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कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले

कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले
How to Select Best IPO: बाजार की मजबूत रिकवरी ने निवेशकों को फिर खरीद के मूड में ला दिया है.

पहली बार शेयर बाजार में कर रहें है निवेश तो जान लें ये बातें; जानें क्या करें, क्या ना करें

Stock Market में निवेश की शुरुआत करने वाले निवेशक कई बार बड़ी गलतियां कर बैठते हैं और अपनी पूंजी गंवा देते हैं। निवेशकों को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो कभी किसी भी अनजाने व्यक्ति की सलाह पर शेयर में पैसा नहीं लगाएं

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। अपने भविष्य को संवारने के लिए जरूरी होता है कि आप सही समय पर निवेश की शुरुआत करें । वहीं किसी भी निवेश से पहले जरूरी होती है उसकी सोच समझ कर की गई प्लानिंग। हर निवेशक पैसा लगाने के बदले में कुछ उम्मीद या कोई लक्ष्य रख कर आगे बढ़ता है। अगर आप प्लानिंग के साथ निवेश की शुरुआत करते हैं तो यकीन मानिये कि आप अपने लक्ष्य को जरूर प्राप्त करेंगे। निवेश करने से पहले आपको इस बात की योजना बनानी होगी कि आपके पास फंड कहां से आएगा और आपको कितना निवेश करना है। वहीं आपको ये भी समझना होगा कि आप इस रकम के साथ कितना जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं। इसी आधार पर निवेश की नींव तैयार की जा सकती है। बढ़ती महंगाई ने निवेशकों की जेब पर डाका डाला है, लोगों की सेविंग्स खत्म हो रही है, ऐसे में महंगाई को मात देने के लिए निवेशकों के लिए अब जरूरी हो गया है कि वो अपना रिटर्न बढ़ाने पर ध्यान दें। ऐसे में शेयर बाजार में सोच समझ कर किया गया निवेश निवेशकों के लिए काफी मददगार हो सकता है।

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महंगाई का मुकाबला करने के लिए शेयर बाजार की अहमियत पहले से ज्यादा बढ़ गई है। ये सच है कि शेयर बाजार में निवेश जोखिम भरा होता है, लेकिन ये भी सच है कि नए निवेशक आसानी से स्टॉक मार्केट के बारे में सीख सकते हैं और इनवेस्ट कर पैसा कमा सकते हैं। स्टॉक मार्केट में इनवेस्टमेंट का कोई शॉर्टकट नहीं है। अगर आप कुछ नियमों का पालन करते हैं और बाजार को समझते हुए आगे बढ़ते हैं तो आप बेहतर रिटर्न पा सकते हैं। स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव होता रहती है, ऐसे में यह समझना जरूरी है कि स्टॉक्स में निवेश पर आपको फायदा और नुकसान दोनों ही हो सकता है। स्टॉक मार्केट में निवेश करते समय धैर्य रखना बेहद जरूरी है।

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कैसे करें स्टॉक्स का चयन

शेयर बाजार में निवेश शुरू करने के लिए बड़ी रकम की जरूरत नहीं होती है। आप थोड़ी-थोड़ी रकम से बाजार में निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। नए investor को शुरुआत में ज्यादा रिटर्न पर फोकस करने से बचना चाहिए। इसलिए, उन्हें तेज उतार-चढ़ाव वाले stock पर फोकस करने के बजाए फंडामेंटली मजबूत शेयरों में पैसा लगाना चाहिए। कई बार ऐसा पढ़ने-सुनने को मिलता है कि इन्वेस्टर ज्यादा रिटर्न पाने के लालच में ऐसी कंपनियों के शेयर में निवेश कर देते हैं, जो फंडामेंटली मजबूत नहीं होती हैं और निवेशक इसमें फंस जाते हैं। इसलिए निवेश की शुरुआत लार्जकैप शेयरों से करना बेहतर होगा।

