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भारत में फॉरेक्स ट्रेडिंग केसे करे

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XAU/USD - गोल्ड स्पॉट अमरीकी डॉलर

XAU USD (गोल्ड स्पॉट बनाम अमरीकी डॉलर) के बारे में जानकारी यहां उपलब्ध है। आपको ऐतिहासिक डेटा, चार्ट्स, कनवर्टर, तकनीकी विश्लेषण, समाचार आदि सहित इस पृष्ठ के अनुभागों में से किसी एक पर जाकर अधिक जानकारी मिल जाएगी।

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XAU/USD - गोल्ड स्पॉट अमरीकी डॉलर समाचार

पीटर नर्स भारत में फॉरेक्स ट्रेडिंग केसे करे द्वारा Investing.com - अमेरिकी शेयर सोमवार को कम छुट्टी वाले सप्ताह की शुरुआत में कम खुलते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिसमें अधिक खुदरा आय के साथ-साथ नवीनतम फेडरल रिजर्व बैठक.

पीटर नर्स द्वारा Investing.com - यूरोपीय शेयर बाजारों के सोमवार को कम खुलने की उम्मीद है क्योंकि निवेशक भविष्य में मौद्रिक तंगी की संभावना और भविष्य के आर्थिक विकास पर प्रभाव को.

अंबर वारिक द्वारा Investing.com-- सोने की कीमतें सोमवार को थोड़ी बढ़ीं, लेकिन प्रमुख समर्थन स्तरों के आसपास मँडरा गईं क्योंकि बाजार ने आने वाले महीनों में अमेरिकी मौद्रिक नीति के.

XAU/USD - गोल्ड स्पॉट अमरीकी डॉलर विश्लेषण

तेल में भालू के हमले को क्या धीमा या रोक सकता है? यह एक ऐसा सवाल है जिसे क्रूड व्यापारी गंभीरता से पूछ रहे हैं क्योंकि चीन में कोविड-19 सुर्खियों में बाजार में गिरावट आई है और नए.

कल सोना -0.48% की गिरावट के साथ 52588 पर बंद हुआ, जो अमेरिकी फेडरल रिजर्व मैसेजिंग से तौला गया, जिसने फेड पिवट की उम्मीदों के मुकाबले बाजार की अपेक्षा अधिक दरों में बढ़ोतरी का.

समष्टि बाजार और आर्थिक पृष्ठभूमि स्वर्ण खनन क्षेत्र के लिए अनुकूल बनी हुई है 2.5 साल के सुधार के बाद सोने के शेयरों के लिए जोखिम/इनाम बहुत अच्छा रहा है, जो कि अधिकांश गोल्ड बग्स के.

भारत में फॉरेक्स ट्रेडिंग केसे करे तकनीकी सारांश

कैंडलस्टिक पैटर्न

Inverted Hammer30 Falling Three Methods1W Three Inside Up1W Three Outside Down Bearish1W

आर्थिक कैलेंडर

करेंसी एक्स्प्लोरर

XAU/USD आलोचनाए

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Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए

Crypto Trading : क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है और निवेश को सुरक्षित रखने के लिए एन्क्रिप्शन कोड का इस्तेमाल करती है. आप अपने क्रिप्टो टोकन या तो सीधे बायर को बेच सकते हैं या फिर ज्यादा सुरक्षित रहते हुए एक्सचेंज पर ट्रेडिंग कर सकते हैं.

Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए

Cryptocurrency Trading : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर है बहुत से भ्रम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. माइनिंग के जरिए नई करेंसी या टोकन जेनरेट किए जाते हैं. माइनिंग का मतलब उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने से है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं और इसी तरह नए क्रिप्टो कॉइन जेनरेट होते हैं. लेकिन जो निवेशक होते हैं, वो पहले से मौजूद कॉइन्स में ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. क्रिप्टो मार्केट में उतार-चढ़ाव का कोई हिसाब नहीं रहता है. मार्केट अचानक उठता है, अचानक गिरता है, इससे बहुत से लोग लखपति बन चुके हैं, लेकिन बहुतों ने अपना पैसा भी उतनी ही तेजी से डुबोया है.

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अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर कुछ कंफ्यूजन है कि आखिर यह कैसे काम करता है, तो आप अकेले नहीं हैं. बहुत से लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्चुअल करेंसी में कैसे निवेश करें. हम इस एक्सप्लेनर में यही एक्सप्लेन करने की कोशिश कर रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी में कैसे निवेश कर सकते हैं, और क्या आपको निवेश करना चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि भारत में फॉरेक्स ट्रेडिंग केसे करे यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की तरह नियमन संस्थाओं के तहत.

