भारतीय स्टॉक एक्सचेंज की सूची

Stock Market Holiday: दिवाली बलिप्रतिपदा पर आज शेयर बाजार बंद, बीएसई-एनएसई में नहीं होगा कारोबार
Stock Market Holiday: बुधवार यानी 26 अक्टूबर 2022 को बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) पर ट्रेडिंग पूरे सत्र के लिए बंद रहेगी।
भारतीय शेयर बाजार बुधवार को दिवाली बलिप्रतिपदा के कारण बंद रहेगा, इसलिए आज स्टॉक मार्केट में कोई व्यापारिक गतिविधि नहीं होगी। बीएसई की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार बुधवार यानी 26 अक्टूबर 2022 को बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) पर ट्रेडिंग पूरे भारतीय स्टॉक एक्सचेंज की सूची सत्र के लिए बंद रहेगी।
बीएसई की आधिकारिक वेबसाइट पर 2022 के लिए शेयर बाजार की छुट्टियों की सूची के अनुसार, आज शेयर बाजार के इक्विटी सेगमेंट, इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट और एसएलबी सेगमेंट में कोई खरीद-बिक्री नहीं होगी। इस बीच करेंसी डेरिवेटिव्स सेगमेंट और इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स सेगमेंट में ट्रेडिंग भी आज निलंबित रहेगी।
कमोडिटी सेगमेंट की बात करें तो मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के तीनों मार्केट में पहले हाफ में ट्रेडिंग नहीं होगी, जबकि 26 अक्टूबर, 2022 को दूसरे हफ में शाम 5 बजे (शाम के सत्र) में ट्रेडिंग होगी।
इससे पहले बेंचमार्क इंडेक्स मंगलवार को लगातार सात दिनों तक बढ़त के बाद लाल निशान पर बंद हुए। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 287.70 अंक गिरकर 59,543.96 के लेवल पर आ गया, जबकि निफ्टी 74 अंकों की गिरावट के साथ 17,656 के स्तर पर बंद हुआ। शेयर बाजार में अगली छुट्टी आठ नवंबर को गुरुनानक जयंती के दिन रहेगी।
विस्तार
भारतीय शेयर बाजार बुधवार को दिवाली बलिप्रतिपदा के कारण बंद रहेगा, इसलिए आज स्टॉक मार्केट में कोई व्यापारिक गतिविधि नहीं होगी। बीएसई की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार बुधवार यानी 26 अक्टूबर 2022 को बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) पर ट्रेडिंग पूरे सत्र के लिए बंद रहेगी।
बीएसई की आधिकारिक वेबसाइट पर 2022 के लिए शेयर बाजार की छुट्टियों की सूची के अनुसार, आज शेयर बाजार के इक्विटी सेगमेंट, इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट और एसएलबी सेगमेंट में कोई खरीद-बिक्री नहीं होगी। इस बीच करेंसी डेरिवेटिव्स सेगमेंट और इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स सेगमेंट में ट्रेडिंग भी आज निलंबित रहेगी।
कमोडिटी सेगमेंट की बात करें तो मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के तीनों मार्केट में पहले हाफ में ट्रेडिंग नहीं होगी, जबकि 26 अक्टूबर, 2022 को दूसरे हफ में शाम 5 बजे (शाम के सत्र) में ट्रेडिंग होगी।
इससे पहले बेंचमार्क इंडेक्स मंगलवार को लगातार सात दिनों तक बढ़त के बाद लाल निशान पर बंद हुए। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 287.70 अंक गिरकर 59,543.96 के लेवल पर आ गया, जबकि निफ्टी 74 अंकों की गिरावट के साथ 17,656 के स्तर पर बंद हुआ। शेयर बाजार में अगली छुट्टी आठ नवंबर को गुरुनानक जयंती के दिन रहेगी।
बीएसई व एनएसई की सलाह, 300 'इलिक्विड' शेयरों के कारोबार में बरतें सावधानी
भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख एक्सचेंजों, बीएसई और एनएसई ने निवेशकों से 300 से अधिक 'इलिक्विड' शेयरों में कारोबार करते समय सावधानी बरतने को कहा है.
