ज़रूर पढ़ें: 15 मिनट में कैसे शुरू करें ऑनलाइन म्यूच्यूअल फण्ड SIP?

क्यों ज़रुरत पड़ी बैलेंस्ड फंड्स की?

बहुत से निवेशक, खासतौर पर retired employees या ऐसे individuals जो अच्छे रिटर्न्स तो चाते हैं पर अधिक रिस्क नहीं लेना चाहते अपना पूरा पैसा equities या शेयर मार्केट जैसे volatile avenue में नहीं लगाना चाहते.

ऐसे ही इन्वेस्टर्स की need पूरी करने के लिए बैलेंस्ड फंड्स बनाए गए ताकि एक optimum ratio में risky और risk-free investment का mix किया जाए और कम जोखिम के साथ अच्छा return देने का प्रयास किया जाए.

Balanced Funds में equity exposure 65% या उससे अधिक क्यों? कम क्यों नहीं?

Finance Bill 2018 में सरकार ने 1st April 2018 से इक्विटी रिलेटेड म्यूच्यूअल फंड्स पर long-term capital gains tax (LTCG) का प्रावधान कर दिया है, पहले इस पर कोई टैक्स नहीं लगता था. पर अब 1 लाख से अधिक का gain होने पर टैक्स लगाया जाएगा.

What are Balanced Mutual Funds in Hindi बैलेंस्ड म्यूच्यूअल फंड्स

हालांकि, अभी भी यह टैक्स debt-oriented mutual funds की तुलना में बहुत कम है और साथ ही “long term” qualify करने के लिए इक्विटी रिलेटेड म्यूच्यूअल फंड्स में आपको बस 1 साल तक ही invested रहना पड़ता है. जबकि debt-oriented mutual funds में तीन साल रुकने के बाद ही वो as a “long-term” investment qualify करता है.

और इक्विटी रिलेटेड म्यूच्यूअल फंड् होने के लिए mandatory है कि at least fund का 65% एक्सपोज़र इक्विटीज में हो. इसलिए बैलेंस्ड फंड्स अपना portfolio कुछ इस तरह डिजाईन करते हैं कि वे कम से कम 65% investment में करें.

बैलेंस्ड फंड्स के advantage क्या-क्या हैं?

  • इक्विटी फंड्स की तुलना में कम जोखिम.
  • निवेशक को अलग-अलग इक्विटी और डेब्ट फंड्स में निवेश करने की ज़रुरत नहीं पड़ती.
  • दो अलग अलग कैटेगरीज में निवेश करने से risk diversify हो जाता है, अगर कोई एक category bearish phase में जाती है तो दूसरी उसे संभाल लेती है.
  • इक्विटी का लेवल मेन्टेन करने के लिए बैलेंस्ड फण्ड मैनेजर मार्केट में उछाल आने पर equity sell कर देता है और इस तरह जब मार्केट गिरता है तो equity buy कर लेता है. इस तरह का discipline investors के लिए फायदेमंद होता है.
  • डेब्ट फंड्स की तुलना में better tax benefits.
  • “Long-term” qualify करने के लिए छोटा होल्डिंग पीरियड, just 1 year.
  • First-time equity investors के लिए उपयुक्त.
  • रिटायरमेंट प्लानिंग, बच्चों की उच्च शिक्षा जैसे financial goals के लिए suitable.

बैलेंस्ड फंड्स में निवेश करते समय किन बातों का ध्यान रखें?

  • इस बात को समझें कि बैलेंस्ड फंड्स risk-free नहीं बल्कि low-risk investment हैं.
  • फण्ड चुनते समय ये ध्यान में रखें कि उसका कितना प्रतिशत हिस्सा equity और कितना debt में invest हो रहा है. बहुत से बैलेंस्ड फंड्स 80% तक एक्सपोज़र equity में कर देते हैं जो आपके low risk के objective के लिहाज से सही नहीं है. इसलिए इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो को समझ कर ही फण्ड का चुनाव करें.
  • यदि equity exposure 65% के आस-पास है तो भी ध्यान रखें कि कई बैलेंस्ड फंड्स अच्छा रिटर्न देने के चक्कर में बहुत से small cap stocks चुन लेते हैं, जो again आपके रिस्क को बढ़ा देते हैं. इसलिए यह ज़रूर समझ लें कि इक्विटी वाला हिस्सा किस तरह के स्टॉक्स में लगाया जा रहा है.
  • फण्ड चुनते समय उसका track record ज़रूर चेक कर लें. सिर्फ पिछले साल या 1-2 साल की रिटर्न न देखिएं बल्कि ये समझें कि 5 to 10 year के time frame में फण्ड ने कैसा परफॉर्म किया है.


