अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें

डायरेक्ट या रेगुलर कौनसा फंड बेहतर रिटर्न के लिए चुने
डायरेक्ट या रेगुलर कौनसा फंड बेहतर रिटर्न के लिए चुने
हर म्यूचुअल फंड दो विकल्पों के साथ आता है रेगुलर योजना और डायरेक्ट योजना।दोनों फंड एक ही मैनेजर द्वारा प्रबंधित किये जाते है जो एक ही बॉन्ड और स्टॉक में निवेश करते हैं। इन दोनों के बीच एकमात्र अंतर यह है कि एक रेगुलर फंड के मामले में आपका म्यूचुअल फंड हाउस ब्रोकर / एजेंट को वितरण शुल्क के रूप में कमीशन देता है, जबकि डायरेक्ट योजना के मामले में, इस तरह की कोई फीस / कमीशन का भुगतान नहीं किया जाता है।
डायरेक्ट योजना में निवेश
एक डायरेक्ट योजना वह है जो आप आमतौर पर कंपनी की वेबसाइट से या म्यूचुअल फंड कंपनी से खरीदते हैं|
1) डायरेक्ट प्लान उन लोगों के लिए अच्छा है जो बिना किसी बिचौलिए के म्यूचुअल फंड स्कीम के साथ काम करना चाहते हैं। फंड मैनेजर अपने व्यय अनुपात को कम करके बेहतर रिटर्न उत्पन्न कर सकते हैं।
2) डायरेक्ट म्यूचुअल फंड योजनाओं के मामले में, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपना बाजार रिसर्च करें और टॉप प्रदर्शन वाली म्यूचुअल फंड योजनाओं का चयन करें।
3) निवेशक म्यूचुअल फंड वेबसाइटों और ब्लॉगों तक पहुंचकर विश्लेषण कर सकते हैं अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें ताकि उपयुक्त म्यूचुअल फंड योजनाओं के बारे में अधिक जानकारी मिल सके।
4) डायरेक्ट प्लान उन लोगों के लिए सबसे अच्छा काम करते हैं जो फंड के माध्यम से सीधे निवेश करके अपने रिटर्न को बढ़ाना चाहते हैं और अपने दम पर दस्तावेज का प्रबंधन कर सकते हैं।
5) डायरेक्ट म्यूचुअल फंड योजना के साथ, आप डिस्ट्रीब्यूटर्स को भारी कमीशन का भुगतान किए बिना सीधे फंड हाउस के साथ निवेश कर सकते हैं।
रेगुलर योजना में निवेश
1) एक रेगुलर योजना वह है जो आप एक सलाहकार, दलाल या एजेंट (मध्यस्थ) के माध्यम से खरीदते हैं। एक रेगुलर योजना में, म्यूचुअल फंड कंपनी बिचौलियों को कमीशन का भुगतान करती है।
2) एक रेगुलर योजना में, म्यूचुअल फंड कंपनी मध्यस्थ को कमीशन का भुगतान करती है। यह अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें तब योजना से खर्च के रूप में वसूल किया जाता है। म्यूचुअल फंड में बोलते हैं, एक रेगुलर योजना के लिए व्यय अनुपात अधिक होता है।
3) यदि आप एक रेगुलर म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो सलाहकार आपके निवेश को अधिक प्रभावी ढंग से समझने और प्रबंधित करने में आपकी मदद करता हैं।
4) कॉरपोरेट हाउस के पास एक वित्त टीम होती है, इसलिए उनके लिए सही फंड का चयन करना आसान होता है। क्योंकि, रिटेल निवेशकों को मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, उनकी ये जरूरत डिस्ट्रीब्यूटर्स और सलाहकारों से पूरी होती है।
5 ) जब आप एक रेगुलर योजना के माध्यम से निवेश करते हैं, तो म्यूचुअल फंड हाउस में कमीशन शामिल होता है जो उन्हें ड्रिस्टीब्युटर्स को व्यापार करने के लिए भुगतान करने की आवश्यकता होती है। ये कमीशन आम तौर पर सालाना 0.8 से 1.5% के बीच होता है। ये अपने म्यूचुअल फंड एनएवी को कम करके एजेंट को ट्रांसफर किए जाते हैं।
डायरेक्ट योजना और रेगुलर योजना के बीच अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें अंतर
