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टेक्निकल एनालिसिस क्या है?

टेक्निकल एनालिसिस क्या है?

Technical Analysis- 1st Post (Introduction & Basics – In Hindi)

टेक्निकल एनालिसिस पर पहली पोस्ट में आपका स्वागत है 🙂 । मेरे हिसाब से, ट्रेडिंग के लिए यह सबसे अच्छा टूल है। आज मैं आपके साथ टेक्निकल एनालिसिस के बारे में एक बुनियादी विचार साझा करुँगी। उदाहरण के लिए: – टेक्निकल एनालिसिस क्या है? आपको यह क्यों इस्तेमाल करना चाहिए? ट्रेडिंग में इसका इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? और टेक्निकल एनालिसिस की मूल बातें (प्राइस, वॉल्यूम, ओपन इंटरेस्ट)। तो चलिए शुरू करें!!

टेक्निकल एनालिसिस क्या है?

यह अतीत मार्केट के डेटा, मुख्य रूप से प्राइस और वॉल्यूम के अध्ययन के द्वारा प्राइसिस की दिशा की भविष्यवाणी की विधि है।

आपको यह क्यों इस्तेमाल करना चाहिए?

आपको इसका इस्तेमाल प्राइसिस के पूर्वानुमान लगाने के लिए करना चाहिए। यह प्राइस मूवमेंट के संदर्भ में भविष्य में क्या होने जा रहा है, के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर देता है, क्योंकि-

  • एक मार्केट के वर्तमान ट्रेंड की चलते रहने की ज़्यादा संभावना है और रिवर्स होने की कम → प्राइसिस हमेशा डायरेक्शनली मूव करते हैं, जैसे, अप, डाउन, या साइडवेज़ (फ्लैट) और कुछ कॉम्बिनेशंस।
  • इतिहास खुद को दोहराता है → अतीत में जो हुआ वह फिर से होगा क्योंकि मानव व्यवहार और साथ ही मानव साइकोलॉजी कभी नहीं बदलती।

ट्रेडिंग में इसका इस्तेमाल कैसे करें?

यह ट्रेडिंग में बहुत सी विधि लगा कर प्रयोग किया जाता है, साथ ही टूल्स और तकनीक लगाकर, जिनमे से एक टेक्निकल इंडीकेटर्स(लीडिंग और लैगिंंग), ओवेरलेज़ और कॉन्सेप्ट्स के साथ चार्ट का इस्तेमाल होता है। चार्ट के प्रयोग से हम प्राइस पैटर्न और मार्केट ट्रेंड की पहचान, टेक्निकल इंडीकेटर्स और मूविंग एवरेज के अध्ययन और कुछ संरचनाओं जैसे लाइन ऑफ़ सपोर्ट, रेजिस्टेंस, चैनल्स और अधिक अस्पष्ट संरचनाओं जैसे फ्लैग इत्यादि को देख सकते हैं और उनका फायदा उठा सकते हैं। इन इंडीकेटर्स का प्रयोग एक एसेट(शेयर) ट्रेंडिंग है या नहीं इसके आँकलन की मदद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, और अगर टेक्निकल एनालिसिस क्या है? ऐसा है, तो इसकी दिशा और निरंतरता की संभावना पता लगाने के लिए किया जाता है। हम प्राइस/वॉल्यूम इनडाईसिस और मार्केट इंडीकेटर्स के बीच संबंधों को भी देखते हैं।

टेक्निकल एनालिसिस की मूल बातें (प्राइस, वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट)

प्राइस– यह किसी शेयर के लिए भुगतान की सबसे अधिक राशि, या इसे खरीदने के लिए दी जाने वाली सबसे न्यूनतम राशि है।

