रुझान रेखाएं

म्यूचुअल फंड में बढ़ रहा है लोगों का रुझान, FY23 के पहले 5 महीने में जुड़े 70 लाख निवेशक
एम्फी (Amfi) के आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 में 3.17 करोड़ इन्वेस्टर अकाउंट्स और 2020-21 में 81 लाख इन्वेस्टर अकाउंट्स जोड़े गए थे. म्यूचुअल फंड अकाउंट्स की बढ़ती संख्या बताती है कि कैपिटल मार्केट में बड़ी संख्या में नए निवेशक आ रहे हैं और निवेश के लिए म्यूचुअल फंड का विकल्प चुन रहे हैं.
- भाषा
- Last Updated : September 25, 2022, 16:36 IST
नई दिल्ली. म्यूचुअल फंड को लेकर जागरूकता और डिजिटल पहुंच बढ़ने से एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) ने चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों में लगभग 70 लाख इन्वेस्टर अकाउंट्स जोड़े हैं जिनके साथ ही इनकी कुल संख्या 13.65 करोड़ हो गई है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एम्फी (Amfi) के आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 में 3.17 करोड़ इन्वेस्टर अकाउंट्स और 2020-21 में 81 लाख इन्वेस्टर अकाउंट्स जोड़े गए थे.
म्यूचुअल फंड अकाउंट्स की बढ़ती संख्या बताती है कि कैपिटल मार्केट में बड़ी संख्या में नए निवेशक आ रहे हैं और निवेश के लिए म्यूचुअल फंड का विकल्प चुन रहे हैं. मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट में चीफ बिजनेस ऑफिसर अखिल चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘नोटबंदी के कारण घरेलू बचत का वित्तीयकरण हुआ, इसे महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने बढ़ाया. इसके अलावा बचत के तरीकों और जोखिम लेने की क्षमता में आए व्यापक बदलाव की वजह से व्यवस्थित निवेश योजनाएं जीवन जीने का तरीका बन गईं. बाजार में तेजी की वजह से भी बड़ी संख्या में निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं.’’
एलएक्सएमई की फाउंडर और एमडी प्रीति राठी गुप्ता ने म्यूचुअल फंड निवेशकों की बढ़ती संख्या के कई कारण गिनाए मसलन साक्षरता कार्यक्रमों से लोगों के बीच बढ़ती जागरूकता, विज्ञापन अभियान, आसान जानकारियां, डिजिटलीकरण और महिलाओं की भागीदारी बढ़ना.
इन्वेस्टर अकाउंट्स की संख्या अगस्त, 2022 में अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर
आंकड़ों के मुताबिक, 43 म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास इन्वेस्टर अकाउंट्स की संख्या अगस्त, 2022 में अबतक के सबसे ऊंचे स्तर 13.65 करोड़ पर पहुंच गई, जो मार्च, 2022 में 12.95 करोड़ थी। इसका मतलब है कि इस अवधि में 70 लाख नए अकाउंट्स जोड़े गए हैं. उद्योग में 10 करोड़ इन्वेस्टर अकाउंट्स का आंकड़ा मई, 2021 में पार हुआ था.
कोविड के बाद भारतीय शेयर बाजार में तेजी
मॉर्निंगस्टार इंडिया में मैनेजर रिसर्च- एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड के बाद भारतीय शेयर बाजार में तेजी आई है इसलिए निवेशक निवेश करने को प्रेरित हो रहे हैं। वहीं, हाल के चुनौतीपूर्ण समय में भारतीय बाजारों ने जुझारूपन दिखाया है.’’
FY20 में जुड़े 73 लाख निवेशक
बीते कुछ वर्षों में म्यूचुअल फंड क्षेत्र में निवेशकों की संख्या निरंतर बढ़ी है. 2019-20 में इसमें 73 लाख इन्वेस्टर अकाउंट्स जुड़े, 2018-19 में 1.13 करोड़, 2017-18 में 1.6 करोड़, 2016-17 में 67 लाख से अधिक और 2015-16 में 59 लाख इन्वेस्टर अकाउंट्स जुड़े.