Stock Market Investment: Derivatives Market, Know all Details

शुरुआत में नए निवेशक को penny stocks में पैसा लगाने से बचना चाहिए। कई निवेशकों को लगता है कि ऐसे शेयर में पैसा लगाकर मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है। लेकिन ये दांव अक्सर उलटा पड़ जाता है। जब आप शेयर बाजार अच्छी तरह समझने लगें तो आप थोड़ा जोखिम उठा सकते हैं। शेयर का चुनाव हमेशा कंपनी की ग्रोथ देखकर ही करना चाहिए। उसी कंपनी के शेयर में निवेश करें, जिसका कारोबार अच्छा हो और उसको चलाने वाला मैनेजमेंट बेहतर हो। तभी आप अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न पा सकेंगे।

क्या करें, क्या ना करें

सोशल मीडिया पर दिए गए टिप्स के आधार पर स्टॉक मार्केट में इनवेस्ट ना करें। एक निवेशक को बाय एंड होल्ड की रणनीति अपनानी चाहिए। स्टॉक मार्केट में गिरावट आने पर कभी भी घबराकर पूरा निवेश नहीं निकालें। आप उन कंपनियों के शेयर पर फोकस रहें जिसमें आपने पूरी रिसर्च और भरोसे के साथ इनवेस्ट किया है। अगर आपने सिर्फ stock के प्रदर्शन को देखकर जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में कहीं इनवेस्ट किया है तो तुरंत अपने निवेश की समीक्षा करें। शेयर बाजार में गिरावट आने पर निवेश बंद नहीं करें। बाजार के जानकारों से सलाह लें और निवेश के विकल्प खुले रखें।

शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों के लिए जरूरी बातें

Stock Market में निवेश की शुरुआत करने वाले निवेशक कई बार बड़ी गलतियां कर बैठते हैं और अपनी पूंजी गंवा देते हैं। निवेशकों को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो कभी किसी भी अनजाने व्यक्ति की सलाह पर शेयर में पैसा नहीं लगाएं। निवेश करने से पहले कंपनी के बारे में खुद रिसर्च करें या भरोसे वाले बाजार के जानकारों से मदद लें। 5paisa ऐसा ही एक एक्सपर्ट है जो आपको बाजार में आगे बढ़ने के लिए कारगर सलाहें देता है, जिससे बाजार में आप अपना पहला कदम मजबूती के साथ रख सकते हैं।

वहीं share चुनते समय रिटर्न को ही आधार बनाना सबसे आम गलतियों में से एक है। इसलिए निवेशक को कभी ऊंचे रिटर्न देखकर ही पैसा लगाने का फैसला नहीं करना चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि शेयर की चाल हमेशा एक समान नहीं होती है, इसमें उतार-चढ़ाव बना रहता है।

किसी कंपनी पर आंख बंद कर भरोसा करने की गलती कभी नहीं करें। अगर आपने एक ऐसी कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले कंपनी में निवेश किया है जिसका फंडामेंटल मजबूत था, लेकिन अब उसमें कुछ बदलाव हुआ है तो शेयर बेचकर निकलने में ही भलाई है। याद रखें, आपने पैसा कमाने के लिए शेयर में निवेश किया है, नुकसान उठाने के लिए नहीं।

Select Best IPO: आईपीओ मार्केट से करना चाहते हैं कमाई, निवेश के लिए कैसे चुनें बेस्ट इश्यू

How to Select Best IPO: बाजार की मजबूत रिकवरी ने निवेशकों को फिर खरीद के मूड में ला दिया है.

Select Best IPO: आईपीओ मार्केट से करना चाहते हैं कमाई, निवेश के लिए कैसे चुनें बेस्ट इश्यू

How to Select Best IPO: बाजार की मजबूत रिकवरी ने निवेशकों को फिर खरीद के मूड में ला दिया है.

