ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है

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Call And Put Option क्या होते है ? और इसमे ट्रेडिंग कैसे करे यहाँ जाने पूरी जानकारी
शेयर बाजार मे निवेश करने वाले और रोजाना ट्रेडिंग ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है करने वाले ऐसे 2 प्रकार के लोग होते है। रोजाना ट्रेडिंग करने ले लिए भी काफी सारे विकल्प मौजूद है ऑप्शन ट्रेडिंग ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है ट्रेडिंग भी ऐसा ही एक विकल्प है जिसमे कॉल और पुट ऑप्शन ट्रेडिंग की जा सकती है। ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास शेयर बाजार का काफी सारा ज्ञान अनुभव जरुरी है हलाकि इसी समय अगर आप इस विकल्प को अच्छी तरह से सिख ले तो ट्रेडिंग करना आसान हो जाता है।
- शेयर बाजार मे आप सीधे कॅश के जरिये शेयर खरीद सकते है जिसके लिए आपको पूरी शेयर राशि का भुगतान करना पड़ता है। (इसे आप इक्विटी शेयर निवेश ट्रेडिंग कह सकते है)
- इस विकल्पर के जरिये आप सिर्फ आपके पास मौजूद कॅश के जितने ही शेयर खरीद सकते है निवेश कर सकते है।
2 फीचर :(Feature Trading)
- फीचर ट्रेडिंग डेरिवेटिव ट्रेडिंग का एक प्रकार है।
- इस ट्रेडिंग विकल्प मे निवेशक आने वाले तारीख मे निवेश के लिए समझौता करता है।
- फीचर ट्रेडिंग के लिए निवेश करते समय निवेशक को कुल निवेश से सिर्फ कुछ राशि का ही भुगतान करना होता है।
- ऑप्शन ट्रेडिंग मे आपको ट्रेड करने के लिए 2 विकल्प मिलते है जिसके जरिये आप ट्रेडिंग कर सकते है।
- यह विकल्प आम शेयर बाजार से काफी अलग होता है शेयर बाजार मे शेयर की कीमत ऊपर जाने पर आपको मुनाफा होता है।
- लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग मे आप शेयर की कीमत ऊपर या निचे जाने पर भी पैसे कमा सकते है।
- अगर किसी शेयर के निचे जाने पर आप पैसे लगते है और शेयर निचे चला जाता है तो आपको मुनाफा होगा।
ऐसे समझे ऑप्शन ट्रेडिंग को
जैसे बैंक से पैसे निकालने या जमा करने के लिए हमें बैंक में खाता खुलवाना होता है, वैसे ही अगर आप स्टॉक मार्केट में ट्रेंडिग करना चाहते है तो आपको किसी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग खाता खोलना होगा. इसके लिए आपको एक डीमैट खाता और ट्रेडिंग खाता खोलना होगा तभी आप ऑप्शन ट्रेडिंग कर पाएंगे.
- हमें लंबे समय तक ट्रेड करना है इसलिए ऐसा स्टॉक ब्रोकर चुने, जिसकी ब्रोकरेज ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है चार्जेज कम हो और अन्य चार्जेज भी कम हो, क्योंकि अगर शुल्क ज़्यादा हुये तो इससे आपका मुनाफा घट सकता है. ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है
- ऐसा स्टॉक ब्रोकर चुने, जिसका ट्रेडिंग पोर्टल और एप बहुत ही सिम्पल हो, और जिसमें टेक्निकल गड़बड़ी कम हो. क्योंकि कभी-कभी कुछ स्टॉक ब्रोकर के पोर्टल और एप में टेक्निकल गड़बड़ी हो जाती है जिससे ट्रेडर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
ऑप्शन ट्रेडिंग के बेसिक्स को अच्छी तरह से समझें
- ऑप्शन क्या होते है?
- ऑप्शन कितने तरह के होते है?
- ऑप्शन कैसे काम करते है?
