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जोखिम के घटक

जोखिम के घटक
OMT I.D: RJ085000784

जोखिम के घटक

जोखिम संचार और सामुदायिक जुड़ाव (आरसीसीई) हर स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन (जन स्वास्थ्य आपातकालीन) प्रतिक्रिया का एक अभिन्न अंग है। आपातकालीन जोखिम संचार स्वास्थ्य अधिकारियों और जोखिम-रहित आबादी के बीच दो-तरफ़ा संवाद है, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति द्वारा कई प्रश्नों के उत्तरों का निर्णय लेने में मदद करने के लिए किया जा सकता है।

जोखिम संचार लोगों के खुद के स्वास्थ्य, आर्थिक या सामाजिक आरोग्यता के संबंध में ज़ोखिमों का सामना करने वालों और विशेषज्ञों के बीच वास्तविक समय की सूचना और परामर्श तथा विचार के आदान-प्रदान को दर्शाता है। सही व्यक्ति से सही समय पर सही संदेश के माध्यम से जीवन को बचाया जा सकता है। हम कैसे इन संभावित विनाशकारी आपातकालीन स्थितियों से उबर सकते हैं तथा हमारा सामुदाय इनके संबंध में कैसे प्रतिक्रिया करता है? प्रभावी संचार इन सब बिंदुओं को प्रभावित करता हैं।

‘जोखिम संचार’ मीडिया, सामाजिक मीडिया संचार, जनसंचार और समुदाय जुड़ाव की तरह कई संचार तकनीकों का उपयोग करता है। इसके लिए अफवाहों, गलत सूचनाओं और अन्य चुनौतियों की जल्द पहचान और प्रबंधन की भी ज़रूरत होती है।

आरसीसीई निम्नलिखित कारणों से स्वास्थ्य आपातकालीन तत्परता और प्रतिक्रिया गतिविधियों का एक अनिवार्य घटक है:

Ø किसी भी घटना के संबंध में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया (जन स्वास्थ्य प्रतिक्रिया) के दौरान जीवन बचाने और प्रतिकूल परिणामों को कम करने के उद्देश्यों के साथ पूरी सक्रियता से संचार (संवाद) करना बहुत महत्वपूर्ण है। संचार का मतलब- क्या ज्ञात है? क्या अज्ञात है? तथा अधिक जानकारी के लिए क्या किया जा रहा है इत्यादि के बारे जोखिम के घटक में होना चाहिए।

Ø आरसीसीई इंफोडेमिक्स (किसी समस्या के बारे में अत्यधिक जानकारी, जो कि किसी समाधान की पहचान को मुश्किल बना देती है) को रोकने में मदद करती है तथा यह अफवाहों और गलतफहमी को कम करती है एवं इसका प्रबंधन करती है जो कि प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करती है, जिसके कारण आगे रोग फैल सकता है।

Ø जोखिम वाली आबादी के साथ नियमित और पूरी सक्रियता से संचार एवं जुड़ाव भ्रम कम करने और गलतफहमी से बचने में मदद करता है।

Ø लोगों को उन स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में सूचना और समझने का अधिकार है, जिनका सामना उनके प्रियजन करते हैं।

Ø प्रभावित आबादी के बीच जोखिम की अवधारणा अक्सर विशेषज्ञों और अधिकारियों से भिन्न होती है इसलिए अच्छी आरसीसीई उस अंतराल को भरने में मदद करने जोखिम के घटक वाला सेतु होता हैं, जैसे कि लोग क्या जानते हैं? वे कैसा महसूस करते हैं? और रोग के प्रकोप की प्रतिक्रिया में वे क्या करते हैं? इसके साथ-ही-साथ उन्हें क्या जानना चाहिए? और प्रकोप को नियंत्रण में लाने के लिए क्या करना चाहिए? इन सबके बारे में सटीक जानकारी होनी चाहिए।