'इलिक्विड' शेयरों का कारोबार सीमित होता है. इसकी वजह से उन्हें आसानी से बेचा नहीं जा सकता. बीएसई और एनएसई ने क्रमश: 299 और 13 इलिक्विड शेयरों की सूची जारी की है.
बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) दोनों ने बुधवार को इस बारे में एक जैसा सर्कुलर जारी करते हुए कारोबारियों और बाजार सदस्यों से कहा है कि ऐसे शेयरों में अपने लिए या अपने ग्राहकों की ओर से कारोबार करते समय अतिरिक्त जांच-पड़ताल करें.
बीएसई और एनएसई ने क्रमश: 299 और 13 इलिक्विड शेयरों की सूची जारी की है. एनएसई की ओर से जारी सूची में बीकेएम इंडस्ट्रीज, बीएसईएल इन्फ्रास्ट्रक्चर रियल्टी, क्रिएटिव आई, यूरोटेक्स इंडस्ट्रीज एंड एक्सपोर्ट्स, ग्रैंड फाउंड्री, जीटीएन टेक्सटाइल्स और होटल रग्बी शामिल हैं.
वहीं, बीएसई द्वारा जारी सूची में गरवारे मैरीन इंडस्ट्रीज, मेफकॉम कैपिटल मार्केट्स, एकाम लीजिंग एंड फाइनेंस कंपनी, मारुति सिक्योरिटी, बेंगलूर फोर्ट फार्म्स, गुजरात इन्वेस्टा, गोलचा ग्लोबल फाइनेंस, वेरटेक्स सिक्योरिटीज, मुनोथ फाइनेंशियल सर्विसेज और इंडो एशिया फाइनेंस शामिल है.
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BSE को अलग खंड के रूप में सोशल स्टॉक एक्सचेंज के लिए SEBI की मंजूरी मिली
7 अक्टूबर, 2022 को, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने BSE को मौजूदा स्टॉक एक्सचेंजों से एक अलग खंड के रूप में एक सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज (SSE) शुरू करने के लिए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दी।
- SSE सामाजिक उद्यमों (SE) को धन जुटाने के लिए एक अतिरिक्त अवसर प्रदान करेगा।
- UK(यूनाइटेड किंगडम), कनाडा और ब्राजील सहित कई देशों में पहले से ही SSE हैं।
i. यह गैर-लाभकारी संगठनों (NPO) और लाभकारी SE को सूचीबद्ध करने में सक्षम बनाता है जो बाजार नियामक द्वारा अनुमोदित 16 सामाजिक गतिविधियों में लगे हुए हैं।
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- इन गतिविधियों में भूख, गरीबी, कुपोषण और असमानता का उन्मूलन शामिल है; स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देना, शिक्षा, रोजगार और आजीविका का समर्थन करना; महिलाओं और LGBTQIA+ (लेस्बियन, गे, उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर, क्वीर, पूछताछ, इंटरसेक्स, पैनसेक्सुअल, टू-स्पिरिट, अलैंगिक और सहयोगी) समुदायों का लैंगिक समानता सशक्तिकरण; और SE के इन्क्यूबेटरों का समर्थन।
ii. पात्र SE इक्विटी, जीरो-कूपन जीरो-प्रिंसिपल बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, सोशल इम्पैक्ट फंड और डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड जारी करके फंड जुटा सकते हैं।
- कॉर्पोरेट फाउंडेशन, राजनीतिक या धार्मिक संगठन या गतिविधियाँ, पेशेवर या व्यापार संघ, बुनियादी ढांचा और आवास कंपनियां, किफायती आवास को छोड़कर, SE के रूप में पात्र नहीं हैं।
SSE के लिए फ्रेमवर्क से मुख्य बिंदु:
सितंबर 2022 में, SEBI ने SSE को धन जुटाने के लिए एक अतिरिक्त अवसर प्रदान करने के लिए SSE के लिए एक विस्तृत ढांचा अधिसूचित किया।
i.NPO के लिए न्यूनतम आवश्यकता: SEBI (पूंजी का मुद्दा और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) विनियम, 2018 (ICDR विनियम) के विनियमन 292 F(1) के अनुसार SSE पर पंजीकरण के इच्छुक एक NPO निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करेगा:
- NPO को एक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत होना चाहिए और कम से कम 3 साल के लिए पंजीकृत होना चाहिए।