वॉल्यूम– वॉल्यूम एक कारोबारी दिन में ट्रेडिंग गतिविधियों और कॉन्ट्रैक्ट्स की कुल मात्रा के आदान-प्रदान को दर्शाती है। वॉल्यूम जितनी अधिक होगी उतना ही हम मौजूदा ट्रेंड के रिवर्स होने की बजाय जारी रहने की उम्मीद कर सकते हैं। वॉल्यूम हमेशा प्राइस से आगे चलती है।

ओपन इंटरेस्ट– ओपन इंटरेस्ट प्रत्येक दिन के अंत में मार्केट पार्टिसिपेंट्स द्वारा आयोजित बकाया ठेके की कुल संख्या है। यह वायदा बाजार में धन का प्रवाह मापती है। ओपन इंटरेस्ट बढ़ने का मतलब है की नया पैसा मार्केट में आ रहा है। परिणामस्वरुप जो भी वर्तमान ट्रेंड है (अप, डाउन, साइडवेज़), वह जारी रहेगा। ओपन इंटरेस्ट में गिरावट का मतलब है कि मार्केट ट्रेंड समाप्त हो रहा है, और दर्शाता है कि वर्तमान प्राइस ट्रेंड (अप, डाउन, साइडवेज़) बदलने की संभावना है या खत्म होने की संभावना है।

प्रचलित प्राइस ट्रेंड, वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट के बीच के रिश्ते को निम्न तालिका द्वारा संक्षेप किया जा सकता है: –

Technical Analysis (Hindi)

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो आपने Technical Analysis के बारे में सुना होगा।Technical Analysis ( तकनीकी विश्लेषण ) बाजार की चाल और बाजार की प्रवृत्ति को समझने के उद्देश्य से तकनीकी चार्ट या तकनीकी संकेतकों के माध्यम से बाजार व्यवहार का अध्ययन है। इस ब्लॉग आर्टिकल में हम Technical Analysis के बारे में जानेगे !!

Table of Contents

Technical Analysis क्या होता हैं|What is Technical Analysis

Technical Analysis ( तकनीकी विश्लेषण ) एक अध्ययन हैं जो चार्ट और तकनीक इंडिकेटर का उपयोग करके हिस्टोरिकल ट्रेंड के आधार पर भविष्य में होने वाले शेयर प्राइस के बढ़ने और गिरने के बारे में बताता हैं जिसके टेक्निकल एनालिसिस क्या है? माध्यम टेक्निकल एनालिसिस क्या है? से बाजार की चाल और व्यवहार को समझने में आसानी होती हैं शेयर्स के खरीदने का मूल्य, खरीदने का समय, कितना खरीदना और बेचना, स्टॉप लॉस और एग्जिट आदि के बारे में बताता है।टेक्निकल एनालिसिस के माध्यम से किसी भी स्टॉक में कब एंट्री और एग्जिट करना हैं ये भी प्राइस पैटर्न और इंडीकेटर्स की मदद से पता लगाया जा सकता हैं।Technical एनालिसिस की सबसे ख़ास बात ये हैं की ये किसी भी एसेट क्लास पे अप्लाई किया जा सकते हैं क्यूंकि चार्ट एनालिसिस हर एक एसेट क्लास पे काम करता हैं क्यंकि ये उसके प्राइस बेहवियर को पास्ट डाटा के आधार पे जानने का तरीका हैं।

Technical Analysis Parameter (Hindi)

तीन पैरामीटर हैं जिन पर तकनीकी विश्लेषण आधारित है।

1) History Tends To Repeat Itself

2) Market Discount Everything

3) Price Moves In Trends

आइए प्रत्येक बिंदु को विस्तार से समझे !!