बिना ऑप्शन के बेसिक्स को समझे आप ऑप्शन ट्रेडर नहीं बन सकते है क्योंकि ऑप्शन बेसिक्स हमारे नींव की तरह काम करते है. जब आप कोई स्टॉक खरीदते हैं, तो आप केवल यह तय करते हैं कि आपको कितने शेयर चाहिए और आपका ब्रोकर मौजूदा बाजार मूल्य या आपके द्वारा निर्धारित सीमा मूल्य पर ऑर्डर भरता है लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए ज़रूरी होती है सिर्फ एक सही स्ट्रेटेजी की समझे. इसके लिए नीचे आपको समझाया जायेगा कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं.
ऑप्शन खरीददार और ऑप्शन सेलर
- ऑप्शन खरीददार :- ऑप्शन खरीददार बहुत कम पैसो के साथ ट्रेडिंग शुरुआत कर सकते है क्योंकि ऑप्शन खरीददार को सिर्फ ऑप्शन प्रीमियम देना होता है लेकिन ऑप्शन खरीददार की लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन सैलर के मुकाबले बहुत कम होती है.
- ऑप्शन सेलर :- ऑप्शन सेलर बनने के लिए आपको अपने अकाउंट में मार्जिन रखना होता है और इसी कारण एक ऑप्शन सेलर को ज़्यादा पैसो की जरुरत होती है. जबसे सेबी ने नया मार्जिन नियम लागू किया है तब से ऑप्शन सेलिंग के लिए मार्जिन की ज़रुरत कई गुना तक बढ़ गई है लेकिन फिर भी एक ऑप्शन सेलर के लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन खरीददार से ज्यादा होती है. आपने जो भी ऑप्शन ट्रेडिग के केपिटल रखा है उस हिसाब से आप देख सकते है कि आप ऑप्शन खरीददार बनना चाहते है या ऑप्शन सेलर
- कॉल ऑप्शन :- यह एक अनुबंध है जो आपको एक निश्चित समय के अंदर ही एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं.
- पुट ऑप्शन :- एक पुट ऑप्शन आपको अनुबंध समाप्त होने से पहले एक निश्चित कीमत पर शेयर बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं.
आप किस दिशा में क्या ऑप्शन खरीदेंगे या बेचेंगे?
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी: कॉल ऑप्शन खरीदें या पुट ऑप्शन बेचें.
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत स्थिर रहेगी: कॉल ऑप्शन बेचें और पुट ऑप्शन भी बेचें.
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत नीचे जाएगी: पुट ऑप्शन खरीदें या कॉल ऑप्शन बेचें.
एक्स्चेंज द्वारा तय सही स्ट्राइक प्राइस का चयन करें
ऑप्शन में ट्रेडिंग करते समय हमें बहुत सावधानी के साथ स्ट्राइक प्राइस का चयन करना होता है क्योंकि किसी भी स्टॉक या इंडेक्स की स्ट्राइक प्राइस एक्स्चेंज द्वारा तय की जाती है और एक ऑप्शन ट्रेडर सिर्फ उन्ही स्ट्राइक प्राइस पर ट्रेड कर सकता है जो एक्स्चेंज द्वारा तय की गई है.
उदाहरण के लिए, यदि आप मानते हैं कि किसी कंपनी का शेयर मूल्य वर्तमान ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है में ₹2000 पर ट्रेड कर रहा है, और भविष्य की किसी तारीख तक ₹2050 तक बढ़ जाएगा, आप ₹2050 से कम स्ट्राइक मूल्य के साथ एक कॉल ऑप्शन खरीद सकते है. फिर जैसे-जैसे कंपनी का शेयर मूल्य ₹2050 के नजदीक जाता जाएगा, आपका लाभ ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है बढ़ता जायेगा. इसी तरह अगर कंपनी का शेयर मूल्य उस भविष्य की तारीख तक ₹2000 से जैसे-जैसे कम होगा, आपका मुनफा कम होता चला जायेगा लेकिन ऑप्शन खरीदते हुए आपका अधिकतम नुकसान आपने जो प्रीमियम दिया है सिर्फ वही होगा.