तो दोस्तों ये थी Balanced Mutual Funds के बारे में कुछ बेहद ज़रूरी बातें. I hope, ये article आपके लिए उपयोगी साबित होगा. Personal finance series के नए लेख के साथ फिर मुलाक़ात होगी.

Till then take care…save money…invest wisely!

पर्सनल फाइनेंस के इन लेखों को भी पढ़ें:

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Happy Fathers Day: पापा को इन 5 फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के बारे में जरुर बताइए

फादर्स डे के मौके पर अपने पिताजी को बताने की कोशिश करें कि आजकल निवेश का तरीका किस तरह बदल गया है और बाजार में मौजूद किस तरह का प्रोडक्ट उनके पोर्टफोलियो के लिए सही होगा और आने वाले साल में उनके लिए फायदेमंद साबित होगा.

Happy Fathers Day: पापा को इन 5 फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के बारे में जरुर बताइए

फादर्स डे के मौके पर अपने पिताजी को बताने की कोशिश करें कि आजकल निवेश का तरीका किस तरह बदल गया है और बाजार में मौजूद किस तरह का प्रोडक्ट उनके पोर्टफोलियो के लिए सही होगा और आने वाले साल में उनके लिए फायदेमंद साबित होगा.

अपनी जिंदगी का पहला फाइनेंशियल सबक हम अपने माता-पिता से ही सीखते हैं. ख़ास तौर पर हमारे पिता ही हमें अपने पर्सनल फाइनेंस के बारे में बताते हैं और ऐसा भी हो सकता है कि हमारा पहला बैंक अकाउंट उन्होंने ही खोला हो या अपना पहला इंश्योरेंस हमने उनकी मदद से ही ख़रीदा हो.

लेकिन समय बदलने के कारण, हो सकता है कि हमारे पिता बेहतर विकल्प की तलाश में होने के बावजूद नए जमाने के फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स को स्वीकार करने में थोड़ा झिझक रहे हों. इस बार फादर्स डे के मौके पर अपने पिताजी को बताने की कोशिश करें कि आजकल निवेश का तरीका किस तरह बदल गया है और बाजार में मौजूद किस तरह का प्रोडक्ट उनके पोर्टफोलियो के लिए सही होगा और आने वाले साल में उनके लिए फायदेमंद साबित होगा.

ELSS

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इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ELSS) को अक्सर वरिष्ठ नागरिकों, रिटायर्ड या रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके लोगों के लिए सही निवेश विकल्प नहीं माना जाता है। जबकि इक्विटी, परिवर्तनशील हो सकता है, लेकिन फिर भी यदि कोई व्यक्ति, तीन से पांच साल के लिए इसमें निवेश करता है तो इक्विटी में किए गए निवेश पर मध्यम जोखिम के साथ अधिक रिटर्न मिलता है. इसके अलावा महंगाई की दृष्टि से, बैंक FD और इसी तरह के अन्य डिपोजिट प्लान, जितना रिटर्न देते हैं वे महंगाई दर से शायद ही अधिक होते हैं.

टैक्स बचाने की दृष्टि से, ELSS, म्यूच्यूअल फंड्स का एकमात्र ऐसा ऑप्शन है जिस पर धारा 80C के अंतर्गत छूट मिलती है. एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रु. से अधिक लाभ पर 10 फीसदी LTCG टैक्स लगने के बावजूद यह इस तरह के अन्य कैपिटल एसेट्स जैसे डेब्ट या लिक्विड फंड्स पर लगने वाले टैक्स से काफी कम है. इसके अलावा, ELSS में सिर्फ तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है जो लिक्विडिटी की दृष्टि से टैक्स सेविंग FD, PPF जैसे अन्य लॉन्ग टर्म ऑप्शंस की तुलना में सबसे कम लॉक-इन पीरियड वाला निवेश विकल्प है.