डायरेक्ट योजना और रेगुलर योजना के बीच मुख्य अंतर व्यय अनुपात है। निवेश के उद्देश्य, इन्हेरेंट पोर्टफोलियो, एसेट एलोकेशन पैटर्न, रिस्क फैक्टर, निवेश रणनीति, जोखिम कारक, एक्ज़िट लोड की संरचना सहित नियम जैसी शर्तें दोनों प्रकार के फंड में समान होती हैं।
डायरेक्ट योजना में
व्यय (एक्सपेंडिचर) अनुपात कम
डायरेक्ट म्यूचुअल फंडों में एजेंटों, दलालों या अन्य मध्यस्थों की कोई भूमिका नहीं होती है। निवेशक कमीशन या डिलीवरी शुल्क से मुक्त होते हैं, जो व्यय अनुपात को कम करता है।
कोई ट्रांसक्शन शुल्क नहीं
यहां तक कि जब आप एक एसआईपी शुरू करते हैं या सीधे निवेश करते हैं, तो कोई ट्रांसक्शन शुल्क नहीं लगता क्योंकि आप सीधे म्यूचुअल फंड कंपनी के साथ काम करते हैं।
अलग नेट एसेट वैल्यू
उनके पास एक अलग नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) है, और निवेशकों को डायरेक्ट प्लान की पहचान करने में मदद करने के लिए प्रॉस्पेक्टस 'डायरेक्ट' को उल्लेखित करता हैं|
फंड सीधे AMC से
डायरेक्ट योजनाएं में म्युचुअल फंड जो सीधे एक परिसंपत्ति प्रबंधन (asset Management) कंपनी (एएमसी) से खरीद सकते हैं|
रेगुलर योजना में
भले ही डायरेक्ट योजनाओं का मतलब कम व्यय अनुपात है, लेकिन इसके लिए निवेशक को अधिक प्रयास की आवश्यकता होती है। निवेशकों को अपने लक्ष्यों और जोखिम प्रोफाइल के आधार पर फंड को शॉर्टलिस्ट करना होता है, और वही योग्य पेशेवर (एजेंट) आपको सही निवेश पोर्टफोलियो की ओर आपका मार्गदर्शन करवाता है। इसके अलावा, वो आपको बाज़ार के अनुसार विशेषज्ञता प्रदान करता हैं और आपको उन फंडों में निवेश करवाता हैं, जो अच्छे रिटर्न प्रदान कर सकते हैं।
1) विशेषज्ञ मार्गदर्शन
म्युचुअल फंड के परफॉमेन्स की तुलना एनालिसिस ओर एक निवेशक के वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम प्रोफ़ाइल के साथ मिलान करने के लिए गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है। एक योग्य पेशेवर (एजेंट) आपको सही निवेश पोर्टफोलियो की ओर आपका मार्गदर्शन करता है। इसके अलावा, वो आपको बाज़ार के अनुसार विशेषज्ञता प्रदान करता हैं और आपको उन फंडों में निवेश करता हैं, जो बढ़िया रिटर्न प्रदान कर सकते हैं।
2) नियमित निगरानी और एनालसिस
एक व्यक्तिगत निवेशक के पास नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की एनालिसिस करने के लिए समय, धैर्य या ज्ञान नहीं होता है। यहां, वितरक आपके पोर्टफोलियो रिटर्न की समीक्षा करता है और आवश्यकतानुसार आपको परिसंपत्ति आवंटन को फिर से संतुलित करने में मदद करता है। इससे बेहतर आपको रिटर्न भी मिल सकता है। यह एक्स्ट्रा व्यय अनुपात को सही ठहराता है।
3) वैल्यू-एडेड सर्विस
रेगुलर योजनाएं आपको म्यूचुअल फंड बेचने या नियमित रूप से एनालिसिस करने से नहीं रोकती हैं। वे आपके निवेश को सुविधाजनक बनाने और ट्रैक करने में आपकी सहायता करते हैं। इसलिए, यह अधिक निवेशक के अनुकूल है।
निष्कर्ष
म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन अक्सर बदलता रहता है और फंड का चुनाव महत्वपूर्ण होता है। एक अच्छा सलाहकार आपको एक अच्छे फंड का चयन करने में मदद करता अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें है जो आपकी जोखिम प्रोफ़ाइल से मेल खाता है और आपके पैसे को एक फंड में निवेश करता है जो आपके लक्ष्य के लिए उपयुक्त है जिसमें आप निवेश करते है।
Intraday Trading क्या है? Day Trading कैसे करें?