1.History Repeat Itself (Hindi)

पहला बिंदु इतिहास अपने आप को दोहराता है इसका मतलब है कि मानव मनोविज्ञान समान होता है, इसलिए टेक्निकल एनालिसिस के इस निष्कर्ष से यह माना जाता है कीमत का चलन अपने आप को दोहराता है। इतने सालों तक चार्ट का टेक्निकल एनालिसिस क्या है? गठन या प्राइस पैटर्न का आकार प्रकृति में दोहराव वाला होता है क्योंकि मानव मनोविज्ञान समान होता है,ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बाजार के भागीदार एक तरीके की घटना पर हर बार एक ही तरीके की प्रतिक्रिया देते हैं। इसीलिए शेयर की कीमत एक ही तरीके से चलती हैं।

इसलिए इस निष्कर्ष से यह माना जाता है कि अतीत में बने चैट पैटर्न में समान परिदृश्य मिलने पर खुद को दोहराने का मौका देता हैं इसलिए यह तकनीकी विश्लेषक टेक्निकल एनालिसिस क्या है? को बाजार के व्यवहार को समझने में मदद करता है और स्टॉक के मूल्य के अध्ययन में मदद करता है।

2.Market Discount Everything (Hindi)

दूसरा बिंदु Market Discount Everything का मतलब है बाजार मूल्य या स्टॉक मूल्य में पहले से ही शेयरों से संबंधित सभी समाचार चाहे वह अपने मौलिक, प्रबंधन, अर्थशास्त्र, इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक, मनोविज्ञान या भविष्य की संभावनाओं से जुड़ा हो या उसके बाहरी वातावरण से संबंधित सभी समाचार और चीजें शामिल हैं। उस स्टॉक प्राइस में वे चीज़े पहले से शामिल होती हैं जिसका असर उसके भाव में पहले से होता हैं।

3. Price Move in Trends (Hindi)

तीसरा बिंदु प्राइस मूव इन ट्रेंड्स का मतलब है कि स्टॉक प्राइस एक दिशा में तब तक चलता है जब तक कि वह विपरीत दिशा में अपनी दिशा को उलट या बदल नहीं देता है और वे एक ही दिशा में आगे बढ़ता रहता हैं जब तक कोई मेजर रेजिस्टेंस ना आ जाये बीच बीच में थोड़ी करेक्शन हो सकती हैं पर ट्रेंड अपनी दिशा में चलता हैं।

Technical Analysis कैसे करें|How to do Technical Analysis

टेक्निकल एनालिसिस शेयर का हिस्टोरिकल ट्रेडिंग डाटा को चार्ट के माध्यम से समझता हैं और यह डाटा आगे आने वाले समय के बारे में क्या संकेत देता है।यहां Technical Analysis Study में उपयोग किए जाने वाले बुनियादी उपकरण हैं जैसे कैंडलस्टिक चार्ट, वॉल्यूम, ट्रेंडलाइन, मूविंग एवरेज आदि। मुख्य पैरामीटर स्टॉक की प्रवृत्ति और मूल्य व्यवहार की पहचान करना है।

Technical Analysis study (तकनीकी अध्ययन) में Price और Volume दो महत्वपूर्ण कारक हैं क्योंकि तकनीकी अध्ययन में Price सर्वोच्च है और वॉल्यूम मूल्य पैटर्न का समर्थन करती है या मूल्य व्यवहार को प्रभावित करती है।टेक्निकल एनालिसिस में आप चार्ट को analyse कर सकते हैं क्यूंकि एक चार्ट ट्रेंड के बारे में काफी कुछ बताता हैं टेक्निकल एनालिसिस क्या है? उसमे प्राइस और वॉल्यूम के पैटर्न्स को ध्यान में रखना चाहिए क्यूंकि प्राइस ही सबसे ऊपर क्यूंकि जितने इंडिकेटर और टेक्निकल उपयोग केवल ट्रेंड और प्राइस का मूवमेंट देखने के लिए होते हैं