ब्याज दरें कम होने की वजह से इक्विटी में डाल रहे पैसा
ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला ने कहा कि ब्याज दरें कम होने की वजह से बड़ी मात्रा में खुदरा धन निश्चित आय से निकालकर इक्विटी में डाला गया. उन्होंने कहा कि भारत में म्यूचुअल फंड की पैठ अन्य बाजारों की तुलना में अब भी कम है
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1989/90 में कम्युनिस्ट शासन की समाप्ति के बाद से बुल्गारिया में राजनीतिक स्थिरता क़रीब क़रीब समाप्त हो गई है। लेकिन बुल्गेरियाई मानदंड के लिहाज़ से भी हाल के वर्षों में हालात अस्थिर रहे हैं। बुल्गारिया में मतदाता सिर्फ़ 18 महीनों के भीतर रुझान रेखाएं चौथी बार नई संसद का चुनाव करने के लिए 2 अक्टूबर को मतदान करेंगे।
अप्रैल 2021 में निर्धारित संसदीय चुनाव और उसके बाद से दो मध्यावधि चुनावों के बाद यह सरकार बनाने के क्रम में तीसरा चुनाव होगा। यह देखना होगा कि क्या यह चुनाव देश के राजनीतिक संकट को ख़त्म करेगा या नहीं।
किरिल पेटकोव की यूरोप-समर्थक सरकार केवल छह महीने सत्ता में थी। ये सरकार जून में अविश्वास प्रस्ताव में हार गई थी।
जून 2022 में प्रधानमंत्री किरिल पेटकोव की सुधार-समर्थक एक उदार सरकार के गिराए जाने के बाद चुनाव कराए जाने की मांग उठी। यह 2021 के अंत में सत्ता में आई और पेटकोव के सेंटरिस्ट पार्टी वी कंटिन्यू द चेंज (पीपी) सहित दो उदारवादी दलों के गठबंधन से समर्थित था। इन दो दलों में एक पूर्व कम्युनिस्ट बुल्गेरियन सोशलिस्ट पार्टी (बीएसपी) और देयर इज सच ए पीपल (आईटीएन) पार्टी हैं।
आईटीएन ने जून की शुरुआत में चार दलों वाले गठबंधन से अपना समर्थन वापस ले लिया। पेटकोव की सरकार 22 जून को अविश्वास प्रस्ताव हार गई और गठबंधन टूट गया।
हर तरफ़ अनिश्चितता
अब बुल्गारिया एक बार फिर ख़ुद से पूछ रहा है कि क्या उसे कामकाजी बहुमत वाली सरकार मिलेगी जो देश को एक कठिन सर्दी और कई चुनौतियों से मार्गदर्शन कर सकती है जिसमें यूक्रेन युद्ध, मुद्रास्फीति और ऊर्जा की उच्च कीमतें शामिल हैं।
फिलहाल, इसकी संभावना नहीं दिखती। जनमत सर्वेक्षणों का बहुमत छह और आठ दलों वाली संसद की भविष्यवाणी कर रहा है।
चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री की पार्टी आगे
वर्तमान राजनीतिक संकट का विजेता तीन बार रह चुके पूर्व प्रधानमंत्री बॉयको बोरिसोव की सिटिजन फॉर यूरोपियन डेवलपमेंट ऑफ बुल्गारिया (जीईआरबी) पार्टी है। पिछली संसद में विपक्ष का गठन करने वाले जीईआरबी और बोरिसोव वर्तमान संकट के लिए थोड़ा बहुत ज़िम्मेदार हैं। 2021 के वसंत तक एक दशक से अधिक समय तक सत्ता में रहने के दौरान उनके कार्यकाल को राजनीतिक उथल-पुथल और कई भ्रष्टाचार घोटालों के रूप में जाना जाता है साथ ही सुधार को लेकर कई वादे किए गए जो पूरे नहीं हुए।
एक "यूरो-अटलांटिक" काम कर सकता था, लेकिन पूर्व बुल्गेरियाई प्रधानमंत्री बॉयको बोरिसोव के बिना।
अब, ओपिनियन पोल में बोरिसोव की पार्टी एक बार फिर आगे है। जीईआरबी के पास लगभग 24% वोट है, जो इसे पेटकोव के पीपी से लगभग 8 प्रतिशत अंक आगे है। हालांकि बोरिसोव स्पष्ट जीत की उम्मीद कर रहे हैं। उनकी पार्टी को बहुमत मिलने की संभावना नहीं है और उन्हें गठबंधन के लिए सहयोगी की आवश्यकता होगी।
गठबंधन सरकार की संभावना