Intraday Trading क्या अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें है? Day Trading कैसे करें? क्या आप भी intraday trading करने की सोच रहे हैं। लेकिन आप डे ट्रेडिंग के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं। तो फिर आइए आज हम आपको इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होता है? इसे कैसे करे? साथ ही intraday करने के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी दूंगा।
Intraday Trading क्या है?
Intraday Trading में किसी भी कंपनी के शेयर को एक ही ट्रेडिंग दिन के लिए खरीदा और बेचा जाता हैं। इसलिए इसे Day Trading भी कहते है। एक दिन में शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव से intraday traders या day traders शेयर को खरीद और बिक्री करके प्रॉफिट कमाने का प्रयास करते हैं।
अगर आसान शब्दो में समझाए तो intraday trading का मतलब intraday traders बाजार के खुलने के बाद शेयर को खरीदते हैं और ठीक बाजार के बंद होने से पहले बेच देते हैं। अगर आपने अपना शेयर नहीं बेचा तो आपका ब्रोकर अपने आप position को square off कर देता है। वहीं अगर शेयर आपने NRML पर खरीदे हैं तो आपका ब्रोकर पोजिशन को delivery trade में बदल देगा।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए बाजार खुलने के बाद आपने किसी कंपनी के 500 शेयर को 1000 रुपये पर खरीद लिया। अगर आपको यह लगता है कि यह शेयर आज 1010 तक जाएगा। जैसे ही यह स्टॉक 1010 रुपये तक गया और आपने शेयर को बेच दिया। तो ऐसे में आपको 5000 रुपये का प्रॉफिट होगा। इसी तरह डे ट्रेडर्स कुछ घंटो में एक अच्छा प्रॉफिट कमा लेते हैं। इसी को intraday trading या day trading कहते हैं।
Intraday Trading कैसे करे?
Day Trading करने के लिए आपको online trading platform (जैसे कि Zerodha, Upstock, Angel broking आदि) अंगेलब्र पर अपना demat account खोलना पड़ेगा। बिना डिमैट खाता के आप किसी भी तरह की ट्रेडिंग नहीं कर सकते हैं। इसलिए शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए डिमैट अकाउंट होना आवश्यक है। बता दूं कि intraday trading में काफी risk होता है। इसलिए डे ट्रेडिंग करने से पहले आपको कुछ खास जानकारी होना आवश्यक है। आइए तो फिर जानते हैं।
1. Intraday Trading करने के लिए आपके द्वारा चुने गए शेयर लिक्विड होना चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि जिस स्टॉक को आप खरीद रहे हैं उसमे वॉल्यूम हाई होना चाहिए। अगर किसी भी स्टॉक में वॉल्यूम कम है तो intraday trading के लिए उस share से दूर रहना चाहिए।
2. Intraday Trading करने के लिए सिर्फ 2 - 3 तीन अच्छे शेयरों का चुनाव करें।
3. शेयर के चुनाव से पहले बाजार का ट्रेंड देखे। इसके बाद ही intraday trading के लिए शेयर चुने।
4. इंट्रा डे ट्रेडिंग में शेयर की चाल में बहुत तेजी से मूवमेंट होता है। इसलिए ट्रेड लेने से पहले एंट्री प्राइस, टारगेट और सबसे महत्वपूर्ण स्टॉप लॉस पहले से तय कर लें। जिसे सही समय पर आप बाजार से बाहर निकल आए।
5. इंट्रा डे ट्रेडिंग के लिए उन शेयरों का चयन करना ज्यादा सही माना जाता है जो इंडेक्स या सेक्टर के साथ साथ चलते हैं।
6. सबसे महत्वपूर्ण कि share market risky होता है इसलिए उतने पैसे के ट्रेड ले जितना आपको loose करने में कोई दिक्कत ना हो।
Intraday Trading के फायदे क्या है?