- इसने पिछले वित्तीय वर्ष में कम से कम 50 लाख रुपये सालाना खर्च किए हैं और पिछले वित्तीय वर्ष में कम से कम 10 लाख रुपये का वित्त पोषण प्राप्त करना चाहिए था।
ii. सूचीबद्ध NPO को तिमाही के अंत से 45 दिनों के भीतर SSE को धन के उपयोग का एक विवरण प्रस्तुत करना होगा, जैसा कि SEBI के नियमों के तहत अनिवार्य है।
iii. NPO को बजट के संदर्भ में शीर्ष पांच दाताओं या निवेशकों के विवरण, संचालन के पैमाने, कर्मचारी और स्वयंसेवी ताकत, शासन संरचना, वित्तीय विवरण, वर्ष के लिए कार्यक्रम-वार फंड उपयोग और ऑडिटर रिपोर्ट और ऑडिटर विवरण सहित वार्षिक प्रकटीकरण की आवश्यकता होती है।
iv. SE को वित्तीय वर्ष के अंत से 90 दिनों के भीतर गुणात्मक और मात्रात्मक पहलुओं को प्रदर्शित करते हुए वार्षिक प्रभाव रिपोर्ट (AIR) का खुलासा करने की भी आवश्यकता है।
SSE की पृष्ठभूमि:
यह केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्रालय द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 के अपने बजट भाषण में प्रस्तावित किया गया था। उसके बाद, SEBI ने सितंबर, 2019 में इशात हुसैन (पूर्व निदेशक, टाटा संस) की अध्यक्षता में एक कार्य समूह (WG) का गठन किया, जिसने प्रतिभूति बाजार डोमेन के भीतर संभावित संरचनाओं और तंत्र की सिफारिश की है।
- 25 जुलाई, 2022 को, SEBI ICDR विनियम; SEBI (सूचीकरण दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) विनियम, 2015 (LODR विनियम); और SEBI (वैकल्पिक निवेश निधि) विनियम, 2012 (AIF विनियम) को SSE के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करने के लिए संशोधित किया गया था।
हाल के संबंधित समाचार:
i. SEBI ने साइबर सुरक्षा पर अपने 4 सदस्यों, उच्च स्तरीय पैनल का पुनर्गठन किया है जो साइबर हमलों से पूंजी बाजार की सुरक्षा के उपायों का सुझाव देता है। समिति अब छह सदस्यों तक विस्तारित हो गई है, जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC) के महानिदेशक (DG) नवीन कुमार सिंह करेंगे।
ii. SEBI ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT), और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट भारतीय स्टॉक एक्सचेंज की सूची ट्रस्ट (InvIT) को कुछ शर्तों के अधीन वाणिज्यिक पत्र (CP) जारी करने की अनुमति दी।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के बारे में:
अध्यक्ष – माधबी पुरी बुच
मुख्यालय – मुंबई, महाराष्ट्र
स्थापना – 1992
Business News : बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में LIC शेयरों को किया गया सूची को लिस्ट
भारत के सबसे बड़े आईपीओ, राज्य के स्वामित्व वाली बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एलआईसी) ने मंगलवार को बीएसई और एनएसई पर अपने शेयरों को 8 प्रतिशत से अधिक की छूट पर सूचीबद्ध किया।
मुंबई। आज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में LIC शेयरों की सूची को लिस्ट किया गया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में घंटी बजाकर भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को शेयर बाजार में सूचीबद्ध किया गया। बीएसई के डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट के सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडे ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण घटना है। एलआईसी का आईपीओ प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप है। भारत सबसे महत्वपूर्ण उभरते बाजारों में से एक है, इस दशक में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में से एक होगा।