Ø ‘प्रभावी आरसीसीई’ प्रतिक्रिया में समुदायों को शामिल करने के लिए सामुदायिक जुड़ाव की रणनीतियों का उपयोग करता है तथा प्रकोप के आगे के प्रसार को रोकने और व्यक्तियों तथा समुदायों को सुरक्षात्मक उपाय अपनाने के लिए स्वीकार्य और लाभदायक हस्तक्षेप विकसित करता है।

Ø ‘आरसीसीई’ निगरानी, केस रिपोर्टिंग, संपर्क ट्रेसिंग, रोग के लिए देखभाल, नैदानिक देखभाल पहुंचाने और प्रतिक्रिया के लिए किसी भी ज़रूरी संचालन (लॉजिस्टिक) और परिचालन के लिए स्थानीय सहयोग जुटाने के लिए आवश्यक है।

Ø प्रभावी आरसीसीई सामाजिक व्यवधान को कम करता है। इसलिए यह स्वास्थ्य की रक्षा के अलावा नौकरी, पर्यटन और अर्थव्यवस्था की भी रक्षा करता है।

Ø पहले होना: सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन स्थितियों में सूचनाओं को जल्दी से साझा करना महत्वपूर्ण है, ताकि जनता के सदस्य इस जानकारी को अपना पहला स्रोत बना सकें।

Ø सही होना: सूचना में वह शामिल होना चाहिए, जो कि ज्ञात है, जो अज्ञात नहीं है तथा अंतराल को भरने के लिए क्या किया जा रहा है।

Ø सहानुभूति व्यक्त करना: संकट क्षति उत्पन्न करता हैं इसलिय दुख को शब्दों में स्वीकार किया जाना चाहिए। लोग क्या महसूस कर रहे है और किन चुनौतियों का सामना करते है उसे पहचानते हुए विश्वास और सौहार्द-स्थापन (संपर्क) करना चाहिए।

Ø कार्रवाई को बढ़ावा देना: लोगों की चिंता को शांत करने के लिए सार्थक चीजें देना, व्यवस्था बहाल करने में मदद और नियंत्रण की कुछ भावना को बढ़ावा देता है।

Ø सम्मानजनक संचार प्रदर्शित करना: यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण जोखिम के घटक है कि जब लोग असुरक्षित महसूस करते हैं तब यह सहयोग को बढ़ावा देता है।

क) मौजूदा जानकारी एकत्र करना और समुदायों के बारे में जानने के लिए गुणात्मक और/या परिमाणात्मक आकलन का संचालन करना (उस समय होने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल जैसे कि कोविड-19 के दौरान सबसे अधिक जोखिम वाली आबादी, संचार पैटर्न और चैनल, भाषा, धर्म, प्रभावकों, स्वास्थ्य सेवा और स्थिति इत्यादि के बारे में सूचना, दृष्टिकोण और अवधारणाएं जुटाना।

ख) स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय संदर्भ में प्रतिक्रिया के सभी स्तरों पर आरसीएसीई के साथ जुड़ने के लिए नए निर्माण या मौजूदा तंत्रों में समन्वयन करना।

ग) उनके महत्व और उद्देश्यों के क्रम में निर्धारित और प्रधान्य उद्देश्यों को स्मार्ट (विशिष्ट, मापने लायक, कार्रवाई योग्य, यथार्थवादी और समयबद्ध) बनाने की आवश्यकता है।

घ) आरसीएसीई रणनीति की ज़रूरत और स्थानीय स्थिति को विकसित करने के लिए लक्षित दर्शकों और प्रमुख प्रभावितों की पहचान करना।

ड़) आरसीसीई रणनीति विकसित करना, जो कि गुणात्मक विश्लेषण परिणामों, परिभाषित प्रमुख उद्देश्यों और दर्शकों पर आधारित होनी चाहिए तथा आपकी प्रतिक्रिया रणनीति में फिट बैठती हों।

छ) निगरानी/मॉनिटर: मूल्यांकन उद्देश्यों के लिए एक निगरानी योजना विकसित करना और गतिविधियों के कार्यान्वयन के बाद आरसीसीई रणनीति के प्रभाव को मापना।