Intraday Trading के advantages जाना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि यह अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें फायदे अन्य ट्रेडिंग से डे ट्रेडिंग को भिन्य करते हैं।
1. निवेश या डिलीवरी की तुलना में इंट्राडे ट्रेडिंग में कम capital कि जरूरत होती है।
2. Intraday Trading में कम समय में प्रॉफिट कमा लेते हैं। लंबे समय तक आपको इंतजार नहीं करना पड़ता है।
3. अगर stock market में volatility ज्यादा हुई तो ज्यादा कमाई कर सकते हैं।
4. Day Trading में आपको leverage ज्यादा मिलता है। लेकिन लीवरेज सुविधा सभी ब्रोकर की अपनी अलग अलग होती है।
5. Day Trading में overnight risk नहीं होता है। वहीं होल्डिंग और लॉन्ग टर्म निवेश में overnight risk होता है।
6. Intraday Trading में आपको short selling कि भी सुविधा मिल जाती है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी स्टॉक को पहले बेच सकते हैं। इसके बाद कम अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें रेट पर खरीद सकते हैं।
Intraday Trading के नुकसान क्या है?
डे ट्रेडिंग के आपने फायदे तो जान लिए है। इसी को देखकर आप intraday trading करने के लिए तैयार हो गए होगे। आपको लग रहा होगा कि intraday trading करना बहुत आसान होता है। लेकिन बता दू कि इंट्रा डे ट्रेडिंग के अगर advantages है, तो उसके कुछ disadvantages भी हैं। जिन्हे आपको जानना जरूरी है। तो आइए इसके नुकसान के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
1. डे ट्रेडिंग में कुछ समय में प्रॉफिट कमाया जाता है। तो दूसरी तरफ कुछ समय में पैसा गवाया भी जाता है।
2. डे ट्रेडिंग में आपको कोई fix return नहीं मिलता है। यानी कि यहां कोई fix salary नहीं होती है जिस पर आप डिपेंड हो सके।
3. Leverage, अगर आपका प्रॉफिट को मल्टीपल करने के लिए मददगार साबित होता है। तो दूसरी तरफ आपका नुकसान भी मल्टिप्ल करता है।
4. Intraday Trade के लिए आपका discipline होना जरूरी है। अगर आप discipline नहीं रहे तो बहुत बड़ा नुकसान कर सकते हैं।
5. Intraday Trading में आपको psychologically मजबूत होना पड़ता है। जो intraday traders के लिए एक सबसे बड़ी चुनौती होती है।
यह भी जाने-
निष्कर्ष-
Intraday Trading काफी risky होता है इसलिए intraday करने से पहले आपको मार्केट के बारे में जानकारी होनी चाहिए। मतलब यह कि यहां आज हर कोई पैसे कमाना चाहता है। लेकिन 90% लोगो के सफल ना होने का कारण उन्हें मार्केट के बारे में सही से जानकारी नहीं होती है।
अगर कुछ लोगो को मार्केट के बारे में जानकारी भी होती है तो money management या psychologically मजबूत नहीं होते हैं। Intraday में अगर आप इमोशंस पर ट्रेड करेगे, तो आपको भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयरों में तेजी से उतार चड़ाव होते हैं। इसलिए किसी के सलाह पर ट्रेड बिल्कुल ना ले। ट्रेड लेने से पहले उसका लॉजिक आपके पास होना चाहिए। मतलब यह की किसी भी ट्रेड को लेने से पहले आपको research और समझ विकसित करने की आवश्यकता है।
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Stock Market में पहली बार Invest करने वाले लोगों के लिए 5 महत्वपूर्ण टिप्स
स्टॉक मार्केट को अनिश्चित्ताओं का बाजार कहा जाता है. यहाँ एक पल में शेयर के दाम जमीन पर तो दूसरे ही पल शेयर सातवे आसमान पर छलांग लगा रहा होता है. लेकिन बावजूद इसके शेयर बाजार में निवेशकों की कमी नहीं है. हर दिन शेयर बाजार को करोड़ों की संख्या में इनवेस्टर्स मिलते हैं. हो सकता है आप भी स्टॉक मार्केट में इनवेस्ट करने का मन बना चुके हों. अगर वाकई आपने भी शेयर बाजार में अपनी कमाई को इनवेस्ट करने का विचार कर लिया है तो आपको निवेश करने अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें से पहले इनवेस्टिंग (Stock Market Tips) के कुछ खास टिप्स के बारे में जरूर जान लेना चाहिए.