क्रिप्टो एक्सचेंज का एक वर्चुअल माध्यम है. इसे प्रॉडक्ट या सर्विस खरीदने के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है. जो क्रिप्टो ट्रांजैक्शन होते हैं. उन्हें पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में रखा जाता है और क्रिप्टोग्राफी से सिक्योर किया जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?

इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.

bitcoins 650

कौन कर सकता है ट्रेडिंग?

ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में भारत में फॉरेक्स ट्रेडिंग केसे करे पूरी तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.

यह समझना भी जरूरी है कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल क्या है?

यह डिजिटल कॉइन उसी तरह का निवेश है, जैसे हम सोने में निवेश करके इसे स्टोर करके रखते हैं. लेकिन अब कुछ कंपनियां भी अपने प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज़ के लिए क्रिप्टो में पेमेंट को समर्थन दे रही हैं. वहीं, कुछ देश तो इसे कानूनी वैधता देने पर विचार कर रहे हैं.

Share Market ने पूरे किए सपने, नौकरी छोड़ आधी दुनिया की सैर कर चुकी है ये लड़की

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के बारे में राजर्षिता का कहना है कि यह जुए से कम नहीं है. ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के लोभ में लोग सारी कमाई गंवा देते हैं. उन्होंने खुद भी ज्यादा कमाई करने के चक्कर में एफएंडओ ट्रेड (Future & Options) में पैसे गंवाए हैं.

शेयर मार्केट में ट्रेड कर दुनिया की सैर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 जून 2022,
  • (अपडेटेड 06 जून 2022, 12:58 PM IST)
  • दुनिया घूमने के लिए छोड़ी बैंकर की नौकरी
  • शेयर मार्केट में ट्रेड कर कमाती हैं पैसे

अच्छी-खासी सैलरी वाली बैंकर (Banker) की नौकरी को भला कौन छोड़ना चाहता है. हालांकि दुनिया में ऐसे भी लोग होते हैं, जिनका सपना अलग होता है. कोलकाता (Kolkata) की रहने वाली राजर्षिता सुर (Rajarshita Sur) की कहानी भी ऐसी ही है. राजर्षिता का सपना दुनिया घूमने का था और इस कारण उन्होंने बैंकर की नौकरी की परवाह नहीं की. सुर के सपने को पूरा करने में मददगार बना शेयर मार्केट (Share Market).

ऐसा था राजर्षिता सुर का सपना

राजर्षिता सुर को मुंबई में एक प्राइवेट बैंक के ट्रेजरी डिपार्टमेंट में नौकरी मिली थी. उन्हें नौकरी से कोई खास परेशानी नहीं थी, बस उन्हें जब मन करे तब घूमने निकल जाने की आजादी नहीं थी. वह चाहती थीं कि कोई ऐसा काम हो, जिसमें ऑफिस के घंटों से बंधने की मजबूरी नहीं हो और इतनी कमाई भी होती रहे कि खर्चे का टेंशन नहीं हो. चूंकि वह बैंक में फॉरेक्स ट्रेडिंग (Forex Trading) भारत में फॉरेक्स ट्रेडिंग केसे करे का काम देख रही थीं, उन्होंने स्टॉक मार्केट में किस्मत आजमाने का फैसला किया.

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ऐसे की शेयर मार्केट में शुरुआत

राजर्षिता सुर ने बैंक की नौकरी छोड़ने के बाद इंडीपेंडेंट तरीके से स्टॉक मार्केट में ट्रेड (Stock Market Trading) करने लगीं. शुरुआत में उन्होंने एक कॉरपोरेट फर्म के साथ तीन साल तक प्रॉपरायटरी इक्विटी ट्रेडर के रूप में काम किया. इस नौकरी के साथ-साथ वह अपना ट्रेड भी करती रहीं. धीरे-धीरे राजर्षिता को शेयर मार्केट की चाल समझ आने लगी और उन्होंने ठीक-ठाक फंड भी बना लिया. बस फिर क्या था, उन्होंने ये नौकरी भी छोड़ दी और दुनिया घूमने निकल पड़ीं.