Technical Analysis के Important Points

Chart Analysis-Technical एनालिसिस की स्टडी में चार्ट सबसे अहम् होता हैं क्यूंकि चार्ट की मदद से हम प्राइस के बार्रे में पता लगा सकते हैं क्यूंकि Price ही सबसे अहम् होता हैं सारी टेक्निकल स्टडी और इंडिकेटर प्राइस बेहेवियर के बारे में होते हैं प्राइस एनालिसिस के लिए सबसे अधिक कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग होता हैं क्यूंकि एक कैंडलस्टिक पूरा दिन के ट्रेडिंग का Open-High-Low प्राइस का पिक्टोरियल रेप्रेसन्टेशन देती हैं यानी की वो स्टॉक किस प्राइस पे खुला कितना ऊपर गया और कितना निचे गया। advanced स्टडी के लिए कैंडलस्टिक पैटर्न आदि के बारे में जाना जा सकता हैं।

Price-Price बेहेवियर के बारे में जानने के लिए आप कैंडलस्टिक और मूविंग एवरेज का उपयोग कर सकते हैं।
Volume-Volume एनालिसिस करके आप प्राइस के सपोर्ट में वॉल्यूम को देख सकते हैं की प्राइस के साथ वॉल्यूम का क्या रेलशनशिप हैं जिससे की प्राइस का ट्रेंड बढ़ने और घटने के संकेत मिलते हैं। ये सब आप चार्ट पे देख सकते हैं।
Momentum-Momentum इंडिकेटर गाडी में स्पीडोमेटेर की तरह काम करता हैं जिससे ये पता लगता हैं की Price में कितनी तेज़ी हैं और कब उसकी तेज़ी हलकी हो जायगी इन सबके लिए आप R.S.I जैसे इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं।
Support & Resistance -Support & Resistance डिमांड और सप्लाई पे चलते हैं। ये एक जोन होता हैं जहा ये पता लगता हैं की स्टॉक का सपोर्ट और रेजिस्टेंस कहा पे हैं ये सब आप कैंडलस्टिक और trend-line या हॉरिजॉन्टल लाइन के मदद से उस जोन का पता लगा सकते हैं चार्ट के ऊपर । या फिर किसी अन्य इंडिकेटर का उपयोग करके।
Time Frame-Time फ्रेम भी बहुत महत्वपूर्ण होता हैं की आप किस टाइम फ्रेम पर चार्ट एनालिसिस और इंडिकेटर का इस्तेमाल कर टेक्निकल एनालिसिस क्या है? रहे हैं LongTerm Chart एनालिसिस के लिए या फिर short Term चार्ट एनालिसिस के लिए।

Note-इस ब्लॉग लेख में जो जानकारी दी गयी हैं वो केवल इनफार्मेशन और एजुकेशन के लिए हैं किसी भी निवेश से पहले अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से सलाह ले ।

Best Career Option: स्टॉक ट्रेंडिंग में रखते हैं इंट्रेस्ट, तो 12वीं के बाद बनाएं ट्रेडर के तौर पर करियर

Career in Stock Trending: ट्रेडिंग इंडस्ट्री में रोजगार के स्कोप भी काफी बढ़ रहे हैं. एक अच्छा ट्रेडर बनने के लिए फाइनांशियल स्टेटस, फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का नॉलेज होना जरूरी है. जानें फुल टाइम ट्रेडर बनने के फायदे

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Best Career Option: स्टॉक ट्रेंडिंग में रखते हैं इंट्रेस्ट, तो 12वीं के बाद बनाएं ट्रेडर के तौर पर करियर

Career in Stock Trending: वर्तमान में शेयर बाजार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. वहीं, ट्रेडिंग इंडस्ट्री में ग्रोथ होने के साथ-साथ ही इस सेक्टर रोजगार के स्कोप भी काफी बढ़ रहे हैं. बहुत से युवा स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग (Stock Market Trading) में दिलचस्पी ले रहे हैं. आपको एक अच्छा ट्रेडर बनने के लिए फाइनांशियल स्टेटस (Financial Status), फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis) और टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis) का बेसिक नॉलेज होना बेहद ही जरूरी है.

