मुद्रा व्यापार

विदेशी मुद्रा परिचालन
एसआईटीबी में विदेशी मुद्रा डीलिंग डेस्क, सभी आधुनिक संचार सुविधाओं, रिउटरस स्वचालित-डीलिंग प्रणाली के माध्यम से अपनी सभी अधिकृत शाखाओं के साथ विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए ऑनलाइन भाव प्रदान करता है.
बैंक निर्यात और आयात के व्यापार में लगे हुए अपने ग्राहकों की विदेशी मुद्रा की आवश्यकताओं को पूरा करता है और एसआईटीबी सभी विश्व की प्रमुख मुद्राओं जैसे अमेरिकी डॉलर ($), स्टर्लिंग पाउंड, यूरो, स्विस फ्रैंक (स्विस फ्रैंक), जापानी येन और अन्य विदेशी मुद्राओं के रूपांतरण के लिए दरें प्रदान करता है. बैंक के ग्राहकों की सेवाओं में विभिन्न डेरिवेटिव उत्पाद और फॉरवर्ड कवर उपलब्ध कराने के द्वारा विदेशी मुद्रा जोखिम की हेजिंग शामिल हैं.
अपनी अधिकतर विदेशी शाखाएं उन स्थानों पर स्थित होने के कारण जहां अधिक मात्रा में अनिवासी भारतीय रह रहे हैं, बैंक अपने एनआरआई ग्राहकों को तुरंत और कुशलतापूर्वक अपने उत्पाद वितरित करने की स्थिति में है. उत्पाद की रेंज में प्रेषण सुविधाएं और भारतीय रुपए (एनआरई/एनआरओ) में जमा राशि की स्वीकृति के साथ नामित विदेशी मुद्राओं (एफसीएनआर) शामिल हैं. निवासी के साथ साथ भारत लौटने वाले भारतीय निवासी विदेशी मुद्रा खातों (आरएफसी) का लाभ उठा सकते हैं.
ट्रेजरी (विदेशी मुद्रा) उत्पाद के मामले में सहायता के लिए आप एसआईटीबी, मुंबई में हमारे निम्नलिखित प्रभारियों से संपर्क कर सकते है.
विदेशी मुद्रा व्यापार में करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश
सरगना मध्यप्रदेश के देवास से गिरफ्तार, 500 लोगों से कर चुका है धोखाधड़ी
नोएडा, वरिष्ठ संवाददाता। साइबर थाना पुलिस ने फॉरेक्स ट्रेडिंग (विदेशी मुद्रा के व्यापार) में निवेश कर मोटी कमाई का झांसा देकर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का मंगलवार को पर्दाफाश किया है। गिरोह के सरगना को मध्यप्रदेश के देवास से गिरफ्तार किया गया। गिरोह देश के कई राज्यों में करीब 500 लोगों के साथ धोखाधड़ी कर चुका है। पुलिस को अबतक 15 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का रिकॉर्ड मिल चुका है। गाजियाबाद के जीएसटी विभाग से सेवानिवृत्त कमिश्नर से भी इस गिरोह ने 15 लाख रुपये ठगे थे।
सेवानिवृत्त कमिश्नर ने फॉरेक्स ट्रेडिंग में पैसा निवेश करने का झांसा देकर रुपये ठगने का मुकदमा दर्ज कराया था। साइबर क्राइम थाना प्रभारी रीता यादव ने बताया कि इसकी जांच शुरू की गई तो इस गिरोह का पता चला। सरगना शोएब मंसूरी को देवास की शिमला कॉलोनी से गिरफ्तार किया गया। शोएब ने गिरोह के अन्य साथियों के साथ मिलकर पीड़ित से 15 लाख रुपये ठगे थे। आरोपी के बैंक खाते में जमा करीब सात लाख रुपये फ्रीज कर दिया गया है। पुलिस ने उससे दो मोबाइल फोन जब्त किया है।
डीमैट खाता खुलवाकर करते थे फर्जीवाड़ा
गिरोह ने मध्यप्रदेश के इंदौर और देवास में वर्ष 2020 में दफ्तर खोला था। उसने फर्जी कॉल सेंटर बनाया और इसमें काम करने के लिए कुछ युवक-युवतियों को वेतन के आधार पर रखा। गिरोह अलग-अलग ब्रोकिंग कंपनी से ट्रेडिंग करने वाले लोगों का डाटा मुद्रा व्यापार लेता था। युवक-युवतियां लोगों को कॉल कर फर्जी कंपनी के माध्यम से ट्रेडिंग के लिए राजी करते थे। वह ग्राहकों को फॉरेक्स ट्रेडिंग में मोटा पैसा कमाने का लालच देते थे। इसके लिए मुद्रा व्यापार 10 से 20 हजार रुपये में उनका डीमैट खाता खुलवाते थे। जालसाज ग्राहक की आईडी और पासवर्ड अपने पास रखते थे, ताकि वह उनके खाते को संचालित कर सकें।