अपनी विदेश नीति के संदर्भ में जीआरईबी का दृष्टिकोण पूरी दृढ़ता के साथ यूरो-अटलांटिक वाला है। हालांकि, एक समान स्थिति के साथ इस दौड़ में अन्य दो पार्टियां, पेटकोव के रुझान रेखाएं पीपी और उदारवादी रूढ़िवादी डेमोक्रेटिक बुल्गारिया (डीबी), जीईआरबी के साथ मिलकर सरकार नहीं बनाना चाहती है क्योंकि बोरिसोव के सिर पर भ्रष्टाचार के आरोप अभी भी मौजूद हैं।
इसलिए जीईआरबी के साथ गठबंधन सरकार को लेकर काफी कुछ चर्चा हुई है लेकिन बोरिसोव को अलग रखकर। राजनीतिक वैज्ञानिक डेनियल स्मिलोव को संदेह है। डीडब्ल्यू की बुल्गेरियाई सेवा को लिखे एक लेख में उन्होंने लिखा है कि "जीईआरबी की एकमात्र चिंता अपने अध्यक्ष के पद की रक्षा करना है। और जब तक बोरिसोव पार्टी के नेता हैं तब तक जीईआरबी के लिए अपने अतीत की स्थिति के तहत कोई रेखा खींचना असंभव होगा।"
ख़तरनाक राष्ट्रवाद
तो इस तरह औपचारिक रूप से कम से कम "यूरो-अटलांटिक गठबंधन" बनने की संभावना होगी, लेकिन बोरिसोव के बिना। उनकी पार्टी के पास कई अन्य विकल्प नहीं हैं क्योंकि 12 साल सत्ता में रहने के बाद, बची छोटी पार्टियां जीईआरबी को एक व्यवहार्य भागीदार नहीं मानती हैं।
राजनीतिक स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर एक ख़तरनाक राष्ट्रवाद है जो सशक्त रूस-समर्थक भावनाओं के साथ है। ये एक अजीब घाल-मेल है जो कई बुल्गेरियाई लोगों को कट्टरपंथी दक्षिणपंथी वज़्राज़्दाने (पुनःप्राप्ति) की ओर खींच रहा है या यहां तक कि मतदान के दिन उन्हें घर पर रहने के लिए मजबूर भी कर सकता है।। वज़्राज़्दाने का नेतृत्व सत्तावादी व्लादिमीर पुतिन-समर्थक कोस्टादीन कोस्तादीनोव कर रहे हैं। ये यूरोपीय संघ और नाटो दोनों के कट्टर विरोधी हैं। वज़्राज़्दाने संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी भी बन सकती है।
रूस-समर्थित वज़्राज़्दाने पार्टी के समर्थक सोफिया को मास्को के साथ सुलह देखने के लिए उत्सुक हैं।
रूस-समर्थित भावनाएं
इससे अन्य पार्टियों और पूरे समाज पर रूस-समर्थक दबाव बढ़ेगा। बुल्गारिया यूरोपीय संघ में सबसे ज़्यादा रूस को समर्थन देने वाला देश है। जबकि अधिकांश बुल्गेरियाई अभी भी यूरोपीय संघ के पक्ष राय रखते हैं रुझान रेखाएं और यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस के हमले की निंदा करते हैं। समाज के भीतर विभाजन स्पष्ट है।
डीडब्ल्यू के साथ एक साक्षात्कार में, राजनीतिक वैज्ञानिक इवान क्रस्टेव ने परिस्थिति को कुछ इस तरह बताया, "परंपरागत रूप से, बुल्गारिया में हमेशा सशक्त रूसी-समर्थक भावनाएं रही हैं। आज, यहां बहुत से लोग रूस को हर उस चीज के विकल्प के रूप में देखते हैं जो उन्हें पश्चिमी दुनिया को लेकर पसंद नहीं है।"
ऊर्जा: एक प्रमुख चुनावी मुद्दा
ऊर्जा की बढ़ती क़ीमतों और रूसी गैस आपूर्ति को लेकर चर्चाएं इस चुनाव में अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। भले ही रूसी ऊर्जा की दिग्गज कंपनी गज़प्रोम ने अप्रैल 2022 में बुल्गारिया को दी जाने वाली गैस को एकतरफ़ा निर्णय लेते हुए रोक दी हो ऐसे में बुल्गारिया में क्रेमलिन-समर्थक लॉबी, कोस्टाडिनोव की राष्ट्रवादी, रूस-समर्थक पार्टी और कई बुल्गारियाई लोग अभी भी सोफिया को मास्को के साथ सामंजस्य स्थापित करने और रूसी गैस की आपूर्ति बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
कितने थके हुए हैं मतदाता?
