इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉक का चुनाव कैसे करें

Paytm Money के जरिए भी शेयर बाजार में कर सकेंगे निवेश; जानें क्या है ट्रेडिंग चार्ज, अकाउंट खुलवाने का प्रोसेस
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। शेयर बाजार में ट्रेडिंग के इच्छुक लोग अब Paytm Money के जरिए भी शेयर बाजार में निवेश कर सकेंगे। वर्तमान में कंपनी ने बीटा वर्जन के जरिए सीमित यूजर्स के जरिए इस सुविधा की शुरुआत की है। इसका मतलब है कि अब आप पेटीएम मनी पर भी अपना डिमैट अकाउंट ओपन करा सकते हैं और निवेश कर सकते हैं। पेटीएम मनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कंपनी आपसे 10 रुपये का शुल्क लेगी। इसके अलावा कंपनी ने अकाउंट खोलने के लिए केवाईसी की पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल रखी है।
पेटीएम ने कहा है कि स्टॉक ट्रेडिंग के विकल्प को चरणबद्ध तरीके से पेश किया जाएगा। यूजर फीडबैक और बाजार की प्रतिक्रिया के आधार पर कंपनी आने वाले इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉक का चुनाव कैसे करें कुछ सप्ताह में इसे सभी ग्राहकों के लिए पेश करेगी। वर्तमान में एंड्रायड और वेब यूजर्स को ही शुरुआत में एक्सेस मिलेगा।
जानते हैं क्या है ट्रेडिंग चार्ज
पेटीएम मनी की वेबसाइट के मुताबिक हर एक्जीक्यूटेड ऑर्डर का चार्ज 0.01 रुपये होगा। इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कंपनी ने 10 रुपये की शुल्क तय की है। इसके अलावा वार्षिक मेंटेंनेंस चार्ज के रूप में कंपनी कोई राशि नहीं लेगी। वहीं, नेटबैंकिंग के जरिए फंड ऐड करने पर आपको हर बार 10 रुपये का भुगतान करना होगा। दूसरी ओर अगर आप UPI के जरिए फंड ऐड करते हैं तो आपको कोई शुल्क देने की जरूरत इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉक का चुनाव कैसे करें नहीं होगी। डिजिटल केवाईसी के लिए कंपनी एक बार 200 रुपये का शुल्क लेगी।
क्या हैं फीचर्स
कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक इस प्लेटफॉर्म के जरिए निवेश सरल और निशुल्क है। कंपनी का कहना है कि अकाउंट ओपनिंग के प्रोसेस में काफी कम समय लगेगा और किसी तरह के पेपरवर्क की जरूरत नहीं होगी।
पेटीएम मनी के प्लेटफॉर्म पर म्युचुअल फंड और एनपीएस में निवेश करने वाले यूजर्स की संख्या 60 लाख से अधिक है।
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Cryptocurrency : क्रिप्टो निवेशक कैसे बनाते हैं मार्केट स्ट्रेटजी, क्या होते हैं Pivot Points, समझें
क्रिप्टो ट्रेडिंग इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स. निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं.
Crypto Trading में पिवट पॉइंट्स के सहारे ओवरऑल ट्रेंड प्रिडिक्ट किया जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (cryptocurrency trading) इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही जोखिम के साथ अनुमानों पर चलती हैं और दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं और प्रिडिक्शन करते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स (pivot points). निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं. इससे अनुमान लगाया जाता है कि निवेश में उनका अगला कदम क्यों होना चाहिए. क्या उन्हें पैसे निकाल लेने चाहिए या निवेश डबल कर देना चाहिए.
पिवट पॉइंट्स क्या होते हैं?
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पिवट पॉइंट का पता तकनीकी विश्लेषण के जरिए लगाया जाता है और इससे बाजार के ओवरऑल ट्रेंड का पता चलता है. सीधे शब्दों में बताएं तो यह पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस का एवरेज यानी औसत आंकड़ा होता है. अगर अगले दिन के ट्रेडिंग सेशन बाजार इस पिवट पॉइंट के ऊपर जाता है, तो कहा जाता है कि बाजार बुलिश सेंटीमेंट यानी तेजी दिखा रहा है, वहीं, अगर बाजार इस पॉइंट से नीचे ही रह जाता है तो इसे बेयरिश यानी गिरावट वाला मार्केट माना जाता है. ऐसे मार्केट में निवेशकों को अपनी रणनीति बदलने की सलाह दी जाती है.