How to Select Best IPO: पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के चलते शेयर बाजार में भारी गिरावट आई थी. लेकिन अब पिछले साल मार्च के लो से शेयर बाजार में मजबूत रिकवरी आई है और यह अपने लो से 100 फीसदी के आस पास मजबूत हुआ है. बाजार की इस मजबूत रिकवरी ने निवेशकों को फिर खरीद के मूड में ला दिया है. दलाल स्ट्रीट ऊर्जा से भरा है क्योंकि आईपीओ मार्केट में एक बार फिर तेजी है. आईपीओ मार्केट की तेजी को देखकर ही कई कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट हो रही हैं या उनका ऐसा प्लान है. इसमें कुछ नई कंपनियों से लेकर एलआईसी जैसी जानी मानी कंपनियां शामिल हैं. इसके अलावा स्टील, सीमेंट, हेल्थकेयर और होटल आदि क्षेत्रों की करीब ग 83 कंपनियां इस लाइन में हैं. आइए देखते हैं कि किसी आईपीओ का चयन करने के लिए निवेशकों को क्या देखना चाहिए.

क्या करने से बचें

कई हाई-प्रोफाइल आईपीओ होते हैं जो लिस्टिंग के दिन मजबूत रिटर्न देते हैं. लेकिन उनमें कई ऐसे आईपीओ भी होते हैं, जो निवेशकों को निराश करते हैं क्योंकि उनका लांग टर्म प्रदर्शन कमजोर हो जाता है. यह महंगे वैल्युएशन की वजह से भी हो सकता है, जो भविष्य के लाभ को सीमित कर देता है. अधिकांश निवेशकों को आईपीओ पर शेयर अलॉटमेंट तब तक नहीं मिल सकता, जब तक कि यह सेकंडरी मार्केट में ट्रेडिंग न शुरू कर दे. इस तरह से निवेशक पहले कुछ दिनों के होने वाले गेन से पूरी तरह से लाभ नहीं पा सकते हैं. इसके अलावा, ऐसा देखा गया है कि निवेशक व्यापक स्टॉक इंडेक्स में निवेश करके बेहतर लाभ कमा सकते हैं.

IPOs में क्या हो स्ट्रैटेजी

इस साल की आईपीओ पाइपलाइन मजबूत दिख रही है और इसमें कई जानी मानी कंपनियां शामिल हैं. आईपीओ में निवेश करने के लिए कई स्ट्रैटेजी हैं. सबसे पहले, अगर आपको आफर प्राइस पर आईपीओ में आवंटित शेयर नहीं मिल रहे हैं, तो इसकी लिस्टिंग के दिन शेयर खरीदने से बचें.

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इसकी बजाय, वेट एंड वाच पॉलिसी पर ध्यान दें. अगर आप इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि एक नई लिस्टेड कंपनी का भविष्य बेहतर है, तो उसके शेसरों में गिरावट आने पर खरीददारी करने पर विचार करें.

निवेशक तब तक भी इंतजार कर सकते हैं जब तक कि कोई फर्म अपनी कीमत साबित नहीं कर देती है. साथ ही उसकी बिक्री और कमाई में होने वाली ग्रोथ स्टेबल न हो जाए.

आईपीओ में एक्सपोजर हासिल करने औा व्यक्तिगत तौर पर स्टॉक के जोखिम को कम करने का एक और तरीका यह है कि मोटे तौर पर डाइवर्सिफाइड और कम लागत वाले एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में निवेश किया जाए.

DRHP के फाइन ​प्रिंट को सही से पढ़ें

सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया (सेबी) उन सभी कंपनियों को मैनडेट करता है जो अपने साथ ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल करने के लिए सार्वजनिक रूप से जाना चाहती हैं. यह दस्तावेज़ न केवल वित्तीय जानकारी का सबसे अच्छा स्रोत है, बल्कि कंपनी के बारे में अन्य गैर-वित्तीय जानकारी भी मिलती है. इसलिए हमेशा कंपनी के फाइन प्रिंट को पढ़ना अच्छा आईपीओ चुनने में मददगार बन सकता है. यह कंपनी के व्यवसाय, फाइनेंशियल, कैपिटल स्ट्रक्चर आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है.