नई बल्गेरियाई संसद की संरचना पर चुनावी मतदान का भी निर्णायक प्रभाव होगा। जितना अधिक मतदान होगा, गठबंधन प्राप्त करने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। इस तरह छोटी पार्टियों या राष्ट्रवादियों के समर्थन के बिना सरकार बना सकती है। लेकिन पर्यवेक्षकों को डर है कि हाल के वर्षों में इतने सारे चुनावों के बाद मतदाता थके हुए हैं और तंग आ चुके हैं।
मतदान सर्वेक्षक और राजनीतिक वैज्ञानिक एंड्री रैचेव सहमत नहीं हैं। वे कहते हैं, "अक्सर यह कहा जाता है कि यह चुनाव पिछले दो शुरुआती चुनावों की तरह होगा। लेकिन ऐसा नहीं है," रैचेव के अनुसार, बुल्गेरियाई लोगों ने पिछले दो चुनावों में पूरी तरह से बल्गेरियाई आंतरिक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया। इस बार, हालांकि, चुनाव में वे चीजें हावी हैं जो बुल्गारिया के बाहर हो रही हैं, जैसे- यूरोप में उच्च मुद्रास्फीति, ऊर्जा की कीमतों में उछाल और बुल्गारिया की दहलीज पर युद्ध की स्थिति।
क्या बुल्गेरियाई इतनी सारी चुनौतियों का सामना करेंगे?
रैचेव कहते हैं, "इसका मतलब है कि हमारी घरेलू समस्याएं इन समस्याओं में फीकी पड़ गई हैं।" "बुल्गारिया छोटा, ग़रीब, कमज़ोर और आश्रित है, और इस स्थिति में बुल्गारियाई सहज रूप से जानते हैं कि उन्हें एकजुट होना है।" यही कारण है कि रैचेव का मानना है कि बुल्गेरियाई मतदाता राजनेताओं को एक स्पष्ट संदेश भेज सकते हैं कि, "घरेलू बकवास चीज़ों और लड़ाई को भूल जाओ और कम से कम युद्ध ख़त्म होने तक एक साथ आओ।"
यह लेख मूल रूप से जर्मन भाषा में प्रकाशित हुआ था। इसे न्यूज़क्लिक की अंग्रेज़ी वेबसाइट ने डीडब्ल्यू से साभार लिया। अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
Uttarakhand Election Results 2022 Live: लोहाघाट से कांग्रेस प्रत्याशी खयसजल सिंह विजय घोषित, उत्तराखंड के रुझानों में 44 सीटों के साथ BJP को बहुमत
Uttarakhand Vidhan Sabha Election Result Live News (उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लाइव नतीजे) : उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों की मतगणना 10 मार्च 2022 की सुबह 8 बजे से जारी है। शुरुआती रुझान में बीजेपी ने बहुमत के आंकड़े 36 को हासिल कर लिया है। एग्जिट पोल्स ने राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर के आसार जताए हैं। बीजेपी ने राज्य में सरकार बनाने को लेकर कई स्तरों पर तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दावा किया है कि बीजेपी बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। 70 सदस्यों की विधानसभा में बहुमत के लिए 36 सीटें चाहिए। कड़ी टक्कर की स्थिति में निर्दलीय और छोटे दलों के विधायक काम आ सकते हैं। उत्तराखंड चुनाव 2022 के नतीजों पर ताजा जानकारी के लिए बने रहें नवभारत टाइम्स ऑनलाइन के सााथ।