जब पिवट पॉइंट्स के साथ दूसरे टेक्निकल टूल्स को मिलाकर गणना की जाती है, तो इससे उस असेट के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ-साथ किसी शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग सेशन में सपोर्ट और रेजिस्टेंट लेवल का पता भी लगता है.
पिवट पॉइंट्स कैसे कैलकुलेट किए जाते हैं?
पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे आम तरीका फाइव-पॉइंट सिस्टम है. इस सिस्टम में पिछले ट्रेडिंग सेशन के ऊंचे, सबसे निचले स्तर, और क्लोजिंग प्राइस के साथ दो सपोर्ट लेवल और दो रेजिस्टेंस लेवल को लेकर कैलकुलेशन किया जाता है.
पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने का समीकरण ये है :
पिवट पॉइंट = (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर + पिछले सत्र का निचला स्तर + पिछला क्लोजिंग प्राइस) 3 से विभाजन (/)
सपोर्ट लेवल कैलकुलेट करने का समीकरण :
सपोर्ट 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का ऊंचा स्तर
सपोर्ट 2 = पिवट पॉइंट − (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)
रेजिस्टेंस लेवल कैलकुलेट करने के लिए समीकरण :
रेजिस्टेंस 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का निचला स्तर
रेजिस्टेंस 2 = पिवट पॉइंट + (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)
इन समीकरणों से निकली गणनाओं का इस्तेमाल दो रेजिस्टेंस लेवल, दो सपोर्ट लेवल और एक पिवट पॉइंट तय करने के लिए करते हैं. इस सिस्टम से ट्रेडर्स पता लगा सकते हैं कि कहां पर कीमतें प्रभावित हो सकती हैं और बाजार के सेंटीमेंट पर असर डाल सकती हैं.
टाइम फ्रेम
ट्रेडर्स आमतौर पर पिवट पॉइंट्स का इस्तेमाल छोटे टाइम फ्रेम का चार्ट बनाने के लिए करते हैं. या तो ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे या फिर कम से कम 15 मिनट का चार्ट बनाया जा सकता है.
पिवट पॉइंट्स कितने तरह के होते हैं?
पिवट पॉइंट पांच तरह के होते हैं. फाइव-पॉइंट सिस्टम में स्टैंडर्ड पिवट पॉइंट (Standard Pivot Point) का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा बाकी चार पिवट पॉइंट्स को- Camarilla Pivot Point, Denmark Pivot Point, Fibonacci Pivot Point और Woodies Pivot Point कहते हैं.
पिवट पॉइंट्स दूसरे इंडिकेटर्स या संकेतकों से अलग कैसे है?
पिवट पॉइंट सिस्टम मौजूदा प्राइस में मूवमेंट पर निर्भक रहने के बजाय, पिछले सत्र के डेटा का इस्तेमाल करता है. इस अप्रोच से ट्रेडर्स को आगे की संभावनाओं का जल्दी पता चलता है और वो इसके हिसाब से स्ट्रेटजी तैयार कर सकते हैं. ये पिवट पॉइंट अगले ट्रेडिंद सेशन तक स्टैटिक यानी स्थिर रहते हैं.
पिवट पॉइंट्स में कमी क्या है?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिवट पॉइंट्स ज्यादा बेहतर मदद बस इंट्रा-डे ट्रेडिंग में ही करते हैं क्योंकि ये बहुत ही सीधी गणना पर आधारित होते हैं और इस वजग से स्विंग ट्रेडिंग में काम नहीं आ सकते. साथ ही, अगर करेंसी में प्राइस मूवमेंट बहुत ज्यादा होने लगी तो इससे पिवट पॉइंट्स के अनुमान व्यर्थ हो सकते हैं. ऐसे में जब बाजार में ज्यादा वॉलेटिलिटी हो यानी कि ज्यादा उतार-चढ़ाव हो तो निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वो पिवट पॉइंट्स पर भरोसा न करें क्योंकि प्राइस मूवमेंट किसी भी कैलकुलेशन स्ट्रेटजी को धता बता सकता है.
Stock Market Knowledge In Hindi स्टॉक और शेयर मार्केट में क्या अंतर है?