कर चुकीं दुनिया के इन हिस्सों की सैर

आज राजर्षिता सुर की पहचान एक इन्वेस्टमेंट गुरू (Investment Guru) के रूप में बन चुकी है. उन्हें शेयर मार्केट में ट्रेड करते हुए आठ साल हो चुके हैं. राजर्षिता सुर अभी तक ब्रिटेन (Britain), तुर्की (Turkey), दक्षिण पूर्वी एशिया (South East Asia) और लगभग 70 फीसदी यूरोप (Europe) की सैर कर चुकी हैं. अभी-अभी उन्होंने नेपाल (Nepal) का ट्रिप पूरा किया है और अब केन्या (Kenya) व आइसलैंड (Iceland) जाने की तैयारी में हैं. राजर्षिता हर साल विदेश की सैर करने के लिए कम-से-कम 10 लाख रुपये अलग रख दिया करती हैं. उनका कहना है कि वह हर महीने 3-4 फीसदी फायदा कमाने का टारगेट रखती हैं. जैसे ही ये टारगेट अचीव होता है, वह ट्रेडिंग बंद कर सैर करने निकल पड़ती हैं.

जुए से कम नहीं है शेयर मार्केट

राजर्षिता के इंस्टाग्राम (Rajarshita Instagram) अकाउंट से भी पता चलता है कि उन्हें घूमने का कितना शौक है. उन्होंने इंस्टाग्राम के बायो में ही लिखा हुआ है. फॉरएवर ऑन वैकेशन. इंस्टाग्राम पर उन्होंने देश-विदेश की सैर की दर्जनों तस्वीरें अपलोड की हैं. शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के बारे में राजर्षिता का कहना है कि यह जुए से कम नहीं है. ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के लोभ में लोग सारी कमाई गंवा देते हैं. उन्होंने खुद भी ज्यादा कमाई करने के चक्कर में एफएंडओ ट्रेड (Future & Options) में पैसे गंवाए हैं. हालांकि अब उन्होंने इस गलती से सीख ले ली है और ट्रेडिंग से ज्यादा लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long Term Investment) पर फोकस करती हैं.

कैसे होता है DA का कैलकुलेशन, जानें किन्हें मिलता है फायदा और इनकम टैक्स पर क्या होता है इसका असर?

सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को डीए पर टैक्स देना पड़ता है. इनकम टैक्स रूल्स के मुताबिक कर्मचारियों को डीए का हिस्सा आईटीआर में अलग से भरना पड़ता है.

कैसे होता है DA का कैलकुलेशन, जानें किन्हें मिलता है फायदा और इनकम टैक्स पर क्या होता है इसका असर?

सातवें वेतन आयोग के मुताबिक केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता यानी डीए (Dearness Allowance) 17 फीसदी से बढ़ा कर 28 फीसदी कर दिया है. 1 जुलाई से यह महंगाई भत्ता लागू भी हो गया है. साथ ही पेंशनर्स की डीआर ( Dearness relief) भी बढ़ा दी गई है. सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को महंगाई से बचाने के लिए भत्ता देती है. बढ़ती महंगाई की वजह से इसे बढ़ाना पड़ता है. साल में इसे दो बार यानी जनवरी और जुलाई में कैलकुलेट किया भारत में फॉरेक्स ट्रेडिंग केसे करे जाता है. शहरी, अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों के हिसाब से डीए अलग-अलग होता है. आइए जानते हैं इसे कैलकुलेट कैसे किया जाता है.

डीए कैलकुलेट करने का फॉर्मूला

सरकार ने 2006 में डीए कैलकुलेट के फॉर्मूले में बदलाव किया था. तब से इसी आधार पर डीए कैलकुलेट होता है. इस फॉर्मूले के आधार पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए डीए इस आधार पर कैलकुलेट होता है- X100. सेंट्रल पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों के लिए फॉर्मूला इस तरह है- < 3 महीनों का ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स का औसत ( बेस ईयर-2001=100-126.33/126.33>X100

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कितनी बढ़ेगी सैलरी

केंद्र सरकार ने डीए, मूल वेतन (Basic Pay) का 28 फीसदी करने का फैसला किया है. पहले यह 17 फीसदी था लेकिन इसमें 11 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 30 हजार रुपये है तो 28 फीसदी के हिसाब से यह रकम 8,400 रुपये बैठेगी.

डीए टैक्स दायरे में आता है

सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को डीए पर टैक्स देना पड़ता है. इनकम टैक्स रूल्स के मुताबिक कर्मचारियों को डीए का हिस्सा आईटीआर में अलग से भरना पड़ता है. डीए की दो कैटेगरी है. औद्योगिक महंगाई भत्ता ( Industrial Dearness Allowance) और वैरिएबल महंगाई भत्ता ( VDA). इंडस्ट्रियल महंगाई भत्ता केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों पर लागू होता है और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स ( CPI) के आधार पर हर तिमाही पर इसकी समीक्षा होती है.

वीडीए केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू होता है और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर इसका हर छह महीने पर रिव्यू होता है. वीडीए भी तीन चीजों पर आधारित होता है- 1.बेस इंडेक्स 2. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स और 3.सरकार की ओर से तय किया गया वीडीए. सरकार की ओर इसे संशोधित किए जाने तक यही लागू रहता है.