लिक्विड फंड्स

हो सकता है कि आपके पिताजी हमेशा फिक्स्ड डिपोजिट में निवेश करते हों क्योंकि उन्हें यह एक सुरक्षित विकल्प लगता होगा. लेकिन इस बात को ध्यान में रखते हुए कि FD की दरों में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है और प्रमुख बैंक वर्तमान में लगभग 5.5% से 7.5% की दर से ब्याज दे रहे हैं, इनकी तुलना में लिक्विड या शॉर्ट टर्म डेब्ट म्यूच्यूअल फंड एक अच्छा वैकल्पिक विकल्प है. लिक्विड या शॉर्ट टर्म डेब्ट फंड्स
में पैसे रखने पर आपके पैसे सुरक्षित भी रहते हैं और उस पैसे पर फिक्स्ड डिपोजिट से बेहतर रिटर्न भी मिलता है.

इन पर कोई एग्जिट लोड भी नहीं लगता है, इसलिए आपको पूरी रकम वापस मिल जाती है. लेकिन आपकी इनकम टैक्स सीमा के आधार पर, इन फंडों से होने वाले पूंजीगत लाभ पर टैक्स लगता है.

अधिक से अधिक हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज

इंश्योरेंस आपके पोर्टफोलियो में जरूर शामिल रहना चाहिए लेकिन इसे सिर्फ एक टैक्स बचाने वाला साधन नहीं समझना चाहिए. इसका एकमात्र उद्देश्य किसी अप्रत्याशित परिस्थिति जैसे किसी मेडिकल इमरजेंसी या विकलांगता के दौरान आर्थिक सहायता प्रदान करना है. यदि आपने कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लिया है तो अचानक कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या उत्पन्न हो जाने पर आपका सारा पैसा खर्च हो सकता है. लगातार तेजी से बढ़ते मेडिकल खर्च को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने इस बार केन्द्रीय बजट में वरिष्ठ नागरिकों के हेल्थ इंश्योरेंस पर दिए जाने वाले प्रीमियम पर थोड़ी और ज्यादा टैक्स छूट देने का प्रस्ताव रखा है.

धारा 80D के अंतर्गत, दिए जाने वाले प्रीमियम पर मिलने वाली छूट की सीमा, 30,000 रु. से बढ़ाकर 50,000 रु. कर दी गई है. धारा 80DDB के अंतर्गत, क्रिटिकल ईलनेस इंश्योरेंस डेब्ट फंड्स के बारे में अधिक जाने के लिए दिए जाने वाले प्रीमियम के लिए, छूट की सीमा बढ़ाकर 1 लाख रु. कर दी गई है. इस तरह की छूट का लाभ वे लोग भी उठा सकते हैं जो अपने निर्भरशील वरिष्ठ माता-पिता के इलाज का खर्च उठा रहे हैं या उनके लिए हेल्थ
इंश्योरेंस का प्रीमियम दे रहे हैं.

टैक्स फ्री बॉन्ड्स

टैक्स फ्री बॉन्ड्स, फ़िलहाल मुख्य बाजार में उपलब्ध न होने के बावजूद, आपके पिताजी के पोर्टफोलियो में दिखाई दे सकता है यदि वे लम्बे समय के लिए इसमें कुछ पैसे निवेश करके रखना चाहते हैं. सरकार समर्थित संगठनों द्वारा जारी किए जाने वाले इन बॉन्ड्स को स्टॉक एक्सचेंज पर बेचा या ख़रीदा जाता है क्योंकि वे लिस्टेड सिक्योरिटीज होते हैं. बस एक बात याद रखें कि इनका इस्तेमाल किसी FD की तरह न
करें क्योंकि इनका जेस्टेशन पीरियड थोड़ा लम्बा होता है जैसे 10 या 20 साल. इसलिए आपको इसमें थोड़ा पहले निवेश करने की योजना बनानी चाहिए, जैसे रिटायर होने से पांच या दस साल पहले, ताकि उनकी अवधि समाप्त होने तक आपको काफी लम्बे समय तक इंतजार न करना पड़े.