प्ले स्टोर पर डाली थी फर्जी ऐप
गिरोह ने ट्रेडिंग के लिए फर्जी ऐप मेटा ट्रेडर्स-05 नाम से बनाकर प्ले स्टोर पर अपलोड कर दिया था। इसी ऐप के माध्यम से ग्राहकों को उनके खाते में धनराशि की बढ़ती संख्या नजर आती थी।
खातों में सिर्फ संख्या में बढ़ती थी धनराशि
आरोपी अलग-अलग ग्राहकों से डीमैट खातों में पैसा मंगवाते थे। फर्जी ऐप के जरिए डीमैट खातों में दिखाई देने वाली धनराशि डिजिटल रूप में केवल संख्या के रूप में ग्राहक को बढ़ती हुई दिखाई देती थी, जबकि असल में वह धनराशि बढ़ती नहीं थी। इस रकम को देखकर ग्राहक और ज्यादा पैसे का निवेश करता था।
जीएसटी सहित कई चार्ज के नाम पर भी ठगी
ग्राहक को मुनाफा देने की आड़ में गिरोह उनसे जीएसटी सहित विभिन्न चार्ज के रूप में भी लाखों रुपये ठगता था। जब ग्राहक खातों में दिख रही धनराशि का मुनाफा लेना चाहता था तो उससे जीएसटी, कन्वर्जन चार्ज और सेटलमेंट चार्ज के नाम पर विभिन्न बैंकों खातों में और पैसे ट्रांसफर करवा लिए जाते थे। पीड़ितों के खातों का एक्सेस गिरोह के पास होने के चलते वह निवेश की रकम नहीं निकाल पाते थे।
12वीं पास सरगना ने बड़े-बड़ों को ठगा
गिरोह में 16 लोग शामिल हैं। इनमें तीन सरगना है, जो अपनी टीम के सदस्यों के साथ ठगी को अंजाम देता है। इस गिरोह के ठगों की तलाश महाराष्ट्र सहित विभिन्न प्रदेशों की पुलिस को है। पुलिस की गिरफ्त में आया आरोपी शोएब 12 वीं पास है। वह अभी तक सरकारी अधिकारियों से लेकर इंजीनियर और अन्य बड़े पदों पर कार्यरत लोगों को ठगी का शिकार बना चुका है। कुछ दिन बाद ही आरोपी की शादी भी होने वाली है।
क्या है फॉरेक्स ट्रेडिंग
सामान्य शब्दों में फॉरेक्स ट्रेडिंग का अर्थ एक दूसरे के बीच विभिन्न विदेशी मुद्राओं का व्यापार करना है। यानि इस प्रक्रिया के तहत विभिन्न देशों की मुद्राओं में उनके मूल्य के घटते बढ़ते रहने के कारण व्यापार होता है। इसमें एक करेंसी को दूसरी करेंसी से बदला जाता है। ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा जरूरी बात होती है एक्सचेंज रेट। मतलब एक करेंसी को दूसरी करेंसी से एक्सचेंज करने की दर क्या होगी।
एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा के बारे में
एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा से, अपने प्रॉडक्ट को ज़्यादा देशों तक पहुंचाया जा सकता है. यह खास तौर पर आपके लिए तब अहम हो सकता है, जब एक से ज़्यादा देशों में अपने प्रॉडक्ट बेचे और शिप किए जाते हैं. हालांकि, आपकी वेबसाइट पर हर देश की मुद्रा के लिए अलग प्रॉडक्ट पेज नहीं होते हैं. Merchant Center के सभी खातों में एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा अपने-आप चालू रहती है. बस वे प्रॉडक्ट और कीमतें सबमिट करें जो आपकी वेबसाइट पर इस्तेमाल की जाती हैं. इसके बाद, टूल आपके लिए विज्ञापनों में एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदले जाने का अनुमान लगा लेगा.
इस लेख में बताया गया है कि एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा कैसे काम करती है.
फ़ायदे
- आपके प्रॉडक्ट के विज्ञापनों को आपकी वेबसाइट में बिना कोई बदलाव किए, अपने-आप दूसरे देश में दिखाती है. जिस देश में सामान बेचा जा रहा है अगर आपके पास उसकी मुद्रा स्वीकार करने की सुविधा नहीं है, तो एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा से आपको अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद मिलती है.