अल्मोड़ा में बीजेपी के बीजेपी प्रत्याशी कैलाश शर्मा को अब तक 7326 वोट मिले, कांग्रेस प्रत्याशी मनोज तिवारी को 6878 वोट मिले। BHEL रानीपुर सीट से अब तक बीजेपी के आदेश चौहान को 17957 वोट, कांग्रेस के 19016 वोट। बद्रीनाथ से बीजेपी के महेंद्र भट्ट को 11482 वोट, कांग्रेस के राजेंद्र सिंह भंडारी को 11235 वोट। बागेश्वर से बीजेपी के चंदन राम दास को 18412 वोट, कांग्रेस के रंजीत दास को 9635 वोट और AAP के बसंत कुमार को 8129 वोट मिले। बीजपुर सीट से कांग्रेस के यशपाल आर्या को 38198 वोट, बीजेपी के राजेश कुमार को 37094 वोट, बीएसपी के विजय पाल सिंह को 8404 वोट और AAP के सुनीता टम्टा को 18974 वोट मिले।
उत्तराखण्ड में चंपावत जिले के लोहाघाट से कांग्रेस प्रत्याशी खयसजल सिंह की जीत घोषित। हरिद्वार से भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक भी चल रहे पीछे।
पीएम मोदी और सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हमने (BJP) उत्तराखंड के लोगों को कल्याणकारी नीतियां दीं। इसी वजह से अपेक्षित परिणाम मिले हैं।
उत्तराखंड के रुझानों में BJP को स्पष्ट बहुमत - ECI
उत्तराखंड के 70 सीटों का रुझान, बीजेपी 45 और कांग्रेस 22 सीटों पर आगे। नरेंद्र नगर से बीजेपी के सुबोध उनियाल आगे, गंगोत्री से AAP के अजय कोठियाल पीछे, खटीमा से बीजेपी के पुष्कर सिंह धामी आगे, किच्छा से कांग्रेस के तिलक राज बहर आगे, गदरपुर से बीजेपी के अरविंद पांडेय आगे, बाजपुर से कांग्रेस के यशपाल आर्य पीछे, कालादुंगी के बंशीधर भगत आगे, हल्द्वानी से कांग्रे की सुमित हृदयेश पीछे, लालकुंआ से कांग्रेस के हरीश रावत पीछे, सोमेश्वर से बीजेपी रेखा आर्य आगे, रानीखेत से कांग्रेस के करन महारा पीछे, डीडीहाट से बीजेपी के बिशन सिंह पीछे, कोटद्वार से बीजेपी के रीतू खंडूरी आगे, लैंसडाउन से कांग्रेस के अनुकृति रावत पीछे, चौबट्टखाल से बीजेपी के सतपाल महाराज आगे, श्रीनगर से कांग्रेस के गणेश गोदियाल आगे, हरिद्वार ग्रामीण से कांग्रेस की अनुपमा रावत पीछे, मंगलौर से कांग्रेस की काजी निजामुद्दीन पीछे, खानपुर से बीजेपी की देवयानी सिंह पीछे, हरिद्वार से बीजेपी के मदन कौशिक आगे, ऋषिकेश से बीजेपी के प्रेमचंद अग्रवाल आगे, मसूरी से बीजेपी के गणेश जोशी आगे।
अब तक हुई वोटों की गिणती में किस पार्टी का कितना वोट शेयर
उत्तराखंड में बीजेपी ने रुझानों में बहुमत का नंबर हासिल किया। बीजेपी 38, कांग्रेस 21 सीटों पर आगे। पुरोला से कांग्रेस आगे, जागेश्वर : कांग्रेस आगे, रानीखेत: BJP आगे, सोमेश्वर: BJP आगे, कपकोट: BJP आगे, बागेश्वर: BJP आगे, हल्द्वानी: BJP आगे, नैनीताल: BJP आगे, धारचूला: कांग्रेस आगे, पिथौरागढ़: कांग्रेस आगे, गंगोलीहाट: BJP आगे, लालकुंआ: हरीश रावत पीछे
हम लोग जीत रहे हैं, रुझानों में आगे चल रहे हैं। जिस पर आगे नहीं हैं वहां कांटे की टक्कर में कांग्रेस प्रत्याशी हैं। चुनाव परिणाम के बाद एक नई सुबह होगी। उस सुबह में कांग्रेस अध्यक्ष का आशीर्वाद जिसके साथ होगा, हम सब उसके साथ खड़े होंगे।
देहरादून के विकास नगर से कांग्रेस प्रत्याशी आगे, घनशाली से बीजेपी के प्रत्याशी आगे, रुद्रपुर, रुद्रप्रयाग से बीजेपी आगे, बागेश्वर से बीजेपी आगे, बद्रीनाथ से कांग्रेस आगे, रुड़की और पिथौरागढ़ से कांग्रेस आगे, BHEL रानीपुर, मसूरी और पौड़ी से बीजेपी आगे। जागेश्वर से कांग्रेस आगे।
उत्तराखंड की 47 विधानसभा सीटों का रुझान आ गया है। रुझानों में बीजेपी 24 और कांग्रेस 21 सीटों पर, AAP एक और अन्य एक सीट पर आगे चल रहे हैं। शुरुआती रुझानों में बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।