शेयर मार्केट (Stock Market) की सभी बेसिक जानकारियाँ आपके पास होनी ही चाहिए. चलिए आपको आज हम उन महत्वपूर्ण टिप्स के बारे में बताते हैं, जिन्हें आपको निवेश करने से पहले जानना चाहिए. इस टिप्स के जरिए आप अच्छे स्टॉक्स में इनवेस्ट कर मुनाफा भी कमा सकते हैं और अपनी मेहनत की कमाई को डूबने से भी बचा सकते हैं.
1. भ्रांतियों से बचें (Stay Away From Rumors about Stock Market)
स्टॉक मार्केट के बारे में लोगों के बीच बहुत सी बातें होती हैं. कोई कहता है कि शेयर बाजार में पैसा कुछ ही समय में दोगुना हो जाता है तो कोई स्टॉक मार्केट से करोड़पति बनने की कहानियाँ सुनाता है. लेकिन आपको इन सभी भ्रांतियों से दूर रहना है. दरअसल शेयर बाजार पैसा बनाने की कोई मशीन नहीं है, जहाँ आपने पैसा इनवेस्ट किया और कुछ ही समय में आपका पैसा ड़बल होकर आपको वापस मिल जाएगा. शेयर बाजार में इनवेस्टर्स को पैसा इनवेस्ट करने पर मुनाफा होता है, लेकिन वो इनवेस्टर्स अच्छी रणनीतियों को अपना कर ही अपने पैसे को इनवेस्ट करते हैं. आपको भी उन इनवेस्टर्स की रणनीतियों को जानना चाहिए न कि शेयर बाजार में फैली भ्रांतियों को सही मान कर निवेश करना चाहिए.
2. पढ़ने का बनाएं शौक़ (Build a Habit of Reading About Stock Market)
बाजार की कुछ बेसिक जानकारियाँ है, जिनके बारे में आपको या तो कोई अच्छा इनवेस्टर ही बता सकता है या फिर किसी अच्छे इनवेस्टर द्वारा लिखी गई कोई किताब ही उनके बारे में अच्छी जानकारी आपको दे सकती है. इसलिए आपको शेयर बाजार से जुड़ी अच्छी किताबों को खोज़ कर उन्हें पढ़ने का शौंक बनाना होगा. इसके साथ ही अगर आप हर रोज़ शेयर बाजार से संबंधित खबरों को समाचार पत्र में पढ़ना शुरू करेंगे तो वो भी आपकी नॉलेज को दो गुना करने का काम करेगा. शेयर बाजार अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें की कुछ अच्छी किताबों में ‘द इनटेलिजेंट इनवेस्टर्स’,’ वन अप ऑन वॉल स्ट्रीट’, और ‘लर्न टू अर्न’ जैसी किताबें शामिल हैं, जो आपको एक अच्छा इनवेस्टर बना सकती हैं. इसलिए आपको पढ़ने की आदत ड़ालनी होगी.