यह सुविधा कैसे काम करती है
एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा, आपके प्रॉडक्ट डेटा में दी गई कीमत को अपने-आप टारगेट किए गए नए देश की मुद्रा में बदल देती है. साथ ही, आपके विज्ञापनों और मुफ़्त में दिखाई जाने वाली प्रॉडक्ट लिस्टिंग में दोनों कीमतें दिखती हैं. इससे आपकी लिस्टिंग और विज्ञापन, दूसरे देशों के लोगों को भी समझ में आ जाते हैं. साथ ही, कम से कम बदलाव करके, अपनी मौजूदा वेबसाइट और लैंडिंग पेजों का इस्तेमाल करना जारी रखा जा सकता है.
अगर अपने कैंपेन में, टारगेट किए गए देश की मुद्रा से अलग मुद्रा में कीमतें दी जाती हैं, तो कीमतें अपने-आप बदल जाएंगी और स्थानीय मुद्रा में दिखेंगी.
आपके विज्ञापन या लिस्टिंग में दिख रही, बदली हुई कीमत का अनुमान, Google Finance की विनिमय दरों के मुताबिक होगा.
आपके विज्ञापनों और लिस्टिंग में आपकी मुद्रा को उस देश की मुद्रा में बदल दिया जाएगा जहां मुद्रा व्यापार प्रॉडक्ट को बेचा जाना है. हालांकि, किसी नए देश को टारगेट करने के लिए, आपको उस देश की भाषा से जुड़ी ज़रूरी शर्तों को अब भी पूरा करना होगा. ध्यान रखें कि आपको अपने टारगेट किए गए देश की शिपिंग से जुड़ी ज़रूरी शर्तों को पूरा करने के लिए, अपनी शिपिंग की सेटिंग भी अपडेट करनी होंगी. शिपिंग की जानकारी सेट अप करने का तरीका जानें
आपकी मुद्रा व्यापार वेबसाइट आपकी मौजूदा मुद्रा में शुल्क लेती है, इसलिए उपयोगकर्ता की खरीदारी की आखिरी कीमत उपयोगकर्ता के क्रेडिट कार्ड या पैसे चुकाने की सेवा देने वाली दूसरी कंपनी की विनिमय दरों के हिसाब से होती है. इसका मतलब है कि खरीदारी की आखिरी कीमत और अनुमान अलग-अलग हो सकते हैं. पक्का करें कि आपके पूरे लैंडिंग पेज और वेबसाइट पर कीमत, सबसे पहले चुनी गई मुद्रा मुद्रा व्यापार में साफ़ तौर पर दिख रही हो.
मटिल्डा का स्टोर अमेरिका में है और उनकी वेबसाइट पर प्रॉडक्ट की कीमतें अमेरिकन डॉलर में दिखती हैं. वह अमेरिका में विज्ञापन करने के लिए शॉपिंग विज्ञापनों का इस्तेमाल करती हैं, इसलिए उनके प्रॉडक्ट डेटा में कीमतें अमेरिकन डॉलर में होती हैं. वह कनाडा में भी प्रॉडक्ट को बेचती और शिप करती हैं, लेकिन उनकी वेबसाइट पर कीमतें कैनेडियन डॉलर में नहीं दिखतीं.
हालांकि, एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा के साथ, मटिल्डा कनाडा में विज्ञापन देने के लिए अपना अमेरिका का प्रॉडक्ट डेटा और लैंडिंग पेज इस्तेमाल कर सकती हैं, जिस पर कीमतें अमेरिकन डॉलर में दिखती हैं. प्रॉडक्ट डेटा सबमिट करने के बाद, वे अपने Google Ads खाते में एक नया शॉपिंग कैंपेन बनाती हैं. अब उनके पास दो कैंपेन हैं, एक अमेरिका के लिए और दूसरा कनाडा के लिए. इसके लिए, उन्होंने वही लैंडिंग पेज और खास तौर पर वही प्रॉडक्ट डेटा इस्तेमाल किया है.
मटिल्डा के कनाडा वाले कैंपेन में, उनके विज्ञापन पर प्रॉडक्ट की कीमतें कैनेडियन डॉलर में दिखती हैं और दूसरी मुद्रा के तौर पर अमेरिकी डॉलर वाली कीमतें भी होती हैं. दूसरी मुद्रा में बदली गई कीमतों से कनाडा के संभावित ग्राहकों को प्रॉडक्ट और उसकी कीमत को अपनी जानी-पहचानी मुद्रा में समझने में मदद मिलती है. लोग जब किसी विज्ञापन पर क्लिक करते हैं, तो उन्हें मटिल्डा का लैंडिंग पेज दिखता है जिसमें कीमत अमेरिकी डॉलर में होती हैं. वे अपनी खुद की मुद्रा में साफ़ तौर पर कीमत की जानकारी पाकर, चेकआउट प्रोसेस को पूरा कर सकते हैं.