Stock और Share Market क्या अंतर है ज्यादातर लोग यही नहीं समझ पाते हैं. आइए जानते हैं स्टॉक मार्केट कैसे शेयर मार्केट से अलग है.
स्टॉक मार्केट नालेज
भले ही इन शब्दों को एक दूसरे के स्थान पर उपयोग किया जाता है, लेकिन वे अपने संचालन के तरीकों में भिन्नता होता है. अगर समानता की बात की जाए तो स्टॉक मार्केट एवं शेयर बाजार, एक ऐसा बाजार है जहां पर कंपनियां अपना शेयर जारी करता है और निवेशक उसे खरीद या बेच सकता है.
यह जानकारी निवेशकों को यह अनुमान लगाने में मदद कर सकती है कि भविष्य में शेयर बाजार कैसा व्यवहार करेगा और शेयरों में निवेश करने या न करने के बारे में निर्णय ले सकता है।
इसके अतिरिक्त, विश्लेषक रुझानों की पहचान करने और भविष्य के प्रदर्शन की भविष्यवाणी करने के लिए विभिन्न शेयरों और उद्योगों को ट्रैक करते हैं।
अगर टेक्निकली देखा जाए तो जब कई शेयरों को एक साथ रखा जाता है, तो इसे स्टॉक कहा जाता है. एक कंपनी सीधे शेयर जारी कर सकती है, लेकिन वह इस तरह से स्टॉक जारी नहीं कर सकती है. याद रखिएगा की शेयर का मूल्य बहुत कम भी हो सकता है किंतु स्टॉक का मूल्य हमेशा ज्यादा होता है.
कंपनी के लाखों-करोड़ों शेयर को स्टॉक के तौर पर देखा जाता है, यही कारण है कि दुनिया के ज्यादातर शेयर मार्केट को स्टॉक एक्सचेंज के नाम से जाना जाता है. भारत मैं मुख्य रूप से दो स्टॉक एक्सचेंज है जिसका नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और दूसरा नाम मुंबई स्टॉक एक्सचेंज है.
दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि शेयर मार्केट का सबसे बड़े प्लेटफार्म को स्टॉक एक्सचेंज कहा जाता है. जहां पर करोड़ों की संख्या में निवेशक निवेश करते हैं और कंपनियां अपना शेयर, स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से जारी करता है.
Stock Market Kaise Kam Karta Hai?
एक बार प्राइमरी शेयर (IPO) में नई प्रतिभूतियों के बेचे जाने के बाद, उनका सेकेंडरी शेयर बाजार में कारोबार किया जाता है. जहां एक निवेशक दूसरे निवेशक से मौजूदा बाजार मूल्य पर या जिस भी कीमत पर खरीदार और विक्रेता दोनों सहमत होते हैं, शेयर खरीदता है
सेकेंडरी शेयर बाजार या स्टॉक एक्सचेंज नियामक प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित होते हैं। भारत में, प्राइमरी और सेकेंडरी बाजार भारतीय सुरक्षा और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा शासित होते हैं.
एक स्टॉक एक्सचेंज में स्टॉक ब्रोकरों को कंपनी के शेयरों और अन्य प्रतिभूतियों का व्यापार करने की सुविधा देता है. किसी स्टॉक को केवल तभी खरीदा या बेचा जा सकता है जब वह किसी एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो.
इस प्रकार, यह स्टॉक खरीदारों और विक्रेताओं का मिलन स्थल है. भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज हैं.
Stock Market Trading कैसे करते हैं?
जब कई शेयरों को एक साथ रखा जाता है, तो इसे स्टॉक कहते हैं. मार्केट वह प्लेस होता है, जहां पर शेयर या स्टॉक को बेचेया खरीदे जाते हैं. ट्रेडिंग का सीधा सा मतलब इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉक का चुनाव कैसे करें होता है कि मुनाफा लेकर के खरीद-फरोख्त करना होता है.
भारत में दो Stock Market मार्केट है जिसका नाम मुंबई स्टॉक एक्सचेंज है दूसरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है जहां पर आप ऑनलाइन Trading कर सकते हैं.
स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं? स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग मुख्य तौर पर तीन प्रकार से कर सकते हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है.