जब सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान जोखिम के बारे में जनता को कम जानकारी होती है, उस दौरान विश्वास जोखिम की गंभीरता के बारे में सार्वजनिक धारणाओं के संबंध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए जनता के लिए सरकार पर विश्वास बनाए रखना और उसे विकसित करना आपातकालीन जोखिम संचार में एक प्रमुख विषय है।

कोविड-19 के बारे में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी परामर्श और दिशानिर्देशों के बारे में जानकारी जानने के लिए यहां पर क्लिक करें।

8 घंटे से ज्यादा की नींद स्वास्थ्य के लिए नुकसान कर सकती है

Dr.Mansoor Khan | Lybrate.com

नींद, मानव निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है. यह वह समय है जब शरीर खुद को बहाल करता है. जबकि कम नींद शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है. नए शोध से पता चला है कि ज्यादा नींद लेने से भी नुकसानदायक है. ओवरस्लीपिंग कुछ स्वास्थ्य जोखिम का संकेत है. यह कुछ चिकित्सीय स्थितियों को भी संकेत करता है, जो एक व्यक्ति को हो सकता है. ओवरस्लीपिंग के जोखिम और अधिक है:

AML/CTF के कार्यकारी कार्यालय ने विश्व बैंक के साथ राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन कार्यशालाएं आयोजित की

आबू धाबी, 9 नवंबर, 2022 (डब्ल्यूएएम) -- एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग जोखिम के घटक और काउंटर टेररिज्म फाइनेंसिंग (EO AML/CTF) के कार्यकारी कार्यालय ने यूएई के दूसरे राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन (NRA) को शुरू करने के लिए कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित की, जिसका उद्देश्य आने वाले साल के लिए अपने धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण जोखिमों की पहचान करने, मूल्यांकन करने और समझना है।

कार्यशालाएं अबू धाबी में चार दिनों में आयोजित की गईं और न्याय मंत्रालय, अर्थव्यवस्था मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, यूएई के सेंट्रल बैंक, पर्यवेक्षी अधिकारियों, रजिस्ट्रार कार्यालयों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के 80 से अधिक प्रतिभागियों को साथ लाया गया, जो प्रमुख विषयों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विशिष्ट कार्य समूहों में विभाजित थे।

कार्य समूहों में मनी लॉन्ड्रिंग व आतंकवाद के वित्तपोषण के खतरे का आकलन; धन शोधन व आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए खतरा राष्ट्रीय सुभेद्यता; कानूनी व्यक्ति जोखिम मूल्यांकन; वित्तीय संस्थान व नामित गैर-वित्तीय व्यवसाय और व्यवसायों (DNFBP) और गैर-लाभकारी संगठन (NPO) शामिल थे।

एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और काउंटर टेररिज्म फाइनेंसिंग के कार्यकारी कार्यालय के महानिदेशक हामिद अल ज़ाबी ने अपनी स्वागत टिप्पणी में यूएई की दीर्घकालिक योजनाओं के लिए NRA के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, "वित्तीय अपराध के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक नेता होने के उद्देश्य से यूएई एक मजबूत और प्रभावी AML/CFT प्रणाली का निर्माण कर रहा है। इसे प्राप्त करने के लिए हम इस सप्ताह कार्यशालाओं में भाग लेने वाले संस्थानों की विस्तृत श्रृंखला के भीतर जोखिम मूल्यांकन में जोखिम के घटक विशेषज्ञता और ज्ञान का निर्माण करना चाहते हैं। विश्व बैंक की कार्यप्रणाली को अपनाने से हमें विश्वास मिलता है कि हमारा जोखिम-आधारित दृष्टिकोण परिणाम देना जारी रखेगा।"