3. कर्ज लेकर निवेश करने से बचें (Avoid Investing by Taking loan or Debt)
जल्दी निवेश के चक्कर में कई बार व्यक्ति उधार लेकर निवेश करने की योजना भी बनाता है, जो कि सबसे ज्यादा गलत प्रक्रिया और खराब रणनीति है. इनवेस्टर्स कई बार जोख़िम के ड़र से ऐसा करते हैं, लेकिन ऐसा करना आपको दोहरी मार दे सकता है. इसलिए जब रिस्क लेने की क्षमता आपमें हो तो ही बाजार में एंट्री ले और उधार के पैसे को निवेश करने का विचार न करें. अगर आप किसी ब्रोकर या बैंक से लोन या उधार लेकर इनवेस्ट करते हैं तो जोख़िम होने पर आपको उनका पैसा भी निर्धारित ब्याज दर को ध्यान में रख कर वापस करना होगा. इसलिए इनवेस्टिंग की शुरुआत कभी भी पैसा उधार लेकर नहीं करनी चाहिए.
4. अपने पोर्टफोलियो के डॉयवर्सिफिकेशन पर दें ध्यान (Focus on Diversification of Your Portfolio)
एक बेहतरीन पोर्टफोलियो ही आपको जोख़िम से बचा सकता है. इसलिए एक ही स्टॉक में पैसा इनवेस्ट करने के बजाय अच्छे शेयरों का चुनाव करने के बाद ही कई स्टॉक्स में पैसे को निवेश करना चाहिए. इसमें आप जोख़िम से तो बचते ही हैं साथ ही आपको मुनाफा भी अच्छा मिल जाता है. इसलिए हमेशा ही अपने पोर्टफोलियो को डॉयवर्सिफाइड करके रखना चाहिए. यही तरीका आपको बाजार में नुकसान से दूर रख सकता है.
5. लांग टर्म इनवेस्टिंग पर करें फोकस (Focus on Long Term Investment)
शेयर बाजार में दो तरह के इनवेस्टर्स हैं. एक, जो ट्रेडिंग कर मुनाफा कमाते हैं और दूसरें, जो लंबे समय के लिए इनवेस्ट करते हैं और इनवेस्ट से पहले फंडामेंटल ऐनालिसिस (Fundamental Analysis) जरूर करते हैं. लेकिन आप तो नए निवेशक हैं तो आपको कम समय में ज्यादा लाभ के लालच से बचना चाहिए और अच्छे स्टॉक्स को चुन कर लंबे समय के लिए ही इनवेस्ट करना चाहिए. जब आप लंबे समय के लिए इनवेस्ट करते हैं तो ज्यादा रिटर्न भी पाते हैं और बाजार की चाल को ठीक से समझने में सक्षम भी हो जाते हैं. इसलिए लांग टर्म इनवेस्टमेंट पर ध्यान दें.
नए निवेशकों के लिए यह पांच टिप्स उनकी इनवेस्टमेंट में काफी मदद करने वाले हैं. लेकिन फिर भी आपको इनवेस्टमेंट से पहले अपने इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट या किसी ब्रोकर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. मात्र किसी के कह देने भर से ही शेयर बाजार में पैसा इनवेस्ट नहीं करना चाहिए. शेयर बाजार की महत्वपूर्ण बातों को आप अच्छे बिजनेस कोच (Business Coach) के जरिए भी जान सकते हैं. इसके अलावा अगर आप शेयर बाजार को विस्तार से समझना चाहते हैं तो इस वीडियो के माध्यम से समझ सकते हैं-
लेख के बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में कमेंट करके दर्ज करा सकते हैं. इसके अलावा आप अगर बिज़नेस को शुरुआत से समझने के लिए किसी बिज़नेस कोर्स की मदद चाहते हैं तो आपको Entrepreneurship Course का चयन करना चाहिए. जहाँ पर आपको बिज़नेस इंडस्ट्री से जुड़े बड़े उद्यमियों से बिज़नेस की बारीकियों को सीखने का अवसर मिलता है.