नीति और ज़रूरी शर्तें
उपयोगकर्ताओं को आपकी मुफ़्त में दिखाई जाने वाली लिस्टिंग और विज्ञापन, उनकी मुद्रा से अलग मुद्रा में दिखते हैं. इसलिए, उन्हें लग सकता है कि वे किसी दूसरे देश की कंपनी या व्यापारी से खरीदारी कर रहे हैं. लोगों के अनुभव को एक जैसा रखने के लिए, आपको उस देश की कीमत और टैक्स से जुड़ी ज़रूरी शर्तों का पालन करना होगा जिसकी मुद्रा का इस्तेमाल आपके प्रॉडक्ट डेटा में हुआ है.
उदाहरण के लिए, अगर आपका प्रॉडक्ट डेटा अमेरिकी डॉलर में सबमिट किया गया है और आपकी वेबसाइट अमेरिकी डॉलर में शुल्क ले रही है, तो आपको अमेरिका की कीमत और टैक्स से जुड़ी ज़रूरी शर्तों का पालन करना होगा. दूसरी सभी ज़रूरी शर्तों के बारे में जानने के लिए, उस देश की स्थानीय ज़रूरी शर्तें देखें.
यह किन सुविधाओं के साथ काम करता है
Merchant मुद्रा व्यापार Center और Google Ads की इन सुविधाओं के साथ, एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा का इस्तेमाल किया जा सकता है.
रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाने का मौका, व्यापार के लिए नहीं रहेगी डालर की अनिवार्यता
आरबीआइ ने भारत के मौद्रिक इतिहास का एक साहसिक निर्णय लेते हुए घोषणा की कि भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में भी होगा। हालांकि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन लिस्ट के अनुसार दुनिया भर में कुल 185 मुद्राएं हैं लेकिन सभी देशों के केंद्रीय बैंकों में 64 प्रतिशत अमेरिकी डालर है।
मुनि शंकर पांडेय: पिछले दिनों आरबीआइ ने भारत के मौद्रिक इतिहास का एक साहसिक निर्णय लेते हुए घोषणा की कि भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में भी होगा। इसके अनुसार भारतीय निर्यातकों और आयातकों को अब व्यापार के लिए डालर की अनिवार्यता नहीं रहेगी। अब दुनिया का कोई भी देश भारत से सीधे बिना अमेरिकी डालर के व्यापार कर सकता है। आरबीआइ के इस कदम से भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एक करेंसी के लिए स्वीकार करवाने की दिशा में मदद मिलेगी। यह निर्णय भारतीय विदेश व्यापार को बढ़ाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अभिलाषा के भी अनुरूप है। इससे भारत के वैश्विक उद्देश्यों को साधने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक मजबूती मिलेगी। हालांकि इसके तात्कालिक प्रभाव का भी आकलन करना होगा।
सबसे पहले अमेरिकी डालर के वैश्विक मुद्रा के रूप में स्वीकृति और दबदबे को समझने की आवश्यकता है। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन लिस्ट के अनुसार दुनिया भर में कुल 185 मुद्राएं हैं, लेकिन सभी देशों के केंद्रीय बैंकों में जमा कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 64 प्रतिशत अमेरिकी डालर है। दुनिया के संपूर्ण व्यापार का 85 प्रतिशत व्यापार डालर में होता है। संसार के समस्त कर्जों में डालर की हिस्सेदारी 39 प्रतिशत है। यही कारण है कि अमेरिकी डालर दुनिया की सबसे स्वीकार्य मुद्रा है।
वैसे तो अर्थशास्त्र का एक सामान्य नियम यह है कि अगर किसी देश की मुद्रा मजबूत होती है तो उसकी अर्थव्यवस्था पर कई नकारात्मक असर पड़ते हैं, लेकिन अमेरिका के मामले में इसका उलट होता है। जैसे ही अमेरिकी डालर मजबूत होता है, वैसे ही तमाम वैश्विक निवेशक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वापस लौट आते हैं। डालर के मजबूत होने से उसका आयात सस्ता हो जाता है, जिससे सामान्य उपभोग की आयातित चीजें सस्ती हो जाती हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था का 70 प्रतिशत हिस्सा उपभोग पर आधारित है। हालांकि दुनिया को कई बार इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है। जैसे वर्ष 2008 में अमेरिका की अपनी स्थानीय नीतियों के कारण आई मंदी ने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को हिला दिया। इसके बाद चीन और रूस जैसे देशों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डालर के वर्चस्व को तोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कालांतर में चीन और रूस ने आपसी व्यापार अपनी-अपनी मुद्रा में शुरू कर दिया। रूस के केंद्रीय बैंक के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में रूस और चीन के बीच व्यापार में डालर की हिस्सेदारी पहली बार 50 प्रतिशत के नीचे चली गई, जो कि 2015-16 में 90 प्रतिशत थी। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जब रूस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए, तब भी चीन-रूस का व्यापार यथावत जारी रहा। हाल के वर्षों में जब हमारा सामना कोविड महामारी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पैदा हुई आर्थिक उथल-पुथल से हुआ, तब भारत के नीति नियंता भी देश के आर्थिक हितों के संबंध में सोचने पर विवश हुए। वैश्विक अर्थव्यवस्था में किसी भी रूप में एकाधिकारी प्रवृत्ति या किसी भी आपूर्ति के लिए एक देश पर निर्भरता भारत के दीर्घकालिक हितों के प्रतिकूल है।
किसी देश की मुद्रा की कीमत के निर्धारण में उसके आयात-निर्यात के आकार, अर्थव्यवस्था का प्रबंधन और वैश्विक आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों का हाथ होता है। हाल में डालर की तुलना में रुपया भले ही कमजोर हुआ है, लेकिन अन्य मुद्राओं की अपेक्षा सबसे कम गिरा है। जापानी येन, चीनी युआन सहित अन्य मुद्राओं की तुलना में तो रुपया मजबूत ही हुआ है। अभी एक अमेरिकी डालर के बदले 138 जापानी येन मिल रहे हैं, जबकि 2018 में 110 येन मिलते थे। वहीं 2007 में एक यूरो के बदले 1.60 डालर मिलता था, जबकि अब एक यूरो एक डालर के बराबर हो गया है। भारतीय रुपये की मजबूती का कारण भारत में राजनीतिक स्थिरता, भारतीय अर्थव्यवस्था के आधारभूत तत्वों का मजबूत होना और मुद्रास्फीति के बावजूद भारत में लगातार मांग का बने रहना है। भारत आज विश्व की सर्वाधिक तेजी के साथ रिकवरी करने वाली अर्थव्यवस्था में भी शामिल है। यह कहा जा सकता है कि आगामी वर्षों में जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा और निर्यात में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी, वैसे-वैसे भारतीय रुपया भी मजबूत हो सकता है।
अब आरबीआइ के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने निर्णय मुद्रा व्यापार मुद्रा व्यापार को वैश्विक स्तर पर लागू करवाने की होगी। इसके लिए उसे बड़े पैमाने पर भारतीय बैंकों की वैश्विक उपस्थिति सुनिश्चित करनी होगी। करोबारी देश के केंद्रीय बैंकों से समायोजन करना होगा। रुपये में मुद्रा व्यापार लेन-देन के लिए देश के आयातकों और निर्यातकों को किसी भी व्यावसायिक बैंक में रुपया वोस्ट्रो खाता खोलना होगा। फिर रुपये का मूल्य वास्तविक बाजार मूल्य पर निर्धारित करते हुए उस देश की मुद्रा में सीधे हस्तांतरित किया जा सकेगा। इसका तत्कालिक लाभ भारत को ईरान, रूस के साथ उन देशों के साथ व्यापार में भी मिलेगा, जिनके पास या तो अमेरिकी डालर नहीं है या जो अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण व्यापार नहीं कर पा रहे।
चूंकि भारत अपनी आवश्यकताओं का 90 प्रतिशत तेल और गैस आयात करता है, इसलिए रुपये में व्यापार से भारत लाभ की स्थिति में होगा। कुल मिलाकर आरबीआइ के इस निर्णय से भारत की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता और लगातार बढ़ रहे कद के कारण रुपये को अंतरराष्ट्रीय करेंसी के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी।
(लेखक पालिसी वाच इंडिया में नीति विश्लेषक एवं आर्थिक मामलों के जानकार हैं)
विदेशी मुद्रा: व्यापारिक मुद्राओं के लिए सबसे बड़ा, सबसे अधिक तरल बाजार
इष्टतम विकल्प विदेशी मुद्रा खाता खोलने के लिए
व्यापारियों की किसी भी श्रेणी के लिए प्रदान किया जाता है, जिसमें फ्लोटिंग स्प्रेड और असीमित ट्रेडिंग रणनीतियों के साथ पेशेवर ईसीएन (ECN) खाते शामिल हैं
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