लालकुआं विधानसभा सीट से भाग्य आजमा रहे कांग्रेस के सीएम कैंडिडेट हरीश रावत रुझानों में आगे चल रहे हैं। इसके अलावा विकास नगर से कांग्रेस, BHEL रानीपुर से बीजेपी, रुड़की, कपकोट से कांग्रेस,खटीमा से बीजेपी, देहरादून कैंट और मसूरी से बीजेपी आगे। धारचूला से कांग्रेस, पिथौरागढ़ से कांग्रेस आगे। सहसपुर से कांग्रेस आगे, रामनगर से कांग्रेस आगे
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में 45 सीटों के आए रुझान में कांग्रेस 20, बीजेपी 21, आप 3 और अन्य एक सीट पर आगे हैं।
उत्तराखंड की 70 सीटों में से 13 सीटों के आए रुझान में बीजेपी 7 और कांग्रेस 6 सीटों पर आगे चल रही है। यहां बता दें कि ये रुझान तेजी से बदलेंगे क्योंकि फिलहाल पोस्टल बैलेट की गिणती हो रही है। जागेवर से कांग्रेस के गोविंद कुंजवाल आगे, कपकोट से कांग्रेस के ललित फर्सवाण आगे।
उत्तराखंड में सभी 70 विधानसभा सीटों पर वोटों की गिणती शुरू हो चुकी है। पहले रुझान में उत्तराखंड में बीजेपी 3 और एक सीट पर कांग्रेस आगे है। फिलहाल पोस्टल बैलेट की गिणती हो रही है।
उत्तराखंड में सभी 70 विधानसभा सीटों पर वोटों की गिणती शुरू हो चुकी है। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिणती होगी। थोड़ी देर में रुझान आने शुरू हो जाएंगे।
एक बार मैंने 48 सीटों पर जीत की बात कही थी कुछ उसके आसपास ही सीटें आएंगी। हमें किसी भी तहर की चिंता नहीं है।
कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने चुनाव में जीत का दावा किया है। उन्होंने हमारे सहयोगी टाइम्स नाउ नवभारत से बातचीत में कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार बना रही है। एग्जिट पोल के अनुमान ध्वस्त हो जाएंगे।
उत्तराखंड: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने विधानसभा चुनाव की मतगणना से पहले अपने आवास पर पूजा की। उन्होंने कहा, 'मैं अपनी और पार्टी जीत को लेकर आश्वस्त हूं, लोग कांग्रेस को बहुमत देंगे। एक-दो घंटे में तस्वीर साफ हो जाएगी।'
उत्तराखंड में वोटों की गिनती सुबह 8 बजे शुरू होगी। सबसे पहले पोस्टल बैलट्स की गिनती की जाएगी। निर्देश हैं कि अगर आधे घंटे में बैलट्स की गिनती पूरी नहीं होती तो ईवीएम के वोट गिनने शुरू कर दिए जाते हैं। पहला रुझान सुबह 8.30 बजे तक आने की संभावना है।
उत्तराखंड: मतगणना के लिए मतदान केंद्रों पर तैयारी की जा रही है। तस्वीरें देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज काउंटिंग सेंटर से है।
कौन जीतेगा या कौन हारेगा, इसकी टेंशन से इतर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राजभवन में आयोजित बसंतोत्सव को देखने पहुंचे। यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बेहद खुश नजर आ रहे थे। धामी खुद भी पहाड़ी गाने गाते दिखाई दिए। उन्होंने माइक लेकर पहाड़ी गीत 'बेड़ू पाक्यो बारह मासा' गुनगुनाया।