प्रबंधन टीम और उनकी योग्यता

निवेशकों को कंपनी के प्रमोटर्स और उनकी विश्वसनीयता, प्रबंधन टीम और उनकी योग्यता आदि के बारे में भी पता होना चाहिए. प्रॉसपेक्टस निवेशकों को आईपीओ के बारे में सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करेगा, और यह तय करने में मदद करेगा कि कंपनी निवेश करने के लायक है या नहीं.

(लेखक: P Saravanan, professor of finance & accounting, IIM Tiruchirappalli)

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क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया

क्लियरिंग और सेटलमेंट की कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले प्रक्रिया

Table of Contents

क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया

हेल्लो दोस्तों आज हम स्टॉक मार्केट में होनेवाले क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया के बारेंमे बात करनेवाले हैं इसमें हम जानेंगे की क्लियरिंग और सेटलमेंट के बिच क्या अंतर है साथ ही क्लियरिंग और सेटलमेंट किसे कहा जाता हैं और यह प्रक्रिया हमारें फंड्स और स्टॉक्स पर कैसे काम करती हैं यानि शोर्ट में इन दोनों प्रोसेस को हम विस्तार से समजने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं (क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया)

क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया से पूर्व की जानकारी :-

शेयर का क्लियरिंग और सेटलमेंट कैसे होता है यह समजने के पूर्व हमें और भी काफी सारी बातो का चयन करना अनिवार्य हो जाता हैं

तो आमतौर पर हम सबसे पहले शेयर को खरीदते हैं, इनसे पहले भी एक कार्य और है और वो ये की हमें जो शेयर खरीदने है उसका उचित Margin हमारे Trading Account में एडवांस जमा होना चाहिए उसके प्रश्चात ही हम उस शेयर को खरीद सकते है अन्यथा हमारी खरीदी की लिमिट ही निषेध हो जाएँगी

यदि आपको शेयर खरीदी की बात से यहाँ तक की कुछ बाते समजमे ना आई हो तो मे आपको बता दू की SEBI के New Margin Rules के मुताबिक (वैसे अब तो यह पुराना नियम हो गया है) शेयर्स पर ट्रेडिंग करने के पूर्व फिर चाहे वो खरीदी का ट्रेड हो या बिकवाली का ट्रेड हो, उसका इनिशियल मार्जिन देना अनिवार्य होता है फिर चाहे हम उसे हमारे Trading Account में जमा दे या Demat Account में पड़े पुराने शेयरों को Pledge करवाके मार्जिन जामा दे “it doesn’t matter”.

शेयर ट्रेडिंग पर मार्जिन रूल्स

SEBI के द्वारा 1 सितंबर, 2020 को शेयर बाजार का अब तक का अहम माने जाने वाला नियम जिसे मार्जिन नियम से जाना जाता है उसको लागु किया गया था और यदि आपको SEBI के इस New Margin Rules को समजना है तो हमारे इस आर्टिकल की मदद से उसे विस्तार से समज सकते हैं

सेबी के इस नियमों के मुताबिक किसी भी कंपनी के शेयर्स को खरीदने के लिए हमें उस पर्टिक्युलर शेयर पर सेबी ने जो मार्जिन नक्की किया है वो हमें एडवांस देना पड़ता है तभी हमारे ब्रोकर्स हमें उस शेयर पर ट्रेडिंग की लिमिट प्रोवाइड करते हैं

सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा शेयर बाजार में लिस्टेड सभी कंपनीयों के शेयरों पर अलग – अलग मार्जिन नक्की किया हुआ है यह उसकी इक्विटी, ट्रेडिंग कारोबार और मांग पर बदलता रहता है शेयर की खरीदी के दिन को सौदे का दिन या T – Day भी कहा जाता है

तो अब जबकि हमने शेयर्स को खरीदने तक की प्रक्रिया को समज लिया है, तो अब शेयर की खरीद – बिक्री को उसके उदाहरण से समजते है, जिनके बाद ही हमें T- Day, T + 1 Day और T + 2 Day क्या है और यह शेयर के क्लियरिंग और सेटलमेंट से किस प्रकार सबंधित है यह समज सकेंगे, तो चलिए इस टोपिक पर आगे बढते हैं