दरअसल, बीएसई पर, एलआईसी ने ₹ 867.20 प्रति शेयर पर लॉन्च किया, इसकी मेगा प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) आवंटन मूल्य ₹ 949 से 8.62 प्रतिशत की छूट। भारतीय मानक समय (आईएसटी) सुबह 11.25 बजे तक बीमा दिग्गज के शेयर पॉलिसीधारकों की कीमत पर, ₹ 889, इसके लिस्टिंग मूल्य से लगभग 2.5 प्रतिशत और इसके निर्गम मूल्य से 6 प्रतिशत कम पर कारोबार कर रहे थे। सुबह के कारोबार में शेयर बढ़कर ₹920 के उच्च स्तर पर पहुंच गया।
एनएसई पर एलआईसी का लिस्टिंग मूल्य ₹872 था, जो निर्गम मूल्य से 8.11 प्रतिशत की छूट का संकेत देता है। एनएसई के अनुसार, स्टॉक पिछले 3.5 प्रतिशत से अधिक, लगभग ₹914 पर था। हाल ही में, वित्तीय बाजारों को मुद्रास्फीतिजनित मंदी की चिंताओं से जूझना पड़ा है क्योंकि प्रमुख केंद्रीय बैंक कई दशक की उच्च मुद्रास्फीति से निपटने के लिए आक्रामक ब्याज दरों में वृद्धि की राह पर हैं।
History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत
आमतौर पर निवेशकों के लिए शेयर बाज़ार आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाला एक शब्द बन चुका है. लेकिन Stock Exchange को लेकर अब भी कई लोगों के मन में कई सवाल हैं, जैसे कि इसके काम करने का तरीका क्या है? इसकी शुरुआत कैसे हुई? आदि. आज हम यहां, बाज़ार से जुड़े इस शब्द, Stock Exchange का पूरा विशलेषण करेंगे. जिससे निवेशकों को उनके हर सवाल का सटीक उत्तर मिल पाए.
ऐसे शुरू हुआ भारत में Stock Exchange
भारत को आज़ादी मिलने से 107 वर्ष पहले ही देश में शेयर बाज़ार की नींव पड़ चुकी थी. मुंबई स्थित टाउनहॉल के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे शेयरों का सौदा किया जाता था. इस स्थान पर लगभग 22-25 लोग इकट्ठा होकर शेयरों की खरीद और बिक्री में जुटते थे. साल दर साल निवेशकों की संख्या में आई वृद्धि के बाद, वर्ष 1875 में Stock Exchange के ऑफिस का निर्माण हुआ, जो आज दलाल स्ट्रीट के नाम से मशहूर है. वहीं सरकार द्वारा 1980 में Security and Exchange Board of India (SEBI) की स्थापना से इस सिस्टम में पारदर्शिता लाई गई.
कैसे लिस्ट होती है शेयर बाज़ार में कंपनियां?
Stock Exchange को आसान शब्दों में समझें, तो यह वो जगह है जहां स्टाॅक्स, बाॅन्ड्स, कमोडिटी की खरीद और बिक्री की जाती है. Stock Exchange एक ज़रिया है, जो निवेशकों और कंपनी के बीच काम करता है. जैसे किसी कंपनी को अगर फंड जुटाना हो, तो वह Stock Exchange में खुद को सूचीबद्ध करवाती है. इस प्रक्रिया पर आखिरी फैसला SEBI लेती है, जिसके बाद निवेशकों के कंपनी में निवेश के द्वार खुल जाते हैं. आपको बता दें, कि शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होने की इस प्रक्रिया को Initial Public Offering (IPO) कहते हैं.
भारत में कितने हैं Stock Exchange?
वैसे तो ज़्यादातर लोग सिर्फ National Stock Exchange (NSE) और Bombay Stock Exchange (BSE) ही जानते होंगे. मगर भारत में इन दोनों के अलावा भी 21 अन्य Stock Exchange भी थे, जो राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सीमा पर काम करते थे. वहीं 8 Stock Exchange और भी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं. इनमें से 20 भारतीय स्टॉक एक्सचेंज की सूची क्षेत्रीय एक्सचेंज, अब SEBI के नए नियमों के आने के बाद बंद हो गए. बंद हुए एक्सचेंज की सूची में Ahmedabad Stock Exchange, Chennai Stock Exchange, Pune Stock Exchange, U.P Stock Exchange आदि का नाम शामिल हैं.