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल देहरादून पहुंच चुके हैं। माना जा रहा है कि अपने तमाम विधायकों को सुरक्षित उत्तराखंड से बाहर ले जाने के लिए कांग्रेस ने ये जिम्मेदारी भूपेश बघेल को दी है। वहीं देहरादून पहुंचे भूपेश बघेल ने साफ तौर पर कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बन रही है और कांग्रेस बहुमत पाने जा रही है। मतगणना के बाद जो भी तमाम विधायक कांग्रेस रुझान रेखाएं के रहेंगे उनको चार्टर प्लेन से राजस्थान और छत्तीसगढ़ ले जाने का प्लान है, जैसे कांग्रेस में कैलाश विजयवर्गीय के उत्तराखंड आने से चर्चाएं बहुत गर्म हैं वहीं बीजेपी में भी भूपेश बघेल को लेकर चर्चाएं लगातार हो रही हैं कि आखिरकार भूपेश बघेल को पार्टी आलाकमान ने क्या जिम्मेदारी दी है।
बेशुमार दौलत दिलाती है हाथ की ये रेखा, कभी नहीं होती धन की कमी, कहीं आपके हथेली में भी तो नहीं
This line of hand gives immense wealth हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार व्यक्ति के हाथ पर बनने वाली रेखाओं से का संबंध उसके जीवन में होने वाली घटनाओं से होता है। हथेली पर बनी रेखाओं से भी व्यक्ति के भाग्य के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है। हथेली पर बनी रेखाएं व्यक्ति की आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी देती हैं। व्यक्ति की हाथ पर कई रेखाएं होती हैं जो इशारा करती हैं कि व्यक्ति जीवन में कितना धन कमाएगा। कुछ भाग्यशाली लोगों के हाथों में कुछ ऐसी विशेष रेखाएं होती हैं जो इशारा करती हैं कि व्यक्ति भविष्य में बहुत धन-संपत्ति कमाएगा। आइए जानते हैं कि वो कौन सी रेखाएं हैं जो व्यक्ति को जल्द ही अमीर बना देती हैं।
मालामाल कर देती हैं हाथ की ये रेखाएं
This line of hand gives immense wealth हस्तरेखा शास्त्र में हाथ की कुछ रेखाओं, निशानों, आकृतियों, पर्वतों को बेहद शुभ बताया गया है। ये रेखाएं जिन लोगों के हाथ में हों, उन्हें मालामाल कर देती हैं।
– जिन जातकों की हथेली में गुरु, शुक्र, चंद्रमा और बुध पर्वत अच्छी तरह उभरे हुए हों, उनके हाथ में राजलक्ष्मी योग बनता है। यह योग जातक को कम उम्र में ही ढेर सारी धन-दौलत का मालिक बनाता है।
– जिन लोगों के हाथ में भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से निकल रही हो, ऐसे लोग न केवल खूब धन-दौलत पाते हैं, बल्कि ख्याति भी पाते हैं। ऐसे लोगों का धार्मिक कार्योा में भी रुझान होता है।
– दुर्लभ ही लोगों के हाथ में एक से ज्यादा भाग्य रुझान रेखाएं रेखाएं होती हैं। इन जातकों का यदि शनि ग्रह भी अच्छा फल दे तो ये लोग जीवन में अपार धन, सुख-समृद्धि पाते हैं। इन्हें हर काम में सफलता मिलती है। कह सकते हैं कि किस्मत इन पर पूरी तरह मेहरबान रहती है।
– जिन जातकों के हाथ में भाग्य रेखा, जीवन रेखा से निकले तो वे लोग भी अपार धन-संपत्ति के मालिक बनते हैं। इनके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है।
– वहीं जिन लोगों के हाथ में ध्वज, चक्र, स्वास्तिक, कमल, मछली जैसे शुभ निशान हों, वे लोग भी बेहद भाग्यशाली होते हैं। इन लोगों पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। इन लोगों को अपने जीवन में खूब धन-वैभव-ऐश्वर्य मिलता है। ये लोग किसी बड़े पद पर पहुंचते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। IBC24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।)