पहले स्टॉक एक्सचेंज कागज-आधारित फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट्स के साथ ट्रेडिंग करते थे, लेकिन अब तकरीबन 100 फीसदी ट्रेडिंग टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के जरिए की जा रही है. यहां जानें फुल टाइम ट्रेडर बनने के फायदे और इसके लिए जरूरी योग्यता क्या होनी चाहिए.

आयु सीमा
शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने की कोई न्यूनतम उम्र नहीं है.

योग्यता
1.ट्रेडिंग में करियर बनाना चाहते हैं तो किसी सम्मानजनक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन या कॉर्पोरेशन में ट्रेडिंग से रिलेटेड डिग्री होनी चाहिए.
2.ज्यादातर ट्रेडर के पास मैथ्स, टेक्निकल एनालिसिस क्या है? फाइनेंस, अकाउंटिंग, इकोनॉमिक्स में डिग्री होती है.
3.डीमैट अकाउंट के लिए पैन कार्ड जरूरी है.
डीमैट अकाउंट ओपन करते समय केवाईसी डॉक्यूमेंट्स और पैन कार्ड की एक फोटो कॉपी जमा करना होता है.
4. इस इंडस्ट्री में इनवेस्टेंट एडवाइजरी या किसी कंसल्टिंग कंपनी में प्रोफेशनल के तौर पर काम करने के लिए एनआईएसएम सर्टिफाइड होना जरूरी है.
5.इकोनॉमिक्स/बिजनेस मैनेजमेंट/फाइनेंस या इससे जुड़े किसी कोर्स में ग्रेजुएट या मास्टर्स की डिग्री होना जरूरी है.

ट्रेडिंग के फायदे
सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप खुद अपने मालिक होते हैं, किसी और के लिए काम करना जरूरी नहीं है.
सही नॉलेज और स्ट्रेटजी के साथ मार्केट से अच्छी-खासी कमाई की जा सकती है.
आप अच्छी ग्रोथ करने के साथ ही कैश मार्केट से डेरिवेटिव मार्केट तक बढ़ सकते हैं और लीवरेज को फ्रेंड बना सकते हैं.
इसमें सेबी रजिस्टर्ड निवेश एडवाइजर या सेबी रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट बन सकतें है और कंसल्टिंग कर सकते हैं.

क्या है टेक्निकल और टेक्निकल एनालिसिस क्या है? फंडामेंटल एनालिसिस? शेयर बाजार में पैसा कमाने के लिए जरूरी है ये ज्ञान, जानें इसे कैसे सीखें

टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस में किसी भी शेयर या कंपनी के पिछले और वर्तमान प्रदर्शन के आधार पर भविष्य की संभावना का अंदाजा लगाया जाता है. इसके लिए कई तरह के टूल्स और जरूरी पहलुओं का अध्ययन टेक्निकल एनालिसिस क्या है? किया जाता है.

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गोल्ड में फ्लैश क्रैश: टेक्निकल एनालिसिस पर बनी स्ट्रैटेजी ने डुबाई थी नैया, चार्ट पर बना था मंदी के संकेतों वाला 'डेथ क्रॉस' का पैटर्न

पिछले महीने एक दिन अचानक टेक्निकल एनालिसिस क्या है? एशिया के सर्राफा बाजार में सोने का भाव धराशायी हो गया था। 9 अगस्त को वह 15 मिनट के भीतर 4% टूटकर 1,700 डॉलर प्रति औंस से नीचे आ गया था। कुछ जानकारों ने उसे 'फ्लैश क्रैश' बताया, यानी सारा किया धरा कंप्यूटर ट्रेडिंग प्रोग्राम का था।

अगले एक साल में 2,100-2,200 डॉलर तक जा सकता है

इन सबके बीच केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि सोने के फंडामेंटल मजबूत बने हुए हैं। इसका भाव अगले एक साल में 2,100-2,200 डॉलर प्रति औंस और इंडिया में 53,000-54,000 रुपए प्रति दस ग्राम तक जा सकता है। बशर्ते यह 1,650-1,660 डॉलर प्रति औंस से नीचे न आ जाए।