पेंशनर्स के लिए महंगाई भत्ता

पेंशनर्स के लिए महंगाई भत्ते को डियरनेस रिलीफ (DR) भी कहा जाता है. जब भी वेतन आयोग नया वेतन ढांचा बनाता है, उसमें बदलाव का असर रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन पर भी पड़ता है. अगर महंगाई भत्ता बढ़ता है तो पेंशनर्स की डीआर भी बढ़ जाती है.

कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स क्या है?

डीए की गणना कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित खुदरा महंगाई दर पर होती है. इसे आम उपभोक्ता वहन करता है. जबकि थोक महंगाई दर उत्पादक की ओर से अदा की गई कीमत होती है. खुदरा महंगाई दर सीधे तौर पर आम लोगों को प्रभावित करती है इसलिए डीए की गणना इसी आधार पर तय होती है.

डीए और एचआरए में अंतर

अक्सर लोग डीए और एचआरए को एक ही समझ लेते हैं. लेकिन दोनों में अंतर है. इनकम टैक्स के मुताबिक दोनों पर टैक्स देनदारी अलग-अलग होती है. एचआरए प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर कर्मचारी दोनों को मिलता है जबकि डीए सिर्फ पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों के लिए है. एचआरए के लिए कुछ टैक्स छूट भी है. लेकिन डीए पर कोई टैक्स छूट नहीं है. इस पर पूरा टैक्स लगता है.

इस तरह शुरू हुआ महंगाई भत्ता

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान महंगाई भत्ता देने की शुरुआत हुई थी. उस वक्त सैनिकों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए तनख्वाह से अलग यह पैसा दिया जाता था. उस वक्त इसे खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस (Dearness food allowance) कहा जाता था. भारत में मुंबई से 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते देने की शुरुआत हुई थी. इसके बाद केंद्र सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा.

सेवियर पार्क कंपनी में कार्यरत कर्मचारी की हत्या का मामला, साहिबाबाद कोतवाली (गाजियाबाद) की भारत में फॉरेक्स ट्रेडिंग केसे करे बड़ी लापरवाही

सेवियर पार्क कंपनी में कार्यरत कर्मचारी राहुल कौशिक (32) पुत्र राकेश शर्मा की बीते 26-27 सितंबर को निर्दयता पूर्वक हत्या कर दी गई थी। राहुल कौशिक की हत्या करने के बाद उनकी डैडबॉडी गाजियाबाद के हाईवे के पुल के नीचे सुनसान सड़क पर मिली थी। पेशे से सिविल इंजीनियर राहुल कौशिक सेवियर पार्क कंपनी में काम करते थे। वह रोज की तरह ही अपनी कंपनी में काम करके लौट रहे थे। उसी दैरान 26-27 सितंबर की रात में उनकी हत्या कर दी गई।

मां-बाप को जवान बेटे के लिए न्याय की आस

मां-बाप उनके बारे में मैं क्या लिखूं, किसी का जवान बेटा उसके सामने चला जाए, जिससे उनकी रोज बात होती हो। और एक दिन अचानक से उन्हें पता चले कि उनकी उस बेटे की किसी ने बेरहमी से हत्या कर दी। मां-बाप अब सिर्फ अपने बेटे के लिए न्याय चाहते हैं। उनके बेटे के साथ जिस किसी ने भी यह किया है, वह चाहते हैं कि उसको सजा मिले लेकिन यह काम पुलिस का है। उसको उन हत्यारों को पकड़ना है।

साहिबाबाद कोतवाली का रवैया असंवेदनशील

इस देश में 1 लाख व्यक्ति पर 1 पुलिस वाला है। हकीकत में पुलिस जुर्म होने से नहीं रोक सकती लेकिन जुर्म हो जाने के बाद न्याय जरूर दिलवा सकती है। यह उसका कर्तव्य है, जिसकी वह वर्दी पहनने से पहले ओथ लेते हैं। लेकिन साहिबाबाद कोतवाली शायद वह भूल गई है। राहुल कौशिक के केस में परिवार की तरफ से कई बार कॉल किए गए लेकिन पुलिस की तरफ से अब तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।

राहुल को गुजरे हुए 17 दिन हो गए लेकिन अभी तक पुलिस की तरफ से परिवार को कि उनका बेटा इस दुनिया में नहीं रहा, इसके सिवाय और कोई तथ्यपूर्ण जानकारी नहीं दी गई है।

IND24 राहुल कौशिक को न्याय मिले, उसमें परिवार की इस संघर्षपूर्ण यात्रा में साथ है।

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