Clearing क्या होता हैं :-

शेयर की खरीदी को उदाहरण के माध्यम से समजते हैं, मानलीजिये हमने 4 दिसंबर, 2019 को SBI के 50 शेयर्स Rs.340 पर ख़रीदे है जिसका नेट अमाउंट Rs.17,000 होता है इस दिन को सौदे का दिन या T- Day कहा जाता है

शेयर का क्लियरिंग शेयर के खरीदी के दिन T- Day से तीसरे दिन T + 2 Day पर होता है या इसे यु भी कह सकते है की T + Day पर किया गया ट्रेडिंग फिर चाहे शेयर को ख़रीदा हो या बेचा हो उसका क्लियरिंग T + 2 Day पर होता है इन्ही प्रक्रिया को शेयर का क्लियरिंग कहा जाता है

एक खास बात और T- Day पर ख़रीदे गए शेयर को T + 1 Day पर नहीं बेच सकते है और यदि वह शेयर का ग्रुप Trade For Trade (T) है तो उसे T + 3 Day पर ही बेचना चाहिए क्यूंकि T ग्रुप के शेयरों में Intraday नहीं किया जा सकता है

इसे दीप में फिर किसी आर्टिकल में जानेंगे फिलहाल, T ग्रुप के अलावा के सभी शेयरों के ग्रुप्स को T + 2 Day से किसी भी दिन बेच सकते है क्योंकि T- Day पर ख़रीदे गए शेयरों की डिलीवरी T + 2 Day में आती है यानि उस दिन आपके ख़रीदे हुए शेयर्स को सेबी आपके Demat Account में क्रेडिट (जमा) देता हैं

यदि आपने T- Day पर सिर्फ मार्जिन दे कर शेयर्स ख़रीदे है यानि यदि उस शेयर का मार्जिन 40% है तो उसके हिसाबसे आपके Trading Account में अभी भी Rs.10,200 (Rs.17,000 को फुल्ली बिल अमाउंट लेते हुए) डेबिट रहेंगे जिसे आपको T + 2 Day पर क्लियर (पेमेंट) करना होंगा अन्यथा सेबी के रूल्स के मुताबिक आपको और आपके ब्रोकर दोनों को पेनल्टी चार्ज चुकाना पड़ेंगा

Settlement क्या होता हैं :-

अब जबकि हमने शेयर ख़रीदे है तो उसे बेचने भी पड़ेंगे तो अब शेयर की बिकवाली को एक उदाहरण के माध्यम से समजते हैं

पहले तो शेयर को बेचने के दो प्रकार (तरीके) है, एक तो हमारे Demat Account से बिक्री के निकालने वाले शेयर को डिलीवरी सेल्लिंग कहा जाता है और दूसरा तरीका जो की इंट्राडे का है वो दो भागों में डिवाइड है पहला इंट्राडे में की गयी खरीदी को बेचना और दूसरा बिना शेयर के बिकवाली करना इसे गुजराती भाषा में शेयर को ‘माथे मारना’ कहते है इसे मार्केट की भाषा में Short Selling कहा जाता हैं

शेयर की बिकवाली करना भी महत्वपूर्ण कार्यो मेसे एक है, मेने पहले भी कहा है की जिस दिन शेयर की खरीदी (T- Day) करते है उसके तीसरे दिन (T + 2 Day) से लेकर कभी भी उस शेयर को बेच सकते है, शेयर को बेचने के बाद T + 2 Day पर उस शेयर का सेटलमेंट होता है, उस शेयर के बिकवाली के Contract Note (Bill) पर ही Settlement Date लिखी हुई होती है इन ही प्रक्रिया को सेटलमेंट कहा जाता हैं

बजाय इसके की हम BTST सौदे का इस्तेमाल कर रहे हो BTST यानि Buy Today, Sell Tomorrow इसे ATST यानि Acquire Today, Sell Tomorrow भी कहा जाता हैं