यह पहली बार है जब यूएई विश्व बैंक द्वारा विकसित टूलकिट का उपयोग अपने ML/TF जोखिमों का स्व-मूल्यांकन करने के लिए कर रहा है। पिछले दस सालों में विश्व बैंक के NRA टूलकिट का उपयोग 100 से अधिक न्यायालयों द्वारा अपने स्वयं के जोखिम मूल्यांकन का नेतृत्व करने और अधिक प्रभावी AML/CFT नीतियों और प्रथाओं के लिए कार्य योजना तैयार करने में किया गया है।

NRA यूएई के सार्वजनिक जोखिम के घटक और निजी क्षेत्र के भागीदारों को सशक्त बनाकर ML/TF का मुकाबला करने के लिए यूएई के विकसित दृष्टिकोण का एक प्रमुख घटक है, ताकि समग्र रूप से राष्ट्र के सामने निहित ML/TF जोखिमों की उनकी समझ को बढ़ाया जा सके।

NRA एक आधार भी प्रदान करता है, जिस पर पहचाने गए अंतर्निहित जोखिमों के प्रभाव को कम करने के लिए उपयुक्त नीतियां और गतिविधियां तैयार की जाती हैं।

यूएई ने शीर्ष राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में वित्तीय प्रणाली के दुरुपयोग को रोकने के लिए निरंतर कार्रवाई की है। वित्तीय अपराध के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए यूएई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के साथ मिलकर काम कर रहा है। यूएई अवैध वित्त से निपटने के लिए कार्रवाई करने और विश्व बैंक के टूलकिट में उल्लिखित अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप अपने दृष्टिकोण की प्रभावशीलता में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है।

जोखिम के घटक

जोखिम संचार और सामुदायिक जुड़ाव (आरसीसीई) हर स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन (जन स्वास्थ्य आपातकालीन) प्रतिक्रिया का एक अभिन्न अंग है। आपातकालीन जोखिम संचार स्वास्थ्य अधिकारियों और जोखिम-रहित आबादी के बीच दो-तरफ़ा संवाद है, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति द्वारा कई प्रश्नों के उत्तरों का निर्णय लेने में मदद करने के लिए किया जा सकता है।

जोखिम संचार लोगों के खुद के स्वास्थ्य, आर्थिक या सामाजिक आरोग्यता के संबंध में ज़ोखिमों का सामना करने वालों और विशेषज्ञों के जोखिम के घटक बीच वास्तविक समय की सूचना और परामर्श तथा विचार के आदान-प्रदान को दर्शाता है। सही व्यक्ति से सही समय पर सही संदेश के माध्यम से जीवन को बचाया जा सकता है। हम कैसे इन संभावित विनाशकारी आपातकालीन स्थितियों से उबर सकते हैं तथा हमारा सामुदाय इनके संबंध में कैसे प्रतिक्रिया करता है? प्रभावी संचार इन सब बिंदुओं को प्रभावित करता हैं।

‘जोखिम संचार’ मीडिया, सामाजिक मीडिया संचार, जनसंचार और समुदाय जुड़ाव की तरह कई संचार तकनीकों का उपयोग करता है। इसके लिए अफवाहों, गलत सूचनाओं और अन्य चुनौतियों की जल्द पहचान और प्रबंधन की भी ज़रूरत होती है।

आरसीसीई निम्नलिखित कारणों से स्वास्थ्य आपातकालीन तत्परता और प्रतिक्रिया गतिविधियों का एक अनिवार्य घटक है:

Ø किसी भी घटना के संबंध में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया (जन स्वास्थ्य प्रतिक्रिया) के दौरान जीवन बचाने और प्रतिकूल परिणामों को कम करने के उद्देश्यों के साथ पूरी सक्रियता से संचार (संवाद) करना बहुत महत्वपूर्ण है। संचार का मतलब- क्या ज्ञात है? क्या अज्ञात है? तथा अधिक जानकारी के लिए क्या किया जा रहा है इत्यादि के बारे में होना चाहिए।