इस तरह के निवेशों पर कोई टैक्स छूट न मिलने के बावजूद, इससे सबसे बड़ा फायदा यही है कि इस पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स नहीं लगता है. लेकिन, यदि इन्हें एक्सचेंज पर ट्रांसफर करने पर कोई पूंजीगत लाभ होता है तो उस पर टैक्स जरूर लगेगा.

ट्रेवल इंश्योरेंस

अपने माता-पिता को उनका मनचाहा हॉलिडे पैकेज गिफ्ट करने का यही सही समय है. और ऐसा भी हो सकता है कि वे एक से अधिक हॉलिडे पर जाना चाहते हों क्योंकि अब वे देश और दुनिया की यात्रा में अपना समय बिताना चाहते होंगे. लेकिन यात्रा सम्बन्धी परेशानियां जैसे लेट फ्लाईट, इमरजेंसी मेडिकल खर्च, इत्यादि उनके वैकेशन के लिए एक बहुत बड़ा बाधक बन सकती हैं. अपने पिताजी को इस तरह की
परिस्थिति से निपटने के लिए आर्थिक रूप से तैयार रहने में मदद करने के लिए उन्हें ट्रेवल इंश्योरेंस के बारे में बताएं.

यदि वे एक से अधिक ट्रिप पर जाना चाहते हैं तो उनके लिए एक मल्टी ट्रेवल इंश्योरेंस लेने की कोशिश करें जो उनके साल भर के सारे ट्रिप्स को कवर कर सके.

इसके लेखक बैंक बाज़ार के सीईओ आदिल शेट्टी हैं.

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How to become crorepati: करोड़पति बनने की कोई उम्र नहीं होती, आप कम समय में भी हासिल कर सकते हैं लक्ष्य, यहां जानें- कैसे?

How to become crorepati: अच्छी योजना बनाकर समय पर अनुशासित तरीके से निवेश करने पर आपको करोड़पति बनने से कोई रोक नहीं सकता है. कम समय में अपना वित्तीय लक्ष्य हासिल कर सकते हैं.

Published: April 6, 2021 3:03 PM IST

How to become crorepati: करोड़पति बनने की कोई उम्र नहीं होती, आप कम समय में भी हासिल कर सकते हैं लक्ष्य, यहां जानें- कैसे?

How to become crorepati: दुनिया का हर शख्स करोड़पति (Crorepati) बनने का सपना देखता है. वास्तव में, वह चाहता है कि जितनी जल्दी संभव हो सके उतनी जल्दी ही अमीर बन जाऊं. लेकिन, दूसरी तरफ कुछ लोग इस खयालात के भी होते हैं कि अमीर बन पाना असंभव है, जिसकी वजह से वे लोग इसके लिए कोई प्रयास भी नहीं करते हैं. लेकिन यह ठीक नहीं है. अमीर बनने के लिए अगर कोई शख्स म्यूचुअल फंड या किसी अन्य निवेश के इंस्ट्रूमेंट (Investment Instrument) में प्रति माह थोड़ी-थोड़ी राशि की बचत (Small saving) करना भी शुरू कर देता है, तो उससे 8-10 फीसदी रिटर्न मिल जाता है. इसके जरिए रिटायरमेंट (Retirement) पर वह शख्स करोड़पति जरूर बन सकता है.

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लेकिन, अमीर (Rich) बनने के लिए कई तरह की बातों का अनुपालन करना जरूरी होता है. बहुत सारे काम करने पड़ते हैं. आत्म-अनुशासन और वित्तीय नियोजन की आवश्यकता होती है. यदि आप भविष्य के लिए योजना नहीं बनाते हैं और अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कुछ नहीं करते हैं, तो आपके अमीर बनने की संभावना नहीं है. लेकिन, यहां पर यह मान लेना भी गलत है कि आप तभी अमीर बन सकते हैं, जब आप मोटी कमाई करने लगेंगे. हमेशा इस बात पर गौर करें. यह आपकी कमाई नहीं है. हम उसकी बात कर रहे हैं जिसे आप खर्च कर देते हैं और जो आप बचाते हैं वही अंत में आपके काम आता है.