Clearing Corporation और Clearing Members क्या हैं :-

शेयर क्लियरिंग और सेटलमेंट को और भी विस्तार से समजने के लिए हमें उनकी संस्था और उनके कार्यकर्ता के बारेंमे जानना चाहिए जिसके लिए हमें Clearing Corporation और Clearing Members क्या है यह समजना अनिवार्य है

तो चलिए इसे विस्तार से समजते है, SEBI सभी एक्सचेंजों को यह परवानगी देती है की वो क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के जरिये शेयरों की Clearing और Settlement की प्रोसेस को मैनेजमेंट करें

Clearing Corporation एक प्रकार की सेपरेट एंटिटी होती है जो किसी भी सामान्य Buyer या Seller से सीधे कम्यूनिकेट नहीं करते बल्कि वो Clearing Member से कम्यूनिकेट करते है

सभी स्टॉक ब्रोकर्स स्टॉक एक्सचेंजीस के मेंबर्स होते है जिन्हें ट्रेडिंग मेंबर्स भी कहा जाता है यानि सभी ट्रेडिंग मेंबर्स को अनिवार्य रूप से Clearing Corporation का मेंबर बनना पड़ता है जिन्हें हम Clearing Members के नाम से जानते हैं

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल में क्या – क्या सिखा, क्लियरिंग और सेटलमेंट की सभी सामान्य बातोँ में उनकीं प्रक्रिया की शुरुआत से पहले हमें किन – किन बातोँ पर ध्यान रखना है वह जाना साथ ही क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया में Clearing Corporation और Clearing Members की क्या अहमियत है वह जाना, तो यह हमारा टोपिक यही पर समाप्त होता हैं, धन्यवाद

वेल्थ गाइड: म्यूचुअल फंड - लंबी अवधि के निवेश के लिए सही एमएफ का चयन कैसे करें, एसआईपी

वेल्थ गाइड: म्यूचुअल फंड - लंबी अवधि के निवेश के लिए सही एमएफ का चयन कैसे करें, एसआईपी

किसी भी साधन में निवेश न करने की तुलना में बेतरतीब ढंग से निवेश करना जोखिम भरा है। जीवन में सबसे अच्छी चीजों की तरह , निवेश के लिए भी एक व्यवस्थित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। बाजार में लॉन्च की गई हर नई म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करना क्योंकि इसका नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) बराबर है , निवेश का सही तरीका नहीं है। निवेश का निर्णय लेने के लिए अच्छी तरह से निर्धारित कदम और कार्यप्रणाली हैं। ट्रेडस्मार्ट के सीईओ विकास सिंघानिया ने लंबी अवधि के निवेश , एसआईपी के लिए सही एमएफ का चयन करने के बारे में अपना ज्ञान साझा किया।

लक्ष्य की स्थापना:

विकास सिंघानिया सुझाव देते हैं , “ जैसे घर से निकलने से पहले हम अपनी मंजिल को जानते हैं , उसी तरह अपने निवेश को चुनने से पहले हमें यह जानना होगा कि हम ऐसा क्यों कर कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले रहे हैं। निवेश के लक्ष्य वास्तव में लंबी अवधि के लक्ष्यों जैसे सेवानिवृत्ति से लेकर बच्चों की शिक्षा और शादी तक , परिवार की छुट्टी जैसे अल्पकालिक लक्ष्यों तक भिन्न हो सकते हैं। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक अवधि और फंड के आधार पर हम अपने फंड का चयन कर सकते हैं।

“ लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए , इक्विटी उन्मुख योजनाओं का चयन करना बेहतर है जो शेयरों में अपने कॉर्पस के बड़े हिस्से का निवेश करते हैं। फंड की लंबी अवधि का मतलब यह होगा कि निवेशक को बाजार की छोटी अवधि की अस्थिरता के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। लंबी अवधि में एक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में इक्विटी ने दूसरों की तुलना में बहुत अधिक रिटर्न दिया है। किसी फंड का चयन करते समय किसी ऐसे फंड की तलाश करनी चाहिए जिसमें अधिक जोखिम-समायोजित रिटर्न (शार्प रेश्यो) हो। दूसरे शब्दों में , किसी को उन फंडों को चुनना चाहिए जो समान स्तर के जोखिम के लिए उच्च रिटर्न की पेशकश करते हैं , ” उन्होंने कहा।