ऑप्शन ट्रेडिंग की समय सीमा निर्धारित करें
- ऑप्शन में सबसे अहम रोल एक्सपायरी का होता है. ऑप्शन एक्सपायरी एक तिथि होती है जहां पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट एक भविष्य की तारिख पर शून्य हो जाते है. प्रत्येक ऑप्शन की समाप्ति अवधि तक उस भविष्य तारीख के अंतिम दिन तक उस ट्रेड में बने रह सकते है. ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के लिए तीन एक्सपायरी होती है-
- नियर मंथ (1महीना)
- मिडिल मंथ (2महीना)ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है
- फार मंथ (3 महीना)
- उदाहरण के लिए, अभी निफ्टी 15000 पर ट्रेड कर रहा है और आप निफ्टी में ट्रेड करना चाहते है तो आप साप्ताहिक एक्सपायरी या महीने की एक्सपायरी को लेकर ट्रेड कर सकते है.यदि आपको लगता है निफ्टी इस महीने के अंत तक 15500 तक या उससे ज्यादा तक पहुंच जायेगा, तब 15500 कॉल ऑप्शन महीने की जो आखिरी एक्सपायरी है उस पर खरीदते है.
समाप्ति तिथियां साप्ताहिक से लेकर महीनों तक हो सकती हैं. लेकिन साप्ताहिक ऑप्शन सबसे अधिक जोखिम वाले होते हैं और अनुभवी ऑप्शन ट्रेडर्स ज्यादातर इन्ही में ट्रेड करते हैं.
शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें।
Option Trading के बारे में विस्तार से जानने से पहले जानते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है? ऑप्शन एक कॉन्ट्रेक्ट है जो विक्रेता द्वारा लिखा जाता है, जो खरीदार को अधिकार देता है कि वह भविष्य अपने कॉन्ट्रेक्ट को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं है। इस आर्टिकल में ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से बताया गया है। जानते हैं- शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें। Option tarding in stock market kya hai Hindi.
Option trading in Stock market
शेयर मार्किट में वैसे को बहुत सारे तरीके हैं पैसे कमाने के उन्ही में से एक तरीका ऑप्शन ट्रेडिंग भीं है। शेयर मार्किट एक्सपर्ट अक्सर रिटेल ट्रेडर को ऑप्शन मार्केट से दूर रहने की सलाह देते रहते हैं। लेकिन रिटेल ट्रेडर भी ऑप्शन मार्केट को अच्छे से समझकर और सीखकर इससे थोड़े समय में ही अच्छा पैसा कमा सकते हैं। Price Action क्या है?
ऑप्शन एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट है, जिसमे आपको केवल प्रीमियम देना होता है। जिसकी वैल्यू उसके Underlying asset में निहित होती है। डेरीवेटिव दो प्रकार के होते हैं- फ्यूचर एंड ऑप्शन। एक फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट आपको भविष्य की एक निश्चित तारीख (Expiry Date) को एक निश्चित मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का अधिकार देता है लेकिन ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट में ऐसा नहीं है, ऑप्शन कंट्रेक्ट में आप निश्चित तारीख (Expiry date) पर आप सौदा पूरा करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
उदाहरण के द्वारा ऑप्शन ट्रेडिंग को समझें
Option trading in Stock market को एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझा जा सकता है- माना रमेश और आकाश दो दोस्त हैं। रमेश के पास दो बीघा जमीन है और वह उस जमीन को बेचना चाहता है। आकाश उस जमीन को खरीदना चाहता है, उस जमीन की कीमत मार्केट रेट के हिसाब से दस लाख रूपये है। आकाश दस लाख रूपये मैं उस जमीन को खरीदने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन आकाश के पास अभी पूरे पैसे नहीं है। एल्गो ट्रेडिंग क्या है?
इस वजह से दोनों के बीच एक महीने का कॉन्ट्रैक्ट साइन होता है, कॉन्ट्रैक्ट एक सितंबर से तीस सितंबर तक का होता है। रमेश आकाश से एक लाख रूपये टोकन अमाउंट ले कर एक रिसीप्ट बनाता है। जिसमे उन दोनों के बीच यह समझौता होता है कि आकाश बाकी के पैसे कॉन्ट्रैक्ट की अवधि पूरी होने तक रमेश को दे देगा।
रमेश यह जमीन कॉन्ट्रैक्ट का समय पूरा होने तक किसी और को नहीं बेचेगा यह कॉन्टेक्ट दोनों को मंजूर होती है। इस बीच जमीन के भाव में परिवर्तन हो सकता है, कांटेक्ट का समय पूरा होने तक जमीन के भाव मार्केट रेट से कम या ज्यादा भी हो सकते हैं।
Call option और Putt option क्या हैं ?