इसलिए, उचित योजना और निरंतर बचत के साथ, जब आप सेवानिवृत्त होते हैं और कम उम्र में भी करोड़पति बन पाना संभव हो जाता है. आइए, यहां पर आपको बताते हैं कि किस तरह से छोटी-छोटी बचत करके आप करोड़पति बन सकते हैं.

एक बजट तैयार करें

किसी भी निवेश के लिए पहला कदम यह समझना है कि आप कितना कमाते हैं, आप कितना खर्च करते हैं और आप कितना बचा सकते हैं. अपने औसत खर्चों और खर्च करने की आदतों की पहचान करने के लिए अपने खर्चों पर नज़र रखें. किराया, आने-जाने, भोजन आदि जैसे अनिवार्य खर्चों की एक सूची बनाएं और एक बजट बनाएं. जितना हो सके इस बजट से चिपके रहने की कोशिश करें.

योजना तैयार करना और सुसंगत होना

योजना और निष्पादन पैसा बनाने के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं. यह अब आसानी से एक मोबाइल ऐप की मदद से किया जा सकता है, जहां कोई लक्ष्यों को परिभाषित कर सकता है, निवेश की जाने वाली धनराशि और वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के बारे में दिए गए तरीकों के बारे में जानकारी की जा सकती है. यह बात अलग है कि किसी प्रोफेशनल से सलाह लेकर यह काम करेंगे तो और ही अच्छा होगा. अगर आप नहीं सलाह लेते हैं तो अपनी बचत में से अलग-अलग जगहों पर निवेश करके भारी-भरकम राशि जमा कर सकते हैं.

जीवन के लिए लक्ष्य निर्धारित करना

हर किसी के जीवन में अलग-अलग वित्तीय लक्ष्य होते हैं. पहले एक करोड़ की बचत करना एक बड़ा और सराहनीय लक्ष्य है. सबसे पहले आपको यह जानकारी करने की आवश्यकता है कि एक करोड़ का लक्ष्य प्राप्त करने के साथ-साथ आपको और कौन-कौन से काम पूरे करने हैं, जिन्हें टाला नहीं जा सकता है. दीर्घकालिक लक्ष्यों को निर्धारित करें जिन्हें आप प्राप्त करना चाहते हैं, जैसे कि घर, वाहन, शादी डेब्ट फंड्स के बारे में अधिक जाने खरीदना, अपना उद्यम शुरू करना, आदि और सेवानिवृत्ति के बाद भी.

साथ ही यह जानने की कोशिश करें कि क्या एक करोड़ से ही आपका काम चल जाएगा या फिर और पैसों की जरूरत पड़ेगी. यह आपके समग्र लक्ष्यों में कहां फिट बैठता है. क्या यह संपत्ति, सोना, इक्विटी निवेश, या आपकी सेवानिवृत्ति के लिए कई निवेशों का मिश्रण है? जब आप अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखते हैं तो इन कारकों को ध्यान में रखें. लेकिन, साथ ही साथ इस बात का भी खयाल रखें कि समय के साथ-साथ आवश्यकताएं बढ़ती जाएंगी. इसलिए समय के साथ-साथ अपने लक्ष्य को भी बदलते रहना होगा और आपको इन परिवर्तनों को समायोजित करने के लिए लचीला होने की जरूरत है.

कम खर्च करना और समझदार बनना

कम खर्च करने से एख लंबा रास्ता तय किया जा सकता है और इससे आपकी बचत बढ़ जाती है. जैसे कि एक कहावत है कि एक रुपया बचाने का मतलब है आपने एक रुपया कमाया है (A penny saved, a penny earned). इसलिए बुद्धिमान बनो, जहां आवश्यकता हो, वहीं खर्च करो और सावधानी से करो.