Nifty Kya Hai, Full Form, Nifty Kaise Kam Karti Hai और Nifty के फायदे , सावधानियां हिंदी में
आज हम यह जानेंगे के nifty kya hai, Nifty ka full form in Hindi, nifty me invest Kaise Kare, निफ्टी में निवेश करने से पहले की सावधानियां, NIFTY कैसे काम करती है, NIFTY kaise calculate ki jati hai, NIFTY से क्या फायदे हैं के बारे में आपको स्टेपानुसार बताने वाले है.
nifty kya hai-
Table of Contents
NIFTY दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पहला national और दूसरा Fifty इससे यह साफ है कि निफ़्टी एनएससी पर सूचीबद्ध 50 प्रमुख शेयर पर आधारित index है। यह बाजार की गतिविधियों को बेहतर तरीके से प्रतिनिधित्व करती है।
Nifty एक (Stock Index) है। सरल शब्दों में कहें तो Nifty National Stock Exchange में Listed Top 50 Shares का एक Benchmark है और इसलिए यह इतना Important है।
Nifty की मदद से हम Stock market के बारे में ना केवल जान सकते है बल्कि इसकी मदद से हम Stock Market में होने बाली बडी हालचाल के बारे में भी आसानी से समझ सकते है।
Nifty Market की Condition के बारे में बताता है की आज market ऊपर जायेगा या नीचे Nifty की मदद से हम Stock Exchange में होने बाले परिवर्तन को भी बडी ही आसानी से देख सकते है और समझ सकते है की share bazar में क्या हालचाल है एवं आज बाजार कैसा रहेगा।
Nifty 50 में listed Top 50 Shares बडे ही important और Powerful होते है एवं जब इन shares में उतार चढ़ाब होता है तो इसका असार बाकी shares पर भी पडता है।
निफ्टी का फुल फॉर्म – Nifty ka full form in Hindi
Full Form of Nifty – निफ्टी का फुल फॉर्म National Stock Exchange है। निफ्टी शेयर बाजार में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला Investment Term है। निफ़्टी का हिंदी में फुल फॉर्म राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज ऑफ निफ्टी -50 है। इसमें 50 कंपनियां लिस्टेड होती हैं इसलिए इसको Nifty 50 भी कहा जाता हैै!
nifty me invest se pehle ki savdhaniyan-निफ्टी में निवेश करने से पहले की सावधानियां-
- शेयर बाजार से शेयर खरीद कर उससे प्रॉफिट पाना इतना आसान भी नहीं है इसके लिए आपको प्रत्येक दिन मार्केट पर नजर रखनी पड़ती है।
- शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले निफ़्टी की 50 कंपनियों के बारे में पूरी जानकारी एकत्र करना जरूरी है।
- इससे मुतालिक जो न्यूज़ पेपर आते हैं उनका अध्ययन करें।
- कंपनियों के बिजनेस प्लान को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
- हर रोज शेयर खरीदना और बेचना खतरनाक हो सकता है इससे आपको ज्यादा फायदा भी हो सकता है और ज्यादा नुकसान भी हो सकता है।
- इसलिए लंबे समय के लिए इन्वेस्ट करें उसमें नुकसान की आशंका कम रहती है।
- जल्दबाजी में आकर किसी भी कंपनी का शेयर ना खरीदें हर कंपनी के बारे में विस्तार से पढ़िए और जो कंपनी ज्यादा अच्छा परफॉर्मेंस कर रही है उसी का शेयर खरीदें।
- उन कंपनियों के शेयर खरीदे जिन कंपनियों के प्रोडक्ट ज्यादा बिकते हैं।
- हमें यह देखना होगा कि रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले प्रोडक्ट कौन सी कंपनी अधिक बनाती है जैसे शैंपू तेल बिस्कुट कुकिंग आयल साबुन और नूडल्स आदि।
- शेयर खरीदने के बाद उसे बेचने में जल्दबाजी ना करें मिसाल के तौर पर किसी व्यक्ति ने किसी कंपनी का शेयर ₹500 का खरीदा तो आप पहले ही से इसका टारगेट प्राइस तय कर देंगे जैसे ₹500 का शेयर आपको ₹800 में बेचना है तो जैसै टारगेट प्राइस पर आएगा अपने आप बिक जाएगा और आप नुकसान से बच सकते हैं।
- कभी भी किसी एक कंपनी के ज्यादा शेयर ना खरीदें जो टॉप की कंपनी हो सबके थोड़े-थोड़े शेयर खरीदने चाहिए ताकि अगर उनमें से कोई कंपनी नुकसान में भी है तो आपको ज्यादा नुकसान ना हो।
- आर्थिक रूप से ज्यादा मजबूत कंपनी को ही चुने जिनके बारे में आप जानकारी रखते हो और अलग-अलग सेक्टरों में इनवेस्ट करें।
निफ्टी में निवेश कैसे करें – nifty me invest kaise kare-
निफ्टी में निवेश करने के लिए निम्न चरणों का पालन करें –
- सबसे पहले किसी अच्छे स्टॉक ब्रोकर से अपना एक Demat Account खुलवाएं. आप Upstox App और Groww App जैसे डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर से अपना डीमैट अकाउंट खुलवा सकते हैं.