Ø आरसीसीई इंफोडेमिक्स (किसी समस्या के बारे में अत्यधिक जानकारी, जो कि किसी समाधान की पहचान को मुश्किल बना देती है) को रोकने में मदद करती है तथा यह अफवाहों और गलतफहमी को कम करती है एवं इसका प्रबंधन करती है जो कि प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करती है, जिसके कारण आगे रोग फैल सकता है।

Ø जोखिम वाली आबादी के साथ नियमित और पूरी सक्रियता से संचार एवं जुड़ाव भ्रम कम करने और गलतफहमी से बचने में मदद करता है।

Ø लोगों को उन स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में सूचना और समझने का अधिकार है, जिनका सामना उनके प्रियजन करते हैं।

Ø प्रभावित आबादी के बीच जोखिम की अवधारणा अक्सर विशेषज्ञों और अधिकारियों से भिन्न होती है इसलिए अच्छी आरसीसीई उस अंतराल को भरने में मदद करने वाला सेतु होता हैं, जैसे कि लोग क्या जानते हैं? वे कैसा महसूस करते हैं? और रोग के प्रकोप की प्रतिक्रिया में वे क्या करते हैं? इसके साथ-ही-साथ उन्हें क्या जानना चाहिए? और प्रकोप को नियंत्रण में लाने के लिए क्या करना चाहिए? इन सबके बारे में सटीक जानकारी होनी चाहिए।

Ø ‘प्रभावी आरसीसीई’ प्रतिक्रिया में समुदायों को शामिल करने के लिए सामुदायिक जुड़ाव की रणनीतियों का उपयोग करता है तथा प्रकोप के आगे के प्रसार को रोकने और व्यक्तियों तथा समुदायों को सुरक्षात्मक उपाय अपनाने के लिए स्वीकार्य और लाभदायक हस्तक्षेप विकसित करता है।

Ø ‘आरसीसीई’ निगरानी, केस रिपोर्टिंग, संपर्क ट्रेसिंग, रोग के लिए देखभाल, नैदानिक देखभाल पहुंचाने और प्रतिक्रिया के लिए किसी भी ज़रूरी संचालन (लॉजिस्टिक) और परिचालन के लिए स्थानीय सहयोग जुटाने के लिए आवश्यक है।

Ø प्रभावी आरसीसीई सामाजिक व्यवधान को कम करता है। इसलिए यह स्वास्थ्य की रक्षा के अलावा नौकरी, पर्यटन और अर्थव्यवस्था की भी रक्षा करता है।

Ø पहले होना: सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन स्थितियों में सूचनाओं को जल्दी से साझा करना महत्वपूर्ण है, ताकि जनता के सदस्य इस जानकारी को अपना पहला स्रोत बना सकें।

Ø सही होना: सूचना में वह शामिल होना चाहिए, जो कि ज्ञात है, जो अज्ञात नहीं है तथा अंतराल को भरने के लिए क्या किया जा रहा है।

Ø सहानुभूति व्यक्त करना: संकट क्षति उत्पन्न करता हैं इसलिय दुख को शब्दों में स्वीकार किया जाना चाहिए। लोग क्या महसूस कर रहे है और किन चुनौतियों का सामना करते है उसे पहचानते हुए विश्वास और सौहार्द-स्थापन (संपर्क) करना चाहिए।

Ø कार्रवाई को बढ़ावा देना: लोगों की चिंता को शांत करने के लिए सार्थक चीजें देना, व्यवस्था बहाल करने में मदद और नियंत्रण की कुछ भावना को बढ़ावा देता है।

Ø सम्मानजनक संचार प्रदर्शित करना: यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि जब लोग असुरक्षित महसूस करते हैं तब यह सहयोग को बढ़ावा देता है।

क) मौजूदा जानकारी एकत्र करना और समुदायों के बारे में जानने के लिए गुणात्मक और/या परिमाणात्मक आकलन का संचालन करना (उस समय होने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल जैसे कि कोविड-19 के दौरान सबसे अधिक जोखिम वाली आबादी, संचार पैटर्न और चैनल, भाषा, धर्म, प्रभावकों, स्वास्थ्य सेवा और स्थिति इत्यादि के बारे में सूचना, दृष्टिकोण और अवधारणाएं जुटाना।