Intra-day Trading
इंट्राडे ट्रेडिंग एक प्रकार का स्टॉक या शेयर खरीदने और बेचने की प्रक्रिया है जो 1 दिन के ऑफिशियल आवर में पूरा कर लिया जाता है.
इंट्राडे ट्रेडिंग को ही सबसे ज्यादा लोग पसंद करते हैं. हर लोग इन दिनों जल्दी पैसा कमाना चाहते हैं वह सुबह सुबह कुछ शेयर को खरीद करके 3:00 बजे से पहले बेच करके बड़ा मुनाफा कमाने के चक्कर में रहते हैं.
Scalper Trading
स्कैपर ट्रेडिंग एक प्रकार का ट्रेडिंग है जिसमें कुछ ही मिनटों में शेयर एवं स्टाफ खरीदे जाते हैं और उसे बेच भी दिए जाते हैं. शेयर खरीदने हैं और बेचने के समय में मुश्किल से 10 से 15 मिनटों का अंतर होता है.
शेयर मार्केट के बड़े-बड़े दिग्गज इस तरह के ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं. इस प्रकार के ट्रेडिंग में तुरंत बहुत बड़ा फायदा होने के चांसेस होते हैं किंतु उतना ही चांस होता है कि इतना बड़ा नुकसान हो जाए. यही कारण है कि इस तरह के ट्रेडिंग में स्टॉक मार्केट के दिग्गज खिलाड़ी ही भाग लेते हैं.
Swing Trading
स्विंग ट्रेडिंग उस तरह के निवेशक के लिए सबसे अच्छा माना जाता है जो लंबे समय तक स्टॉक इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉक का चुनाव कैसे करें मार्केट में अपना निवेश रखना चाहते हैं. स्विंग ट्रेडिंग में देखा जाता है कि जिस कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा होता है उसी कंपनी के शेयर में इस तरह का ट्रेडिंग किया जाता है.
निवेशक अपने खरीदे हुए शेयरों को लंबे समय तक अपने पास रखते हैं. जब शेयरों का कीमत बढ़ जाता है तभी निवेशक उसे बेचते हैं.
स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करने का सही समय क्या होता है?
हमारे कुछ यूज़र पूछते हैं कि हमें शेयर कब खरीदना चाहिए और कब उसे बेच देना चाहिए? मेरा सीधा सा उत्तर होता है कि जब आपको शेयर सस्ता मिले तो उसे खरीद लीजिए. आपके द्वारा खरीदे गए शेयर का दाम अगर बढ़ जाता है तो उसे आप बेच दीजिए.
मैंने खुद शेयर मार्केट के एक बड़े एक्सपर्ट से पूछा कि, आखिरकार हमें कैसे पता चलेगा कि सस्ते शेयर का दाम आने वाले समय में उनका दाम बढ़ जाएगा?
एक्सपर्ट का इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉक का चुनाव कैसे करें उत्तर – सस्ते शेयर का दाम बढ़ेगा या नहीं यह आपको तभी पता चलेगा जब आप उनके पिछले कुछ सालों का ट्रेंड देखेंगे और उस कंपनी के एनुअल रिपोर्ट का एनालिसिस करेंगे तभी आप सही आकलन कर पाएंगे.
हमारे ज्यादातर यूजर यह सोचते हैं कि हम एक क्लिक से अपने डिमैट अकाउंट में शेर को खरीद लेते हैं और तुरंत ही एक दूसरे क्लिक पर उसे बेच देते हैं. मैं तो कहूंगा कि यह काम इतना आसान नहीं है.
स्टॉक मार्केट नॉलेज से संबंधित आर्टिकल को आपने पढ़ा होगा, जिससे आपको साफ साफ पता चल गया होगा कि आप शेयर या स्टॉक को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एवं मुंबई स्टॉक एक्सचेंज से खरीद सकते हैं. जिसके लिए आप अपने डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल कर सकते हैं.
कंपनी के एनुअल रिपोर्ट एवं शेयर के पिछले सालों के ट्रेंड को देख कर के आप शेयर खरीदने का फैसला ले सकते हैं. मैं मानता हूं किसी भी कंपनी के एनुअल रिपोर्ट का एनालिसिस करने के लिए आपके पास 3 से 4 घंटे का समय होना चाहिए और आपको ज्ञान भी होना चाहिए.