राहत पैकेज वापस लिए जाने की अटकलें लगने लगी थीं

'फ्लैश क्रैश' की वजहें क्या हो सकती हैं, उसके बारे में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 6 अगस्त शुक्रवार को सोना 2.3% की कमजोरी के साथ बंद हुआ था। अमेरिका में रोजगार के मजबूत आंकड़ों के चलते राहत पैकेज जल्द वापस लिए जाने की अटकलें लगने लगी थीं।

डॉलर में मजबूती आई थी, बॉन्ड की यील्ड बढ़ी थी

उस दिन दूसरे अहम देशों की करेंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आई थी। इसके साथ ही बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड में बढ़ोतरी हुई यानी उसकी कीमत में गिरावट आई। इन सबके असर से सोने के दाम पर दबाव बना। बॉन्ड की यील्ड और सोने की कीमत में उलटा संबंध होता है।

15 मिनट में 4 अरब डॉलर से ज्यादा का सोना बिका

फिर नए हफ्ते के पहले दिन यानी सोमवार 9 अगस्त को एशियाई बाजारों में सोना टूट गया। कुछ ही मिनटों में 4 अरब डॉलर से ज्यादा का सोना बिक गया। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब दुनिया में हर तरह के बाजारों में बहुत कम नकदी रहती है।

चार्ट पर 'डेथ क्रॉस' नाम का मंदी वाला पैटर्न बना था

WGC के मुताबिक सोने के अचानक टूटने की वजह टेक्निकल एनालिसिस पर आधारित रणनीति हो सकती है। टेक्निशियनों ने सोने के चार्ट पर 'डेथ क्रॉस' नाम का पैटर्न बनने की बात कही थी। इस पैटर्न में प्राइस से जुड़ा 50 डे मूविंग एवरेज (DMA) 200 DMA से नीचे चला जाता है। यह पैटर्न एसेट में मंदी का संकेत माना जाता है।

1,700 डॉलर के पास लगाए स्टॉप लॉस ट्रिगर हुए होंगे

दूसरी वजह यह हो सकती है कि 1,700 डॉलर के आस-पास लगाए स्टॉप लॉस ऑर्डर ट्रिगर हुए होंगे। बड़े नुकसान से बचने के लिए ऑर्डर में तय किए गए प्राइस के ट्रिगर होने यानी नीचे के रेट पर बिक्री होने से सोने पर दबाव बढ़ा और बिकवाली होती चली गई। उस दिन अमेरिकी बाजार में भी सोने का भाव लगभग दो पर्सेट गिरा था।

अगले एक साल सोने में तेजी जारी रह सकती है

अजय केडिया के मुताबिक, अगले एक साल के लिहाज से सोने में तेजी रह सकती है। उन्होंने इसकी कई वजहें टेक्निकल एनालिसिस क्या है? बताईं। अमेरिकी जॉब मार्केट में अस्थिरता है। डॉलेक्स और बॉन्ड यील्ड में कमजोरी है। दुनिया भर में लिक्विडिटी ज्यादा है, जिससे महंगाई बढ़ी हुई है। जियो पॉलिटिकल टेंशन बना हुआ है और ट्रेड वॉर का टेंशन कम नहीं हुआ है।

घरेलू बाजार में शादी-ब्याह के सीजन का सपोर्ट

शादी-ब्याह का सीजन आ रहा है। ऐसे में कोविड के चलते दबी डिमांड सामने आ रही है। इसके अलावा रियल्टी मार्केट ठंडा पड़ा है। कोरोना को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। इक्विटी मार्केट में वैल्यूएशन हाई बना हुआ है। गोल्ड में निवेश के ऑप्शन बढ़े हैं। ऐसे में निवेशकों का रुझान फिजिकल गोल्ड से ज्यादा डिजिटल गोल्ड में बन सकता है।

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