ख) स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय संदर्भ में प्रतिक्रिया के सभी स्तरों पर आरसीएसीई के साथ जुड़ने के लिए नए निर्माण या मौजूदा तंत्रों में समन्वयन करना।

ग) उनके महत्व और उद्देश्यों के क्रम में निर्धारित और प्रधान्य उद्देश्यों को स्मार्ट (विशिष्ट, मापने लायक, कार्रवाई योग्य, यथार्थवादी और समयबद्ध) बनाने की आवश्यकता है।

घ) आरसीएसीई रणनीति की ज़रूरत और स्थानीय स्थिति को विकसित करने के लिए लक्षित दर्शकों और प्रमुख प्रभावितों की पहचान करना।

ड़) आरसीसीई रणनीति विकसित करना, जो कि गुणात्मक विश्लेषण परिणामों, परिभाषित प्रमुख उद्देश्यों और दर्शकों पर आधारित होनी चाहिए तथा आपकी प्रतिक्रिया रणनीति में फिट बैठती हों।

छ) निगरानी/मॉनिटर: मूल्यांकन उद्देश्यों के लिए एक निगरानी योजना विकसित करना और गतिविधियों के कार्यान्वयन के बाद आरसीसीई रणनीति के प्रभाव को मापना।

जब सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान जोखिम के बारे में जनता को कम जानकारी होती है, उस दौरान विश्वास जोखिम की गंभीरता के बारे में सार्वजनिक धारणाओं के संबंध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए जनता के लिए सरकार पर विश्वास बनाए रखना और उसे विकसित करना आपातकालीन जोखिम संचार में एक प्रमुख विषय है।

कोविड-19 के बारे में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी परामर्श और दिशानिर्देशों के बारे में जानकारी जानने के लिए यहां पर क्लिक करें।

जोखिम के घटक

Weekly Newsletter of CSC e-Governance Services India Limited, July 4, 2017 | CSC network is one of the largest Government approved online service delivery channels in the world

OMT I.D: RJ085000784

हम आपको बताना चाहते हैं कि 30 / - रु. जो अभी तक हमें एफएसएसएआई केंद्र द्वारा भुगतान किया गया था, सेवा की स्थापना के बाद से, मासिक चालान-प्रक्रिया पर किए गए आधार लेन-देन पर अब नागरिकों से शुल्क लिया जाएगा।

इसलिए नागरिकों को प्रत्येक पंजीकरण के लिए 100 / - + 30 / - = 130 / - रुपये का भुगतान करना होगा। सेवा जोखिम के घटक कर खत्म हो जाएगा। सर्विस टैक्स में कोई बदलाव नहीं है क्योंकि जीएसटी इस सर्विस पर लागू नहीं है। आवश्यक परिवर्तन सिस्टम पर सभी किए गए हैं। यह 1 जुलाई 2017 से प्रभावी है।

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योजना के उद्देश्य
• प्राकृतिक आपदाओं, कीट और रोगों के परिणामस्वरूप अधिसूचित फसल में से किसी की विफलता की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
• कृषि में किसानों की सतत प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उनकी आय को स्थायित्व देना।
• किसानों को कृषि में नवाचार एवं आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।

बीमित राशि/कवरेज की सीमा
अनिवार्य घटक के तहत ऋणी किसानों के मामले में बीमित राशि जिला स्तरीय तकनीकी समिति (DLTC) बीमित द्वारा निर्धारित वित्तिय माप के बराबर होगा जिसे बीमित किसान के विकल्प पर बीमित फसल की अधिकतम उपजके मूल्य तक बढ़ाया जा सकता है। यदि अधिकतम उपज का मूल्य ऋण राशि से कम है तो बीमित राशि अधिक होगी।