Call option उसके होल्डर को शेयर खरीदने का अधिकार देता है, ऐसे ही Putt option उसके होल्डर को शेयर बेचने का अधिकार देता है। इसके लिए आपको शेयर की पूरी कीमत नहीं चुकानी पड़ती, उसका केवल प्रीमियम चूकाना होता है। Option trader कॉल और पुट ऑप्शन को बेच भी सकता है। यदि आप भविष्य ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है में अपने कॉल ऑप्शन के खरीदने के अधिकार का उपयोग करना चाहते हैं तो आपको उसकी सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान भी करना पड़ेगा, आपको यह बात भी ध्यान रखना चाहिए।
Option Trading में जोखिम भी शामिल होता है इसका भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण समझने वाली बात यह कि ऑप्शन पुट और कॉल खरीदने में नुकसान लिमिटेड होता है। आपने जितने का पुट या कॉल खरीदा है ज्यादा से ज्यादा उतने का ही नुकसान हो सकता है। किन्तु अगर आपने पुट या कॉल को बेच दिया तो आपको अनलिमिटेड नुकसान हो सकता है। इसलिए पुट या कॉल ऑप्शन बेचने से पहले सौ बार सोचें।
आइए जानते हैं फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है?
दुनिया भर के शेयर बाजारों में वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। चाहे वह कोई स्टॉक हो, कृषि से संबंधित उत्पाद हो, पेट्रोल की कीमतों में उछाल आना और गिरावट होना आदि ये सब एक आम बात मानी जाती है। कीमत अस्थिरता के वजह से मांग और आपूर्ति में असंतुलन की स्थिति, जंग, राजनीतिक घटनाक्रम जैसी चीजें शामिल होती है। कीमतों में अस्थिरता के कारण सबसे बड़ी समस्या निवेशकों के सामने होती है। ऐसे में फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग के माध्यम से बाजार में उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम किया जा सकता है।
फ्यूचर ट्रेडिंग क्या है? (What is Future Trading in Hindi?) –
फ्यूचर ट्रेडिंग (Future Trading) एक पहले से निर्धारित समय पर एक निश्चित मूल्य पर किसी भी परिसंपत्ति (Assets ) को खरीदने या बेचने के लिए अनुबंध करना होता है। यदि कोई फ्यूचर कांट्रैक्ट खरीदता है तो इसका मतलब है कि वह किसी निश्चित समय पर उस वस्तु की कीमत पर भुगतान करने का वादा कर रहा है। यदि आप फ्यूचर ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है कांट्रैक्ट को बेचते हैं तो खरीदार को किसी विशेष समय पर एक निश्चित कीमत पर परिसंपत्ति का हस्तांतरण करने का वादा करते हैं।
उदाहरण के लिए मान लीजिए आप X कंपनी के 100 शेयर को ₹100 प्रति शेयर की कीमत से फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट (future contract) के लिए एक निश्चित तिथि निर्धारित करते हैं। कुछ समय बाद आपको पता चलता है कि फ्यूचर कांट्रैक्ट खत्म होने से पहले कंपनी X के शेयर के भाव ₹110 तक बढ़ गए हैं। लेकिन आपके लिए शेयर का भाव अब भी ₹100 प्रति शेयर रहेगा। फलस्वरुप आपको शेयर पर कुल ₹1000 का मुनाफा होगा। हालांकि शेयर के भाव गिर भी सकते हैं। यदि शेयर के भाव गिरकर ₹90 प्रति शेयर हो जाते हैं तो आपको 100 शेयर पर ₹1000 का नुकसान झेलना पड़ेगा। अतः हम कह सकते हैं कि फ्यूचर कांट्रैक्ट से एक क्रेता तभी मुनाफा कमा पाता है जब उसे इस बात की संभावना नजर आएगी शेयर के भाव बढ़ने वाले हैं। शेयर की कीमत नीचे जाने पर विक्रेता को फायदा होता है।
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