“ उच्च बीटा वाले फंडों की भी तलाश करें , खासकर लंबी अवधि के निवेश में। हालांकि उच्च बीटा का मतलब यह होगा कि ये फंड उस बेंचमार्क इंडेक्स की तुलना में अधिक और नीचे चले जाएंगे , जिससे वे आंकी गई हैं। हालांकि , लंबे समय में , जैसे-जैसे सूचकांक अधिक बढ़ते हैं , एक उच्च बीटा फंड बेहतर रिटर्न देगा , ” उन्होंने आगे सुझाव दिया।

चुनने के लिए फंड का प्रकार:

“ इक्विटी के भीतर , फंड के प्रकार के और भी वर्गीकरण हैं जिनमें कोई निवेश कर सकता है। एक प्रत्यक्ष और नियमित योजना के बीच एक विकल्प बनाया जाना है। डायरेक्ट प्लान में कोई मध्यस्थ नहीं है , जिसका मतलब है कि निवेश की गई पूरी राशि को फंड हाउस द्वारा बिना किसी कमीशन की कटौती के लगाया जाएगा। विकास और लाभांश योजनाओं के बीच एक विकल्प भी है , लेकिन चूंकि इस निवेश का लक्ष्य लंबी अवधि के लिए है , इसलिए चक्रवृद्धि का पूरा लाभ पाने के लिए विकास योजना में निवेश करना बेहतर है , ” उन्होंने सलाह दी।

फंड प्रदर्शन:

"फंड का प्रदर्शन और फंड हाउस की प्रतिष्ठा मायने रखती है , खासकर जब लंबी अवधि के निवेश की बात आती है। इसके बजाय एक अच्छी प्रतिष्ठा वाले फंड हाउस के साथ अपने पैसे पर भरोसा करना पसंद करेंगे। एक मजबूत प्रदर्शन के साथ एक फंड इंगित करता है कि यह कई बाजार चक्रों में बच गया है और अच्छा प्रदर्शन किया है। फंड मैनेजर जानता है कि बाजार के विभिन्न चरणों से कैसे निपटना है , ” उन्होंने कहा।

“ व्यय अनुपात वह शुल्क है जो एक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) निवेशक से अपने पैसे का प्रबंधन करने के लिए लेती है। चूंकि बहुत कम फंड अपने बेंचमार्क इंडेक्स रिटर्न को मात दे पाते हैं , इसलिए फंड हाउसों को अतिरिक्त कमीशन देने का कोई मतलब नहीं है। निष्क्रिय फंडों में निवेश करना भी सक्रिय फंडों की तुलना में अधिक मायने रखता है , खासकर जब कोई लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहा हो। हर साल छोटे कमीशन लंबे समय में रिटर्न का एक बड़ा हिस्सा छीन लेते हैं। वही प्रवेश और निकास भार के लिए जाता है जो चार्ज किए जाते हैं। इसे संक्षेप में कहें तो , किसी को सबसे कम व्यय अनुपात और प्रवेश और निकास भार वाले फंडों को देखना चाहिए , लेकिन साथ ही प्रदर्शन के मामले में नेता नहीं तो फंड नेताओं के बीच होना चाहिए , ” उन्होंने कहा।

निष्कर्ष: " फंड का चयन एक यादृच्छिक प्रक्रिया नहीं है , थोड़ा सा शोध और धैर्य एक ऐसे फंड को चुनने में मदद कर सकता है जो आपके दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सही है ," उन्होंने निष्कर्ष निकाला।

( डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त किए गए विचार/सुझाव/सलाह पूरी तरह से निवेश विशेषज्ञों द्वारा हैं। Zee Business अपने पाठकों को कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले अपने निवेश सलाहकारों से परामर्श करने का सुझाव देता है।)

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