जल्दी शुरुआत करना और नियमित रहना

इससे पहले कि आप निवेश करना शुरू करें, उसके पहले इस बात पर ध्यान दें कि आप जितनी जल्दी निवेश शुरू करेंगे उतने ही ज्यादा समय तक निवेश कर पाएंगे, जिससे आपका निवेश ज्यादा होगा. निवेश ज्यादा होने पर आप अपने लक्ष्य की तरफ आसानी से बढ़ पाएंगे. यह जोखिम के प्रबंधन का बहुत यथार्थवादी तरीका है. उदाहरण के लिए, यदि आप 15% सीएजीआर के रिटर्न के साथ इक्विटी एसआईपी में प्रति माह 20,000 रुपये का निवेश करते हैं, तो आपको 1 करोड़ रुपये जमा करने में 13 साल से थोड़ा अधिक समय लगेगा. हालांकि, यदि आप 10 साल में एक ही रिटर्न प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको 20,000 रुपये प्रति माह की बचत करना जारी रखना चाहिए.

इसका मतलब बिल्कुल साफ है कि आपको समान लक्ष्य प्राप्त करने के लिए बाद में उच्च जोखिम उठाना होगा. यहां पर आपको उस बिंदु पर जोखिम वाले विकल्प में निवेश करना होगा, जो उचित नहीं है. लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपने मासिक निवेश को बढ़ाने के लिए – जो हमेशा संभव नहीं हो सकता है. इसलिए, आप जो पहले शुरू करेंगे, वह आपके लिए बेहतर होगा.

अच्छी जानकारी प्राप्त करना

आप जितने छोटे हैं, आपके अंदर जोखिम उठाने की क्षमता उतनी ही ज्यादा है. यहां पर लंबी अवधि में और अधिक उच्च रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं. एक करोड़ बनाने के लिए संपत्ति वर्गों में धन के धैर्य, कौशल और अच्छी तरह से पैसे को अच्छी जगह पर निवेश करने की आवश्यकता होती है.

इसलिए, इक्विटी, म्यूचुअल फंडों में प्रत्यक्ष रूप से इक्विटी में या एसआईपी के जरिए अधिक निवेश करने का समय है. यहां पर यह ध्यान देने वाली बात यह है कि आप जहां पर निवेश करने जा रहे हैं. उसके बारे में आपके पास सही जानकारी होनी चाहिए. साथ ही फिक्स्ड डिपॉजिट/डेब्ट फंड्स, टैक्स सेविंग प्लान्स को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, जहां पर पैसा चक्रवृद्धि ब्याज के साथ बढ़ता है. इसके साथ आपको टर्म इश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस पर भी ध्यान देना होगा.

कहने का तात्पर्य यह है कि दुनिया में अवसरों की कमी नहीं है. केवल आपको पहचान करने की जरूरत है. समय पर पहचान करके उसेक बारे में सही जानकारी करके छोटी उम्र में ही निवेश करना प्रारंभ करके करोड़पति बहुत आसानी से बना जा सकता है. केवल आपको अनुशासित तरीका अपनाना होगा. साथ ही समझदारी दिखानी होगी और व्यवस्थित होना पड़ेगा.

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[Debt Fund] डेब्ट फण्ड Kya Hai?

Agar Aap Debt Fund Ke बारे Me Nahi जानते Hai Aur Aapke मन Me Isse जुड़े कई सवाल Hai To इसमें Aap डेब्ट फण्ड Se जुडी Jaroori बातो Ko जानेगे.

Debt Fund Me निवेश Karne Se Pahle इसमें दिए Gye जानकारी Ko प्र जरुर पढ़े.

इसमें Aap जानेंगे Ki डेब्ट फण्ड Kya Hai? Kya डेब्ट फण्ड Me पैसे इन्वेस्ट Karna सही Hai? डेब्ट फण्ड Ke फायदे , डेब्ट फण्ड Ke नुकसान , डेब्ट फण्ड कितने प्रकार Ke होते Hain? आदि.

डेब्ट फण्ड Kya Hai?

Debt Fund Meaning In Hindi, Debt Fund Kya Hai?

Debt Fund Ko Hindi Me “ ऋण फण्ड ” Ya “ कर्ज फण्ड ” Kahte Hai?

डेब्ट फण्ड म्यूच्यूअल फण्ड Ki तरह Hi Ek फण्ड Hota Hai. इसे आय फंड Aur बांड फंड Ke नाम Se Bhi जाने जाते Hain.