राष्ट्रीय अधिकतम उपज को चालू वर्ष के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ गुणा करने पर बीमा राशि का मूल्य प्राप्त होता है। जहां कहीं भी चालू वर्ष का न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध नहीं है, पिछले वर्ष का न्यूनतम समर्थनमूल्य अपनाया जाएगा। जिन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा नहीं की गई है, विपणन विभाग/बोर्ड द्वारा स्थापित मूल्य अपनाया जाएगा।

फसलों की कवरेज
• खाद्य फसल
• तिलहन
• वार्षिक वाणिज्यिक/वार्षिक बागवानी की फसल

जोखिम की कवरेज
फसल के निम्नलिखित चरण और फसल नुकसान के लिए जिम्मेदार जोखिम योजना के अंतर्गत कवर किये जाते हैं।
• बुवाई/रोपण में रोक संबंधित जोखिम: बीमित क्षेत्र में कम बारिश या प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण बुवाई/ रोपण में उत्पन्न रोक।
• खड़ी फसल (बुवाई से कटाई तक के लिए): नही रोके जा सकने वाले जोखिमों जैसे सूखा, अकाल, बाढ़, सैलाब, कीट एवं रोग, भूस्खलन, प्राकृतिक आग और बिजली, तूफान, ओले, चक्रवात, आंधी, टेम्पेस्ट, तूफान और बवंडरआदि के कारण उपज के नुकसान को कवर करने के लिए व्यापक जोखिम बीमा प्रदान की जाती है।
• कटाई के उपरांत नुकसान: फसल कटाई के बाद चक्रवात और चक्रवाती बारिश और बेमौसम बारिश के विशिष्ट खतरों से उत्पन्न हालत के लिए कटाई से अधिकतम दो सप्ताह की अवधि के लिए कवरेज उपलब्ध है।
• स्थानीयकृत आपदायें: अधिसूचित क्षेत्र में मूसलधार बारिश, भूस्खलन और बाढ़ जैसे स्थानीय जोखिम की घटना से प्रभावित पृथक खेतों को उत्पन्न हानि/क्षति।

जोखिम के अपवर्जन • निम्न कारणों से किसी के कारण फसलों के नुकसान में बीमा कवर लागू नहीं होगा। मनुष्य द्वारा निर्मित आपदाओं जैसे; आग लगना, चोरी होना, सेंध लगना आदि को इस योजना के अन्तर्गत शामिल नहीं किया जाता है।
• युद्ध और आत्मीय खतरे
• परमाणु जोखिम
• दंगा
• दुर्भावनापूर्ण क्षति जोखिम के घटक
• चोरी या शत्रुता का कार्य
• घरेलू और/या जंगली जानवरों द्वारा चरे जाना और अन्य रोके जा सकने वाले जोखिमों को कवरेज से बाहर रखा जाएगा।

बीमित राशि/कवरेज की सीमा जानने के लिए क्लिक करे http://agri-insurance.gov.in/Calculator.aspx
सभी VLE इस योजना में किसी भी गाँव के गैर ऋणी किसान का रेजिस्ट्रेशन कर सकते हैं.
अपने डिजिटल सेवा पोर्टल पर जाइए ओर गोवेर्मेंट ऑपशन पर क्लिक करके प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पे क्लिक करे |
विस्तृत जानकारी के लिए इस वीडियो को देखे https://youtu.be/uJkdV-Le4Yo

कोई सवाल या प्रतिक्रिया के लिए [email protected] पर मेल करें


The Government of Jharkhand is planning to setup 15 vision centres through CSCs. These centres will help provide eye tele-consultations to help the rural populations have access to quality eyecare health service throughout Jharkhand. In this process CSCs will work as an important vehicle to assess, diagnose and identify patients who require these health services. 5 Districts are proposed to be involved under the plan , where the CSCs along with diagnosis, will also help in offering corrective solutions. The support of local Hospitals and trained medical personnel would be used.

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