- जब आप अपना डीमैट अकाउंट खुलवा लेते हैं तो ब्रोकर आपको ट्रेडिंग करने के लिए प्लेटफार्म प्रदान करवाते हैं.
- ट्रेडिंग प्लेटफार्म में निफ्टी इंडेक्स फंड को सेलेक्ट करें.
- इसके बाद निफ्टी इंडेक्स फंड में निवेश करना शुरू करें.
- निफ्टी में निवेश करने से पहले निफ्टी इंडेक्स फण्डके रिकॉर्ड, ट्रैक इत्यादि का पर्याप्त विश्लेषण जरुर कर लें. इस प्रकार से आप निफ्टी में निवेश कर सकते हैं.
NIFTY कैसे काम करती है?-
NIFTY में भारत के 50 बड़ी कंपनियां जिनका मार्केट कैपिटल बहुत बड़ा होता है, उन्हें निफ्टी में सूचीबद्ध किया जाता अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें है।
जैसा कि हमने ऊपर बताया इन बड़ी कंपनियों के शेयर पर तेजी या मंदी भारतीय अर्थव्यवस्था को भी दर्शाती है।यह 50 कंपनियां अपने क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों में से एक होती है।
इनका market capitalisation पूरे शेयर मार्केट का 60% होता है। इनकी गणना भी ठीक उसी तरह से की जाती है जिस तरह से SENSEX की गणना floating capitalisation के method से किया जाता है।
Note:- Floating capitalisation एक प्रकार का तरीका है। जोकि किसी भी कंपनी के कैपिटल का वह भाग होता है जिसे पब्लिक के ट्रेडिंग के लिए मार्केट में उपलब्ध कराया जाता है।
Note:- Market capitalisation किसी भी कंपनी का मार्केट capitalisation निकालने के लिए हम उसके कुल शेयर को उसके बाजार में मौजूद शेयर के भाव से गुणा करते हैं।
उदाहरण के तौर पर अगर किसी कंपनी के कुल शेयरों की संख्या दस 10,000 है, और उस कंपनी के बाजार पर मौजूद share की संख्या 4000 है।
और प्रत्येक शेयर की कीमत रु 100 है। तो, उस कंपनी का market capitalisation निकालने के लिए हम कुल शेयरों को उसके वर्तमान कीमत से गुणा करते हैं। हमारे इस उदाहरण की स्थिति में 10,000×100= ₹10,00,000 होता है।
NIFTY kaise calculate ki jati hai-
Nifty कि गणना के लिए कुछ मापदंड तैयार किए गए हैं। जिसके आधार पर ही निफ्टी की गणना की जाती है। जैसे कि
- निफ़्टी की गणना के लिए आधार वर्ष 1995 है।
- इसका आधार अंक 1000 होता है।
- निफ्टी की गणना NSE में सूचीबद्ध सबसे सक्रिय कारोबार करने अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चयन कैसे करें वाले 50 कंपनियों का share के आधार पर की जाती है।
- 24 शीर्ष क्षेत्रों में से 50 शीर्ष स्टॉक चुने जाते हैं।
- निफ़्टी में 50 शेयरों का चयन इस मापदंड पर किया जाता है जिस तरह से मुंबई स्टॉक एक्सचेंज द्वारा अपनाई गई पद्धति के ठीक समान होती है।
NIFTY से क्या फायदे हैं?
NIFTY के कई सारे फायदे हैं। लेकिन हम यहां पर इनमें से कुछ प्रमुख फायदे के बारे में ही जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। जो कि इस प्रकार है:-