Debt Fund Apne पैसों Ko मुख्य रूप Se कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपाजिट Me Ya फिर बांड्स Me निवेश करता Hai?

इसके आलावा शेयर्स Me Bhi इन्वेस्ट Kiya Jata Hai.

डेब्ट फण्ड Ke फायदे

Debt Fund Advantages, Debt Fund Benefit In Hindi

इसमें पैसों Ke डूबने Ka खतरा Kafi Kam Rahta Hai.

Iska पैसा फिक्स्ड रिटर्न देने वाले बांड Me लगाया Jata Hai.

इसमें जोखिम Kafi Kam Hai.

डेब्ट फण्ड Ke नुकसान

Debt Fund Disadvantages

डेब्ट फण्ड Ka पैसा फिक्स्ड डिपाजिट जैसे बांड्स Me लगाने Ke कारन Isse ज्यादा रिटर्न Nahi मिलते Hai.

यही कारण Hai Ki लोग इसमें निवेश Kam करते Hai.

डेब्ट फण्ड Ki इंटरेस्ट रेट

Debt Fund Interest Rate In Hindi

डेब्ट फण्ड Me बैंक फिक्स्ड डिपाजिट Se ज्यादा रिटर्न मिलता Hai.

यानि Iska Interest Rate बैंक Ke फिक्स्ड Deposit Me मिलने वाले Interest Rate Se ज्यादा Hota Hai.

डेब्ट फण्ड रिटर्न्स

Debt Fund Returns In Hindi

Agar Aap रिस्क Nahi लेना चाहते Hai Aur बैंक Ke फिक्स्ड डिपाजिट Se ज्यादा रिटर्न चाहते Hai To Debt Fund Sabse अच्छा Option Hai.

डेब्ट फण्ड कितने प्रकार Ke होते Hain?

Types Of Debt Funds

डेब्ट फण्ड निम्न प्रकार Ke होते Hain. जैस:-

Income Fund:-Income Funds ऐसे फण्ड Me निवेश करते Hain जिनकी परिपक्वता अवधि अधिक समय Ki होती Hai.

Liquid Fund:- Liquid Fund Ko मनी Market फण्ड Bhi कहा Jata Hai.

लिक्विड फण्ड Jo Ki शार्ट टर्म निवेश Ki सुबिधा Deta Hai. Jiski अब्धि 1 – 90 दिन Ke Liye होती Hai.

Gilt Fund:- Is तरह Ke फंड्स सरकारी सिकियॉरिटीज़ Me निवेश करते Hain. इसमें रिस्क Kam Mana Jata Hai.

इसमें टोटल एसेट Ka 80% गवर्नमेंट Ke अलग अलग सिक्योरिटी मे निवेश Hota Hai.

Dynamic Bond Fund:- Is फण्ड Me रिस्क Aur Return दोनों ज्यादा Hai.

Is फण्ड Me फण्ड मैनेजर बदलती इंटरेस्ट Ke अनुसार पोर्टफोलियो Change करते रहते Hai.

Fixed Maturity Fund:- ये कॉरपरेट फण्ड Aur सरकारी Instruments Me ज्यादा निवेश करते Hain.

इसमें बेहतर रिटर्न Ki Koi ज्यादा संभावना Nahi होती Hai.

इसमें निवेश Ki गई Money Ko Ek निश्चित समय Ke Liye Lock In Period Me Rakha Jata Hai.

Short & Ultra Debt Fund:- Is तरह Ke फण्ड Short Term Me निवेश करते Hain.

इसमें अच्छा रिटर्न पाने Ki सम्भावना होती Hain. इसकी अब्धि 1-3 साल Ki होती Hai.

हमें उम्मीद Hai Ki Aap समझ Gye होंगे Ki डेब्ट फण्ड Kya Hai? Kya डेब्ट फण्ड Me पैसे इन्वेस्ट Karna सही Hai? डेब्ट फण्ड Ke फायदे , डेब्ट फण्ड Ke नुकसान , डेब्ट फण्ड कितने प्रकार Ke होते Hain? आदि.

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