क्यों खास है BSE और NSE?
भारत में BSE और NSE दो काफी महत्वपूर्ण शेयर बाज़ार हैं. इनमें लिस्टेड कंपनियों के शेयर, निवेशक या ब्रोकर सीधे तौर पर खरीदते और बेचते हैं. बात BSE की करें, तो यह वर्ष 1875 से मुंबई स्थित दलाल स्ट्रीट में है और विश्व के 10वें सबसे बड़े Stock Exchange का सूचकांक है, Sensex. इसकी स्थापना करने वाले Premchand Raichand को 'बिग बुल' के नाम से जाना जाता है. वहीं दूसरी ओर NSE की बात करें, तो यह भारत का पहला पूर्णतः कंप्यूटराइज्ड Stock Exchange है. वर्ष 1992 में स्थापित NSE की खासियत ये है कि, इसके सूचकांक को देखकर भारतीय अर्थव्यवस्था की एक झलक देखी जा सकती है. आपको बता दें, कि NSE का सूचकांक Nifty 50 है.
कैसे करें स्टाॅक्स में निवेश?
आम भाषा में समझें, तो शेयर मतलब हिस्सा और बाज़ार वो जगह जहां ग्राहक खरीददारी करता है. अब शेयर बाज़ार में निवेश को ऐसे समझें, कि कोई निवेशक NSE में सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदता है, जो कंपनी ने जारी किए हैं, तो उस निवेशक का कंपनी के खरीदे हुए शेयर के आधार पर उतना मालिकाना हक हुआ. शेयर की खरीद और बिक्री निवेशक की बुद्धि पर निर्भर करती है. हालांकि कई बार निवेशक ब्रोकर की भी मदद लेते हैं. शेयर बाज़ार में मौज़ूद स्टाॅक्स में निवेश के लिए, निवेशकों को सबसे पहले एक डीमैट खाता खुलवाना होता है. जो आपके बैंक खाते से लिंक होकर, चाहे ब्रोकर के माध्यम से या खुद स्टाॅक्स की खरीद और बिक्री के माध्यम से मदद करेगा. वहीं वित्तीय समझ की बात करें, तो आज भी Stock Exchange से प्रभावित निवेशकों की सुबह, बाज़ार के उतार-चढा़व देखकर ही होती है.
क्यों आता है शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव?
ऐसा देखा गया है, कि कई बार शेयर बाज़ार में मौज़ूद कंपनियों के स्टाॅक्स या शेयर में ज़बरदस्त उछाल या गिरावट दिखती है. तो आपको बता दें, कि इस अचानक से आए भारतीय स्टॉक एक्सचेंज की सूची हुए बदलाव की वजह कंपनी, अर्थव्यवस्था या वैश्विक स्तर की हलचल होती है. जैसे किसी कंपनी को अचानक मिला या छिना कोई आर्डर, कंपनी का मूल्यांकन, बाज़ार से जुड़ी शर्तों की अवहेलना, आदि. वहीं शेयर बाज़ार के पास, कंपनियों के दुर्व्यवहार करने पर गैर सूचीबद्ध करने का भी अधिकार होता है.
आज़ादी के बाद से कितना बदला Stock Exchange
आज़ादी से लेकर वर्तमान तक की बात करें, तो Stock Exchange और इसका काम करने का तरीका अब पहले से काफी स्पष्ट है. हालांकि नए-नए तरीकों से शेयर बाज़ार की ओर ध्यान आकर्षित करने में आज बाज़ार काफी आगे है. फिर चाहे मोबाइल फोन के माध्यम से निवेश हो या वेबसाइट पर जाकर कंपनियों का विशलेषण. आज के समय में Zerodha , Upstox, Groww आदि कुछ ऐसे ऐप्स उपलब्ध हैं, जो ऑनलाइन ट्रेडिंग को रफ़्तार देने में कामयाब हैं. वहीं इस तरह की पहल से आजकल के युवाओं में भी शेयर्स को लेकर उत्साह देखा जा सकता है. तो ऐसा कह सकते हैं, कि बरगद की छांव में शुरू हुआ Stock Exchange आज निवेशकों को वित्तीय छांव दे रहा है.